The Author SHASHANK SHUKLA फॉलो Current Read ममता की मूरत By SHASHANK SHUKLA हिंदी प्रेरक कथा Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 76 अब आगे,राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि अब राजवीर के पी ए दीप... उजाले की ओर –संस्मरण नमस्कार स्नेही मित्रो आशा है दीपावली का त्योहार सबके लिए रोश... नफ़रत-ए-इश्क - 6 अग्निहोत्री इंडस्ट्रीजआसमान को छू ती हुई एक बड़ी सी इमारत के... 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"सरस्वती -"बेटा मेरे पेट में दर्द हो रहा है ...मैं खाऊंगी तो बीमार हो जाऊंगी,,,,, शायद बदहजमी हो गई है। खाने से और भी तकलीफ बढ़ जाएगी ।वह पानी लेने के लिए चली गई ।शोभित ने अपने लिए दाल परोसने के लिए भगौने का ढक्कन खोला तो चौंक पड़ा।शोभित--" अरे !! यह तो बिल्कुल खाली है,,,,, फिर उसने चावल का भगौना देखा और बड़बड़ाया-"अरे यह भी खाली है...अब समझा ,,,,मां के लिए कुछ रह ही नहीं गया है।जो कुछ था उसने मुझे खिला दिया और अपने लिए बहाना बना रही है ,,,,ताकि मुझे पता ना चले और मैं आराम से खा लूं ।"उसकी आंखों में आंसू भर आए।इन मुसीबतों के साथ शोभित बड़ा होता गया। उसकी शहर में नौकरी लग गई। वह एक अधिकारी बन गया।उसके बाद उसकीशादी हो गई।सरस्वती भी शहर में आकर कुछ दिन रही। बहू सीमा ने उसका जीना हराम कर दिया । उस पर बहुत उल्टा सीधा आरोप लगा कर शोभित के कान भरती रहती थी।सीमा--" मैं मां जी को कितना समझाती रहती हूं कि अच्छे कपड़े पहना करो ,,,थोड़ा अच्छा रखरखाव करा करो,,,,,, आखिर आप एक अधिकारी हैं ।आपसे मिलने वाले लोग आते हैं तो इन्हें देख कर कहते हैं कि उन्होंने एक नौकरानी रखी हुई है। यह हमारी जानबूझकर बदनामी कराती हैं।" शोभित -"तुम ठीक कह रही हो। हमारा भी स्टैंडर्ड है और ये उसको गिराने में लगी हुई हैं।"सीमा तुनक कर बोली-" इससे तो अच्छा है कि ये गांव में जाकर रहे।शोभित को उसकी बात सही लगी और वह अपनी मां के पास आकर बोला--"मां आप गांव में रहो मैं आपका खर्चा भेज दिया करूंगा।"सरस्वती को उसकी बात बहुत खराब लगी ।उसके मन को एक झटका लगा,,,,,, कि उसका बेटा क्या उससे ऐसी बात भी कह सकता है?यह तो उसने कभी सोचा भी नहीं था। न ही उसे ऐसी उम्मीद थी।वह बड़े दुखी स्वर में बोली -"बेटा अगर मेरे रहने से तुम्हारी बदनामी होती है तो मैं गांव में रह लूंगी ,,मैं तुम्हारा खर्चा लेकर क्या करूंगी ,,,,,जब तक मेरे हाथ पैर चलते हैं,,,, मैं कमा लिया करूंगी।"शोभित ने मन में सोचा कि लगता है मां को बुरा लग गया ,,,,लेकिन अगर वह मां को रोकता ,,,तो उसकी पत्नी नाराज हो जाती ,,,,,और वह अपनी पत्नी को नाराज नहीं करना चाहता था ,,,इसीलिए वह खामोश रहा ।सरस्वती अपने गांव चली गई।अचानक एक दिन शोभित बीमार पड़ गया।वह हॉस्पिटल दवा लेने के लिए गया । वहां डॉक्टर ने उसे चेकअप करवाने के लिए कहा। उसने चेकअप करवाया ।जब रिपोर्ट के बारे में डॉक्टर ने उसे बताया उसे सुनकर उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।उसके दोनों गुर्दे खराब थे।बड़े दुखी मन से वह अपने घर आया । इस समय उसके पैर ऐसे लग रहे थे जैसे मन -मन भर के हो गए हों।उसने सीमा को बताया-"सीमा मेरे दोनों गुर्दे खराब हैं .... अब मेरी जिंदगी का अंत समय आ गया है। डॉक्टर ने कहा है अगर तुरंत गुर्दा नहीं बदला गया तो मेरी मौत भी हो सकती है।"फॉलो करें आगे पढ़ें Read Next part on---storioland.blogspot.com https://storioland.blogspot.com/2022/10/short-stories-in-hindi-best-moral-short.html?m=1 Download Our App