क्रिमिनल जस्टिस – अधूरा सच रिव्यू Mahendra Sharma द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

क्रिमिनल जस्टिस – अधूरा सच रिव्यू

क्रिमिनल जस्टिस – अधूरा सच रिव्यू

क्रिमिनल जस्टिस – अधूरा सच वेब सीरीज आप हॉटस्टार पर देख सकेंगे। पिछली 2 सीरीज की तरह बहुत ही आला दर्जे का कोर्ट रूम ड्रामा है। कोर्ट हो और पंकज त्रिपाठी हो तो इंटरटेनमेंट तो होगा ही। प्लॉट है की एक व्यक्ति को मुजरिम बनाकर गिरफ्तार किया गया है पर उसको बचाने में एडवोकेट माधव मिश्रा अपना जी जान लगा देते हैं। पर यहां कुछ खास बातों को आपके सामने लाया गया है जिन्हें देख और जान कर शायद आपके रोंगटे खड़े हो जाएं।

में वेब सीरीज के तकनीकी मुद्दों को आपके सामने रखकर आपका समय व्यर्थ नहीं करना चाहूंगा क्योंकि आज कल फिल्म समीक्षक यहां वहां से बातों को गुगल करके अनुवादित समीक्षा आपके सामने परोस देते हैं। में वेब सीरीज देखकर और उसे महसूस करके उसे परख कर जब लगता है की है इसके बारे में लिखना जरूरी है , तब ही मैं लिखता हूं और उसे प्रकाशित करके आपके सामने प्रस्तुत करता हूं।

वेब सीरीज में एक बहुत ही श्रीमंत परिवार दिखाया गया है जिनेक आलीशान बंगले, चमकती गाडियां और ब्रांडेड कपड़े उनके जीवन की पहचान बने हुए हैं। उसी परिवार की बेटी का मर्डर हो जाता है और कहानी इस परिवार के भूतकाल से आगे बढ़ती हुई वर्तमान तक आती है।

एक लड़की जो टीवी पर बाल कलाकार के रूप में बहुत ही ज्यादा मशहूर हो गई है वह अब अपनी किशोर अवस्था में आ चुकी है। टीवी पर उसे जिस नाम और वेशभूषा में देखा जा रहा है वह नाम और वेशभूषा उसे निजी जीवन में बिलकुल पसंद नहीं। यहां आप एक कलाकार का दोहरा जीवन देख सकते हैं। रील लाइफ और रियल लाइफ बिलकुल अलग। हमें व्यक्तिगत जीवन में भीं इस हकीकत को स्वीकार करना है की एक कलाकार की कला की कदर करें पर उसके जीवन से नकल न करें। सामान्य व्यक्ति की कलाकारों की नकल करना किस हद तक नुकसान देय है वह आपको इस सीरीज के अंत तक पता चल जाएगा।

लड़की जिसका मर्डर हुआ है उसका नाम है ज़ारा और शक के दायरे में है उसका भाई। यह भाई सौतेला है क्योंकि लड़की के पिता की यह दूसरी शादी है और लड़की की मां को पहली शादी से एक लड़का है मुकुल, ज़ारा के मर्डर के केस में मुकुल को गिरफ्तार किया जाता है। मुकुल एक जुवेनाइल है इसलिए इसका केस जुवेनाइल कोर्ट में जाता है । मुकुल ड्रग भी बेचता है।

ज़ारा और मुकुल के झगड़े बहुत बार होते रहते थे, मुकुल को अपनी सौतेली बहन कभी अच्छी नहीं लगी क्योंकि परिवार ज़ारा पर ज्यादा केंद्रित था, ज़ारा बहुत ही मशहूर थी और बहुत अच्छे पैसे भी कमा रही थी तो जायज़ है उसपर परिवार अधिक ध्यान दे रहा था। यहां आपके और हमारे लिए सबक यह सीखना है की दो बच्चों में प्यार एक जैसा और एक जितना बहुत ही आवश्यक है नहीं तो दोनो बच्चों में दुश्मनी हो जाने में देर नहीं लगती।

माधव मिश्रा एक वकील ही नहीं एक काबिल इंसान हैं जिन्हें मुकुल को केवल न्याय दिलाने में रुचि है। उन्हें लगता है की हर शकमंद गुनहगार का हक है की उसे बचाव का मौका मिले। इस कोशिश में माधव मिश्रा उन पहलुओं पर तफ्तीश करते हैं जिन्हें पुलिस खोज नहीं पाई। ज़ारा की पिछली जिंदगी, उनके दोस्त और उनसे संपर्क में रहने वाले सभी लोग। क्राइम लोकेशन से लेकर मर्डर वेपन का अध्ययन, हर व्यक्ति का बयान, क्राइम से जुड़ी छोटी से छोटी बात पर मिश्रजी की प्रतिक्रिया हर सीन को रोमांचक बना देती है।

एक बात जो उभर कर बाहर आई जिसपर कोर्ट में अच्छी दलील चली वह थी कंफरमेशन बायस। यह परिस्थिति है जिसमे अगर एक व्यक्ति को दोषी समझा जाए तो पूरी जांच पड़ताल उसे दोषी ठहराने के लिए सबूत इकट्ठा करने में लग जाती है। पुलिस और मीडिया के साथ सरकारी वकील मुकुल के दोषित होने के सबूत पेश कर रहे थे और माधव मिश्रा ने उन सबूतों को एक तरफा होने का दावा करके कंफरमेशन बायस जैसे उम्दा मुद्दे को जागृत किया। हर सबूत और बयान एक तरफा दिखने लगा और उसकी जांच पड़ताल पुलिस ने ठीक से नहीं करवाई थी।
इस एपिसोड से भी यह स्पष्ट होता है की हम संबंधों में कभी किसी एक को दोषित बनाकर पूरी जिंदगी कोसते है जब की उस दोष का अन्य पहलू कभी हम देख नहीं पाते क्योंकि हम भी कंफरमेशन बायस का शिकार हैं।

इस सीरीज में सोशियल मीडिया का शिकार बने बच्चों पर आंख उजागर करने वाला सत्य सामने लाया गया है। कैसे आज सोशीयल मीडिया किशोर अवस्था से बच्चों के मन मस्तिष्क पर असर करके उन्हें किन उलझनों में डाल सकती है उसपर प्रकाश डालकर रोंगटे खड़े करने वाले सत्य सामने लाए गए हैं।

पंकज त्रिपाठी वेब सीरीज के किंग हैं। उनका अभिनय बहुत ही उम्दा है। साथ ही सरकारी वकील की भूमिका में श्वेता बासु ने अच्छा किरदार अदा किया है। रोहन सिप्पी का निर्देशन कबीले तारीफ है। यह 3 क्रिमिनल जस्टिस सीरीज का निर्देशन कर चुके हैं और प्राइम वीडियो पर वकालत फ्रॉम होम सीरीज भी इन्होंने बनाई है। तो अब इन्हें कायदे कानून की समझ किसी लॉयर से कम नहीं होगी।

सीरीज बहुत ही अच्छी है, ज्यादा खून खराबा नहीं है, बहु अश्लीलता भी नहीं है, इसे सह परिवार देखा जा सकता है और अगर आपके पास पर्याप्त समय है तो देखना तो बनता है।

महेंद्र शर्मा
10.10.2022