मिलन पुर - 5 - अंतिम भाग Mehul Pasaya द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मिलन पुर - 5 - अंतिम भाग

" अरे मम्मी कहा हो चलो ना हमे जाना है बहार घुमने. कुच लाना भी है चलो चलो जल्दी से.

" अरे हा बेटा रुको मे आती हू थोडा सा वेट कर लो.

आधे घंटे के बाद . . . . . . . . . .

" अरे बेटा हम कब के आ गए बाज़ार से तुम क्या कर रहे हो.

" कुच नही मम्मी जो बस यही पे कुच काम था वो कर रहे थे.

" चलो बहुत अच्छे वैसे अब मत लड़ना अपनी पत्नी से ठीक है. वरना मार पड़ेगी तुम्हे.

" अरे हा मम्मा इतना टेन्सन क्यू लेते हो अब ऐसा नही करेंगे ठीक है. अब तो खुश हो ना.

" हा बहुत ज्यादा जब से मेरि बहू मुझे वापस मिली है. मुझे थोडा शान्ती है. वरना ये थोडी बहुत जिन्दगी बच्ची थी. वो भी ऐसे बिना मन की गुजरती. और वक़्त रहते निकल लेती.

" अरे मम्मी जी आप इनको अब मत डाटिये अब ये ऐसा नही करेंगे और ना ही मे ऐसा करूंगी आप निचिन्त रहिये ठीक है.

" हा ठीक है. और हा बेटा ये बताओ की तुम्हारा काम कैसा चल रहा है.

" हा मम्मी सब अच्चे से चल रहा है. काम मे कोई दिक्कत नही है.

" वैसे सुनिये ना बहुत दिनो से मम्मी जी कही पे गई नही है. तो चलो ना कही पे लेजा ते है.

" अरे बिल्कुल ले चलेंगे क्यू नई चलो तो करो तैयारी जाने की. मे टिकट बुक कर देता हू.

" ठीक है बेटा तो तुम लोगो ने मुझे घुमाने लेजा ने का सोचा है. तो मे तैयार हू. और ये मुझे बहुत पसंद आया. सुझाव. चलो अब इस्पे अमल करते है.

10 मिनिट बाद . . . . . . . . . .

" फाइनली बस स्टेशन आ गई और बस पकड ली वरना 2 मिनट लेट हो जाते ना तो बस तो मिलना ना मुन्कीन था. थैंक यू फोर गॉड.

" अरे कोई नी बेटा बस भी तो कभी कभी लेट भी आती है. तो उसका का क्या. खैर छोडो ये सब बस मिल गई ना. ठीक है.

" हा मम्मी होती है लेकिन बस का हम कुच नही कर सकते.

" एक्सक्यूज़ मी आप लोगो को क्या तकलीफ है ज़रा बताने की तकलीफ उठायेंगे प्लीज.

" अरे नही सर कोई तकलीफ नही है. सब बढिया है. आप जाईये प्लीज.

" ठीक है लेकिन कोई भी परेशानी हो प्लीज हमे बोलियेगा हम सहायता के लिए तथ रहेंगे ठीक है.

।। फाइनली एक परेशान बेटे की मा को और बहू की सासु मा को एक अच्छी सी सांस लेगी. जिन्दगी मे इतने सारे तूफान आये लेकिन सब ठीक हो गया. वरना एक मा की जिन्दगी मे सुख बन कर आने वाली ये लड़की बहुत ही दया वान है. वरना कोई किसी की तबियत तक नही पूछता. एक अच्छी जिन्दगी तभि अच्छी कह लाती है. जब अपना परिवार संभल जाये. वरना ऐसे एश - ओ - आराम का कोई महत्व नही.

चलिए तो यहा पर इस पद को सम्पूर्ण तथ पर. समाप्त किया जाता है.