ज़िद्दी इश्क़ - 25 Sabreen FA द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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ज़िद्दी इश्क़ - 25

माहेरा मुंह बना का रामिश की तरफ मुड़ी और और उसका चेहरा देख कर हैरान हो कर बोली।

"रामिश भाई सीढ़ियों से मैं गिरी थी और चेहरा आपका सूजा हुआ है।"

"येह उसकी गलती का इनाम मिला है।"

जवाब रामिश की बजाए माज़ ने दिया जबकि रामिश खामोश ही रहा।

माज़ की बात सुनकर माहेरा ने उसे घूरते हुए पूछा।

"माज़ क्या तुम ने रामिश भाई को मारा है?"

"माहेरा येह मेरी गलती की सज़ा है। माज़ जब बाहर गया था तो उसने मुझे तुम्हारा ध्यान रखने के लिए कहा था लेकिन मैं नही रख सका और देखो मेरी एक गलती की वाजह से तुम्हारे साथ क्या हो गया।"

रामिश ने उसे माज़ को घूरते हुए देख कर जल्दी से कहा।

"नही इसमें आपकी गलती नही इसमें मेरी गलती है जो मैं किसी की भी बात सुनकर ऐसे ही चली गयी। इनफैक्ट हम दोनों की ही नही येह जो महान इंसान बैठे हुए है हमारे साथ इनकी है।"

माहेरा ने पहले रामिश और फिर माज़ की तरफ इशारा करके घूरते हुए कहा।

"मेरी गलती? इसमें मेरी गलती कैसे है ज़रा बताना मैडम।"

माज़ ने उसे घूरते हुए कहा।

"हाँ तो अगर तुम मुझे डरा कर नही रखते तो जब उस वेटर ने मुझ से बोली थी माज़ सर आपको बुला रहे तब भी मैं नही जाती। सिर्फ तुम्हारे गुस्से की वाजह से मुझे जाना पड़ा।"

माहेरा ने मासूम सी शक्ल बना कर कहा।

माज़ उसे कुछ कहने ही वाला था कि माहेरा ने अपना सिर पकड़ लिया।

"क्या हुआ माहेरा सब ठीक तो है?"

माज़ ने परेशान हो कर पूछा।

"तुम जहाँ होंगे वहां कुछ ठीक हो सकता है।"

माहेरा ने रामिश को आंखों से इशारा करते हुए माज़ को घूर कर कहा।

रामिश उसका इशारा मिलते ही खामोशी से उठ कर वहां से चला गया। माज़ उसे जाते हुए देख रहा था। वोह फिलहाल रामिश से बात नही करना चाहता था। वोह जब भी रामिश को देखता था उसे गुस्सा आने लगता था। उसकी एक गलती की वाजह से आज माहेरा की जान भी जा सकती थी।

माज़ कुछ कहने ही वाला था कि तभी रोज़ी माज़ और माहेरा का नाश्ता ले कर आ गयी।

माहेरा ने सूप को देख कर मुंह बनाते हुए माज़ की तरफ देखा जो अपना नाश्ता करने में बिजी था।

माज़ ने माहेरा पर ध्यान दिए बिना ही ऑमलेट मुंह मे डाला और मज़े से बोला।

"वाह माहेरा तुम्हे येह ऑमलेट ट्राय करना चाहिए बहोत ही टेस्टी और स्पाइसी भी वैसे ही जैसे तुम्हे पसंद है।"

उसकी बात सुनकर माहेरा की आंखे खुशी से चमक उठी। माज़ ने ऑमलेट उठाया और उसको खिलाने के लिए उसकी तरफ बढ़ाया लेकिन उसके होंठ तक पहूंचते ही उसने अपना हाथ पीछे किया और ऑमलेट अपने मुंह मे डाल लिया।

"ओह्ह मैं तो भूल ही गया था तुम्हे स्पाइसी चीज़े मना है। चलो कोई बात नही तुम सूप पर ही गुज़ारा करो।"

माज़ ने ऐसा प्रिटेंड करते हुए कहा जैसे उसे अभी ही याद आया हो।

माहेरा ने अपना मुंह बंद किया और खूंखार नज़रो से उसे घूरते हुए माज़ के कुछ समझ ने से पहले ही उसकी प्लेट में पड़ा ऑमलेट उठा कर अपने मुंह मे डाल लिया।

