इश्क़ ए बिस्मिल - 28 Tasneem Kauser द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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इश्क़ ए बिस्मिल - 28

Waiter…..? Menu please….?” उमैर ने वेटर को एक बार फिर से menu लाने को कहा था। जो वह ऑर्डर लेते वक़्त अपने साथ ले गया था।

वेटर उसे फिर से menu थमा कर चला गया था। उमैर ने वो मनु अरीज के आगे रखी थी और खुद फिर से खाने में मशगुल हो गया था।

इस बार अरीज ने अपनी choice का हिंदुस्तानी खाना ऑर्डर किया था।

वेटर उसका खाना उसके आगे टेबल पर रख कर चला गया था। अरीज खाना खा रही थी मगर उसका ज़हन उमैर की कही हुई बातों में उलझ हुआ था। इतनी देर में ना अरीज ने उमैर को देखा था ना ही उमैर ने उसे। रेस्तुरांत में अक्सर लोग अपने पसंदीदा शख्स के साथ आमने सामने बैठते है मगर यहाँ पर तो कहानी ही अलग थी। ना वो दोनों एक दूसरे से मोहब्बत करते थे ना ही वो दुश्मन थे बल्कि एक मजबूरी के तहत बंधे दो क़ैदी थे... रिश्तों के क़ैदी... या फिर रिश्तों का बोझ उठाते दो मज़दूर। थके हारे मज़दूर जिन्हें इजाज़त नहीं थी अपना बोझ हटाने की।

खाना खा कर वह लोग सीधा हस्पताल गए थे। अज़ीन की ड्रेसिंग की गयी थी साथ ही उमैर ने नेक्स्ट ड्रेसिंग के लिए एक नर्स का अरेंजमेंट भी करवा लिया था

वह लोग हॉस्पिटल से निकल ही रहे थे की उमैर का एक दोस्त उसे आवाज़ देता हुआ उसके पास चला आया था।

“क्या हाल है दोस्त?...सब खैरियत?.... यहाँ कैसे आना हुआ? उमैर का दोस्त उस से हाथ मिलते हुए पूछ रहा था। अरीज की मौजूदगी में उमैर थोड़ा सकबका गया था। दिल ही दिल में वह सैफ़ को कोस रहा था की वह यहाँ क्यों और क्या करने आ गया है।

उमैर के दोस्त सैफ़ की नज़र अरीज पर पड़ी थी और अब उसका पूरा ध्यान उमैर को छोड़ अरीज पर शिफ़्ट हो गई थी। वह अरीज को अजीब नज़रों से देख रहा था। अरीज उसकी नजरें खुद पर महसूस कर के खुद में जैसे सिमट सी गयी थी।

“मैं ठीक हूँ। तुम सुनाओ कैसे हो?” उमैर ने उसे बेदिली से रस्मी तौर पर जवाब दिया था और दिल ही दिल मे ये भी चाहता था की उसका मोबाइल फोन बज उठे और वह सैफ़ से excuse करते हुए आगे बढ़ जाए मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। उसने अपने हॉस्पिटल आने की वजह गोल कर दी थी।

“मैं तो ठीक हूँ, मगर ये कौन है? लगता है बड़ी चैरिटी शैरीटि हो रही है?” वह मानींखेज हंसी लेकर पूछ रहा था। उस का इशारा अरीज और अज़ीन की तरफ़ था, वह खास कर के अरीज को कब से ताड़े जा रहा था। उमैर अपनी परेशानी में सैफ़ की मयनीखेज़ बातों को समझ ही नहीं पाया था। उसे सिर्फ़ अपनी फ़िक्र लगी हुई थी की कहीं सैफ़ को ये ना पता चल जाए की अरीज कोई और नहीं बल्कि उसकी बीवी है।

अरीज ने घर की सफाई के बाद ना तो नहाया था और ना ही अपने कपड़े चेंज किये थे। वह काम कर के अज़ीन के पास दौड़ी भागी आई थी उसे खिलाने के लिए और आते के साथ ही उमैर ने उसे आड़े हाथों लिया था, उसके बाद उसे जल्दी से अपने साथ चलने को कहा था इसलिए उसका अपनी तरफ़ ध्यान ही नही गया। अरीज अपने पेहनावे और हुलिये से बिल्कुल आम सी लड़की लग रही थी बल्कि ये कहना ठीक रहेगा की किसी के घर में कोई काम करने वाली या फ़िर सफाई करने वाली लड़की लग रही थी। वह कहीं से भी, उमैर की दोस्त या फ़िर रिश्तेदार नहीं लग रही थी

उसकी बात पर उमैर ने एक सेकेंड के लिए अपनी पेशानी को अपने हाथ से मसला था। फ़िर तुरंत संभल कर कहा था।

“हाँ। ऐसा ही कुछ समझ लो।“ उसने अरीज को देखते हुए कहा था। अरीज भी उसके जवाब पर उसे देखती रह गयी थी। दिल में एक तीस सी उठी थी और आँखों के आगे आँसुओं ने सब कुछ धुंधला कर दिया था।

