मुस्कराते चहरे की हकीकत - 20 Manisha Netwal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

मुस्कराते चहरे की हकीकत - 20

डॉक्टर, विवान के पास आकर- मिस्टर अग्रवाल... प्लीज जल्दी से बताइए, क्या कहा उन्होंने... पेशेंट की हालत ज्यादा खराब हो रही है,,,,,
विवान, डॉक्टर की तरफ देखकर- डॉक्टर को अवनी को......
विवान आगे कुछ भी नहीं बोल पाता,,,,,,
यश, विवान के कंधे पर हाथ रखकर- विवान, प्लीज यार बताओ क्या कहा उसने... देखो अवनी की हालत कैसी हो रही है....
विवान, अपने आप को संभालते हुए खड़ा होकर- ब्लड कैंसर.... ब्लड कैंसर है अवनी को.... डॉक्टर, मैं अभी अवनी की दवाइयां ले कर आता हूं तब तक आप अपने तरीके से उसे होश में लाने की कोशिश कीजिए
इतना कहकर विवान बिना किसी को देखे बाहर आता है और कार लेकर काव्या के अपार्टमेंट की ओर निकल जाता है
अंदर सब की हालत विवान जैसी ही थी किसी को अंदाजा भी नहीं था कि अवनी इतनी बड़ी बीमारी से गुजर रही थी,,,
नित्या रोते हुए- नहीं.. ये नहीं हो सकता.. अवनी को कैंसर नहीं.... और कितने इम्तेहान लोगे भगवान.. क्या बिगड़ा है इसने आपका, कुछ करना था तो मेरे करते,,,, इससे क्या दुश्मनी थी आपकी,,, अगर अवनी को कुछ हो गया तो मैं जिंदा नहीं रह पाऊंगी,,,,, नित्या की बात सुनकर सब नित्या और काव्या के पास आकर बैठ जाते हैं ,,,,
सुधा जी, नित्या को गले लगाकर- भगवान अच्छे लोगों की परीक्षा ज्यादा लेता है बेटा, अवनी ने अभी सही से अपनी जिंदगी शुरु भी नहीं की और उसके साथ इतना सब कुछ,,,,,,,, सुधा जी का गला भर आया वह आगे कुछ भी नहीं बोल पाई,,,,,,
इधर विवान अवनी के रूम में उसकी दवाइयां ढूंढ रहा था,,, सामने एक बेंच पर अवनी की दवाइयां रखी हुई थी और उन्हीं के पास उसकी रिपोर्टस् व एक डायरी रखी हुई थी,, विवान उन सब को लेकर कार में बैठा और कार घर की तरफ दौड़ दी,,,,,
कुछ देर में विवान घर पहुंचा और डायरी को गाड़ी में ही रखकर दवाइयां और रिपोर्ट्स ले जाकर डॉक्टर को दे दी और सबके पिछे आकर खड़ा हो गया,,,,,
डॉक्टर ने रिपोर्ट्स पड़ी और अवनी की दवाइयों में से दो गोलियां निकालकर अवनी को दी फिर एक इंजेक्शन देकर- देखिए, यह कैंसर का सेकंड स्टेज है और इसमें चक्कर आना, बेहोश होना नॉर्मल है। इन्होने आज यह गोली नहीं ली इसलिए यह बेहोश हुई,, मैंने अभी दवा दे दी है कुछ देर में पेशेंट को होश आ जाएगा,,,,
डॉक्टर, विवान के पास आकर- दिस इज नॉट ए नॉरमल प्रॉब्लम...... यह दूसरा स्टेज है और कैंसर से जितना(win) आसान नहीं फिर भी जितना हो सके इन्हें मेंटली खुश रखने की कोशिश करें ताकि इनके दिमाग पर कोई बुरा असर ना पड़े.... शायद पेशेंट फिर से नॉर्मल लाइफ जी सके और अब पेशेंट को chemotherapy की बहुत ज्यादा जरूरत है वरना पेशेंट के पास जीने के लिए एक साल भी नहीं है,,,,,,, डॉक्टर विवान के कंधे पर हाथ रखकर- टेक केयर..,
डॉक्टर कुणाल के साथ बाहर चला जाता है,,,,,,,
काव्या रोते हुए- तो क्या अवनी पिछले दो महीनों से इसलिए हमसे दूर है ताकि किसी को उसकी बीमारी का पता ना चले.....
