Confession - 19 Swati द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Confession - 19

19

 

अतुल  ने देखा  कि   गाड़ी  का  पेट्रोल ख़त्म  होता  जा रहा  है।  दो मिनट  बाद  गाड़ी  बंद  हो जाएगी।  उसने  आसपास  देखना  शुरू किया  कि कहीं  कोई पेट्रोल  पंप  दिख  जाए । तभी  सड़क  के कोने  में  उसे एक  पेट्रोल  पंप  दिखाई  दिया । उसने  गाड़ी  वहीं  रोक  ली । भैया, टैंक  फुल  कर दो । पेट्रोल  भरवाकर  उसने  गाड़ी  फादर  एंड्रू  क्वे घर  की तरफ़ मोड़ दीं । उसे  अपनी  गाड़ी  में किसी  के सांस  लेने  की आवाज़  सुनाई  दी । उसने  आगे वाले  शीशे  से पीछे  देखा  तो कुछ  नहीं  है । उसने डर  के  मारे   गाड़ी  की स्पीड  और  बढ़ा  दी । यश  का नंबर  अपने  फ़ोन  पर देखकर  उसने  फ़ोन  उठाया । यश  तू  पहुँच  गया ? मैं  और  शुभु  अभी  निकले  हैं  । तू  और विशाल  पहुँच  गए  न  ? मैं  पहुँच  ही  रहा  हूँ, बाकि  बात तुझे  आकर  बताता हूँ। इससे  पहले  वो कुछ ओर  बोलता  उसकी गर्दन  किसी  ने पकड़  ली । उसके  हाथों  से फ़ोन  छूट  गया। खून  से लथपथ  हाथ  उसकी  गर्दन  को दबाए  जा रहे हैं। स्टेरिंग   से उसकी  पकड़  ढीली  हो गई । उसने  जैसे -तैसे  गाड़ी  का गेट  खोला और खुद  को छुड़ाने  की कोशिश  करने  लगा । पर  अब उसकी  साँसे  उखड़ने  लगी है । उसने  अपना  पूरा  ज़ोर  लगा दिया  और गाड़ी  से कूद  गया । कूदते  ही  उसकी  पीठ  पर चोट  लगी । मगर एक  मिनट  भी गँवारा  न करते  हुए  उसने  भागना  शुरू  कर दिया और सीधे  एंड्रू  के घर  घुसकर  ही उसने  दम  लिया । फादर!  उसने  मेरी  जान  ही  निकाल  दी थीं । अगर  आज आप  न होते  तो विशाल  की तरह  मैं  मर ही जाता । अतुल ने उखड़ी  सांसो  से ज़वाब  दिया । 

क्या  ! विशाल  मर गया ? उसने  देखा  कि  शुभु  और  यश  वहाँ  पहले  से ही मौजद  है । शुभु  ने फ़िर  पूछा, क्या  विशाल मर गया ? हाँ, अतुल ने उसे सारी  बात  बता  दी । बोलते  समय  उसकी  आँखों  में  आँसू  आ गए । यश  ने अतुल  को संभाला । मुझे  लग  ही  रहा  था  कि  उस  लड़के  पर शैतान  का  साया  पड़  चुका  है  ।  शैतान ! सबने  एक साथ  कहा ।  वो  प्रेत  आत्मा  कोई साधारण  आत्मा  नहीं रह  गई  है ।  इतनी  मौतों  के बाद  तो वह  शैतान  बन चुकी  है  ।  एंड्रू  ने सबको  सच  से अवगत  कराया  । फादर,  मुझे लगता है  कि  मेरी  पापा  की मौत  किसी  हादसे  में  नहीं  हुई  है  ।  मैंने  अपनी  माँ  की डायरी  पढ़ी है  । उन्हें  यही  लगता  है  कि  उनकी  मौत  एक्सीडेंट  में  नहीं  हुई  है  ।  हो सकता  है, पर अभी फ़िलहाल  पॉल  एंडरसन  की किताब  पढ़कर इसे शैतान आत्मा से बचने का कोई तरीका ढूँढना है । उन्होंने किताब के  पन्ने  पलटने  शुरू  कर दिए  । आधे पन्ने  जल चुके  है  । जब  आखिरी  चैप्टर  पर पहुँचे  तो फादर  ने पढ़ना  शुरू  किया।  

