सपने दादी मां के
डॉ विभा अपने शहर की मशहूर स्त्री रोग विशेषज्ञ थी जो दिन भर अस्पताल में व्यस्त रहती थीं। खुद उनका अपना अस्पताल था उस अस्पताल में सभी तरह के रोगों की चिकित्सा की जाती थी। वे इतनी व्यस्त रहती कि उन्हें खाने पीने तक का भी टाइम नहीं मिलता था । इस बात को लेकर उनकी मां अक्सर डांटा करती,
" पहले अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखो फिर बाहर का ध्यान रखना "
ऐसी कई हिदायतें देकर उनकी मां उन्हें अस्पताल भेजतीं।
आज अस्पताल में कुछ ज्यादा ही चहल-पहल थी । जैसे एक साथ कुछ ज्यादा ही पेशेंट आ गए हो, डॉ विभा को भी आज जल्दी घर जाना था कुछ घरेलू काम थे, इसलिए वे भी जल्दी-जल्दी पेशेंट निपटा रही थीं। काफी देर से बाहर जोर-जोर से आवाजें आ रही थी। जैसे बाहर पेशेंट में कोई झंझट चल रही हो । जब काफी देर तक आवाजें आती रहीं तो उन्होंने सिस्टर को बुलाकर पूछा ही था कि इतनी देर में एक महिला धड़धड़ाती हुई अंदर आ गई डॉक्टर के चेंबर में । डॉक्टर विभा को भी उस पर बहुत गुस्सा आया। वे उम्र में काफी ज्यादा और एक संभ्रांत महिला लग रही थीं । डॉ विभा उन्हें कुछ देर यूं ही अपलक देखती रह गई और तभी उस महिला ने जाकर डॉक्टर विभा को गले लगा लिया । मेरी बिन्नू कहकर गले से लग गई डॉ विभा को कुछ कुछ याद आया इतनी देर में तो उन महिला ने सारा परिचय ही दे डाला डॉ विभा उन्हें देख कर बहुत खुश हुई। जल्दी से उसने उनके पैर छुए और आदर सहित कुर्सी पर बैठाया। विभा ने शीला मौसी को पहचान लिया था, उन्हें याद आया कि शीला मौसी तो उन सबके दुख सुख की साथी थीं। उनकी खास पड़ोसन थी , घर जैसा ही उनका रिश्ता था ।शीला मौसी ने उन्हें गोद में खिलाया था। शीला मौसी को घर की सारी कहानी पता थी। विभा ने मौसी का इलाज किया और उन्हें घर आने का न्योता दिया।
उनके जाने के बाद डॉ विभा पुरानी यादों में खो गई उन्हें अपनी सारी यादें फिल्म की स्टोरी की तरह फ्लेश बैंक की तरह याद आने लगीं। डॉक्टर विभा पुरानी यादों में खो गईं। उन्हें याद आया कि उनके पिता जो ड्रग इंस्पेक्टर थे पिछले 10 साल से नौकरी कर रहे थे अचानक ड्रग माफिया के हत्थे चढ़ गए थे, ईमानदार आदमी थे वे। तो माफिया ने मन का ना होने पर लालच दिया पर बात नहीं बनने पर उन्हें सुपारी देकर रास्ते से हटा दिया गया। डॉक्टर विभा याने बिन्नू के घर तो परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ा । उनकी मम्मी को जो कि ज्यादा पढ़ी-लिखी भी नहीं थी समझ ही ना आया कि अब गृहस्थी कैसे आगे बढ़ेगी! बिन्नू तब मात्र 10 वीं कक्षा में पढ़ती थी जो परिवार की सबसे बड़ी बेटी थी चार भाई बहन छोटे थे । बिन्नू की मां को समझ ही नहीं आया अब क्या होगा। पर बिन्नू की दादी जो कि उनके साथ ही रहती थी, उन्होंने परिस्थितियों को समझते हुए हिम्मत से काम लिया । और बिन्नू की मम्मी को समझाया कि "तुम आगे की पढ़ाई शुरू करो" ।
बिन्नू की मम्मी यह सब करने को तैयार ना थी पर जब सास ने जोर दिया और अच्छे से समझाया तब उन्होंने पढ़ाई आगे जारी रखने का दादी ने बोला "सुबह बिन्नू स्कूल जाएगी स्कूल से आकर अपनी पढ़ाई और घर का ध्यान रखेगी तब तुम स्कूल पढ़ने पढ़ने के लिए जाना "
