"उफ्फ्फ यार जैनी तू अभी तक तैयार नही हुई।" सानिया ने हैरान हो कर ज़ैनब से कहा।
"यह टोकरियां आउंटी को देदु फिर मैं तैयार हो जाउंगी।" ज़ैनब ने कहा और अगे बढने लगी।
"तू यह मुझे दे मैं मां को देदूँगी, तू जा कर तैयार हो जा।" सैनिया ने टोकरियां उसके हाथ से ली और रूम से बाहर चली गयी।
तो ज़ैनब भी ड्रेस उठा कर वाशरूम में चली गयी।
सानिया और ज़ैनब का ड्रेस भी बिल्कुल एक जैसा था।
थोड़ी देर बाद ज़ैनब आईने के सामने बैठी अपने बाल बना रही थी कि तभी सानिया उसके पास आ कर बोली:"जैनी मैं तैयार हो गयी हु तू तयार हो जा मैं अप्पी को देख कर आती हु।"
"ओके" ज़ैनब ने कहा और खुद को आईने में देखने लगी।
पीले रंग की कुर्ती और हरे रंग का लाहेंगा जिस पर गोल्डन कलर का काम किया हुआ था, पीले और हरे कलर का दुप्पटा जो सही से सेट किया हुआ था। उसने अपने बालों की चोटिया बना कर उसमें फूल लगाए थे। हाथो में गजरे कानो में झुमके उसकी नीली आंखों में हल्का सा काजल और पिंक कलर की लिपिस्टिक और गोल्डन कलर की हील्स में वोह बेहद खूबसूरत लग रही थी।
वोह आईने में खुद देख कर खुद ही शर्मा गयी।
चल यार जैनी च..........दरवाज़ा खोलते ही जैसे ही सानिया की नज़र ज़ैनब पर पड़ी उसके शब्द उसके गले मे ही अटक गये।
"क्या हुआ सानी ओवर लग रहा है?" ज़ैनब ने खुद को आईने में देखते हुए सानिया से पूछा।
सानिया अपने होश में वापस आते हुए बोली: "नही,,,नही यार यु लुक अव्सम।"
"तुझे नज़र न लगे जानू" यह कहते हुए वोह ज़ैनब के गले लग गयी।
"चल जानू चलते है।" ज़ैनब ने भी उसे उसी के अंदाज़ में जवाब दिया। और दोनों खिलखिलाते हुए बाहर चली गयी।
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ज़ैन तैयार हो कर खुद पर परफ्यूम छिड़क ही रहा था कि तभी अहमद वाशरूम से बाहर निकला। दोनो जहाँ जाते थे एक साथ जाते थे और एक जैसी ही ड्रेस पहनते थे।
"वाह ज़ैनु तू तो मुझसे ज़्यादा हैंडसम होता जा रहा है और गोरा भी, कौन सी क्रीम लगाता है।" अहमद तौलिये से अपने बालों को रगड़ते हुए नॉर्मल सी आग ज़ैन के अंदर लगा चुका था।
"कमीने मैं पहले से ही हैंडसम था और तेरे सासुर ने जो क्रीम ला कर दी है ना वही लगाता हु।" ज़ैन ने अहमद को घूरते हुए कहा।
ज़ैन की बात सुनकर अहमद हसने लगा। और ज़ैन उसे घूर कर खुदको आईने में देखने लगा।
वाइट शर्ट ब्लैक पैंट और ब्लैक कोर्ट और एक हाथ मे कीमती घड़ी पहने हुए उसके बाल हमेशा की तरह बिखरे हुए थे। लेकिन फिर भी उसकी पर्सनालिटी से वोह किसी रियासत के बादशाह से कम नही लग रहा था।
उसके मुक़ाबले अहमद की भी सेम ड्रेसिंग थी लेकिन उसके बाल अच्छे सेट थे और वोह भी बेहद हैंडसम लग रहा था।
