Tere Ishq me Pagal - 25 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरे इश्क़ में पागल - 25

"ज़ैनु तुम मुझे यहां क्यों लाये हो!" अपने आस पास पड़ी लाशों को देखते हुए नैना ज़ैन से बोली।

"यह मुझे तुम्हारे करीब आने की सज़ा मिली है।" ज़ैन ने दुखी एक्सप्रेशन के साथ कहा।

"क्या मतलब?" नैना न समझी से बोली।

"मतलब यह कि तुम्हारे भीई ने मुझे वार्निंग दी है अगर मैं तुम्हारे करीब आया तो वोह मेरे आदमियों की तरह मुझे भी मार डालेगा।" ज़ैन गहरी सांस लेते हुए बोला।

"ज़ैन तुम मेरे भाई से कब मिले और तुमने मुझे बताया क्यों नही?" नैना। के परेशान हो कर कहा।

"में तुम्हारे भाई से नही मिला उसने मुझे फ़ोन करके धमकी दी है।"

वोह अभी बात ही कर रहे थे तभी एक गोली चलने की आवाज़ आयी। गोली ज़ैन के कंधे को छू कर गुज़र गयी।

जब कि ज़ैन ने गोली चलाने वाले के पैर पर गोली मार दी थी।

नैना गुस्से से उस आदमी के ऊपर गन तानते हुए बोली:"तुम्हे यहां किस ने भेजा है?"

वो आदमी दर्द से पीछे हटते हुए बोला:"मुझे उसका नाम नही पता।"

नैना उसके हाथ पर गोली चलाते हुए बोली:"किस ने भेजा है।"

वो आदमी दर्द से बिलखते हुए बोला:"इमरान बॉस के बेटे ने।"

उसकी बात सुनकर ज़ैन के चेहरे पर स्माइल आ गयी जब कि नैना का चेहरा गुस्से से लाल हो गया।

"जमाल अब मैं तुम्हे ज़िंदा नही छोडूंगी।" नैना ने कहते साथ ही उस आदमी को गोली मारदी।

...…..…....

ज़ैनब आंखे बंद किये टेबल पर सिर रख कर उन फोटोज के बारे में सोच रही थी।

वोह इस कदर अपनी सोचो में गुम थी कि कब कौन उसके कैबिन का दरवाजा खोल कर अंदर आ गया उसे पता ही नही चला।

आने वाले ने कुछ देर इंतेज़ार किया उसके बाद चाभी की नोक से टेबल पर नॉक किया।

ज़ैनब हड़बड़ा कर जैसे कोई खवाब से उठी।

और सामने खड़े इंसान को देख कर ज़ैनब ने गुस्से से अपने होंठो को भींच लिया।

"तुम।" ज़ैनब गुस्से से बोली।

ज़ैन ब्लैक जैकेट पहने भीगा भीगा खड़ा था।

बाहर हल्की हल्की बारिश हो रही थी।

जैम ने अपनी जैकेट उतार कर कुर्सी पर फेंक दी।

"यह कैसी हरकत है!" ज़ैनब ने चिढ़ उसकी जैकेट की तरफ इशारा करके कहा:"और शायद मिस्टर शाह को पता नही है रूम में आने से पहले नॉक किया जाता है।" ज़ैनब ने मिस्टर पर ज़ोर देते हुए कहा।

उसकी हरकत देख कर ज़ैन को पता चल गया वोह किसी बात से नाराज़ है।

"मेरी तबियत ठीक नही है, पहले मुझे चेक करो, और हाँ मैं ने दरवाज़ा नॉक किया था लेकिन तुम मेरे ख्यालो इस कदर खोई हुई थी की तुम्हे मेरी आवाज ही नही आई।"

ज़ैन उसके सामने रखी चेयर पर बैठते हुए बोला।

"मुझे आपकी तबियत नही बल्कि आपका दिमाग खराब लग रहा है। और जनाब की खुशफहमी तो देखिए मैं इनके ख्यालो में खो जाउंगी। मिस्टर शाह ना तो मेरा दिमाग खराब है ना ही मेरी तबियत।"

ज़ैनब को आज उसे देख कर बहोत गुस्सा आ रहा था।

उसका दिल कर रहा था ज़ैन का चेहरा बिगाड़ दे।

"यहां बीमारों को इस तरह ट्रीट किया जाता है।" वोह अपनी ठोड़ी के नीचे अपना हाथ रख कर सोचते हुए बोला।

