प्यार के लिए - 2 Ashish Kumar Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार के लिए - 2

(2)

सुज़ैन एड्रियन के बेड के पास बैठी थी। वह जानती थी कि एड्रियन कोई प्रतिक्रिया नहीं देगा। फिर भी उससे बातें कर रही थी। उसने एड्रियन से कहा,

"तुमने तो मुझे इतने सारे सपने दिखाए थे। कहते थे कि ‌जब मैं देश का माना हुआ सिंगिंग स्टार बनूँगा तब तुम्हारे लिए गोवा में एक खूबसूरत सा घर खरीदूँगा। अब तो तुम जल्दी ही सिंगिंग स्टार बनने वाले थे। फिर हॉस्पिटल के बेड पर आकर क्यों लेट गए।‌"

यह सवाल पूछते हुए सुज़ैन भावुक हो गई। उसकी आँखों में आंसू आ गए रोते हुए बोली,

"तुम्हें इस तरह देखकर कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। ऐसे ही लेटे रहे तो हमारे सपने मुर्झा जाएंगे। हमारे सपनों के लिए, मेरे लिए उठ जाओ प्लीज़..."

उसी समय नर्स ने आकर कहा,

"मिसेज़ माइकल....डॉ. प्रवेश दबस आपको बुला रहे हैं।"

सुज़ैन ने ‌अपने आंसू पोंछे। उसके बाद डॉ. प्रवेश दबस से मिलने चली गई।

डॉ. प्रवेश दबस गंभीर थे। उन्होंने सुज़ैन से कहा,

"सुज़ैन ट्रीटमेंट का कोई रिस्पांस नहीं आ रहा है। हमने एक ऑपरेशन भी किया था। उसका भी असर नहीं हुआ। मैंने कल रात एड्रियन की जो रिपोर्ट्स करवाई थीं उनके हिसाब से एड्रियन इज़ इन कोमा।"

यह सुनकर सुज़ैन परेशान हो गई। उसने कहा,

"ये क्या कह रहे हैं डॉ. दबस। मतलब कोई उम्मीद नहीं है क्या ?"

"मैं आपको झूठी तसल्ली नहीं दूँगा। एड्रियन लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर है। उसके सहारे ही ज़िंदा है। सुधार की संभावना बहुत कम है।"

डॉ. प्रवेश दबस के ये शब्द सुज़ैन के दिल पर तीर की तरह लगे थे। वह हताश होकर रोने लगी। डॉ. प्रवेश ने समझाया,

"सुज़ैन अपने आपको संभालिए। आपको अभी कठिन निर्णय लेना है।"

सुज़ैन ने रोते हुए डॉ. प्रवेश दबस की तरफ देखा। डॉ. प्रवेश दबस ने कहा,

"एड्रियन के ठीक होने के चांसेज़ बहुत कम हैं। उसे जब तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा जाएगा वह जीवित रहेगा। उसे हटाते ही कुछ देर में उसकी मृत्यु हो जाएगी। अब आपको निर्णय लेना होगा कि कब तक आप एड्रियन को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखना चाहती हैं।"

जो कुछ डॉ. प्रवेश दबस ने कहा था सुज़ैन के लिए बहुत कष्टदायक था। उसके लिए वहाँ रहना कठिन हो गया। वह उठकर केबिन से बाहर निकल गई। उसकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। चलते हुए वह हॉस्पिटल के बाहर आ गई। एक ऑटो को रोककर उसे पास के चर्च ले चलने के लिए कहा।

चर्च में कुछ देर प्रार्थना करने के बाद वह शांत हुई। जब वह चर्च से निकल रही थी तो किसी ने उसे आवाज़ दी। उसने पीछे मुड़कर देखा तो एक बुज़ुर्ग महिला खड़ी थीं। सुज़ैन उनके पास जाकर बोली,

"कहिए आंटी..कोई काम था ?"