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"हाय.....आयेशा आपली कितनी प्यारी लग रही हो।" ज़ैनब ने खुल कर उसकी तारीफ की तो वोह शर्मा गयी।
चलो लड़कियों जल्दी करो मेंहदी वाली अति ही होगी। सानिया की अम्मी ने दुल्हन के पास बैठी सभी लड़कियों से कहा। तो सब नीचे चली गयी।
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ज़ैन और अहमद भी अब अली के घर पहोंच चुके थे, और अली के गले मिल रहे थे।
"आ गए तुम दोनों।" अली ने गले मिलते हुए कहा।
"नही अभी रास्ते में है।" अहमद चिढ कर बोला।
उसकी बात सुनकर अली हँसने लगा और उन दोनों से बोला: "चलो अंदर चलते है।"
जैसे ही वोह लोग अंदर आये ज़ैन की नज़र स्टेज ओर खड़ी ज़ैनब पर पड़ी और उसी पर ठहर गयी। ज़ैनब स्टेज पर खड़ी किसी बात पर हस रही थी। ज़ैन की नज़रे उस पर से हटने का नाम ही नही ले रही थी।
"ओह ज़ैनु कहा खो गया चल चलते है।" अहमद ने उसका बाज़ू हिला कर कहा।
"हाँ, चल चलते है।" ज़ैन ने हड़बड़ा कर कहा।
अहमद अब उसे शक्की नज़रों से देखने लगा।
"पता है आज मैं बहोत हैंडसम लग रहा हु तो क्या अब तू मुझे नज़र लगाएगा।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा।
"ज़ैनब बेटा जाओ जा कर किचन से फोलों को टोकरियां ले कर आ जाओ मेहमान आते ही होंगे।" सानिया की मम्मी ने ज़ैनब से कहा।
"जी आउंटी अभी लायी।" ज़ैनब ने जवाब दिया और किचन की तरफ चली गयी।
तभी ज़ैन का फ़ोन बजने लगा। उसने देखा कि शाज़िया की कॉल है। यह देख कर उसने जल्दी से फ़ोन उठाया।
हेलो...........हेलो।
अहमद मैं फ़ोन सुनकर आया यहां आवाज़ नही आ रही है।
ज़ैन फ़ोन पर बात करते करते किचन की तरफ चला गया।
फ़ोन सुनने के बाद जैसे ही वोह मुड़ा सामने से अति हुई ज़ैनब से टकरा गया। ज़ैन ने उसे पकड़ लिया। लेकिन ज़ैनब के हाथों में जो फूलों की टोकरी थी वोह उन दोनों के ऊपर गिर गयी। ज़ैनब ने अपनी आंखें कस कर बन्द की और ज़ैन की शर्ट को ज़ोर से पकड़ लिया।
ज़ैन ने कुछ पल उसके चेहरे को देखा फिर धीरे से उसके कान में बोला: "मिस आप गिरने से बच गयी है।"
ज़ैनब ने अपनी आंखें खोली तो देखा कि वोह उसकी बाहों में थी। ज़ैन तो जैसे उसकी नीली आंखों में खो ही गया था और किसी चीज़ का होश ही नही था। उसकी नीली आंखे बहोत ही अट्रैक्टिव थी। ज़ैन तो मानो उस मे डूबता ही जा रहा था।
"क्या कशिश है इन आँखों मे
मत पूछ
मुझ से मेरा दिल लड़ पड़ा है मुझे वोह शख्स चाहिए।"
"छोड़ दे मुझे।" ज़ैनब ने कहा।
"छोड़ दिया तो गिर जाओगी।" ज़ैन ने मदहोशी में कहा।
नही मेरा मतलब.............