"मैंने  शांतनु  को कहा  भी  कि  यह  सब  ठीक  नहीं  है  ।  जो  हो चुका  है, उसे  भूल  जाओ  ।  मगर वह  ज़िद  कर कर रहा  है  कि  वह  एक बार   बात  करके  अपने  किये  की माफ़ी  माँगना चाहता  है  ।  मैं  पॉल  एंडरसन  के जीवन  पर  लिख  रहा हूँ   और  कई  बार उनसे  मिल भी चुका  हूँ   ।  यह  बात  शांतनु  जानता है ।  तभी तो वह  रोज़  मेरे  पास  आ जाता  है  और मैं उसे  टालने  की कोशिश  भी करता  हूँ । मैंने अल्का  को भी बताया  पर  वह  भी उसे  बहुत  समझा  चुकी  है, मगर  उसे  तो जैसे  पॉल एंडरसन  के पास  जाना  ही जाना  है । फादर  एक  मिनट  रुकिए, शांतनु  और अल्का  मेरे  मम्मी-पापा  के नाम  है । यह  कहते ही उसने  किताब  उनसे ले ली और  लेखक  का नाम  पढ़ा  तो 'सुधीर  सिद्धार्थ  पटेल' पढ़कर  वो समझ  गई कि  यह  वहीं  सुधीर है  जिसके  बारे  में  माँ  की डायरी  में  लिखा  हुआ  है । क्या  हुआ  शुभांगी  ? सब  ठीक   है । माँ  की   डायरी  में  यहीं नाम लिखा  हुआ  है  'सुधीर' ।  शुभांगी  ने सबको  बताया । वह  आगे पढ़ने  लगी, मगर  यह  क्या  अधूरा  और जला-जला  सा  पन्ना  ठीक  से अपनी  बात कह नहीं  पाया ।

बस  आखिरी  पन्ने  के शब्द  कि  "उस  आत्मा  को पॉल  एंडरसन  ही वापिस  भेज  सकते  है । उनके  अलावा  और कोई दूसरा रास्ता नहीं  है," मगर बहुत  दिनों  से पॉल एंडरसन  से बात  भी नहीं  हुई  है । लोग  उनके  बारे  में  तरह-तरह  की  बातें  कर रहे  हैं कि  वो  अब  ज़िंदा  है  भी या  नहीं । मेरी  ईश्वर  से यही प्रार्थना  है, वह  जहाँ  भी  हो ठीक  हों । " 

आखिरी  में लेखक  का परिचय  और किताब  का नाम  लिखा  हुआ  है । ये  आधी-अधूरी  जानकारी  ने  सच  को अब  भी  अपने  अंदर  छुपा  लिया । शुभु  ने ध्यान  से देखने की  कोशिश  की, मगर  उसे  सफलता  नहीं मिली । फादर  अब हम  क्या करेंगे । मुझे  अब समझ में  आया  कि उस प्रेत  शैतान  का ज़रूर  कोई न कोई सम्बन्ध  मेरे  पापा  से भी  है । एक  बार मैंने  अपनी माँ  को इस  किताब  को ढूंढ़ते  हुए  देखा  था, शायद  मेरी  माँ  में  छुपी  वो शैतान  आत्मा अपनी  मौत  के राज़  को उजागर  नहीं  करना  चाहती  होगी । शुभांगी  ने  सोचते  हुए  अपनी  बात  खत्म  कर दीं । इसका  मतलब  यह  है  कि  हमें  अब  पॉल  एंडरसन  ही बचा सकते है, पहले  हमने  उनकी  मदद  की  अब वो हमारी  मदद  करेंगे । अतुल  ने सिर  पकड़ लिया । तुम  लोगों  ने गलती  यह  कि  तुम लोग  वहाँ  चले  गए । तुम  लोगों  को पहले  सुधीर  से बात  करनी  चाहिए  थीं या  मेरे  पास आते । एंड्रू  ने अतुल  को देखते  हुए कहा । जो भी  है,  फादर  अब  बात  तो मेरे  परिवार  से जुड़ी हुई  है । मैं  अब  सच्चाई  का पता  लगाकर   ही रहूँगी । शुभांगी  ने अपना  इरादा  पक्का  कर लिया । पहले  हमें सुधीर   से मिलना  होगा । उसके  बाद  हम  एंडरसन  को मदद  के लिये  बुलाएंगे । एंडरसन  के घर  चलना  होगा वो यहाँ  नहीं आने वाले  एंड्रू  ने साफ़  शब्दों  में कहा  । ठीक है , पहले  सुधीरजी के चलते  है ।

