पिछले अंक में आपने पढ़ा कि हीरा की माँ ने आत्महत्या का प्रयास किया था पर उसके बड़े डॉ सोनी ने उसे बचा लिया . अब आगे अंतिम भाग में पढ़ें …
कहानी - कापुरुष अंतिम भाग 4
माँ ने फिर कहा “ मेरी जान तुमलोग कब तक बचाओगे . मेरे जीते जी हीरा की शादी किसी दूसरी लड़की से हो , मुझे मंजूर नहीं है . इसे मेरी मर्जी की लड़की से शादी करनी होगी नहीं तो मैं किसी पल जान दे दूँगी . तुमलोग कब तक मुझे बचाते रहोगे . “
“ अच्छा फिलहाल तुम आराम करो , हमलोग इस मसले पर फिर बात करते हैं . “ डॉ सोनी बोला
आपसी सलाह मशवरे के बाद पारिवारिक दबाव में हीरा को झुकना पड़ा . डॉ सोनी ने हीरा को समझाया “ मैं तुम्हारी मजबूरी समझ सकता हूँ . तुमने अपनी मर्जी से शादी की है और अपनी बीबी के प्रति वफादारी निभा रहे हो अच्छी बात है . पर हमलोग भी माँ को यूं ही मरने नहीं दे सकते . इसलिए फिलहाल माँ की जान बचाने के लिए तुम्हें माँ की मर्जी से शादी करनी होगी . “
“ भैया , आप भी सब जानते हुए ऐसा कैसे बोल सकते हैं ? “
“ मैं अपनी माँ की जान और परिवार को बिखरने से बचाने की कोशिश कर रहा हूँ . तुम्हें हमारा साथ देना चाहिए . फिलहाल सगाई तो होने दो . माँ की तबीयत तब तक ठीक हो जाएगी . “
अगले सप्ताह हीरा की सगाई सीता देवी की पसंद की लड़की माला से हो गयी . . तय हुआ था कि हीरा और माला की सगाई के बाद पहले लग्न के दिन से तिलक और शादी आदि की रस्में शुरू होंगी . पर सगाई के बावजूद हीरा आगे की रस्मों में आनाकानी कर रहा था . उसका कहना था कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है , सगाई तो तोड़ी जा सकती है . पर ऐसा करना भी सम्भव नहीं था क्योंकि लड़की के पिता का पूरे शहर में अच्छा दबदबा था . वे रूलिंग पार्टी के जानेमाने कार्यकर्त्ता थे और अगले चुनाव में टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी . इसके अतिरिक्त डॉ सोनी की क्लिनिक में उन्हीं ही पूँजी लगी थी और उस से होने वाले मुनाफे में भी उनका अच्छा शेयर था .
आखिर परिस्थियों से समझौता कर हीरा को शादी करनी पड़ी . अब माला उसकी दूसरी और नयी पत्नी थी . उधर हज़ारीबाग़ में मधु यहाँ आरा में क्या हो रहा है , इस से अनभिज्ञ थी . वह बेचारी तो अपने नन्हें बेटे के साथ हीरा का इन्तजार कर रही थी . एक दिन डॉ सोनी की पत्नी शीला ने फोन पर अपने पिता को हज़ारीबाग़ में हीरा की शादी के बारे में बता दिया . यह जान कर डॉ सोनी बहुत चिंतित हुआ . उसे आशंका थी कि कहीं हीरा की पहली पत्नी मधु को इस बात का पता न चले और वह कोई नया तमाशा न खड़ा कर दे या पुलिस केस न कर दे . इसलिए वह जल्द से जल्द हज़ारीबाग जा कर डैमेज कंट्रोल करना चाहता था .