जब ज़ैनब से कोई बात नही बनी तो उसने नज़रे झुका ली।
ज़ैन ने मुस्कुराते हुए उसे खुद से दुर किया।
"सॉरी" ज़ैनब ने शर्मिंदगी से कहा।
"ज़ैनब टोकरियां ले कर आ जाओ मेंहदी आ गयी है।"
"आ गयी आउंटी।" ज़ैनब ने कहा और किचन में जा कर दूसरी टोकरी लेकर बाहर चली गयी।
उसके जाने के बाद ज़ैन ने अपने दिल पर हाथ रखते हुए बोला:"उफ्फ यह तेरी नीली आंखे।" और दोबारा नंबर डायल करने लगा।
सानिया अपनी सेल्फियां ले ही रही थी कि पीछे खड़ा अहमद जो अपना फ़ोन यूज़ कर रहा था उस से टकरा गई।
"ओह पागल लड़की अंधी हो क्या?" अहमद ने उसे घूरते हुए कहा।
"हाँ अंधी हु, लेकिन तुम्हारे पास आंखे है तूम तो देख ही सकते थे ना।" सानिया भी उसे उसी के अंदाज़ में जवाब दिया।
"बत्तमीज़" अहमद ने चिढ़ कर कहा।
"हाँ में बत्तमीज़ ही सही तुम तो तमीज़दार हो ना।" सानिया उसे चिढ़ाते हुए कहा।
उसके अंदाज़ को देखते हुए अहमद मुस्कुरा दिया।
"चलो अब सॉरी बोलो।" सानिया ने उसे उंगली दिखाते हुए कहा।
अहमद ने पहले उसकी उंगली को देखा फिर उसे देखा। "छोटी सी लड़की हो और तुम मुझसे सॉरी बुलवाओगी।"
अहमद दो कदम आगे हो कर उसके करीब आ कर कहा तो सानिया सकपका को बोली:"अरे जाओ माफ किया, अली भाई के दोस्त हो इसीलिए छोड़ रही हु।" इतना कह कर वोह जल्दी से वहां से भाग गई।
अहमद उसे सकपका कर भागते देख कर हँसने लगा।
थोड़ी देर बाद ज़ैन उसके पास आया तो अहमद बोला: "किसका फ़ोन था?"
"चाची जान का।" ज़ैन ने स्टेज पर देखते हुए कहा।
ज़ैन की नज़र बार बार ज़ैनब की ही तरफ जा रही थी। जब ज़ैनब ने उसे देखा तो ज़ैन मुस्कुरा दिया और ज़ैनब ने शर्मिंदगी से अपना सिर झुका लिया।
अहमद का भी कुछ यही हाल था। वोह जब भी सानिया को देखता तो वो उसको मुंह चिढ़ा देती और यह देख कर अहमद मुस्कुरा देता।
पागल लड़की अहमद ने मन ही मन सोचा।
अहमद की नज़र जब ज़ैनब पर पड़ी तो वोह ज़ैन को कहयोनिय मारते हुए बोला: "हे ज़ैनु वोह देख आइस क्रीम वाली लड़की।"
"यार तूने अब देखा है मैं तो कबका देख चुका हूं।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।
"हाये दाल में कुछ काला नही बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली है। बड़ा मुस्कुराया जा रहा है।" अहमद ने उसे छेड़ते हुए कहा तो ज़ैन ने उसे घूर कर देखा तो वोह चुप हो गया।
अब तक मेहंदी की रस्म भी पूरी हो चुकी थी।
..….......
आज बारात आने वाली थी हर तरफ हंगामा था। हर कोई अपने अपने काम मे बिजी था। ज़ैनब भी सानिया और अपनी चीज़े एक जगह रख रही थी।
बारात शाम की थी इसीलिए सब इतमीनान से तैयार हो रहे थे।
ज़ैनब और सानिया का ड्रेस आज भी सेम था।
ज़ैनब तैयार थी उसने आज ब्लैक कलर का गाउन पहना था, बाल खुले छोड़ कर कर्ल किये हुए थी आंखों में हल्का सा काजल, होंठो पर पिंक कलर की लिपिस्टिक, हाथों में ब्लैक कलर की चूड़ी और ब्लैक कलर की हील पहने वो आसमान से उतरी कोई पारी लग रही थी।
सानिया की भी सेम ड्रेसिंग थी वोह भी बहोत प्यारी लग रही थी।
..........