बिन्नू की मम्मी ने पढ़ाई शुरू करी। वे 12वीं पास थी उन्होंने बी ए में दाखिला लिया तीन-चार साल का टाइम चाचा मामा की मदद से निकल गया और उनका बी एड , B.Ed पूरा हो गया। इस बीच में बिन्नू अपनी पढ़ाई करके आती अपना होमवर्क पूरा करती और परिस्थितियों को समझते हुए छोटे-छोटे बच्चों को घर बुलाकर ट्यूशन पढ़ाती। उसने अपने ही घर में मदद करना शुरू किया उसकी दादी का सपना था कि बिन्नू डॉक्टर बने। दादी की बातें सुनकर बिन्नू की मम्मी का सर चकरा जाता कि उनकी तो बहुत उम्मीदें हैं जो पूरी होना संभव नहीं है पर बिन्नू की दादी के हौसलों के आगे वे बस पस्त थीं।क्योंकि वे इस उम्र में भी हिम्मत से काम ले रही थीं।
धीरे-धीरे स्थितियां बदलने लगीं। बिन्नू की मम्मी की नौकरी लग गई सरकारी स्कूल में और अनेक प्रयासों उसके बाद उन्होंने ट्रांसफर भी शहर के बड़े सरकारी स्कूल में करवा लिया । बिन्नू की दादी ने उसकी मेडिकल की कोचिंग करवाई और यह उनके ही अथक प्रयासों का फल रहा कि बिन्नू मेडिकल में सिलेक्ट हो गई। पर दुर्भाग्य से बिन्नू के रिजल्ट निकलने के 2 दिन पहले ही अचानक दादी को हार्टअटैक आया और वे चल बसीं । सभी सदस्य दुखी थे कि दादी यह खुशी नहीं देख पाई, सब अपने आप को अकेला महसूस कर रहे थे पर बिन्नू ने सब की हिम्मत बंधाई और हिम्मत से काम लिया। उसने मेडिकल की पढ़ाई जारी रखी। रात में अपनी पढ़ाई करती दिन भर अपने भाई बहनों की पढ़ाई कराती। बिन्नू की मम्मी सुबह स्कूल जाती बिन्नू घर का सारा काम निपटाती और मेडिकल जाने की बस आते ही तैयार होकर निकल जाती, सभी भाई बहनों को दिनभर की हिदायत देकर। भाई बहन भी उसका कहना मानते थे। बिन्नू के कॉलेज जाते ही दो-तीन घंटे बाद उसकी मम्मी स्कूल से वापस आ जातीं और अपना दिन भर का कार्य करती शाम को कुछ बच्चों को बुलाकर ट्यूशन लेती ताकि अतिरिक्त कमाई हो सके। धीरे-धीरे सभी भाई-बहन पढ़ाई करने लगे बिन्नू का मेडिकल भी करीब आने लगा ।आसपास के रिश्तेदारों में बिन्नू की होशियारी और जिम्मेदारी की तारीफें होती कई रिश्ते आए पर बिन्नू ने मना कर दिया कि मैं अभी अपने भाई-बहनों को सेटल करूंगी अपनी जिम्मेदारी निभाऊंगी उसके बाद ही शादी करूंगी। उसकी मम्मी उसे बहुत समझाती पर बिन्नू की जिद के आगे उनकी एक ना चलती । बिन्नू की छोटी बहन ने भी पढ़ाई पूरी करके स्कूल में नौकरी कर ली छोटे भाई बहन पढ़ाई कर रहे थे कि अचानक एक बहुत ही अच्छे परिवार से रिश्ता आया उस रिश्ते के लिए उसके चाचा ने बहुत जिद करी और बिन्नू को शादी के लिए मना लिया।
बिन्नू ने शर्त रखी थी कि मैं जिस लड़के से भी शादी करूंगी उसे मेरी शर्तें माननी होगी कि मैं अपने घर की देखभाल हमेशा की तरह करती रहूंगी। डॉक्टर लड़का मिलने आया बिन्नू ने अकेले में बात करने के लिए कहा। लड़के के हां कहने के पहले ही उसने अपनी शर्त रख दी कि मेरे घर की परिस्थितियां आप देख लीजिए उनको देखते हुए, मैं अपने परिवार की देखभाल शादी के बाद भी करुंगी। लड़का भी सुलझे विचारों का था। घर की कोई जिम्मेदारी नहीं थी। तीन भाई बड़े थे जो अच्छे पदों पर अच्छी नौकरियों में थे। डॉक्टर लड़के के सिर पर कोई जिम्मेदारी भी नहीं थी उसने कहा कि मैं तुम्हें अपने घर की जिम्मेदारियां निभाने से नहीं रोकूंगा बल्कि जितनी हो सके कि मैं भी मदद करूंगा। बिन्नू अब शादी के लिए तैयार थी क्योंकि वह अपनी जिम्मेदारियां भी उठाने का संकल्प ले चुकी थी। जोर शोर से तैयारियां शुरू हो गई और बिन्नू की शादी का दिन भी आ गया।