उस बुज़ुर्ग महिला ने कहा,

"तुमसे बात करना चाहती ‌थी।"

सुज़ैन इस समय अच्छे मूड में नहीं थी। उसने कहा,

"आंटी इफ यू नीड मनी मैं थोड़ा बहुत दे सकती हूँ। इस वक्त मैं बहुत परेशान हूँ।"

"बेटा तुम्हें परेशान देखकर ही बात करना चाह रही थी। मुझे पैसे नहीं चाहिए। मैं तुम्हारी मदद करना चाहती हूँ।"

"आंटी प्लीज़..…. मैं सचमुच बहुत परेशान हूँ। मेरी मदद कोई नहीं कर सकता है।"

यह कहकर वह चलने लगी तो एकबार फिर उस बुज़ुर्ग महिला ने आवाज़ लगाई,

"बेटा सुनो..... मैंने तुम्हें हॉस्पिटल में देखा है। तुम पिछले कई दिनों से बहुत परेशान हो। बस तुमसे बात करना चाहती थी जिससे तुम्हारा मन हल्का हो सके।"

हॉस्पइटल की बात सुनकर सुज़ैन रुक गई। उसे आश्चर्य हो रहा था। क्योंकी ‌उसने कभी उस महिला को नहीं देखा था। उसने कहा,

"आपने ‌मुझे हॉस्पिटल में देखा। पर मैंने तो आपको पहली बार यहाँ देखा है।"

"तुम अपनी परेशानी में उलझी थी। ध्यान नहीं गया होगा। पर मैंने तुम्हें दो तीन बार देखा था। हॉस्पिटल में तो सब परेशान ही जाते हैं। लेकिन आज जब तुम चर्च में रोते हुए आई तो मुझे लगा कि बात करनी चाहिए।"

सुज़ैन ने कहा,

"सो नाइस ऑफ यू आंटी। लेकिन मेरे साथ अलग ही समस्या है। आप मदद नहीं कर पाएंगी।"

उस महिला ने आगे बढ़कर उसका हाथ थाम लिया। उसने कहा,

"मेरा नाम ग्रेस डिसूज़ा है। तुम बात करके तो देखो। कुछ नहीं तो मन हल्का हो जाएगा। किसी से बात करना अच्छा होता है।"

सुज़ैन अभी भी असमंजस में थी। ग्रेस ने कहा,

"तुम परेशान होकर ईश्वर के पास आई थी। मैंने तुम्हें देख लिया। हो सकता है ईश्वर की इच्छा हो कि तुम मुझसे बात करो।"

"ठीक है आंटी....पर बात कहाँ करेंगे।"

"मेरा घर पास ही है। मेरे साथ चलो।"

सुज़ैन ने एक क्षण सोचा। फिर जाने के लिए तैयार हो गई।

ग्रेस ने उसे अपने ड्रॉइंग रूम में बैठाया। फिर अंदर चली गईं। एक गिलास पानी लेकर बाहर आईं। सुज़ैन ने पानी पी लिया। ग्रेस ने कहा,

"मैं कॉफी और कुकीज़ लेकर आती हूँ। तुम्हें अच्छा लगेगा।"

सुज़ैन भी महसूस कर रही थी कि उसे इस वक्त कॉफी की ज़रूरत है। उसने मना नहीं किया। ग्रेस अंदर चली गईं तो वह उठकर कमरे की सजावट देखने लगी। कुछ देर बाद ग्रेस एक ट्रे के साथ कमरे में आईं। सुज़ैन ने उनके हाथ से ट्रे लेकर टेबल पर रख दी। उसने कहा,

"आंटी आप यहाँ अकेली रहती हैं।"

"हां....."

"उधर मैंने कुछ फोटो फ्रेम देखे। आई थिंक आपके बेटे के हैं।"

"हाँ.....डैनियल मेरा बेटा था।"

सुज़ैन ने कॉफी मग ग्रेस को देते हुए कहा,

"था....यू मीन ही इज़ नो मोर...."

ग्रेस ने कहा,

"उसके बारे में बताऊँगी। लेकिन पहले तुम्हारी बात सुन लूँ। तुम्हें हॉस्पिटल में कई दिन हो गए। कौन है तुम्हारा ?"

"मेरे पति एड्रियन। रोड एक्सीडेंट हुआ था। आज बारह दिन हो गए। डॉ. प्रवेश दबस ने बताया कि एड्रियन कोमा में चला गया है। उसके रिकवर होने के कोई चांस....."

