तेरे इश्क़ में पागल - 7 Sabreen FA द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

श्रेणी
शेयर करे

तेरे इश्क़ में पागल - 7

ज़ैनब ग्रोउन्ट में बैठी किताब पढ़ रही थी जब कि सानिया बोर हो रही थी।

"चल यार जैनी कैंटीन चलते है।" सानिया ने उठते हुए कहा।

"नही यार एग्जाम स्टार्ट होने में दो महीने ही बचे है।" ज़ैनब ने सीरियस होकर कहा।

"उफ्फ यार जैनी अभी दो महीने बाकी है अगर तू दो मिनट के लिए उठ जाएगी कुछ हो नही जाएगा।" आखिरकार ज़ैनब को उसकी ज़िद के आगे हार माननी ही पड़ी। वोह दोनो उठ कर कैंटीन चले गए।

........

दूसरी तरफ सेठ ने ज़ैन को फ़ोन किया।

"हेलो" ज़ैन ने सीरियस आवाज़ में कहा।

सेठ उसकी आवाज़ से डरते हुए बोला: "सर हमारी डील थी आज आप आये नही!"

"तुमने मुझे अड्रेस नही भेजा तो मैं कहा तुम्हारे घर आता।" ज़ैन ने चिढ़ कर कहा।

"ओह, सॉरी सर मैं अभी आपको होटल का नाम और रूम नम्बर भेजता हु।" सेठ ने अपने होंठों को काटते हुए कहा।

उसकी बात का जवाब दिए बिना ज़ैन नफोने कट कर दिया और इमरान को कॉल किया।

फोन उठाते ही इमरान गुस्से से बोला:"शाह कमीने मैं जानता हूं येह तेरा ही काम है मैं तुझे ज़िंदा नही छोडूंगा।"

उसकी बात सुनकर ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला:"क्या यार इमरान मैं ऐसा क्यों करूँगा आखिरकार तू मेरे पापा का दोस्त थे।" उसने दोस्त शब्द पर जोर देते हुए कहा।

"में तुझे ज़िन्दा नहीँ छोडूंगा शाह।" इतना कह कर उसने ज़ोर से फ़ोन ज़मीन पर दे मारा।

और इधर ज़ैन और अहमद ज़ोर ज़ोर से हस रहे थे।

इमरान ने अपनी सेक्रेटरी से दूसरा फ़ोन लिया और किसी को कॉल किया।

फ़ोन उठते ही वोह गुस्से से बोला:"शाह को जान से मार दो उसके लिए मैं तुम्हे पांच करोड़ दूंगा। काम होने के बाद मुझे फ़ोन करो।" और सामने वाले कि बात सुन बिना ही फोन काट दिया।

..........

अहमद अपने फ़ोन में कुछ देर तक देखने के बाद मुस्कुराते हुए ज़ैन से कहा:"तेरी आइस क्रीम वाली का पता चल गया है।"

"तो किसी मुहर्त का इंतज़ार कर रहा है जल्दी बोल।" ज़ैन ने सीरियस होकर कहा।

उसका नाम ज़ैनब है। मेडिकल की स्टूडेंट है। उसके माँ बाप नही है भाई भाभी है। लेकिन उनका रवैया उसके साथ बिल्कुल भी ठीक नही है। उसकी एक ही बेस्ट फ्रेंड है सानिया अली की बहेन।अहमद ने एक सांस में ज़ैन को सारी बात बता दी।

"अच्छा तू दो दिन में सिर्फ इतना ही पता कर पाया यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल था।" ज़ैन ने अपनी मुस्कुराहट छिपाते हुए अहमद से कहा। उसकी इतनी सी बात अहमद का पारा हाई करने के लिए काफी थी।

"ज़ैन कमीने, कुत्ते, बत्तमीज़ इंसान, अहसान फरामोश कहि के।" अहमद ने गुस्से से कहा।

ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला:"सारी गालिया एक ही दिन दे देगा तो कल क्या कहेगा।"

"जा मैं तुझसे नाराज़ हो गया।" अहमद ने मुंह फुला कर कहा।

"अच्छा....अच्छा अब नाराज़ तो मत हो मेरी एक मीटिंग है उसके बाद हम पिज़्ज़ा खाने चलते है।" ज़ैन ने अहमद के सिरको सहलाते हुए कहा।

पिज़्ज़ा का नाम सुनते ही अहमद की आंखे चमक उठी।
"मेरी जान तुझे पता मुझे कैसे मनाना है।"

"तू रेडी रहना मैं तुझे मीटिंग के बाद पिक कर लूँगा।"

................

