अनूठी पहल - 10 Lajpat Rai Garg द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अनूठी पहल - 10

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जब से पवन दुकान का कामकाज सँभालने लगा था, प्रभुदास का अधिक समय जन-कल्याण के कार्यों में लगने लगा। स्थानीय पंचायत के चुनाव नज़दीक आने लगे तो मंडी के प्रबुद्ध नागरिकों ने प्रभुदास को चुनाव में नामांकन भरने के लिए प्रार्थना की। जब यह बात पार्वती के कानों में पड़ी तो उसने प्रभुदास से पूछा - ‘प्रभु, क्या तू पंचायत के चुनाव लड़ने की सोच रहा है?’

‘माँ, मेरा तो मन नहीं था, किन्तु मंडी के लोग दबाव डाल रहे हैं कि मैं चुनाव में खड़ा होऊँ।’

‘बेटे, वैसे तो तेरी मर्ज़ी है, लेकिन चुनावों में एक धड़ा तो विरोधी होता ही है। जिसका काम नहीं कर पाओगे, वह दोस्त से दुश्मन बनने में देर नहीं लगाएगा। इसलिए मेरी माने तो इन झंझटों में ना पड़।’

‘माँ, अभी तक मेरे विरोध में कोई नहीं है और हो सकता कि परचा भरने तक कोई और ना भी आए।’

‘बेटे, तू तो लोगों के भले के लिए काम करना चाहता है, लेकिन इस खेल में न चाहते हुए भी दुश्मन बन जाते हैं। तेरे बापू ने तो किसी का बुरा नहीं किया था, लेकिन हत्या करने वालों को लगा था कि वह उनकी नाजायज बातों को नहीं मानता।’

‘माँ, तब के हालात और आज के हालात में दिन-रात का फ़र्क़ है। आज तेरे बेटे को सारी मंडी के लोग चाहते हैं। उनकी भावनाओं की कद्र करना मेरी ज़िम्मेदारी बनती है। फिर तेरा आशीर्वाद तो मेरे साथ है ही, इसके चलते कोई दुश्मन नहीं बनेगा।’

‘वो तो हमेशा तेरे साथ रहेगा। ईश्वर तुझे सफलता दे!’

और पार्वती की स्वीकृति के बाद प्रभुदास ने सरपंच पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि आई और निकल गई। प्रभुदास के विरोध में कोई प्रत्याशी नहीं था। वह निर्विरोध चुन लिया गया।

प्रभुदास ने मंडी के विभिन्न वर्गों तथा समुदायों के प्रमुख व्यक्तियों को लेकर ग्यारह सदस्यों की कमेटी का गठन किया जिनसे सलाह-मशविरा करके उसने मंडी के निवासियों की तकलीफ़ों को दूर करने तथा समग्र विकास के कार्यों को सरंजाम देना प्रारम्भ किया। सर्वप्रथम, प्रभुदास ने आय के स्रोत बढ़ाने के लिए चूल्हा टैक्स का रिकॉर्ड दुरुस्त करवाया। गलियों में घरों के आगे से बहने वाली गंदे पानी की नालियों को सीमेंट की स्लैबों से ढकवाया। सीवर सिस्टम की योजना बनवाकर ज़िला प्रशासन के माध्यम से सरकार के पास भिजवाई। बहुत कम समय में ही प्रभुदास और उसके सहयोगियों के प्रयासों का परिणाम सामने आने लगा। दो साल के अथक प्रयास से मंडी का कायाकल्प हो गया। इस कायाकल्प की चर्चा सारे इलाक़े में होने लगी। गणतंत्र दिवस के अवसर पर दौलतपुर को स्थानीय स्व-शासन के लिए प्रदेश भर में प्रथम स्थान का पुरस्कार दिया गया। मंडी की कई संस्थाओं ने भी प्रभुदास को सम्मानित किया।