बिन्नू अपने ससुराल चली गई मायका सूना हो गया पर बिन्नू का मन तो अपने घर में ही धरा था। दोनों ने ससुराल से ही इंटर्नशिप शुरू किया। इस बीच में अपने घर का ध्यान रखती छोटी बहन के लिए रिश्ता ढूंढना शुरू किया एक अच्छा लड़का देखकर उसका भी विवाह कर दिया छोटे भाई को एक सरकारी विभाग में क्लर्क के पद में लगवा दिया। बिन्नू के कदम ऐसे पड़े कि बिन्नू का घर पैसों से मालामाल हो गया। बिन्नू के कई स्कूल चलने लगे शादी गार्डन बन गए और एक बहुत बड़ा भव्य अस्पताल जिसकी मालकिन बिन्नू अपने पति के साथ थी। अब बिन्नू और उसके पति शहर की जानी मानी हस्ती थे।
उसने अपनी सारी जिम्मेदारियां निभाईं। बहन की शादी कर दी नौकरी लगा दी है छोटी बहन की पढ़ाई चालू थी चाह रही थी कि उसकी नौकरी लग जाए लेकिन पति ने परिवार के ही एक रिश्ते में खोज कर उसकी शादी तय कर दी। वह अपने घर में खुश है। अब सबसे छोटा भाई बचा जो मां जीजा और बहन के लाड़ से बिगड़ गया था । एक दिन वह किसी को बिना बताए घर से रुपए लेकर घर से भाग गया अपने दोस्तों के साथ। बिन्नू और उसके घर के लोग बहुत परेशान हुए, बहुत ढूंढा पर नहीं मिला। सब रिश्तेदारों को परिचितों को उसका फोटो भेजा ।
नहीं मिलने पर वह अपने पति के साथ मुंबई में करीब-करीब सभी जगह पर ढूंढा। किसी ने फोटो देखकर पहचान लिया और बताया इसे मैंने एक जगह देखा है अब बिन्नू लोग वहां भागे। जहां वह एक सड़क किनारे फटी चादर ओढ़े हुए सो रहा था । जब उसे उठाया तो बिन्नू को देखकर वह रोता हुआ आया। जिसे प्यार से गाड़ी में बैठा कर होटल ले आए ।उसको साफ सुथरा नहला धुला कर खिलाया पिलाया और फिर बहुत प्यार से घर लेकर आ गई। मां ने घर पर बहुत डांटा । उसने कहा कि अब वह ऐसा कभी नहीं करेगा। अब मां उसको अपने पास से अलग नहीं होने देती।
बिन्नू ने उसकी एक दवाई की दुकान खुलवा दी अपने ही अस्पताल में। और इसके साथ ही एक अच्छी लड़की देख कर उसकी शादी करा दी। उस लड़की को नर्सिंग का कोर्स करवाया और अपने ही अस्पताल में नर्स बनवा लिया। अब उन दोनों की जिंदगी पटरी पर थी। । धीरे धीरे बहन के प्यार से फटकार से भाई सुधर गया और सीधे रास्ते पर आ गया बिन्नू निश्चिंत हो गई। मां का भी रिटायरमेंट नजदीक था मां को सम्मान सहित रिटायर किया गया। सभी भाई बहन मां को आफिस से घर लेने पहुचे।
अब वह निश्चिंतता से अपने अस्पताल में उस काम में लग गई। सभी भाई बहन अपने घरों में खुश थे। बिन्नू भी अपार धन-संपत्ति पाकर खुश थी जगह-जगह उसके अस्पताल दवाखाने पेट्रोल पंप मैरिज गार्डन हो गए एक दो बार दोनों की बढ़ौती देख कर लोगों ने टांग खींचने की कोशिश करी, पर बिन्नू और उसके पति ने हिम्मत से काम लिया सारी झंझटों से बचते हुए चुपचाप अपने काम में लगे रहे। उसके खुद के दो बेटे हैं जिन्हें बोर्डिंग स्कूल में रखकर पढ़ाया। एक आज डॉक्टर बनकर उनके ही क्लीनिक में बैठने लगा है । अब बस उसके लिए एक डॉक्टर लड़की ढूंढ कर शादी करनी है ताकि वे दोनों अस्पताल संभालें। छोटा बेटा इंजीनियरिंग कर बेल्जियम में काम कर रहा है। वहां उसने अपनी एक इंडस्ट्री बना ली है। साल में एक बार वह आ जाता है और एक बार ये लोग चले जाते हैं।
अचानक फिर उसकी तंद्रा टूटी और वह जागी उतने में ही उसे आवाज आई
"मैडम जी कल वाली मौसी जी आ गई "
जिनका दौड़ कर स्वागत किया। उनको खाना खिलाया उनके साथ बैठकर बहुत देर पुरानी यादें ताजा करती रही कुछ ही देर में बिन्नू की मम्मी भी वहां आ गई शीला मौसी और बिन्नू की मम्मी चाय पीते हुए अपने अतीत को याद करती रहीं।
□□□□□□□