यमुनानगर को पहले 'अब्दुलहपुर' नाम से जाना जाता था। आजादी से पहले, यह एक छोटा सा गांव था जिसका आबादी अपने रेलवे स्टेशन के आसपास केंद्रित था। भारत के विभाजन के बाद, पाकिस्तान में पंजाब के कई शरणार्थियों ने यमुना नगर को अपना नया घर बनाने का फैसला किया, और इस प्रक्रिया में शहर की संस्कृति को जोड़ना शुरू किया।
यह जिला हरियाणा के उत्तर पूर्व में स्थित है। इसके उत्तर में हिमाचल प्रदेश, पूरब में उत्तर प्रदेश, दक्षिण - पूर्व में करनाल जिला, दक्षिण में कुरुक्षेत्र और पश्चिम में अंबाला जिला स्थित है। प्राचीन इतिहास इस बात का साक्षी है कि इस नगर का पुराना नाम अब्दुल्लापुर था। यह नगर प्राचीन समय से ही टिंबर मार्केट व मेटल मार्केट के नाम से प्रसिद्ध है। इसके अलावा यह जिला कागज निर्माण के लिए भी पूरे भारत में उभर कर आया है।
एशिया की प्रसिद्ध शुगर मिल की स्थापना सन 1933 में हरियाणा के इसी जिले में की गई थी। सन 1929 में स्थापित बल्लारपुर पेपर मिल की स्थापना, सन 1938 ईसवी में स्थापित भारत स्टार्च केमिकल लिमिटेड की स्थापना, सन 1952 में स्थापित कैरिज तथा वैगन वर्कशॉप /जगाधरी वर्कशॉप और सन 1973 में स्थापित यमुना गैस लिमिटेड भी हरियाणा के यमुनानगर जिले में है। यहां पर चीनी, मशीनी पुर्जे, शराब, स्टील व एल्यूमीनियम, पीतल - तांबे आदि धातुओं के बर्तन बनते हैं।_______________
स्तिथि : हरियाणा के उत्तरी पूर्वी भाग में स्थित है अंबाला से अलग होकर बना है।
मुख्यालय : यमुनानगर
स्थापना : 1 नवंबर 1989
प्राचीन नाम : अब्दुल्लापुर
प्रमुख रेलवे स्टेशन : यमुनानगर
क्षेत्रफल : 1768 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या : 12,14,205 (2011 के अनुसार)
जनसंख्या घनत्व : 687 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
लिंगानुपात : 877 महिलाएं/प्रति हजार पुरुष
साक्षरता दर : 78.90%
विधानसभा क्षेत्र : यमुनानगर, जगाधरी, रादौर, सडोरा
उपमंडल : जगाधरी, बिलासपुर, रादौर
तहसीलें : जगाधरी, छछरौली, बिलासपुर, रादौर, खिजराबाद
उप तहसीलें : सडोरा, मुस्तफाबाद, खिजराबाद
खंड : बिलासपुर, छछरौली, जगाधरी, खिजराबाद, रादौर, मुस्तफाबाद और सडोरा
नदियां : यमुना (पूर्व दिशा में बहती है)
प्रमुख फसलें : गेहूं, गन्ना, चना, मक्का, चावल और सूरजमुखी
प्रमुख उद्योग : रोलिंग मिल, फर्नीचर, शराब, कागज, चीनी, स्टार्च, पीतल के बर्तन
प्रमुख स्थल : पंचमुखी हनुमान मंदिर (छछरौली), श्री कालेश्वर महादेव मठ, चित्र मंदिर, गुरुद्वारा कपाल मोचन (बिलासपुर), हथिनीकुंड, पोंटा साहिब (जगाधरी), बुडिया कारंग महल, चनेटी का स्तूप, लकड़हारा मंदिर (जगाधरी), परशुराम का स्वर धर्म मंदिर (जगाधरी), आदि बद्री को हरियाणा में सरस्वती नदी का उद्गम स्थल माना जाता है, सूर्य कुंड मंदिर (बिलासपुर)।
प्रमुख व्यक्तित्व : सुनील दत्त (बलराज दत्त)
महत्वपूर्ण संस्थान : चौधरी देवीलाल प्रकृतिक पार्क, हरियाणा डिस्टलरी, दीनबंधु छोटूराम तापीय विद्युत परियोजना, सरस्वती शुगर मिल, भारत स्टार्च केमिकल लिमिटेड, बिल्ट फुटबॉल स्टेडियम, रेलवे वर्कशॉप, यमुना गैस लिमिटेड।
महत्वपूर्ण स्थल_______________________________
ताजेवाला कॉमप्लेकस : यह जिले में जगाधरी-पोंटा मार्ग पर ताजे वाला तथा कलेसर विस्तृत में ही सम्माननीय स्थल है। जो एक दूसरे से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यमुना नदी पर बनाया गया ताजे वाला हैंड वर्कस प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। यहीं से यमुना नदी से पश्चिमी यमुना नहर तथा पूर्वी यमुना नहर निकलती है।