“यार तो हम फ़िर किस दिन काम आयेंगे? कभी हमें भी चैरिटी का मौका दो?” सैफ़ की गलीज़ आँखें अरीज पर ही टिकी हुई थी, और अरीज की आँसुओं से भरी निगाहें उमैर पर। क्या कुछ नही समेटे हुए थी वो निगाहें...हज़ारों गिले थे, शिकवे थे, अफ़सोस, दुख, नफ़रत, हिकारत सब के सब एक साथ ही उमड़ आये थे।

उमैर को कुछ समझ नही आ रहा था की उसे क्या करना या कहना चाहिए था, मगर अरीज को पता था की उसे क्या करना चाहिए था। वो चार क़दम बस आगे बढ़ी थी और सैफ़ के बिल्कुल सामने खड़े होकर आँखों में आँखे डाल कर उसने उसके गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया था, और साथ में बड़ी दिलेरी से कहा था।

“तुम्हारी आँखें तुम्हारी ज़रूर है मगर दूसरों का जिस्म तुम्हारा नहीं हैं, जिसे तुम अपनी जागीर समझ कर ताड़ रहे हो।“ इतनी हिम्मत, इतनी जुर्रत जाने उसमे कहाँ से सिमट कर आ गयी थी। वहाँ पर खड़े कई सारे लोग तमाशा देख रहे थे, और कुछ लोग चल कर देखने आ गए थे। सैफ़ को उसके थप्पड़ ने गुस्से से भर दिया था मगर वो इतनी भीड़ में अरीज का कुछ नही बिगाड़ सकता था, अगर वो बदले में एक उंगली भी अरीज पर उठाता तो सारे लोग उसका भरता बना देते इसलिए फ़िल्हाल सैफ़ ने खुद पर काबू कर के गुस्सिलि आँखों से बस अरीज को घूरा था, और शॉक में तो फ़िल्हाल उमैर भी था.... उसे अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा था की उसने जो अभी अभी देखा वो क्या था, लेकिन अरीज अपने पूरे होशो हवास में थी... उसने अपनी गुर्राती हुई नज़रों से उमैर को देखा और अज़ीन का हाथ पकड़ा था (जो काफी डरी और सेहमी सी लग रही थी) और वहाँ से चलती बनी थी।
उसे जाता हुआ देख कर उमैर को जैसे होश आया था। उसने अरीज को पीछे से आवाज़ लगाई थी। “अरीज.... अरीज.... रुको.... मैं कहता हूँ रुक जाओ.... “ वह थोड़ी दूर उसके पीछे भागा था मगर अरीज अपने इरादे की पक्की वहाँ पे किसी भी कीमत पर रुकने को तैयार नही थी। रोती हुई अज़ीन का हाथ पकड़ कर तेज़ क़दम से चलती जा रही थी, और अब हॉस्पिटल के गेट से बाहर निकल कर रोड पर आ गयी थी और टैक्सी या फ़िर ऑटो का इंतज़ार कर रही थी। उमैर उस तक पहुंच गया था और शायद ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की से उसे इतना डर लग रहा था। उसे समझ नही आ रहा था की अरीज से क्या कहे.... उसे Sorry कहे या फ़िर उसके सामने अपनी सफाई पेश करे, फिर भी अरीज को नॉर्मल करने के लिए उसे कुछ तो कहना था सो उसने कहा था।

“तुम यहाँ बाहर क्यों आई हो? गाड़ी तो अंदर पार्किंग में लगी है।“ अरीज ने उसकी बातों का जैसे कोई नोटिस ही नही लिया था। उसने अपनी नज़रे रोड और रोड पर दौड़ती गाड़ियों पर जमाई हुई थी।

सामने से आते हुए एक खाली टैक्सी को देख कर उसने हाथ हिलाया था और वह टैक्सी रुक भी गयी थी। उसने एड्रेस बताई थी। driver के हाँ कहते ही उसने दरवाज़ा खोला था अज़ीन को बैठाया था और फ़िर खुद बैठ कर वहाँ से चलती बनी थी। उमैर उसे रोकता रहा मगर उसने उसकी एक ना सुनी।

उमैर उसकी टैक्सी को कुछ देर खड़े हो कर जाते देखता रहा जब तक की वो उसकी नज़रों से ओझल ना हो गई। फ़िर वह वापस से हॉस्पिटल के अंदर गुस्से मे गया था। सैफ़ उसे एक चेयर पर बैठा मिल गया था उसने कॉलर पकड़ कर सैफ़ को चेयर से उठाया था और दूसरे गाल पर एक तमाचा लगा दिया था। सैफ़ का भी पारा इस दफा हाई हो गया था मगर उमैर की अगली बात ने उसे शॉक में डाल दिया था।

“Duffer! वो मेरी बीवी थी।“

उमैर को जिस चीज़ का डर था वह उसी से पूरा हो गया था। वह नहीं चाहता था की अरीज और उसका निकाह बाहर वालों के सामने आये मगर अफसोस वह उसके दोस्त सैफ़ के सामने आ गया था।

भले ये निकाह ज़बरदस्ती वाली थी... मगर फ़िर भी आख़िर क्या वजह थी उमैर को इसे छुपाने की?...

वह क्यों इस निकाह को ख़ुफ़िया रखना चाहता था?...

क्या इसके पीछे कोई बड़ी वजह थी?...

जानने के लिए मेरे साथ बने रहिए और पढ़ते रहिए