कहते हुए सुज़ैन ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। ग्रेस ने उठकर उसे गले लगा लिया। सुज़ैन उनके गले लगकर कुछ देर तक रोती रही। कुछ देर बाद जब शांत हुई तो उसे हल्का महसूस हो रहा था। ग्रेस ने कहा,

"पहले कॉफी पी लो। फिर बताना।"

सुज़ैन और ग्रेस अपने अपने विचारों में खोई कॉफी पीने लगीं। सुज़ैन सोच रही थी कि सचमुच ईश्वर ने ही उसे ग्रेस से मिलवाया है। उनके अपनेपन ने उसके दिल को बहुत सुकून दिया था। इतने दिनों से वह अपने पापा के साथ के लिए तरस रही थी। पर गलती उसकी भी थी। उसने उन्हें सूचना ही नहीं दी थी। वह सोच रही थी कि अब खुद पापा के पास जाएगी।

दोनों ने कॉफी खत्म कर ली। सुज़ैन ने कहा,

"डॉ. प्रवेश दबस का कहना है कि यह निर्णय मुझे लेना है कि आगे क्या करना चाहिए। एड्रियन को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर ज़िंदा रखूँ या....."

वह एकबार फिर चुप हो गई। कुछ क्षणों के बाद बोली,

"किसी के लिए भी ऐसा निर्णय लेना आसान हो सकता है क्या ?"

"बिल्कुल नहीं..... किसी अपने के बारे में ऐसा निर्णय लेना बहुत कठिन होता है। मुझे उम्मीद है कि ईश्वर तुम्हें ‌सही‌ निर्णय लेने की शक्ति देंगे।"

ग्रेस ने ‌उसे तसल्ली दी। सुज़ैन उदास थी। ग्रेस ने कहा,

"तुम्हारे साथ हॉस्पिटल में किसी को देखा नहीं। क्या परिवार वाले साथ नहीं हैं।"

एक बार फिर सुज़ैन की आँखें भींग गईं। उसने कहा,

"आंटी एड्रियन अनाथ है। मेरे पापा को उसके साथ मेरा शादी करना पसंद नहीं था। दो साल हो गए मेरा उनसे कोई संपर्क नहीं रहा।"

ग्रेस ने ‌कुछ सोचकर कहा,

"बेटा उनसे संपर्क करके सारी बात बताओ। माता पिता से नाराज़गी रखना ठीक नहीं है।"

एड्रियन ने भी कई बार सुज़ैन से यही बात की थी। तब सुज़ैन के मन में अपने पापा के लिए गुस्सा था। जब उसने एड्रियन से शादी करने का फैसला उन्हें सुनाया था तो उन्होंने कहा था कि ‌एड्रियन से शादी करके वह पछताएगी। वह एक मामूली सिंगर है। उसे कभी खुश नहीं रख पाएगा। उन्होंने कहा था कि अगर वह एड्रियन से शादी करती है ‌तो उनसे संपर्क रखने की ज़रूरत नहीं है। सुज़ैन ने उस बात को गांठ बांध लिया था।

ग्रेस ट्रे रखने अंदर गईं थीं। जब वापस लौटकर आईं तो सुज़ैन ने पूछा,

"आंटी आपने मुझे हॉस्पिटल में देखा था। मैं जान सकती हूँ कि आप वहाँ किस कारण से थीं।"

"मैं एक गवर्नमेंट हॉस्पिटल से हेड नर्स की पोस्ट से रिटायर हूई हूँ। अब मैं एक एनजीओ से जुड़ी हूँ। लोगों को नर्सिंग सर्विस देती हूँ। मेरी एक पेशेंट जिसके लिए मैं काम कर रही हूँ कुछ दिन उसी हॉस्पिटल में रही थी। मैं उसकी अटेंडेंट के तौर पर वहाँ थी। तब मैंने तुम्हें देखा था। मैं संडे के अलावा जब मन उदास होता है चर्च जाती हूँ। आज वहाँ एकबार फिर तुम्हें देखा।"

"आज आप उदास थीं आंटी। आपकी उदासी का कारण शायद आपके बेटे की याद होगी।"

"हांँ.... आज उसकी डेथ एनीवर्सरी है। चार साल पहले वह एक्सीडेंट में मारा गया था।"

सुज़ैन को आश्चर्य हुआ कि अपने निजी दुख के बावजूद ग्रेस ने उसका दर्द महसूस किया। उसने कहा,

"आंटी आप खुद दुखी हैं। फिर भी मेरा दुख समझ पाईं।"

ग्रेस ने ‌कुछ सोचकर कहा,

"बेटा एड्रियन के बारे में जो फैसला लेना यह सोचकर लेना कि इस स्थिति के बारे ‌में वह क्या सोचता। अपना फैसला मुझे ज़रूर बता देना।"

सुज़ैन जब ग्रेस के घर से निकली तो बहुत हद तक संभल चुकी थी।