प्रभुदास की लोकप्रियता को देखकर देश में सत्ताधारी पार्टी तथा कई विपक्षी दलों ने उसे अपनी-अपनी पार्टी में शामिल करने के प्रयास किए, किन्तु प्रभुदास ने किसी का भी प्रस्ताव मानने से यह कहकर इनकार कर दिया कि मुझे तो मंडी के निवासियों की सेवा करनी है, राजनीतिक प्रपंचों में नहीं पड़ना।

जब दौलतपुर को स्थानीय स्व-शासन के लिए प्रदेश भर में प्रथम स्थान पर रहने का पुरस्कार मिला तो प्रभुदास की पहचान प्रदेश भर में होने लगी। राजनैतिक दलों की तो उसने नहीं सुनी, किन्तु अपनी इस पहचान को उसने अपने जीवन के मुख्य ध्येय - देहदान - को जन-आन्दोलन का रूप देने का माध्यम बना लिया। उसने प्रदेश भर की स्थानीय स्व-शासन संस्थाओं के प्रतिनिधियों से अपना मन्तव्य पत्र-व्यवहार द्वारा साझा किया। परिणाम उत्साहजनक रहा। आपसी सहमति से निर्णय हुआ कि रोहतक ज़िला मुख्यालय पर दो सत्रों में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाए जिसमें प्रदेश भर की स्थानीय स्व-शासन संस्थाओं के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर, रोहतक मंडल के आयुक्त, ज़िला उपायुक्त, सिविल सर्जन तथा अन्य विभागों के अधिकारियों को आमंत्रित किया जाए।

कार्यक्रम का आयोजन ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ के अवसर पर 7 अप्रैल को रखा गया। पहले सत्र में विभिन्न स्थानों से आए प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्र में देहदान के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए स्थानीय स्तर पर समितियाँ गठित करने का प्रस्ताव पारित किया तथा राज्य स्तरीय कार्यकारिणी का चयन किया। उसकी दूरगामी सोच तथा विचारों को देखते हुए प्रभुदास को राज्य स्तरीय समिति का प्रधान घोषित किया गया।

दूसरे सत्र में मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर ने देहदान के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि देहदान से व्यक्ति मरणोपरांत भी किसी को जीवनदान दे जाता है। यही नहीं, वह ऐसे चिकित्सक को गढ़ने में भागीदार होता है, जो वर्षों तक चिकित्सा सेवा के माध्यम से देश-विदेश में लाखों लोगों की जान बचाता है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ अर्से से लोग देहदान करने के लिए आगे आने लगे हैं, लेकिन जितने लोग देहदान का फार्म भर रहे हैं, उस अनुपात में मृत शरीर चिकित्सा संस्थानों तक नहीं पहुँच रहे। इसलिए यदि समाज में जागरूकता आएगी तो आस-पड़ोस के लोग मृत-शरीर को चिकित्सा संस्थानों तक पहुँचाने में सहायक हो सकते हैं। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान उपस्थित श्रोताओं के सवालों के जवाब देकर देहदान से संबंधित भ्रांतियों का भी निराकरण किया। आगे उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से यदि देहदान करने वाले व्यक्ति के परिजनों के लिए चिकित्सा सुविधाओं में कुछ रियायत देने का प्रावधान रखा जाए तो इस दिशा में सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।

अन्य वक्ताओं ने भी देहदान पर अपने-अपने विचार रखे। मंडलायुक्त ने अपने अभिभाषण में सर्वप्रथम प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए प्रतिनिधियों का धन्यवाद किया तथा उन्हें बधाई दी। विशेष रूप से प्रभुदास की सेवाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश के छोटे से क़स्बे के इस नौजवान ने इस मुहिम का श्रीगणेश करके एक आदर्श स्थापित किया है। उन्होंने मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर द्वारा उठाए गए मुद्दे पर प्रशासन की ओर से सरकार को प्रस्ताव भेजने का आश्वासन दिया।

इस प्रकार प्रभुदास के प्रयास से राज्य में पहली बार देहदान को जन-आन्दोलन बनाने की दिशा में सफल कदम उठाया गया।

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