करण- अवनी को पहले से दो-दो गोलियां लगी हुई है,, वह घाव भी अभी तक भरे नहीं और हर रोज इस बीमारी से लड़ती है वो भी अकेली..... कितनी तकलीफ होती होगी उसे.....
कुछ देर में अवनी को होश आता है लेकिन उसकी आंखें अभी भी बंद थी,,,,,,
अवनी, दोनों हाथों से सिर को पकड़कर- मम्मा... पा.. पा.. भाई.. भाई कहां हो आप, बहुत दर्द हो रहा है सिर में.....….
अवनी की बंद आंखों से भी आंसू बह रहे थे उसकी आवाज सुनकर ही पता लगाया जा सकता है कि वह किस दर्द से गुजर रही थी,,,,,, सब की आंखों में आंसू थे क्योंकि जिनको भी वह पुकार रही थी वो यहां नहीं थे.... अब तक जो उसकी आवाज सुनने को तरस रहे थे अब उनकी किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी उससे बात करने की,,,,,,,
अवनी, फिर से- वि.... वि वा..विवान....
अवनी के मुंह से विवान का नाम सुनकर सब हैरान थे,,,विवान सब के पीछे खड़ा था वह भागकर अवनी के पास आता है,,,,,,
विवान, आकर अवनी के पास बैठता है और उसके सिर पर हाथ रखकर- अवनी आंखें खोलो... देखो सब कितना परेशान है.... अवनी....
अवनी विवान की आवाज सुनकर अपनी आंखे खोलती है उसके पास विवान बैठा था और सब पीछे खड़े थे,,, अवनी कि नज़र केवल विवान पर जाती हैं अवनी बिना किसी को देखे वापस अपनी आंखें बंद कर लेती है और रोते हुए उठकर विवान के गले लग जाती है,,,, अवनी ने विवान को मजबूती से पकड़ रखा था जैसे हर बार की तरफ वो अपना सारा दर्द उसके साथ बाट रहीं हो.....
विवान, उसके बालों पर हाथ फेरते हुए- कुछ नहीं होगा तुम्हे....तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगी... हम हैं ना तेरे साथ, कुछ नहीं होगा.. कुछ भी नहीं... ओके.....
अवनी अभी भी रोए जा रही थी फिर अवनी अपनी आंखें खोलती है,, उसकी नज़र बाकी सब पर जाती हैं जो विवान के पीछे खड़े उन्हे ही देख रहे थे,,,, नित्या और काव्या अभी भी रोए जा रही थी अवनी सबको देखकर विवान से दूर हट जाती है,,,,,,
अवनी, नजरे झुकाकर विवान से- सॉरी.. वो.... मैं...
विवान कुछ नहीं बोलता वह चुपचाप उठकर पीछे चला जाता है नित्या और काव्या अवनी के पास आकर उसे गले लगाती है
अवनी उन्हें चुप कराते हुए, हल्का सा मुस्कराकर- क्यों रो रहे हो तुम.... अभी मैं जिंदा हूं और नित्या तेरी शादी से पहले तो मैं बिल्कुल नहीं मरने वाली.... ओके... और काव्या, नहीं इतनी जल्दी तेरा पीछा छोड़ने वाली.....
फिर कुणाल, यश, रिया, श्रेया की तरफ देखकर- अब तुम भी रोना बंद करो, वरना मैं कभी तुम सब के लिए सॉन्ग नहीं गाऊंगी.... कभी नहीं....