हथिनीकुंड कॉमप्लेकस : लगभग 220 करोड की लागत से इस परियोजना का निर्माण 100 वर्ष से भी अधिक पुराने ताजे वाला हैंडवर्कस (यमुनानगर) के स्थान पर किया गया है इसका निर्माण पश्चिमी और पूर्वी यमुना नहर सिंचाई एवं पेयजल अपूर्ति को पूरा करने के लिए तथा हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश को बाढ़ से बचाने के उद्देश्य से किया गया था हथनीकुंड को मछुआरों का स्वर्ग भी कहा जाता है। हथिनीकुंड की पहचान ऋगवेदिक संस्कृति ब्राह्मण व्रत से की जाती है। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के कुछ समय शिवालिक की इन पहाड़ियों में भी व्यतीत किया था। हथिनी कुंड के निकट दादूपुर स्थान है जहां 60 दरी (स्लूस गेट्स)यमुना जल को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है।
बीरबल का रंग महल : यह जगाधरी से 12 किलोमीटर दूर बुडिया नामक एक प्राचीन कस्बे के समीप बीरबल ने अपने रहने के लिए जंंगल में आजादी से दूर रंग महल का निर्माण करवाया था।जो उस समय में आमोद प्रमोद का प्रमुख स्थान रहा है।
चनेटि स्तूप (जगाधरी) : जगाधरी से 3 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में स्थित चनेटी स्तूप का प्रथम विवरण चीन के विद्वान यात्री हवेनसांग के यात्रा संस्मरण से प्राप्त है। वे यहां सम्राट हर्षवर्धन के शासनकाल में आए थे। यह स्तूप सुघ गांव (वर्तमान सुध) से पश्चिम की ओर यमुना के दाएं तट में स्थित है। अशोक द्वारा निर्मित इस स्तूप की ऊंचाई लगभग 200 मीटर की है। इसको हवेनसांग के द्वारा मौर्य काल का बताया गया है।
गुरुद्वारा कपाल मोचन : यमुनानगर जिले के बिलासपुर में स्थित गुरुद्वारा कपाल मोचन सरोवर के पूर्व में गुरु गोविंद सिंह जी का गुरद्वारा है सन 1687 ईस्वी में गुरु जी ने 52 दिनों तक यहां पड़ाव डाला था तथा युद्ध के दौरान अपने शस्त्रों को धोया था। ऐसी मान्यता है कि यहां पर स्नान करने से मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है
ताजे वाला : यमुनानगर में स्थित ताजे वाला एक स्मरणीय स्थल है यहां स्थित ताजे वाला हैंडवर्क्स बहुत प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है इसी स्थान से यमुना नहर निकलती है।
लकड़हारा मंदिर : यह यमुनानगर के जगाधरी में स्थित है उड़ीसा के कोणार्क मंदिर की तर्ज पर इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
पंचमुखी हनुमान मंदिर : पंचमुखी हनुमान मंदिर बिलासपुर और छछरौली के बीच आने वाले मार्ग पर स्थित है। यह स्थान बिलासपुर से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहां पर स्थापित मूर्ति के मुख पांच होने के कारण इस स्थान का नाम पंचमुखी पड़ गया। जो कि वर्तमान में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
कलेसर : कलेसर स्थल में लगभग 5098 हेक्टेयर क्षेत्रफल में चिनार एवं साल के वृक्ष पाए जाते हैं।
बसंतूर : यमुनानगर जिले के उत्तर पूर्व में बसंतूर नामक नगर बसा है इस स्थान का संबंध राजा शांतनु से माना जाता है।
आदि बद्री : यमुनानगर जिले में बिलासपुर के उत्तर में शिवालिक की पहाड़ियों के समीप यह पौराणिक गांव काठगढ़ बसा है ऐसा माना जाता है कि सरस्वती नदी का उदगम इसी स्थान से था।यहां सौम सरस्वती नदियों का मिलन होता है।आदि बद्री हेरिटेज बोर्ड 2014 में बनाया गया था और यहां पर बौद्ध भिक्षु पाए जाते हैं।