एंड्रू  अतुल, यश  और शुभांगी  सुधीर  से मिलने  के लिए  निकल  गए । गाड़ी  शहर  से दूर  जा रही  है । भीड़, शोर  और  ट्रैफिक  सब  पीछे छूटता  जा रहा है । आगे  यश  और एंड्रू  बैठे  हुए है  और पीछे  शुभु और अतुल  बैठे  हुए  हैं । शुभु  अपने पापा  के बारे  में  ही सोच रही  है । अतुल  का ध्यान  सड़क  के   दोनों  तरफ़  के  उजड़े  बियाबान  जंगल  की तरफ़  है । एंड्रू  हर  चीज  को गौर  से देखते  जा रहे  है, जैसे महसूस  कर रहे  हो  कि  कोई उनका  पीछा  तो नहीं कर  रहा  है । शाम  हो गई है । यार  ! भूख  लगी  है, कुछ  खा  लेते है । वरना,  यही  जान निकल  जाएगी । अतुल की बात  सुनते  ही यश  ने गाड़ी  सड़क  के किनारे  रोक  दी।  सब बाहर  निकल  गए । उसने  डिक्की  से  बैग  निकाला  और बिस्कुट  अतुल को  दिए । यार!  इससे  क्या होगा । सामने  वो    परिवार  चूल्हे  पर रोटी  बना  रहा है , उनसे  बात  करते हैं । अतुल ने उस  तरफ़  ईशारा किया । फादर  आप चलिए  न मेरे  साथ । आप साथ  होंगे  तो डर  नहीं  लगेगा और  मरने  से बच  जाऊँगा । जब  मौत  लिखी  होगी  तो कोई  न  कोई बहाना  बन ही जायेगा ।  तुम्हारे पास  वो कॉइन है न  । बस,  वही तुम्हारी  रक्षा  करेगा । एंड्रू  ने रुखा  सा जवाब  दिया । अतुल  यश  को साथ लेकर चला  गया।

फादर आपको  क्या लगता है, जो शुरू  से हमारे  साथ हो रहा है, वह यह  शैतान आत्मा कर रही  है । शुभांगी, अगर यह  बात  तुम्हारे  पापा  से जुड़ी  है तो ज़रूर  वो शैतान  तुमसे कुछ न कुछ  चाहता  होगा। एक बात  बताओ, विशाल  को किसने  कहा  था  कि  वो यह  प्रोजेक्ट  करें । पता  नहीं फादर,  हमने  कुछ पूछा  ही नहीं । सबको  स्कॉलर्शिप  चाहिए, सबको  विदेश  जाना  है। यहीं  सोचकर  हमने  किसी  और बात  पर ज्यादा  ध्यान  नहीं दिया ।  शुभांगी  ने लम्बी  सांस  ली । 

अतुल ने उस  परिवार  से पूछा, हमें  कुछ  खाने  को मिल सकता  है ? उस  बूढ़े  ने अपनी पत्नी  को देखा और  कहा, "हाँ  बिलकुल  मिल  सकता  है। उसकी  पत्नी और बच्ची  अंदर से दोनों के  लिए खाने  को कुछ  ले आये । अतुल  और यश  ने दाल-चावल  को खाना  शुरू  कर दिया । खाते  हुए  अचानक  से यश  की नज़रे  उस आदमी  की बेटी  पर गई  जो  उन  दोनों  को लगातार  बिना  पलक झपकाए  देखी जा रही है । यश  को थोड़ा अज़ीब  लगा । उसने  अतुल को  चलने  के  लिए  धीरे  से कहा । उसने  थोड़ा  खाना  पन्नी  में  डाला  और धन्यवाद  बोलकर  दोनों  चलने  को हुए । अरे ! बाबूजी  गरीब  को कुछ देते  जाये । आप  लोग तो बड़े  घर  के लगते  हो । यश  ने जेब  में  हाथ  किया  । यार ! मैं  तो  अपना  पर्स  गाड़ी  में  ही भूल गया । तू  दे दे । अतुल ने अपनी  जेब चेक  की तो  20  रुपए  निकले। बीस  रुपए  से क्या  होगा । 100 -200  का खाना  खा लिया और होटल  की तरह  पैक  भी करवा  लिया । अब बिल दे रहे  हो 20  रुपया । अतुल ने वही  खाना  रख दिया । लो   भाई, अपना खाना  लो । हमारा  पर्स  गाड़ी में  है । अगर  चलना  है तो साथ चलो, वरना  इसी  से काम  चलाओ। कहकर  दोनों  जाने  लगे । उस आदमी  और उसकी  बीवी  ने  गंडासा  निकाल  लिया । उन दोनों  की हैरानी  का ठिकाना  नहीं है । तभी  उसने सीटी  बजाई  तो  दो चार  लोग और  आ गए । 