अवनी को मुस्कराता हुआ देखकर और उसकी बाते सुनकर सब उसके पास आकर उसे गले लगा लेते हैं,काव्या, नित्या, करण, रिया, श्रेया, कुणाल, यश सब एक साथ अवनी को गले लगाए घेरकर बेड पर बैठे थे,,,,
सुधा जी, कृष्णमूर्ति, राजेश, शालिनी और कविता उन सब को देखकर अपने आंसू पोछते है और अवनी के पास आकर खड़े हो जाते हैं,,,,,
अवनी, सुधा जी का हाथ पकड़कर- सॉरी दादी.... मेरी वजह से आप इतना परेशान हुए....
सुधा जी अवनी के पास बेठकर - दादी हूं ना तेरी तो फिर परेशान कैसे ना होऊंगी......
अवनी हा में सिर हिलाती है फिर उनके कंधे पर सिर रखकर अपनी आंखें बंद कर लेती है,,,
सुधा जी, अवनी के सिर पर हाथ फेरते हुए- फिर क्यों छुपाया हमसे अपनी बीमारी के बारे में.....
अवनी उनकी बात पर कुछ नहीं बोलती,,,,,,
शालिनी, उसके पास बैठकर- मा की याद आती है ना बेटा ... बाहर के घाव जल्दी भर जाते हैं पर अंदर के घाव वक्त के साथ और गहरे होते जाते हैं बेटा... हम सब तुम्हारे साथ है एक परिवार की तरह (अवनी के सिर को चूमते हुए) तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे हम.....
विवान सबकी बातें सुन रहा था पर अब सबके सामने अवनी से बात करने की हिम्मत उसमें नहीं थी,,, वह वहां से बाहर चला जाता है और अपनी कार से अवनी की डायरी उठाकर उस पर हाथ फेरते हुए- सॉरी अवनी.. पर तेरे इतने सालों के दर्द को मैं महसूस करना चाहता हूं अब आगे से तुम्हें इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी.....
विवान वहां से अपने रूम में आकर अपनी अलमारी में उस डायरी को रख देता है और वापस अवनी के पास आता है,,, बाकि सब अवनी के पास ही बैठे थे,,,,,
विवान, पीछे से- हेलो मिस मरीज... यार बस भी करो अब देखो 4:00 बज रहे हैं सोना भी है सबको......
विवान की बात सुनकर सब उसकी तरफ देखते हैं सबके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट थी अवनी भी सब कुछ भूलकर विवान की तरफ देख रही थी फिर सब की तरफ देख कर, विवान से- मरीज... मैं.... अभी भी तुम जैसों को धूल चटा सकती हूं समझे.. अवनी को कमजोर समझने की कोशिश मत करना.. आई एम स्ट्रांग..... वैसे तुम्हें तो खुश होना चाहिए जल्दी पीछा छूट जाएगा तुम्हारा मुझसे,,,,,
अवनी की बात सुनकर विवान को बहुत बुरा लगता है वह अवनी के पास आकर गुस्से से- आज तो बोल दिया है आगे से मत बोलना वरना... अभी तुम मुझे अच्छे से जानती नहीं हो....... इतना कहकर विवान बाहर चला जाता है,,,,,,
सब विवान को जाते हुए देख रहे थे फिर अवनी की तरफ देखते हैं,,,,,
अवनी- दादी आप सब सो जाइए प्लीज.. वरना मुझे बहुत बुरा लगेगा... अभी मैं ठीक हूं...
अवनी के कहने पर सब चले जाते हैं काव्या और नित्या अवनी के पास ही सोते हैं,,,,,
काव्या, अवनी से- तुम्हें विवान से इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थीं,,,,,,
नित्या - पता है तेरे लिए सबसे ज्यादा विवान ही रोया था,,,, जब उसे तुम्हारे कैंसर के बारे में पता चला था वह टूट गया था उसे खुद का भी होश नहीं था,,,,,
अवनी, अपने आंसू पोछकर-सॉरी यार,मैं तो मजाक कर रही थी मुझे नहीं पता था उसे इतना बुरा लगेगा......
तीनों को कुछ देर में नींद आ जाती है इधर यश, विवान के रूम का दरवाजा खटखटाता है पर वह दरवाजा नहीं खोलता,,, कुछ देर वही खड़ा रहकर यश वहा से चला जाता है,,,,,,,,,,