अहमद आफिस मे बैठ लैपटॉप पर गेम खेल रहा था उसे अचानक सानिया की याद आने लगी। उसने आफिस फ़ोन उठाया और सानिया को फ़ोन किये।
हेलो........सानिया की नींद से भरी आवाज़ उसके कानों में पड़ी।
"कैसी हो सानिया मैडम?"अहमद ने हस्ते हुए पूछा।
"कौन?" सानिया चिढ़ कर बोली।
"अहमद" उसने अपना नाम बताया।
"तुम बंदर हिम्मत कैसे हुए तुम्हारी मुझे फ़ोन करने की बंदर की शक्ल वाले इंसान, मेरी नींद खराब करदी बत्तमीज़ कहि के।" सानिया ने अपना सारा गुस्सा उस पर निकाल दिया।
"ओह रुक जाओ यार तुम तो नॉन स्टॉप ही शुरू हो गई।" अहमद उसे शांत करने की कोशिश की।
"मैं बिजी हु....बाये।" सानिया फ़ोन रख दिया।
अहमद ने गुस्से से वापस फ़ोन टेबल पर रखा और अपना काम करने लगा।
..............
ज़ैन अपना काम खत्म करने के बाद कमरे में आया तो ज़ैनब से बोला:"जानू तुम हस्ती या बोली नही हो क्या?"
"नही" ज़ैनब ने एक वर्ड में जवाब दिया।
"अच्छा तुम गूंगी हो।" ज़ैन अपनी हंसी छुपाते हुए बोला।
"हाँ" ज़ैनब ने फिर एक वर्ड में जवाब दिया।
"चलो फिर मैं तुम्हे प्यार की ज़ुबान समझा देता हूं।" ज़ैन ने मोहब्बत भरे लहजे में कहा और फिर ज़ैनब की तरफ बढ़ने लगा।
"आप बहोत बुरे और बहोत बत्तमीज़ है।" ज़ैनब ने अपने कदम पीछे लेते हुए कहा।
ज़ैन तब तक आगे बढ़ता रहा जब तक ज़ैनब दीवार जा कर न लग गयी। अब उन दोनों के बीच सिर एक इंच का फासला बचा था। ज़ैन ने अपना एक हाथ दीवार पर रखा और एक हाथ से ज़ैनब के गाल सहलाते हुए बोला:"जानू क्या कहा तुमने?"
"कु...छ भी नही।" ज़ैनब ने घबरा कहा और अपनी आंखें बंद करली।
ज़ैन को उस पर बहोत प्यार आ रहा था। "अब मेरी जान झूठ बोल ही दिया है तो उसकी सजा भी तुम्हे ही मिलेगी।" अपनी बात पूरी करते ही ज़ैन उसके होंठो पर किस करने लगा।
ज़ैनब ने कस कर उसकी शर्ट को पकड़ लिया और अपनी आंखें और ज़ोर से बंद करली।
ज़ैन ने जब उसका चेहरा ऊपर उठाया तो उसकी आंखों में आंसू थे और वोह लम्बी लम्बी सांसे ले रही थी।
"यार ज़ैनब रो क्यों रही हो।" ज़ैन उसके आंसू साफ करते हुए बोला।
ज़ैनब उसके सीने पर मुक्के मरते हुए बोली:"आप सच मे बहोत बुरे है।"
ज़ैन मुस्कुरा कर कुछ कहने ही वाला था कि तभी उसका फ़ोन बजा। उसने स्क्रीन पर कासिम का नाम देखा तो ज़ैनब से दूर होते हुए बाहर चला गया।
ज़ैनब का चेहरा शर्म की वजह से लाल हो गया था।
......