ज़ैनब बस स्टॉप पर खड़ी बस का इंतज़ार कर रही थी।सानिया पहले ही अली के साथ चली गयी थी। सानिया ने ज़ैनब को भी अपने साथ चलने को कहा। लेकिन अपने भाई के ग़ुस्से कि वजह से ज़ैनब ने उसे मना कर दिया।
वोह अभी बस का इंतेज़ार कर ही रही थी कि तभी किसी ने पीछे से उसके मुंह पर रुमाल रख दिया। वोह खुद को छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। लेकिन रुमाल पर लगे क्लोरोफार्म की वजह से वोह जल्दी बेहोश हो गयी। वोह लोग उसे उठा कर एक वैन में ले कर चले गए।

.......

ज़ैन जब होटल के कमरे में पहोंचा तो वहां कोई नही था। वोह अपना फ़ोन निकाल कर सेठ को कॉल करने ही वाला था कि तभी उसकी नज़र बेड पर गयी जहाँ एक लड़की सो रही थी। वोह दरवाज़े के बाहर जा कर फिर से रूम नंबर चेक करने लगा।

"में तो सही जगह आया हु फिर अंदर कोई क्यों नही है और ये लड़की.........."ज़ैन ने मन ही मन सोचा।

फिर वोह रूम के अंदर गया उसने चारो ओर देखा लेकिन वहां कोई नही था। वोह सीधा बेड रूम में गया उस लड़की का चेहरा ब्लैंकेट से ढका हुआ था उसके बस बाल नज़र आ रहे थे। ज़ैन ने जैसे ही उस लड़की के ऊपर से ब्लैंकेट खींचा वो हैरान हो गया।

ब्लू जीन्स, रीड कलर का टॉप और हल्के से मेकअप में ज़ैनब बेहद अट्रैक्टिव लग रही थी। वोह उसके पास गया और उसके गाल थपथपाते हुए उसे जगाने की कोशिश की लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे वोह बेहोश है।

ज़ैन ने अपना फोन निकाला एयर सेठ को फ़ोन किया।

फ़ोन उठते ही ज़ैन के बोलने स्व पहले सेठ बोल पड़ा। "मुझे पता था आपको यह लड़की बेहद पसंद आएगी।
मेरे एक बन्दे ने मुझे बताया था आपको खूबसूरत लड़किया बहोत पसंद है इसीलिए मैं ने आपके लिए इस लड़की को दस लाख में एक रात के लिए खरीदा है।"

सेठ अपनी ही बड़ाई कर रहा था जबकि ज़ैन का खून खौल रहा था।

ज़ैन गुस्से से अपनी मुट्ठियां भींच कर खुद को शांत करते हुए बोला:"किस ने इस लड़की की कीमत लगाई थी, मुझे उससे मिलना ह।"

सेठ हस्ते हुए बोला:"वोह बॉस उसके भाई ने!"

ज़ैन ने उसकी बात सुनकर गुस्से से फोन बेडपर पटका और एक नज़र बेड पर लेटी ज़ैनब की तरफ देखा।वोह गहरी सांस ले कर खुद को शांत करते हुए बेड पर पड़ा फ़ोन उठा कर अली को कॉल किया।

"हाँ ज़ैन" अली ने फ़ोन उठाते ही कहा।

"सानिया कहा है?" ज़ैन ने पूछा।

"घर पर ही है क्यों क्या हुआ?" अली ने परेशान होते हुए कहा।

"अरे यार उसकी फ्रेंड ज़ैनब बसटोप पर बेहोश हो गयी थी मैं उसे हॉस्पिटल ले जा रहा हु तू भी सानिया को ले कर हॉस्पिटल आ जा।" ज़ैन ने अपने बालों को अपनी मुट्ठी में जकड़ते हुए अली से कहा। वोह इस वक़्त अपने गुस्से को कंट्रोल करने की पूरी कोशिश कर रहा था।

"ठीक है, मैं सानिया को ले कर आता हूं। तो मुझे हॉस्पिटल का अड्रेस टेक्स्ट करदे।" अली ने परेशान हो कर कहा।

ज़ैन ने फ़ोन कट कर दिया और ज़ैनब को अपनी बाहों में उठा कर होटल से बाहर आया। उसने पहले ही ड्राइवर को कॉल करके गाड़ी पार्किंग से निकालने को कह दिया था। उसे देखते ही उसके आदमियो ने उसके लिए दरवाज़ा खोला। उसने ज़ैनब को पीछे की सीट पर लेटाया और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ कर कार ले कर निकल गया।

..............

