लूसिफ़र Anita Singh द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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लूसिफ़र

लूसिफ़र


लूसिफ़र ,टैडी की माँ के साथ उसे स्कूल से पिकप करने जाता है। कार मे बेठ्ते हुए टेडी माँ से पूछता है, क्या dogs को भी कलेप्टोमेनिया की बीमारी होती है माँ क्या ? आज टीचर ने क्लास में बताया की ये एक तरह की बीमारी है ,जिसमें बच्चों , बड़ों सभी को बेवजह चोरी करने की आदत होती है ।लूसी भी तो हमेशा चोरी करता रहता है ।आज फिर एसने मेरे सॉक्स ग़ायब कर दिए ।फ़र्स्ट फ़्लोर की मारिया के तो सॉफ़्ट टॉज़ वोः उसके हाथ से छीण लेट्स है ।स्वीपर भी कितना ग़ुस्सा करता है , हर समय उसकी झाड़ू ग़ायब हो जाती है ।


माँ थोड़ा कन्फ़्यूज़ हो जाती है ,बोली पता नहीं , अरे ये तो स्ट्रीट डॉग था न , ये आदत इसने वही से सीखी होगी ,खाना चोरी करके ही खाता होगा ।हमारी कॉलोनी में तो एक साल से ही है।

लेकिन जब से इसने तुम्हें snake से बचाया , देखो अब लोगों के कितना काम आता है। हमें इसके पॉज़िटिव ट्रेट्स पर ध्यान देना चाहिए ।और वाक़ई में लूसिफ़र महाशय ,snake सनिफ़्फ़ेर की पॉप्युलैरिटी पा चुके थे ।आस पास की कॉलोनी ,विल्लास,पार्क्स से इन्हें बुलावा आता रहता था ।इनकी नाक भी बड़ी सटीक थी, स्नेक ,गार्डेन में देखा जाता तो ये महाशय उसे बेडरूम के अल्मिरा के नीचे से दूंड़ लाते थे।

आज माँ को अकेला देख टैडी कर में बेठ्ते हुए बोला ,लूसिफ़र कहा है माँ ? माँ - अरे वो पोलिश स्टेशन गया है ,स्नेक स्निफ़ करने , शाम तक आ जाएगा ।

शाम को टेडी ने फिर माँ से पूछा ,लविफेर नहीं लौटा ,माँ ने कहा शाम को उन्हें लूसी को यहाँ छोड़ जाना था , तुम पलीस स्टेशन में फ़ोन करके पता करो ।

टेडी थोड़ी देर फ़ोन पे बात करके ज़ोर से चिल्ला उठा ,माँ -माँ ,उन्होंने लूसिफ़र को लॉकप में बंद कर दिया है ।पलीस अंकल ने कहा है की उसने बहुत बदमाशिया की जिस कारण उसे सजा दी गयी है ।मिसज़ शर्मा ,टेडी के घर पर ही बेठी थी ,बोली बदमाश तो वो है ही ,रोज़ मेरे १-२ दूध के पैकेट ग़ायब कर देता है ।चलो थोड़ी तो सजा उसे मिलनी चाहिए ।पर मिसज़ चोपड़ा थोड़ी टेन्शन में आ गयी ,उन्होंने चोपड़ा जी को ऑफ़िस फ़ोन कर सारी बात बतायी ।


चोपड़ा जी ऑफ़िस से सीधे पलीस स्टेशन गए और लूसिफ़र के बारे में पूछा।वहाँ पर एक मोटा सा कान्स्टबल राम सिंह बैठा था।वो बहुत ही ग़ुस्से में था, बोला इन्स्पेक्टर साहेब बाहर गए है ,देर रात से लौटेंगे ,उसके बाद ही कुछ होगा ।

चोपड़ा जी इन्स्पेक्टर का इंतेज़ार करने लगे ।इन्स्पेक्टर के आने पर राम सिंह ने खूब नमक मिर्च लगा कर लूसिफ़र की शिकायत की।अपनी टेबल दिखाते हुए बोला , इस पर रखे आज के सारे इमपोर्टंट रिपोर्ट्स फाड़ दी ,बिस्कुट का पैकेट खा गया ,मेरा टिफ़िन ,जिसमें बिरयानी थी वो भी चट कर गया ।कितनी मेहनेत से मेरी वाइफ़ ने बनायी थी ।

इन्स्पेक्टर ने राम सिंह को घूर कर देखा और पूछा ,काम खतम होने पर तुमने इसे पेडिग्री खिलायी थी ।राम सिंह बोला ,नहीं सर ,मैं तो ग्लूकोस बिस्कुट का पैकेट लाया था,एक बिस्कुट इसे दिया बाक़ी टेबल पर रख दिया की आगे काम आएगा ।

चोपड़ा जी की हँसी छूट गयी बोले आप तो सस्ते में छूट गए ।इसने तो मुझे काट लिया था ,जब मैंने इसकी नीद ख़राब कर इसे अपनी कर के नीचे से निकलने की कोसीश की थी ।राम सिंह - क्या ? तब तो १४ इंजेक्शन लगे होंगे , नहीं ५ में ही काम बन गया था ।

राम सिंह थोड़ा घबरा गया , अरे इक मुसीबत से छुटकारा नहीं मिलता की दूसरी गले पड जाती है ।उसने लूसिफ़र को लाकप से निकाल चोपड़ा जी के हवाले कर दिया ।

आज २६ january का दिन है ।पलीस स्टेशन में यंग achievers को अवार्ड मिलना है।इसमें लूसिफ़र का भी नाम है।राम सिंह ,चोपड़ा जी के घर इन्विटेशन कार्ड लेकर आता है ,साथ में लूसिफ़र के लिए एक पेडिग्री का पैकेट भी है।


समाप्त