"मुझे बुखार है।" ज़ैन अपना हाथ ज़ैनब की तरफ बढ़ाते हुए बोला।

ज़ैनब ने ध्यान से उसे देखा उसके बाद सटास्टिसकोप उठा कर अपने कान में लगा कर उसकी धड़कने सुनने लगी।

उसके बाद उसने ज़ैन की कलाई पकड़ी।

ज़ैन की मजबूत कलाई उसके नाज़ुक से हाथो में थी।

ज़ैन एक मासूम बच्चे की तरह खामोशी से बैठा उसे देख रहा था।

"सब कुछ तो नार्मल है।" ज़ैनब ने अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए मन ही मन बोली।

"ओह आपका बचना तो मुश्किल है।" ज़ैनब ने अफसोस के साथ उसे बताया।

"आपको एक सौ दस डिग्री बुखार है, कलमा पढ़ ले आपका का आखिरी वक्त आ गया है।" ज़ैनब ने गुस्से से उसे देखते हुए कहा।

"मैं तो पहले ही मर गया हूं।" ज़ैन टेबल उंगली फेरते हुए कहा।

"तुम पर।" अब की बार ज़ैन ने ज़ैनब की आंखों में देखते हुए कहा।

"तुम मुझ से क्यों नाराज़ हो?" ज़ैन ने उसके होंठो पर उंगली फेरते हुए कहा।

ज़ैनब उसका हाथ झटक कर बोली:"सॉरी लेकिन मुझे आपसे किस बात की नाराजगी होगी।" ज़ैनब राइटिंग पैड उठा कर उसके लिए दवा लिखने के बारे में सोचने लगी।

ज़ैनब ने पेपर पर उसका नाम लिखा और कुछ सोचने के बाद उसका बीपी चेक करने लगी।

इस बार भी ज़ैन बस ख़ामोशी से उसे देख रहा था।

उसका बीपी भी नार्मल था।

ज़ैनब अब सोच में पड़ गयी थी कि क्या दवा लिखे।

ज़ैन ने भी जैसे उसकी परेशानी को भांप लिया था।

"लिख दो ज़ैनब का दीदार सुबह और शाम और उसके साथ डेली डिनर।"

"आप सुधरेंगे नही, मुझे लगा आप बदल गए होंगे लेकिन शायद मैं गलत थी।" ज़ैनब का गुस्सा अब इंतेहा पर पहोंचा चुका था।

ज़ैन को लगा जैसे आज वोह किसी और ज़ैनब से बात कर रहा था।

"ज़ैनब तुम किस बारे में बात कर रही हो!" ज़ैन ने उसकी आँखों मे देखते हुए कहा।

"आप शायद फ्री है लेकिन मैं नही हु।"

ज़ैनब उठ कर बाहर जाने ही लगी थी कि ज़ैन ने उसका बाज़ू पकड़ लिया और गुस्से से चीखते हुए बोला:"मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हु।"

"लेकिन मुझे आपसे कोई भी बात नही करनी है।" ज़ैनब अपना बाज़ू छुड़ाते हुए बोली।

ज़ैन उसके करीब आ कर उसकी आँखों मे देखते हुए बोला:"ज़ैनब मुझे ज़बरदस्ती करने पर मजबूर मत करो।"

ज़ैनब उसकी गुस्से से लाल होती आंखों को देख कर एक पल के लिए डर गई लेकिन अगले ही पल वोह खुद को संभालते हुए बोली:"मिस्टर शाह यह सवाल तो मुझे आपसे करना चाहिए।"

"मतलब क्या है तुम्हारा।" ज़ैन उसके बाज़ू को मजबूती से पकड़ते हुए बोला।

ज़ैनब को उसकी उंगलियां अपने बाज़ू में चुभती हुई महसूस हो रही थी।

वोह अपना दर्द बर्दाश्त करते हुए बोली:"आप कल रात किस लड़की के साथ थे?"

उसकी बात सुनकर ज़ैन की पकड़ ढीली हो गयी और वोह हैरानी से उसे देखने लगा।

तभी दरवाज़े पर नॉक हुआ और ज़ैन झटके से उससे दूर हो गया।

ज़ैनब भी खुद को ठीक करते हुए बोली:"कम इन।"

उसकी आवाज़ सुनकर हामिद मुस्कुराते हुए अंदर आ कर बोला:"डॉक्टर ज़ैनब अगर आपकी प्यार भरी बातें हो गयी हो तो आप राउंड पर चलना पसंद करेंगी।"

"ज़रूर, वैसे भी मुझे यहां घुटन हो रही थी।" ज़ैनब ज़ैन को देखते हुए बोली।

ज़ैन को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके दिल मे खंजर घोप दिया हो।

ज़ैनब वहा से चली गयी थी लेकिन उसकी कहि हई बातें ज़ैन को ज़ख्म पर नमक छिड़कने जैसी लग रही थी।

वोह वही कुर्सी पर बैठा सिर अपने हाथों में टिकाये खुद को शांत करने की कोशिश कर रहा था।

............