उधर शीला के पिता को जब हीरा की दूसरी शादी की जानकारी मिली तो वे बहुत नाराज हुए . वे स्कूल के गवर्निंग बोर्ड के सीनियर सदस्य भी थे . उन्होंने हीरा को नौकरी से निकाल देने की सिफारिश की . हीरा अपनी नौकरी से हाथ धो बैठा . उधर डॉ सोनी हज़ारीबाग जा कर मधु से मिला . उसने मधु से हीरा को भूल जाने के लिए कहा . मधु के लिए यह सहज नहीं था . डॉ सोनी ने कहा “ मैं मानता हूँ कि हीरा ने तुम्हें धोखा दिया है . पर जो हुआ उसे बदला नहीं जा सकता है . “
उसने कहा “ अभी मैं इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहती हूँ . आप मुझे अकेला छोड़ दें . मैं सोचती हूँ कि मुझे क्या करना चाहिए . “
“ ठीक है , मैं यहाँ कुछ दिन रुका हूँ . हमलोग मिल कर कोई हल ढूँटते हैं . “
मधु को यह सब जान कर गहरा सदमा पहुँचा था . दो दिनों के बाद डॉ सोनी फिर मधु से मिलने गया और बोला “ तब तुमने क्या सोचा है ? “
“ पहले आप बोलें कि आपलोगों ने क्या सोचा है ? “
“ देखो तुम हीरा हो भूल जाओ और उसकी गलती को माफ़ कर दो . हमलोग इसके बदले में तुम जो चाहती हो बोलो . उसे पूरी करने की कोशिश करेंगे . तुम चाहो तो लकी को हमलोगों को दे सकती हो . हम उसकी अच्छी परवरिश कर डॉक्टर इंजीनियर और एक अच्छा इंसान बनाएंगे . “
“ अव्वल तो हीरा की गलती माफ़ करने लायक नहीं है . लकी की चिंता आपलोग न करें . आपलोगों ने अपनी इंसानियत दिखा दी है . आप उसे क्या बनाएंगे मैं समझ सकती हूँ . “
“ तो लकी की पढ़ाई लिखाई के लिए हम पूरा पैसा एक मुश्त देने को तैयार हैं . “
“ डॉ भैया ,आप शायद भूल रहे हैं . मुझसे शादी कर हीरा ने मुझ पर कोई एहसान नहीं किया था बल्कि मैंने ही उसे एक अच्छा जीवन देने का अवसर दिया था . उसकी आठ नौ हज़ार की अस्थायी नौकरी थी और मेरी परमानेंट सरकारी नौकरी और रिटायर होने के बाद भी आजीवन पेंशन मुझे मिलेगा . मैं आपलोगों पर मुकदमा करने जा रही हूँ . “
“ देखो मधु , हम तुम्हें कुछ करने से रोक तो नहीं सकते हैं पर ऐसा करने से तुम्हें क्या मिलेगा सोच लो . वैसे तुम्हें एलिमनी की जरूरत नहीं है और हीरा के पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं रह गया है . उसकी नौकरी भी जाती रही है . “
डॉ सोनी आरा लौट आया . हीरा को भाई के हज़ारीबाग जाने की कोई जानकारी नहीं थी . डॉ सोनी ने सिर्फ अपनी पत्नी शीला से मधु से हुई बात की जानकारी दी और किसी को इस बात का पता नहीं था . इसके कुछ दिनों के बाद शीला भी अपने मायके हज़ारीबाग गयी .