ज़ैन और अहमद ने भी ब्लैक कलर का अरमानी सूट पहना था। वोह दोनो हद से ज़्यादा डैशिंग लग रहे थे।
तैयार हो कर ज़ैन सोफे पर बैठा अपना फ़ोन उसे कर रहा था जबकि अहमद बेड पर बैठा उसे घूर रहा था।
"ऐसे क्या देख रहा है मुझे नज़र लगानी है क्या!" ज़ैन ने उसे घूरते हुए देख कर रहा।
अहमद हस कर बोला: "तुझ जैसे काले इंसान को किसकी नज़र लगेगी और मैं देख रहा था कि तू काले ड्रेस में काला कौवा लग रहा है।" इतना कह कर वोह वहां से भागने लगा।
"अहमद के बच्चे तु मेरे हाथ लग मैं तेरा कीमा बना दूंगा।" ज़ैन ने गुस्से से कहा।
"हाहाहा, सच हमेशा कड़वा ही लगता है।" अहमद ने हस्ते हुए कहा।
ज़ैन ने कुशन उठा कर उसे मना शुरू किया फिर कांच कर ग्लास उठा कर उसकी तरफ फेंका, अहमद पीछे हट गया और ग्लास दीवार से लग कर ज़मीन में गिर कर टूट गया।
अहमद ने पहले गिलास को देखा फिर ज़ैन को।
"यार ज़ैनु तेरा सच मे मुझे मारने का इरादा था। यार खुदा के लिए बख्श दे, अगर तूने मुझे मार दिया तो तेरे होने वाले बच्चे चाचू किसे कहेंगे और मेरी तो अभी शादी भी नही हुई है तू भाभी किसे कहेगा। हाये मेरे अभी न होने वाले बच्चे।" अहमद रोने का नाटक करते हुए यह सारी बातें कह रहा था।
उसकी बात सुनकर ज़ैन लोट पोट हो रहा था। "जा माफ किया" ज़ैन हँसने के दौरान बड़ी मुश्किल से बोला।
ज़ैन इतना हस चुका था कि उसकी आँखों मे पानी आ गया था। अहमद खड़ा उसे हस्ते हुए देख रहा था।
ज़ैन बेड से उठ कर अहमद के पास गया और उसे गले लगाते हुए बोला: "यार तू ही तो मेरे हँसने की वजह है अगर तू ना होता तो मैं कब का मर चुका होता।"
उसकी बात सुनते ही अहमद ने उसे झटके से दूर किया और बोला: "मेरे जिगर के टुकड़े दोबारा कभी मरने की बात मत करना।" यह कह कर उसने फिर से अहमद को गले लगा लिया।
"अच्छा बस कर मेरी जान तू तो मेरे साथ रोमैंस ही करना शुरू हो गया।" ज़ैन ने हंस कर कहा तो अहमद भी हँसने लगा।
"चल यार नही तो अली का फ़ोन आ जायेगा।" अहमद ने उसे खींचते हुए कहा।
"हाँ अब तो तुझे जल्दी होगी ही मेरे हैंडसम चेहरे को खराब जो कर दिया है।" ज़ैन थोड़ा नाराज़ होते हुए बोला।
अहमद उसके चेहरे को पकड़ कर इधर उधर घूमाते हुए बोला: "यार तू तो कौवों का बादशाह लग रहा है।" इतना कह कर वोह ज़ोर ज़ोर से हस्ते हुए वहां से भाग गया।
ज़ैन भी गुस्से से उसका पीछा करने लगा।
कहानी जारी है........
©"साबरीन"