माज़ ने उसे देखा जो ऑमलेट खाते हुए
तंजिया मुस्कुराहट के साथ उसे देख रही थी।

जैसे कह रही हो ....."देखलो मैं ने खा लिया लेकिन तुम कुछ नही कर सके।"

माज़ ने उसका दोनो हाथ अपने एक हाथो में जकड़ लिया और रोज़ी को आवाज़ दी।

रोज़ी उनक पास आई तो माज़ बोला।

"रोज़ी येह सूप ले कर जाओ और दोबारा गरम करके ले कर आओ और साथ मे एक रस्सी भी ले कर आना।"

माहेरा ने उसे रस्सी मंगवाते हुए सुना तो जल्दी से उसकी पकड़ से निकलने की कोशिश करने लगी। जब माज़ ने उसे नही छोड़ा तो उसने माज़ हाथो की तरफ झुक कर उस मे अपने दांत गढ़ा दिए मगर माज़ तो ऐसे बैठा रहा जैसे माहेरा ने कुछ किया ही ना हो।

माहेरा ने उसे ना छोड़ते देख कर कुछ सोचा और दोबारा माज़ की तरफ झुकते हुए उसके गालो पर किस कर लिया। माज़ जो इन सबके लिए तैयार ना था उसकी पकड़ माहेरा के हाथों पर ढीली पड़ गयी। माहेरा ने जल्दी से उससे अपना हाथ छुड़ाया और कुर्सी से उठ कर अपने कमरे की तरफ भाग गई।

माज़ ने मुस्कुराते हुए अपने गाल पर हाथ फेरा और रोज़ी को डाइनिंग रूम में आते देख उसने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया और कुर्सी से उठ कर उसके हाथ से सूप ले कर कमरे में चला गया।

माज़ कमरे में आया तो उसने माहेरा को बेड पर बैठे देख कर उसे सूप दिया और तैयार होने के लिए चला गया।

वोह तैयार हो कर वापस आया तो माहेरा अब भी सूप पी रही थी। वोह उसके करीब जा कर बेड के
पास से अपना मोबाइल और वॉलेट उठाते हुए बोला।

"माहेरा मुझे एक ज़रूरी काम से बाहर जाना है। मैं जल्द ही वापस आ जाऊंगा और तुम फिक्र मत करो आज रोज़ी पूरा दिन तुम्हरे साथ ही रहेगी।"

उसकी बात सुनकर महेरा को मुंह के पास जाता हाथ रुक गया और वोह मुड़ कर माज़ को देखने लगी।

"हूं....तुम मुझे क्यों बता रहे हो। तुम्हे जहाँ जाना है तुम जाओ।"

माहेरा ने चिढ़ कर कहा।

"माहेरा तुम्हे डरने की ज़रूरत नही है। मेरा यकीन करो अगर मुझे ज़रूरी काम से ना जाना होता तो मैं तुम्हे अकेला छोड़ कर कभी ना जाता और तुम फिक्र मत करो मैं मेंशन की सिक्योरिटी डबल करवा दी है।"

माज़ ने माहेरा का हाथ पकड़ कर कहा।

"एक दिन मेरे साथ नही रह सकता...हूं।"

माहेरा मुंह ही मुंह ने बड़बड़ाई की माज़ ना सुन सके।

"अच्छा म....माज़ मुझे एक बात बताओ! मुझे सीढ़ियों से धक्का किस ने दिया था?"