शीला ने मधु से मुलाक़ात कर अपना परिचय दिया . मधु ने कहा “ दीदी , मैं आपके यहाँ आने का कारण समझ सकती हूँ . अभी तो कुछ ही दिन पहले डॉ भैया मिल कर गए हैं . मैंने अपना विचार उन्हें बता दिया था . अब और मुझसे क्या जानना चाहती हैं ? “
“ तुम्हारी जगह मैं भी होती तो ऐसे आदमी को नहीं छोड़ती . मैं बस इतना बताने आयी हूँ कि हीरा ने वहां शादी न कर के तुम्हारे साथ आने के लिए पूरा संघर्ष किया था . पर माँ ने आत्महत्या करने की कोशिश की , उन्हें बचा लिया हमलोगों ने . पर उन्होंने भी प्रण किया था कि अगर हीरा शादी नहीं करेगा तब दुबारा हमलोग चाह कर भी उन्हें नहीं बचा पाएंगे . हीरा को मजबूर हो कर वहाँ शादी करनी पड़ी . तुम अगर मुकदमा करोगी तो इस से हीरा को जेल जाना पड़ सकता है इस से ज्यादा तुम्हें कुछ हासिल नहीं होगा . दूसरी तरफ बाकी सभी लोगों की जिंदगी नर्क बन जाएगी . “
मधु यह सब सुन कर अभी कुछ बोल भी नहीं पायी थी कि शीला ने फिर कहा “ तुम चाहो तो तुम्हारे बेटे को हमलोग अपना सकते हैं और तुम नयी जिंदगी शुरू कर सकती हो . “
“ आपलोग मेरे बेटे को क्यों मुझसे छीनना चाहते हैं ? हीरा को तो मुझसे छीन ही लिया है . “
मधु का कहना भी ठीक था , शीला इस बात पर कुछ कह न सकी . कुछ देर की चुप्पी के बाद मधु ने कहा “ ठीक है फिलहाल मैं कुछ नहीं करने जा रही हूँ . मुझे कुछ दिन और सोचने दीजिये . मेरे बेटे की चिंता आपलोग न करें , उसके लिए मैं अकेली ही सक्षम हूँ . और जब मेरे बेटे को समझ आ जाए और वह अपने बाप को सजा देना चाहे तो मेरा और बेटे का यह हक़ बना रहेगा . फ़िलहाल आप जा सकती हैं . “
कुछ महीनों के बाद एक दिन हीरा चुपचाप मधु और लकी से मिलने की सोच कर हज़ारीबाग गया . उसकी खोज खबर लेना चाहा तो उसे पता चला कि मधु अपने बेटे के साथ अचानक हज़ारीबाग छोड़ कर कहीं और दूर दराज़ चली गयी है . हीरा लौट आया .
इस बीच हुआ यूँ कि हीरा आरा की कचहरी में वकालत की प्रैक्टिस करने लगा था . इधर उसके ससुर को हीरा की पहली शादी की भनक मिली . उसके ससुर चुनाव जीत कर मंत्री बन गए थे . मधु को बार बार धमकी मिलने लगी थी कि वह हज़ारीबाग छोड़ दे और हीरा को भूल जाये वरना उसकी और लकी की खैर नहीं . एक बार लकी को अगवा भी किया गया . बाद में मधु द्वारा उनकी शर्तें मान लेने पर उसे छोड़ दिया गया . उसके बाद से मधु और लकी हज़ारीबाग में नहीं दिखे . मधु ने किसी दूर दराज़ जगह में अपना ट्रांसफर करा लिया था .
इस बीच करीब 30 साल बीत गए . मधु अब इस दुनिया में नहीं थी थी . एक दिन हीरा अपनी बीबी के साथ ट्रेन में सफर कर रहा था . उसके सामने वाली सीट पर एक नौजवान बैठा था . हीरा ने महसूस किया कि वह व्यक्ति बार बार उसे देख रहा था . हीरा ने देखा कि उस युवक के दोनों हाथों में छः छः अंगुलियाँ थीं . हीरा को याद आया कि उसके बेटे लकी के हाथों में छः अंगुलियाँ थीं . उसने युवक से बात कर उसके माता पिता की जानकारी लेनी चाही .
हीरा ने पूछा “ बेटे तुम्हारा नाम क्या है ? “
“ मेरा नाम मधुसूदन है . “
“ और कोई निकनेम है तुम्हारा ? “
“ हाँ , मुझे माँ प्यार से लकी कहती थी .”
“ तुम्हारे माता पिता आजकल कहाँ रहेत हैं . “
“ माँ अब इस दुनिया में नहीं रही . “ युवक ने कहा
“ और तुम्हारे पिता ? “
“ वह एक कापुरुष था , हमलोगों को छोड़ कर भाग गया . “
हीरा की पत्नी ने पूछा “ क्या तुम उसे जानते हो ? “
“ हाँ , वह कापुरुष मेरे सामने और आपकी बगल में ही बैठा है . “
हीरा और उसकी पत्नी आश्चर्य से एक दूसरे का मुख देखने लगे .
समाप्त