Tere Ishq me Pagal - 13 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरे इश्क़ में पागल - 13

ज़ैन इस वक़्त अपनी चाची के घर पर था उसने उन्हें सब को सच सच बता दिया था।

"ज़ैन बस यह अहमियत रह गयी है हमारी तुम्हारी ज़िन्दगी में।" शाज़िया ने आंखों में आंसू लिए हुए कहा।

"नही चाची जान ऐसी कोई बात नही है,वोह सब कुछ इतना अचानक हुआ था कि मुझे आपको बताने का मौका ही नही मिला।" ज़ैन ने उनका हाथ पर कर चूमते हुए कहा।

फिर भी तुम हमें कॉल करके बता सकते थे। इस बार उसके चाचा जी बोले।

"अच्छा अब नाराज़ तो मत हो।" ज़ैन ने मासूम से चेहरा बनाते हुए कहा।

ज़ैन तुम हमारे प्यार का न जायज़ फायदा उठा रहे हो, तुम जानते हो हम तुमसे नाराज़ नही हो सकते। चाचा जी ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।

"अच्छा कब मिलवा रहे हो हमारी बहु से।" चाची मुस्कुरा कर बोली।

"जब आप कहे।" ज़ैन ने उनकी गोद मे सिर रखते हुए कहा।

"ठीक है रात को ले कर आना फिर मैं अपनी बहू को कहि भी जाने नही दूंगी।" चाची जी ने कहा।

"ठीक है जो आपका हुमकुम।" ज़ैन ने सिर झुकाते हुए कहा।

.........

ज़ैन जब घर आया तो ज़ैनब उसे बस बार बार देख रही थी। ज़ैन ने उसकी नज़र खुद पर जमी देख कर अपना सिर उठाया और उसे आंख मेरी। ज़ैनब उसकी इस हरकत पर सकपका गयी।

ज़ैन मुस्कुरा कर शीशे में देखने लगा।

"शाह, मुझे आप से बात करनी है।" ज़ैनब ने घबराते हुए कहा।

ज़ैनब के मुंह से पहेली बार अपना नाम सुनकर ज़ैन मुड़ कर उसकी तरफ देखा। उसके चेहरे पर खुशी साफ नजर आ रही थी।

"जी शाह की जान आप हुकुम करे।" ज़ैन उसके करीब आ कर उसके खुले हुए बालों से खेलते हुए बोला।

"ऐसे कैसे बोलू।" ज़ैनब ने हिचकिचा कर कहा।

"मुंह से और कैसे।" ज़ैन ने सीरियस हो कर कहा लेकिन उसकी आंखों में शरारत साफ नजर आ रही थी।

"वोह मेरे एग्जाम कल से स्टार्ट हो रहे है।" ज़ैनब ने ज़ैन से नज़रें चुराते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैन सीरियस हो गया और झटके से उससे दूर हो गया।

"शाह प्लीज मेरा पूरा साल खराब हो जाएगा। मैं आपसे वादा करती मैं दोबारा नही भागूंगी।" ज़ैनब मिन्नते करते हुए बोली।

ज़ैन दोबारा उसके करब हुआ और उसके चेहरे पर उंगली फेरते हुए बोला:"पक्का नही भागोगी।"

हाँ,,हाँ,,,पक्का। ज़ैनब ने जोर से सिर हिलाते हुए कहा।

ज़ैन कुछ सोचते हुए बोला: "ठीक है तुम एग्जाम दे सकती हो और अपनी पढ़ाई भी कंटीन्यू कर सकती हो।"

"थैंक यू शाह।" ज़ैनब ने खुशी से उसे गले लगाते हुए कहा।

ज़ैनब को जब अपनी हरकत का अहसास हुआ तो उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया। ज़ैनब ने पीछे हटते हुए कहा:"सॉरी"

"अरे....अरे जानु तुम्हारा ही हु, तुम जो चाहो वोह कर सकती हूं।" ज़ैन ने उसे आँख मरते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब का चेहरा लाल हो गया। ज़ैन ने उसके गालो को किस किया और उसकी थोड़ी को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसके होंठो पर किस करने लगा। ज़ैनब ने भी अपनी आंखें बंद करली और उसके प्यार को महसूस करने लगी ही थी कि तभी किसी ने दरवाज़े पर नॉक किया। दरवाज़े पर नॉक की आवाज़ सुनकर ज़ैन ने उसे खुद से दूर किया और गुस्से से दरवाज़े की तरफ देखा। ज़ैनब ने भी खुद को ठीक किया। ज़ैन ने एक नज़र ज़ैनब को देखा और बोला:"आ जाओ।"

"जी शाह जी आप ने कहा था कुछ देर बाद में आपके कमरे में आ जाऊं।" मासी ने ज़ैन के गुस्से से लाल चेहरे को देखते हुए कहा।

"हम आज रात वापस घर जा रहे है आप ज़ैनब की पैककिंग कर देना अब आप जाए।" ज़ैन ने कहा और उसकी बात सुनकर मासी बाहर चली गयी।