वोह कल वाला हादसा याद करते हुए बोली तो माज़ ने उसके माथे पर किस किया और बोला।

"तुम फिलहाल आराम करो हम रात को इस बारे में बात करते है और तुमने कल रात मेरी बात नही मानी थी ना तुम्हे उसकी सजा भी मिलेगी।"

अपनी बात पूरी करते ही वोह लम्बे लम्बे कदम लेता कमरे से चला गया मगर जाते हुए माहेरा को परेशान कर गया। वोह उसकी सजा से पहले ही डरी हुई थी अब वोह और उसके साथ क्या करने वाला था।

थोड़ी देर बाद रोज़ी कमरे में आई और रूम में रखे सोफे पर बैठ गयी। माहेरा ने उसे एक नज़र देखा और आंखे बंद करके बेड पर लेट गयी।

मिलान, इटली:

सलमान इस वक़्त लीना के साथ केफे में बैठा था। पिछले कुछ दिनों से वोह दोनो एक दूसरे से मिलने और बात करने लगे थे। जिसकी वाजह से उन लोगों के बीच अच्छी दोस्ती हो गयी थी।

"सलमान मुझे लगता है मैं तुम्हे पसंद करने लगी हु।"

लीना टेबल पर रखे हुए सलमान के हाथ पर हाथ रख कर बोली।

सलमान जो इन सबके लिए तैयार नही था और कॉफी के सिप ले रहा था अचानक से खांसने लगा।

सलमान ने खुद पर काबू पाते हुए लीना को देखा जो उसे ही फिक्र से देख रही थी।

"तुम ठीक हो ना सलमान?"

"हां वोह....बस....अब मैं ठीक हु तुमने क्या कहा ज़रा फिर से कहना।"

सलमान ने लीना की बात सुन कर धड़कते दिल के साथ पूछा।

"म...मैं तुम्हे पसंद करती हूं। पहले मुझे लगा था तुम बाकी अमीरों की तरह हो जो सिर्फ जिस्म से मोहब्बत करते है। लेकिन तुम उन से अलग हो और अच्छे भी हो। अब तुम्हारे साथ वक़्त गुज़ारना मुझे अच्छा लगता है।"

वोह नज़रे झुकाए धीरे से बोलती एक बार फिर सलमान का दिल जोरो से धड़का गयी।

सलमान ने उसका हाथ पकड़ कर हल्के से दबा कर मुस्कुराते हुए कहा।

"मैं भी तुम्हे पसंद करता हु लीना। मैं पूरी रात इंतेज़ार करता हु कब सुबह हो और कब मैं तुम से दोबारा मिल सकू।

उसकी बात सुनकर लीना ने अपने चेहरे को अपने हाथों में छुपा लिया। उसकी आँखों मे आंसू आ गए थे जो उसने सलमान के देखने से पहले ही साफ कर लिया।

"हाहाहाहा....."

सलमान उसको शर्माते हुए देख हँसने लगा।

उन दोनों ने नाश्ता किया और वहां से अपने अपने रास्ते चले गए।

..........

लीना जैसे ही अपने फ्लैट में पहोंची उसका फोन बजने लगा।

उसने जल्दी से फोन उठाया तो दूसरी तरफ से एक आदमी की आवाज़ आयी।

"क्या तुमने उसे बता दिया तुम उसे पसंद करने लगी हो? अगर नही बताया है तो याद रखना तुम्हारे लिए अच्छा नही होगा।"

फोन की दूसरी तरफ से आवाज़ सुनकर वोह धीमी आवाज़ में बोली।

"जी आपका काम हो गया है। वोह भी मुझे पसंद करता है।"

"याद रखना कोई होशियारी मत करना।.........वरना तुम तो जानती हो हम तुम्हारे साथ क्या कर सकते है।"

वोह आदमी उसे धमकी देते हुए बोला।

"मैं ऐसा क्यों करूँगी?"

वोह डरते हुए बोली।

"हम्म्म्म.....कुछ करने की कोशिश भी मत करना। मैं दोबारा तुम्हे कॉल करके बता दूंगा आगे क्या करना है।"

फोन के दूसरी तरफ से उस आदमी ने अपनी बात पूरी की और फ़ोन कट कर दिया।

लीना ने फ़ोन बन्द करके सामने सोफे पर दे मारा और अपने बालों को मुट्ठियों में जकड़ कर रोने लगी।

रोम, इटली:

माहेरा सो कर उठी तो रोज़ी ने उसे बताया कि माज़ थोड़ी देर में घर आ जयेगा।

रोज़ी की बात सुनकर माहेरा की आंखे शरारत से चमक गयी। वोह जानती थी माज़ उसे सजा ज़रूर देगा तो फिर क्यों ना उसे मज़ा चखाया जाए।

