Exploring East India and Bhutan-Chapter-22
पन्द्रहवां दिन
सुबह आठ बजे परमिट आफिस में लंबी लाइन लगी थी, परमिट लेने में लगभग एक घण्टे का समय लग गया फिर पुनाखा की यात्रा प्रारंभ की, जो की थिम्फु से लगभग 84 km की दूरी पर है, व लगभग 5 घंटे का समय लग जाता है.
थिम्पू से पुनाखा जाते समय रास्ते में The Dochula Pass आता है.
Dochula Pass, Dochula Bhutan
यह पहाड़ी दर्रा,भूटान की राजधानी थिम्पू से लगभग 20km की दूरी पर, पुनाखा जाते समय दोचुला नाम की जगह पर, बर्फ से ढके हिमालय पर 10171ft की उचाई पर स्थित है. यहां से 360 degree का हिमालय पर्वत श्रृंखला का अदभुत मनोरम नजारा देखा जा सकता है. इस पास को "Druk Wangyal Chortens" के नाम से भी जाना जाता है.
यहाँ 108 स्मारक स्तूप बनाये गये हैं, जिन्हें ड्रुक वांग्याल चोर्टेंस कहा जाता है, ये स्तूप 2003 के सैन्य अभियान में शहीद हुए भूटानी सैनिकों के सम्मान में बनवाये गये हैं. इन स्तूपों पर कुछ सीडीयाँ चढ़ कर जाना पड़ता है . यहाँ एक मठ Druk Wangyal Lhakhang भी स्थित है.
डोचुला पास से भूटान की सबसे ऊँची चोटी मंसग्गंगा दिखाई देती है, जिसकी उचाई 23484 ft है. यहाँ पर सालभर ठंडा मौसम रहता है, और तापमान भी 10-12 डिग्री सेल्सियस तक रहता है .
दर्र्रे के चारों और बोध धर्म के रंग बिरंगे झंडे दिखाई देते हैं, ये झंडे आमतोर पर, नीले सफ़ेद,लाल,पीले और हरे रंग के होते हैं.नीला रंग आकाश का, सेफ बादल का, लाल अग्नि का,हरा पानी का व् पीला पृथ्वी का सूचक है.
यहाँ पर एक कैफे भी है, और ऐसे ठन्डे मौसम में कम से कम काफी तो बनती ही है, आओं कैफ़े में चलते हैं.
Druk wangyal café, Dochula Bhutan
यह कैफ़े भूटान की राजधानी थिम्पू से लगभग 20 km की दूरी पर पुनाखा जाते समयदोचुला पास पर 10,200 फीट की उचाई पर स्थित है.
यह एक एक स्टार कैफ़े है जो कि पत्थरों का बना हुआ है, अंदर जा कर देखा तो पता लगा यहाँ बार की सुविधा भी उपलब्ध है, ऐसे ठन्डे मौसम में बार मिल जाए तो क्या कहना, उसपर यहाँ व्हिस्की ,वाइन के सभी लोकप्रिय ब्रांड जायज दामों पर मिल रहे थे.
बार को गर्म करने के लिए पारम्परिक तरीकों का प्रयोग किया जा रहा था. यहाँ ब्रेकफास्ट लंच डिनर सभी मिलता है, भोजन का स्तर उतम व् स्वादिष्ट है, कस्टमर सर्विस शानदार है, स्टाफ इंग्लिश व् हिन्दी दोनों भाषा समझ लेता है, कैफ़े में एक स्वीट्स काउंटर अलग से है.
यहाँ साफ़ सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है. कैफ़े में टॉयलेट्स के सुविधा केवल कैफ़े के कस्टमर्स के लिए उपलब्ध है,, और इस बारे मेंएक साइन बोर्ड भी लगया गया है.
खाना थोड़ा महंगा है, पर वैल्यू फॉर मनी है.
यहां हम दो घंटे रुके और फिर पुनाखा की और निकल लिए.
पुनाखा, UNESCO द्वारा घोषित एक टेनटेटिव टूरिस्ट प्लेस है,1637 से 1907 तक यह भूटान की राजधानी था. हमे पहले पुनाखा डिजोंग (DZong) विजिट करना था, क्योंकि पुनाखा डिजोंग खुलने का समय सुबह 11 से एक बजे तक था, तो रोबी ने गाडी को जहाज बनाया व हम 12 बजे तक टिकट काउंटर पर पहुंच गए तो सांस में सांस आई परन्तु ये जो सुकून मिला था वो क्षण भर का ही साबित हुआ.
काउंटर पर उपस्थित महिला ने बताया अब टिकट तीन बजे मिलेगा,
"पर टाइम तो एक बजे का है" हमने कहा
"हां है, पर एक घंटे में आप सारा डिजोंग नही देख सकते"
"कोई बात नही, हम एक बजे तक देख लेंगे"
"टिकट तीन बजे ही मिलेगा” जवाब आया
“तीन घंटे का लंबा इतजार करना है, ओर साइट पर कोई रेस्टोरेंट तो क्या छोटी सी चाय, सॉफ्ट ड्रिंक्स की शॉप भी नही है” विनीता ने बुकिंग काउंटर से बाहर आते हुए कहा
”क्या करें, आगे का सारा प्रोग्राम बिगड़ा जा रहा है” मैने चिता जाहिर की
“एक काम करते हैं, क्यों ना पहले Punakha suspension bridge देख लिया जाए, तीन बजे तक वापिस आ जायेंगे” मानसी ने सुझाव दिया
“ब्यूटी विद ब्रेन” मैंने कॉम्प्लीमेंट दिया
तो हम Punakha suspension bridge देखने चले दिए.