ओह  ! बाबू  यहाँ  से चोर  बस्ती  शुरू  होती  है । अब  जल्दी  से जेब  ढीली  करो  नहीं तो   हम यही  काटकर फ़ेंक  देंगे । अतुल  और यश  6-7  लोगों  से घिर  चुके  है । हमने  कहा  है  कि  गाड़ी  वहाँ  है, तुम में से कोई हमारे  साथ चलो। वहाँ से पैसे  ले लेना । यश  ने घबराते हुए  कहा । अपनी  घड़ी, लॉकेट  जूते  सब उतारो  । दोनों एक  दूसरे को देखने   लगे, मगर  जब उसने धमकाते  हुए कहा  तो  दोनों  ने वही  करना  शुरू  किया । ऐ ! हरिया इसकी  जेब चेक  कर । दोनों  की जब से  एंड्रू  का दिया  हुआ  कॉइन  निकला । ये  तुम्हारे  किसी  काम का नहीं  है । यह  मुझे  वापिस  दे दो । अतुल ने  कॉइन  लेते हुए  कहा  तो हरिया  ने उसे  धक्का  मारा  और अतुल  नीचे  गिर  गया । अब  हमें  जाने  दो । ठीक  है, गाड़ी  के  पास  चलो । बाकी  माल भी हमें  दो । हरिया  इनके  साथ हो लिया। आगे-आगे अतुल  और यश  और पीछे  हरिया हाथ में  गंडासा लिए। अभी  वो थोड़ी दूर ही गए  थे  तो एक  शोर  से उन तीनों  ने  पीछे  मुड़कर  देखा कि  उस आदमी  की बेटी  सबको  आग में  फ़ेंक  रही  है । यह  मुनिया  को क्या  हो गया  है, ए  का  कर रही  है । हरिया  भयभीत  होते हुए बोला ।  पर अतुल  और  यश  समझ  गए कि  मुनिया  को क्या  हो गया  है । भाग  अतुल!  यश  ने कहा  और  दोनों  भागने लगे, पीछे-पीछे हरिया  भी भागने लगा । 

कहाँ  भाग  रहे  हो, तुम लोग ? हरिया  उनके  पीछे दौड़ रहा है।  अबे ! हरिया  तुझे  नहीं  पता कि  शैतान  ने तेरे  सब लोगों  को मार दिया है।  अब जान बचानी  है तो  भाग  यहाँ  से ।  यश  भागता  हुआ  कह रहा है ।  यार! बिना  जूतों  के तो भागा  नहीं जा रहा है ।  अतुल की स्पीड  धीमे  हो गई । यार  ! बस  गाड़ी  तक पहुँचने  वाले  है । एक  ज़ोरदार  वार  की आवाज़  सुनकर  उन्होंने  मुड़कर  देखा तो हरिया  की  उसी  के गंडासे  से  गर्दन कट  चुकी  है और मारने  वाली  कोई नहीं  बल्कि  मुनिया है ।  उसकी  आँखें गहरी  नीली  हो चुकी  है,चेहरे  का रंग  लाल हो गया है ।  वह  चिल्लाती  हुई  उनके पीछे  पड़  गई  है ।  दोनों  तेजी  से गाड़ी  की तरफ़  भाग रहे है ।  अतुल  ने  चिल्लाना  शुरू  कर दिया ।  फादर  एंड्रू!  बचाओ ।  आवाज़  एंड्रू और शुभु  के कानों  तक  पहुंची ।  फादर  ने आंखें  बंद  कर कुछ  बोलना  शुरू  किया ।  इतने  में  मुनिया  दोनों  के सामने  आ गई  उसने  गंडासा  चलाया  ही है कि  एंड्रू  वहाँ आ पहुँचे । छोड़  दो बच्चों  को ! एंड्रू  की आवाज़  सुनकर मुनिया  बनी  प्रेत  ने उन्हें  घूरकर  देखा  और गंडासा  उनकी  तरफ फेंक  दिया ।  मगर एंड्रू ने कॉइन  निकालकर  गंडासे  की तरफ  किया और अलग  दिशा  की तरफ  हो गए ।  अब एंड्रू  कॉइन  लेकर  उस  प्रेत  की तरफ़  बढ़ने  लगे ।  उसकी  आंखें  अब लाल  हो चुकी  है ।  आँखों  से खून  बह रहा  है ।  चेहरा  काला  और पीला  हो चुका  है । वह  चीखी  और बेहोश  हो गई ।  यह क्या  मर गई ?  अतुल ने पूछा।  नहीं लगता है, शैतान  ने इसे  छोड़  दिया ।  यश  लड़की  के करीब  गया ।  उसके  करीब  जाते  ही  लड़की ने आँखें  खोली और यश  की गर्दन पकड़  ली ।  शुभु  ने झटके  से गंडासा  उठाया  और लड़की  की पीठ  पर  वार  किया । लड़की  फ़िर  चीखी  और शांत  होकर  ज़मीन  पर गिर  पडी ।  एंड्रू  ने कुछ बोलते  हुए यश को खड़ा किया और  कहा, अब  चलो  यहाँ  से।  यश, शुभु  और अतुल  उनके पीछे  चलने लगे।  यश  अब  सांस  लेने की  कोशिश  कर रहा  है ।