उसने रोज़ी से कह कर कुछ चीज़े मंगवाई और उस के साथ काम मे लग गयी। येह कहना भी गलत नही होगा कि सब काम रोज़ी ने किया माहेरा तो बस उसे डायरेक्शन दे रही थी।

उसने रोज़ी से सारा काम करवा कर अपने लिए खाना बनाने के लिए भेज दिया और बेड पर बैठ कर माज़ का इंतेज़ार करने लगी।

माज़ मेंशन में एंटर हुआ तो सबसे पहले अपने कमरे की तरफ चला गया। कमरे का दरवाज़ा थोड़ा खुला था। वोह आपना फ़ोन चलते हुए जैसे ही दरवाज़ा खोल कर अंदर आया तो दरवाज़े के ऊपर पानी से भरी बाल्टी सीधे उसके ऊपर गई गयी।

माज़ ने गुस्से से माहेरा की तरफ देखा और उसकी तरफ बढ़ा ही था कि नीचे बर्फ की क्यूब्स पर उसका पेट पड़ते ही वोह धड़ाम से नीचे गिर गया।

जब कि महेरा बेड पर बैठी उसे देख कर हस रही थी।

"माहेरा।"

उसने गुस्से से माहेरा को पुकारा और आराम से उठने ही लगा था कि माहेरा ने अपने पीछे से अंडे का बाउल निकाला और अंडा उठा कर खींच कर मारा। वोह अंडा सीधा जा कर माज़ के सीने से लगा।

"माहेरा अगर तुमने मुझे दोबरा अंडा खींच कर मारा तो देखना मैं तुम्हे कैसी सज़ा देता हूं।"

माज़ ने गुस्से से कहा।

माज़ की बात सुनकर महेरा हस्ते हुए बोली।

"येह तुम्हारी सज़ा है जो तुम मुझे अकेला छोड़ कर गए थे.....वैसे भी तुमने भी तो मुझे सज़ा दी थी अब तुम्हारी बारी है।"

माहेरा ने एक और अंडा खींच कर मारा जो उसके सिर पर लगा।

माज़ अपने आस पास देखते हुए आराम से चल कर माहेरा के पास आया तो माहेरा दूसरी साइड से बेड से उतर गई।

"इससे पहले की मेरा गुस्सा और बढ़ जाये माहेरा फौरन इधर आओ और याद रखना पिछली बार सिर्फ मैं ने दो घण्टे के लिए बन्द किया था। अगर तुम फौरन यहाँ नही आयी तो मैं तुम्हे पूरे दिन के लिए बन्द कर दूंगा।"

माज़ की गुस्से से भरी आवाज़ सुनकर वोह जो पहले हस रही थी उसकी हँसी को ब्रेक लग गया। और वोह डरते डरते माज़ के पास चली गयी।

माहेरा उसके पास आयी तो माज़ गुस्से से बोला।

"तुम्हे इस हालत में भी सुकून नही है। लगता है अब तुम पूरी तरह से ठीक हो गयी हो। अब जल्दी से पूरा कमरा साफ करो तब तक मैं शावर ले कर आता हूं। अगर मेरे आने तक तुमने कमरा साफ नही किया यो याद रखना मैं तुम्हे सेल में बंद कर दूंगा।"

"और येह मासूम सी शक्ल मेरे सामने मत बनाना मुझे अच्छे से पता है तुम कितनी मासूम हो...और येह काम पूरा होने के बाद तुम रोज़ी के साथ किचन में काम करोगी।"

माहेरा जो मासूम सा मुंह बना कर उसे देख रही थी। उसकी बात सुनकर मुंह बिगड़ते हुए कमरे की सफाई करने लगी।

माज़ के वाशरूम में जाते ही उसने जल्दी से रोज़ी को बुलाया और उसके साथ थोड़ी बहोत सफाई करवा कर उसे माज़ के आने से पहले ही वापस भेज दिया।

माज़ बाहर आया तो माहेरा खड़ी उसका इंतेज़ार कर रही थी। उसने हैरानी से पूरा कमरा देखा जो माहेरा ने इतनी जल्दी साफ कर दिया था।

"क्या येह तुमने साफ किया?!"

माज़ ने हैरान हो कर पूछा।