"हाँ बोलो कासिम।" ज़ैन ने फ़ोन उठा कर कहा।
"वोह बॉस आपको एक खबर देनी है।" कासिम ने कहा।
"बोलो" ज़ैन ने कहा।
"इमरान के आदमी यहां आए थे और उन्होंने हम पर हमला कर दिया था।"
कासिम की बात सुनकर ज़ैन के तेवर बदल गए उसके चेहरे पर पहले वाला प्यार कहि देखाई नही दे रहा था।
"बॉस हम ने उन सबको मौत के घाट उतार दिया है।"
कासिम की बात सुनते ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी। "अब ऐसा करो उन आदमियो की लाशों को इमरान को गिफ्ट करदो।" ज़ैन ने उससे कहा और फ़ोन रख कर वापस कमरे में आ गया।
ज़ैनब सोफे पर बैठि बूक पढ़ रही थी।
ज़ैन ने टेबल से अपनी घड़ी ली और ज़ैनब के पास गया और बोला:"मैं आफिस जा रहा हु खाना टाइम पर खा लेना और हाँ भागने की कोशिश भी मत करना।"
उसकी बात सुनकर ज़ैनब ने हाँ में अपना सिर हिलाया।
"अच्छा एक बात बताओ।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए पूछा।
"हु" ज़ैनब ने कहा।
"तुम मुझसे डरती क्यों हो?" ज़ैन ने पूछा।
"जिन भूतों से सब डर लगता है।" ज़ैनब ने बे धड़क कहा और फिर अपनी कहि बातों के बारे सोच कर अपनी जुबान काट ली।
"अच्छा जिन...भूत।" ज़ैन उसके करीब होते हुए अपनी एक आईब्रो उचकाते हुए कहा।
ज़ैन को अपने पास आते देख ज़ैन उठ कर जल्दी से वशरूममे चली गयी।
ज़ैन जोरजोर से हस्ते हुए बोला:"डरपोक कहि की, अच्छा मैं जा रहा हु।" इतना कह कर वोह वहा से चला गया।
"वैसे तो इतना हैंडसम लेकिन हरकते जानवरो वाली है।"
ज़ैनब मन ही मन बड़बड़ाई।
.....
ज़ैन आफिस गया तो अहमद कोई फ़ाइल पढ रहा था।
"अरे वाह आज कल तो कामचोर लोग भी मेहनत कर रहे है।" ज़ैन ने हैरान हो कर कहा।
अहमद ने ज़ैन की तरफ देखा और बिना कुछ बोले वापस फ़ाइल पढ़ने लगा।
"क्या हुआ मोटे।" ज़ैन उसके पास बैठते हुए बोला।
"बस ज़ैन शाह बस मेरे मुंह मत लगना मैं बहोत बिजी हु। तू तो चाहता ही है कि मैं तरक्की ना करु।" अहमद ने एक्टिंग करते हुए कहा।
"ओह नौटंकीबाज़ मैं तेरे मुंह नही लगना चाहता और कुछ तो शर्म कर अहमद मैं तेरे मुंह क्यों लगूंगा।" ज़ैन ने अपने कानों को पकड़ते हुए कहा।
"ओ ज़ैन गंदे दिमाग वाले मेरी बातों से तुझे यही बात समझ आयी और अपनी वाहियात बात अपने पास रख यहां शरीफ लोग बैठे है" अहमद ने अपना कालर खड़ा करते हुए कहा।
"कौन शरीफ!" अहमद ने हैरानी से इधर उधर देखा।
"कमीने इंसान मैं।" अहमद ने अपनी तरफ इशारा किया।
"तौबा तौबा तेरे गंदे दिमाग ने मुझ शरीफ को बिगाड़ दिया।" ज़ैन ने अपनी हंसी दबाते हुए कहा।
"ओये ज़ैनु देख ली तेरी शराफत।" अहमद ने जल कर कहा।
"क्या हुआ इतने गुस्से में क्यों है?" ज़ैन ने सीरियस हो कर पूछा।
"शुक्र है तुझे मेरी याद तो आयी, मेरी जान अब तू शादी शुदा है और मैं अब अकेला रह गया हूं।" अहमद अपने नकली आंसू साफ करते हुए बोला।
"हाहाहा नौंटकी फिक्र मत कर सानिया के लिए अली से बात करते है।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।
"ओये तुझे कैसे पता।" अहमद ने हैरान हो कर पूछा।
"वैसे अहमद सर आपकी इंफॉर्मशन के लिए बता दु मैं अंधा नही हु।" ज़ैन ने उसकी तरफ देखते हुए कहा।
"मुझे लगा तू प्यार में अंधा हो गया है।"अहमद ने हस्ते हुए कहा।
"चल निकल यहां से भलाई का तो ज़माना ही नही रहा, अब मैं भी अली से बात नही करूँगा।"
"अरे अरे मैं तो मज़ाक़ कर रहा था तो तो गुस्सा हो गया।" अहमद उसके कंधे पर हाथ रख कर मुस्कुराते हुए बोला।
ज़ैन भी उसके कंधे पर हाथ रख कर मुस्कुराने लगा।
......