ज़ैनब ने न समझी से ज़ैन की तरफ देखा, उसकी नज़रो का मतलब समझते हुए ज़ैन ने कहा:"हम आज रात चाची के यहां जा रहे है अब से हम वही रहेंगे।"

"पर क्यों मैं तो वहां किसी को भी नही जानती।" ज़ैनब ने परेशान होते हुए कहा।

"मुझे तो जानती हो ना।" ज़ैन ने उसे अपनी तरफ खींचते हुये कहा।

"अगर किसी ने कुछ पूछा तो क्या कहूंगी।" ज़ैनब उसकी शर्ट के बटन बन्द करते हुए बोली।

"कह देना ज़ैन शाह की बीवी हु।" ज़ैन उसके चेहरे पर अपनी उंगलिया फेरते हुए बोला।

"अच्छा!!!!!!!!!!" ज़ैनब ने अपनी कमर से उसके हाथ को हटाते हुए कहा।

........

सानिया बैठी ही थी कि कुछ सोच कर उसने अहमद को फ़ोन किया।

अहमद ने स्क्रीन पर जब सानिया का नंबर फ़्लैश होता देखा तो उसे एक पल के लिए यक़ीन ही नही फिर उसने अपनी आंखें रगड़ी जैसे कि वोह यक़ीन करना चाह रहा हो लेकिन उसे यक़ीन नही आ रहा था और जब उसे यक़ीन होगया तो उसने सानिया का फोन उठाया।

"कब से फ़ोन कर रही हु उठा क्यों नही रहे थे।"सानिया गुस्से से बोली।

"वोह मैं सोच रहा था तुम्हारा ही फोन आ रहा है या मेरा कोई वाहेम है।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।

"अच्छा,,,अच्छा बस करो।" सानिया ने उसे रोकते हुए कहा।

"अच्छा बताओ फ़ोन क्यों किया है।" अहमद सीरियस हो कर बोला।

"तुमसे मिलना है इसीलिए।" सानिया ने कहा।

"मैं सही सुन रहा हु या मेरे कान खराब हो गए है।" अहमद हैरान हो कर बोला।

उसकी बात सुनकर सानिया मुस्कुराते हुए बोली:"जी आप ने बिल्कुल सही सुना है।"

"अच्छा कहा मिलना है।" अहमद ने पूछा।

सानिया ने उसे अड्रेस बताया और फ़ोन कट कर दिया। अहमद भी जल्दी अपनी जगह से उठ कर बाहर चला गया।

.......

ज़ैन लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था और ज़ैनब अपने एग्जाम की तैयारी कर रही थी। वो बहोत देर से पढ़ रही थी इसीलिए अब उसे बोरियत महसूस होने लगी थी। उसने एक नज़र ज़ैन पर डाली जो दुनिया से बिल्कुल बेखबर अपने काम मे बिजी था।

"उफ्फ अब मैं क्या करूँ।" ज़ैनब खुद से बोली उसकी आवाज़ धीरी ही थी लेकिन फिर भी ज़ैन ने सुन ली थी।

"क्या हुआ जानू बोर हो रही हो!" ज़ैन ने लैपटॉप बन्द करते हुए कहा।

"हाँ।" ज़ैनब खड़ी होते हुए बोली।

"मेरी जान तो मैं यहां किस लिए हु।" अपनी बात खत्म करते ही उसने ज़ैनब की जैकेट पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और वोह सीधा ज़ैन के ऊपर जा गिरी।

"छोड़े मुझे बाहर जाना है।" ज़ैनब खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली।

"अरे यार यह क्या बात हुई, तुम मुझसे दूर क्यों भागती हो अब तो तुम सिर्फ मेरी ही हो।" ज़ैन ने उसके चेहरे लटों को पीछे करते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब ने अपनी नज़रे झुका ली। ज़ैन ने उसके माथे पर किस किया और उससे दूर हो गया।

......

सानिया अपनी बताई हुई जगह पर पहोंची तो अहमद कार से टेक लगाए खड़ा था।

"जी मैडम कैसे याद किया। नही रुको बैठ कर बात करते है।" अहमद चलते हुए बोला।

"शुक्र है मुझे लगा तुम मुझे यहां खड़ा रखोगे।" सानिया उसके साथ रेस्टूरेंट में जाते हुए बोली।

"हाँ अब बोले मैडम आपने हमें क्यों याद किया।" अहमद टेबल पर बैठते हुए बोला।

"वोह मुझे एक काम था।" सानिया ने हिचकिचा कर कहा।

"हुकुम करो बंदा हाज़िर है।" अहमद ने सिर झुकते हुए कहा।

"क्या तुम जैनी से मेरी बात कर सकते हो?" सानिया ने टेबल पर झुकते हुए कहा।

"हाये बात करना ज़रूरी है।" अहमद ने शरारती अंदाज़ में कहा।

"प्लीज......प्लीज़......प्लीज। " सानिया ने ज़िद करते हुए कहा।

"ठीक है रुको मैं कॉल करता हु।" अहमद ने सानिया को देख कर कहा और ज़ैन को कॉल की।

ज़ैन जो अपने काम मे बिजी था अहमद की कॉल आते देख बिजी अंदाज़ में बोला:"हा बोल"