जमाल डाइनिंग टेबल पर बैठे खाना खा रहा था कि तभी किसी ने उसके सामने से प्लेट खींच कर नीचे फेंक दिया।

जमाल ने गुस्से से अपना सिर ऊपर उठा कर देखा तो नैन जलती आंखों से उसे देख रही थी।

"यह क्या बत्तमीजी है।" जमाल गुस्से से चिल्ला कर बोला।

"मेरे मना करने के बावजूद भी अपने ज़ैन पर हमला क्यों करवाया।" नैना भी उसी के अंदाज़ में बोली।

"क्या बकवास कर रही हो!" जमाल न समझी से बोला।

"मैं बकवास नही कर रही हु, मेरे मना करने के बावजूद भी तुम ने ज़ैन को मारने के लिए अपना आदमी भेजा।" नैना गुस्से से उस पर गन तानते हुए बोली।

"मैं ने ऐसा कुछ भी नही किया अगर तुम्हें यकीन नही है तो तुम दिलावर से पूछ सकती हो।" जमाल ने अपने पास खड़े अपने अस्सिस्टेंट की तरफ इशारा करते हुए कहा।

"जी मैम, जमाल सर ने शाह को मारने के लिए किसी भी आदमी को नही भेजा।" दिलावर नैना के पास आ कर बोला।

"फिर उस आदमी ने तुम्हारा नाम क्यों लिया!" नैना अपनी गन नीचे करते हुए अपना सिर पकड़ कर कुर्सी पर बैठते हुए बोली।

"मुझे लगता है जमाल सर को कोई फसाने की कोशिश कर रहा है।" दिलावर ने कहा।

"लेकिन ऐसा कौन कर सकता है?" जमाल कंफ्यूज हो कर बोला।

उन दोनों की बात सुनकर नैना भी सोच में पड़ गयी थी। वोह इस कशमकश में थी कि अब क्या करे किसकी बात पर यकीन करें।

...........

ज़ैनब जब वापस कैबिन में आई तो ज़ैन अब भी वही कुर्सी पर बैठा था।

अचानक से ज़ैनब की नज़र उसके हाथों पर पड़ी जिससे खून रस रहा था।

"अरे तुम्हे यह क्या हुआ।" ज़ैनब परेशान हो कर उसके पास आ कर बोली।

"कुछ नही यह बस एक छोटा सा ज़ख्म है कोई सीरियस प्रॉब्लम नही है।" ज़ैन उसका हाथ हटाते हुए बोला।

"जल्दी से अपनी शर्ट उतारे मुझे चेक करना है।" ज़ैनब उसे घूरते हुए बोली।

ज़ैन ने एक आह भरी और अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा।

ज़ैन के शर्ट उतारने के बाद ज़ैनब उसकी मरहम पट्टी करने लगी।

ज़ैन बस उसे देखे जा रहा था।

ज़ैन ने एक ठंडी आह भरी।

"दर्द हो रहा है।" ज़ैन को ठंडी यह भरते देख ज़ैनब ने पूछा।

"हाँ बहोत दर्द हो रहा है बस में बरदाश्त कर रहा हु।" ज़ैन ने उसकी आँखों को देखते हुए कहा।

ज़ैनब ने हैरानी से ज़ैन को देखा लेकिन कुछ नही बोली।

"यह टेबलेट सोते वक्त ले लेना।" ज़ैनब उसे पेनकिलर देते हुए बोली।

ज़ैन कुछ पल के लिए बस उसे देखता रहा।

"मेरा दर्द इस दवा से खत्म नही होगा। क्योंकि मेरे दर्द की दवा तुम हो।"

ज़ैन ने मोहब्बत भरी निगाहों से उसे देखते हुए कहा।

"अब आप जा सकते है।" ज़ैनब कह कर बाहर जाने लगी।

"ज़ैनब" ज़ैन ने पीछे से आवाज़ दी।

कहानी जारी है......
©"साबरीन"


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