ज़ैन अब बहोत बिजी रहने लगा था, ज़ैनब की वजह से उसने कुछ दिनों से काम पर धयान नही दिया था। उसके बहोत से काम पेंडिंग थे। कुछ काम तो अहमद ने कर लिए थे। पर अभी भी ज़ैन का काम बाकी था। वो ज़ैनब के उठने से पहले घर से चला जाता और रात को उसके सोने के बाद ही घर आता।
पिछले एक हफ्ते से ज़ैनब ने उसकी शक्ल ही नही देखी थी। वोह दिन अपने रूम बैठी किताबें पढ़ती और फिर बोर हो कर टैरिस पर घूमने चली जाती।
आज संडे था और ज़ैन आज थोड़ी देर के लिए घर पर ही था और ज़ैनब की जान पर बानी थी।
"हाँ ठीक है मैं तुझसे आफिस में मिलता हु।" ज़ैन ज़ैनब को देखते हुए अहमद से बात कर रहा था।
ज़ैनब उसकी नज़रो की वजह से कंफ्यूज हो रही थी।
"ओके बाये।" ज़ैन ने फ़ोन रखा और ज़ैनब को स्माइल पास की।
ज़ैनब ने घबरा कर मुंह दूसरी तरफ फेर लिया।
"बटरफ्लाई मैं काम से बाहर जा रहा हु। यार तुम कमरे से निकल कर ज़रा घर मे भी घूम लिया करो, मैं ने कमरे से बाहर निकलने पर पाबंदी तो नही लगाई है।" ज़ैन ने अपनी जगह से उठते हुए कहा।
ज़ैन ने बस हाँ में अपनी गर्दन हिला दी।
"वैसे कितने दिन होगये मैंने तुम्हें फुरसत से देखा नही है।" ज़ैन ने आँखों मे शरारत लिए हुए कहा।
"आपको कहि जाना था ना।" ज़ैनब ने घबरा कर कहा।
"चला जाऊंगा।" उसने ज़ैनब को कमर से पकड़ा और उसे अपने करीब खींचा।
उसकी इस हरकत पर ज़ैनब ने अपनी नज़रे झुका ली।
ज़ैन ने उसकी ठोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर किया और उसकी नीली आंखों में देखते हुए बोला:"जानू तुम्हारी इन नीली आंखों पर दिल हार गया हूं मैं। मुझ जैसे अच्छा भला बंदा तेरे इश्क़ में पागल हो गया है।"
ज़ैन ने बारी बारिस उसकी दोनो आंखों पर किस किया। जैसे ही वोह उसके होंठो पर किस करने के लिए झुका ज़ैनब उसके होंठो पर अपना हाथ रख दिया। ज़ैन ने उसके हाथों को किस किया और मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर चला गया।
उसके जाने के बाद ज़ैनब कमरे से निकल कर पूरे घर मे घूमने लगी। घर मे जगह जगह ज़ैन और अहमद की तस्वीरें थी। ज़ैनब कॉरिडोर में चलते हुए सब चीजो को देख रही थी।
तभी वहां रखे टेबल से ज़ैनब टकरा गई गिरने से बचने के लिए ज़ैनब ने बुक शेल्फ को पकड़ा लिया और उस मे से एक बुक नीचे गिर गयी। ज़ैनब ने उसके बुक को उठाया और वापस शेल्फ में रख दिया और वहां रखी बुक्स देखने लगी। दो तीन बुक देखने के बाद जैसे ही ज़ैनब ने एक बुक को खींचा वोह बुक सेल्फ वहां से हट गया और उसके सामने एक दरवाज़ा आ गया।ज़ैनब ने इधर उधर देखा और यह देख कर की वहां कोई नही ज़ैनब ने दरवाज़ा खोला और अंदर चली गयी। लेकिन अंदर का नज़ारा देखते ही वोह हैरान हो गयी। उस कमरे में सिर्फ ज़ैनब की वही सब पिकचर की फ्रेम थी जो उस दिन ज़ैन ने निकाली थी।
वहां बहोत सारे नकली रेड रोजेज से हार्ट शेप बना हुआ था और चारो तरफ ज़ैनब की फोटोज लगई हुई थी। कुछ देर उस कमरे में रहने के बाद ज़ैनब बाहर आ गयी। उसने वापस से उस बुक को प्रेस किया और सब कुछ पहले जैसा हो गया। वोह इन्ही सब चीज़ों के बारे सोचते हुए गार्डन एरिया में चली गयी।
लेकिन गार्डन में खड़े दो आदमियो को अपनी तरफ आते देख ज़ैनब की सांसे अटक गई।
कहानी जारी है..........
©"साबरीन"