"ज़ैनु भाभी को फ़ोन दे।" अहमद ने कहा।

"सब ठीक तो है?" ज़ैन ने हैरान हो कर पूछा।

"हाँ, तू फ़ोन भाभी को दे।" अहमद ने फिर अपनी बाद दोहराई।

ज़ैन में चिढ़ कर बेड पर लेटी ज़ैनब की तरफ फ़ोन बढ़ाया। ज़ैन ने कन्फ्यूज्ड हो कर ज़ैन को देखा और फिर फ़ोन ले लिया।

"हेलो" ज़ैनब ने कहा।

"कैसी हो मेरी प्यारी बहेना।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।

"ठीक हु भाई, आप सुनाए।" ज़ैनब ने पूछा।

"मैं भी ठीक हु यह लो अपनी दोस्त से बात करो।" अहमद ने ज़ैनब से कहा और फिर फ़ोन सानिया की तरफ बढ़ाया।
सानिया ने फोन लिया और ज़ैनब से बोली:"हाये जैनी, कैसी है तू?"

"मैं ठीक हु तू कैसी है?" ज़ैनब ने मुस्कुरा कर पूछा।

फिर वही उन दोनों की कभी ना खत्म होने वाली बातें शुरू होगयी।

ज़ैन की नज़र अब ज़ैनब पर टिकी थी जो हँस हँस सानिया से बात कर रही थी, कुछ देर बाद ज़ैनब ने फ़ोन रख दि और वापस ज़ैन की तरफ बढ़ा दिया। ज़ैन उसका हाथ पकड़ते हुए बोला:"दोस्तों से इतना हस कर बात करती हो बेगम और मेरे साथ हस कर बात करना तो दूर हस कर देखती भी नही हो।" ज़ैन ने मुंह बनाते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब हँसने लगी।

"यार मैं ने कोई जोके नही सुनाया है और मैं इतना भी बुरा नही हु।" ज़ैन ने अपनो दाढ़ी खुजाते हुए कहा।

"आप बहोत बुरे है लेकिन आपकी दाढ़ी बहोत अच्छी है।"
ज़ैनब ने उसके गाल खींचते हुए कहा।

ज़ैन उसके होंठो पर किस करने के लिए झुका ही था कि तभी ज़ैन ने अपना मुंह दूसरी तरफ लिया और ज़ैन के होंठ उसकी गर्दन पर जा लगे। ज़ैन उसे धक्का देते हुए नेरचे उतर कर बोली:"आप मुझे इमरान हाशमी के भाई लगते है।" गुस्से से ज़ैन को देखते हुए ज़ैनब ने कहा और कमरे से बाहर चली गयी। पीछे से उसे ज़ैन की हँसने की आवाज़ सुनाई दे रही थी।

.........

"शुक्र है तुम दोनों की बात तो खत्म हुई।" अहमद ठंडी सांस छोड़ते हुए बोला।

"यु आर वेलकम।" सानिया ने मुस्कुराते हुए कहा।

"ओके मैं चलती हु।" सानिया उठ कर जाने ही लगी थी कि अहमद ने उसका हाथ पकड़ कर कहा:"थोड़ी देर और रुक जाओ, कम से कम चाय तो पी लो।"
सानिया ने एक नज़र अपने हाथ पर डाली और फिर अहमद को देखा।

अहमद उसका हाथ छोड़ते हुए बोला:"सॉरी"

सानिया फिर से मुड़ कर जाने लगी तो अहमद उसके सामने आ कर खड़ा हो गया और बोला:"प्लीज यार बस थोड़ी देर।"

"सॉरी बट मुझे देर हो रही है।" सानिया ने घबरा कर कहा।

"यार डर क्यों रही हो मैं ने सिर्फ चाय पीने के लिए कहा। मैं ऐसा वैसा कोई चीप टाइप का लड़का नही हु।" अहमद ने ताना मरते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर सानिया वापस आ कर कुर्सी पर बैठ गयी, अहमद भी उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया और चाय का आर्डर दिया। कुछ देर बाद वेटर उनका आर्डर दे कर चला गया। सानिया चुप चाप चाय पीने लगी।

"एक बात पुछु।"अहमद ने हिचकिचा कर कहा।

"हु" सानिया ने हाँ में अपनी गर्दन हिलाई।

"सानिया तुम मुझे अच्छी लगने लगी हो, पता नही क्यों बस दिल तुम्हारी ख्वाहिश करने लग गया है। तुम्हारे इलावा मुझे कोई भी अच्छा नही लगता है।" अहमद ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।

सानिया ने अपना हाथ छुड़ाया और उठ गई, अहमद भी उसी वक़्त उसके सामने आ गया। अगर सानिया फौरन न रुकती तो अहमद से टकरा जाती।

"यार पहले मेरी पूरी बात तो सुन लो।" अहमद ने इल्तेजा करते हुए कहा।

कहानी जारी है..........
©"साबरीन"


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