ज़ैनब की जब अंख खुली तो सानिया के इलावा कोई भी उसके पास नही था। उसे बस इतना ही याद था कि वोह बसटोप पर बस का वेट कर रही थी। उसके इलावा इसे कुछ भी याद नहीँ था।

सानिया उसे होश में आता देख कर सुकून की सांस लेते हुए बोली:"शुक्र है तुम्हे होश आ गया मैं तो डर ही गयी थी।अब तुम कैसे फील कर रही हो।"

"मैं ठीक हु तुम्हे फिक्र करने की ज़रूरत नही है।" ज़ैनब ने मुस्कुराते हुए कहा।

ठीक है तुम रेस्ट करो ड्रिप खत्म होने के बाद हम घर चलते है। इतना कह कर सानिया बाहर जाने लगी।

"रुको" पीछे से ज़ैनब ने उसे आवाज़ दी।

"हु" सानिया वापस से उसके पास आ गयी।

"मैं यहां कैसे आयी?" ज़ैनब ने परेशान होते हुए कहा।

"तुम बसटोप पर बेहोश हो गयी थी अली भी के एक दोस्त ने तुम्हे पहचान लिया और यहां ले कर आये और उन्होंने अली भी को फ़ोन करके मुझे यहां आने के लिए कहा।
अब तू ज़्यादा मत सोच और आराम कर।" सानिया उसके चेहरे को थपथपाते हुए बोली।

"हु" ज़ैनब ने पलकें झपकाई और आंखे बंद करके कुछ सोचने लगी।

ज़ैन डॉक्टर के केबिन में बैठा था।

डॉक्टर: "देखिए उन्हें क्लोरोफार्म के साथ साथ हाई डोस ड्रग भी दी गया है जिसकी वजह कल क्या हुआ उन्हें कुछ भी याद नही है। लेकिन आपको उनका ख्याल रखना होगा। उन्हें अभी एक दिन के लिए वीकनेस फील होगी लेकिन परेशान होने की ज़रूरत नही ड्रग का असर कम होगया है खत्म होने के बाद वोह बिल्कुल ठीक हो जाएंगी। और एक ज़रूरी बात इनके खाने पीने का आपको ज़्यादा ध्यान रखना होगा। खाली पेट ड्रग दिए जाने की वजह से यह लंबे समय के लिए उनकॉन्सियस हो गयी थी।

"ठीक है,थैंक्स डॉक्टर।" ज़ैन ने कहा और वापस ज़ैनब के वार्ड की तरफ आ गया। जैसे ही वोह वार्ड के बाहर पहोंचा उसे ज़ैनब के हँसने की आवाज़ आयी जो सानिया से बात कर रही थी। वोह वही से वापस बाहर की तरफ चला गया।

कार चलाते हुए उसने अहमद को फोन किया।

अहमद फ़ोन पर गेम खेल रहा था। स्क्रीन पर "मेरी जान" नाम फ़्लैश होता देख अहमद के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

अहमद ने जल्दी से फ़ोन उठाया।

"बोल मेरी जान।"

"कहा है तू।" ज़ैन चिढ़ कर पूछा।

"अरे बे सब्र आ रहा हु।" अहमद ने अपनी मुस्कुराहट दबाते हुए कहा।

"चल तू घर पे रह मैं भी वही आ रहा हु।" ज़ैन ने इतना कह कर फ़ोन कट कर दिया और कासिम को कॉल करके अहमद के घर आने के लिए कहा।

कासिम जब अहमद घर पहोंचा तो अहमद उसे देख कर हैरान होते हुए बोला:"तुम यहाँ!"

कासिम अपना सिर झुकातेहुये बोला:"हाँ बॉस ने बुलाया है।"

कहानी जारी है...........
©"साबरीन"