पिछले अंक में आपने पढ़ा कि हीरा बड़े भाई डॉ सोनी के ससुराल नौकरी की तलाश में गया। अब आगे ….
कहानी - कापुरुष भाग 2
हीरा अपने बड़े भाई डॉ सोनी के ससुराल गया . कुछ दिनों के लिए उसे वहीँ ठहरना भी था . डॉ सोनी के ससुर अच्छे ठाटबाट से रहते थे और हों क्यों न .आखिर सुरेश म्युनिसिपल कमिश्नर जो थे . हीरा के ठहरने के लिए भी एक अच्छा सा कमरा दिया गया . यहाँ की शान शौकत देख कर हीरा का मन सोचने लगा कि अच्छा होता यदि वह यहीं रह जाता पर उसे अपने डॉ भैया की बात याद आयी . उन्होंने कहा था कि दो चार दिनों से ज्यादा मेरे ससुराल में नहीं रुकना .
सुरेश ने हीरा से कहा “ कल तुम जा कर मॉडल स्कूल के प्रिंसिपल से मिलना . “ बोल कर उन्होंने हीरा को एक लिफाफा दिया और कहा “ इसमें तुम्हारी नियुक्ति का पत्र है .तुम्हारी नियुक्ति असिस्टेंट टीचर के पद पर हुई है . बाकी सब तुम्हें वही समझा देंगे . “
“ जी , थैंक्स . ‘ लिफाफा पकड़ते हुए हीरा ने कहा
फिर उसने लिफाफा खोल कर नियुक्ति पत्र को पढ़ा और कहा “ इसमें तो एड हॉक अपॉइंटमेंट लिखा है यानि टेम्पोरेरी है . जब चाहे वे लोग मुझे हटा देंगे . “
“ इसके लिए तुम डरो नहीं , पहले जा कर अपनी जोइनिंग तो दो . आमतौर पर वे लोग ऐसा ही करते हैं फिर तुम्हारी परफॉर्मेंस देख कर छः महीने के बाद तुम्हें स्थायी कर देंगे . “
“ आपको भरोसा है वे मुझे परमानेंट कर देंगे ? “
“ अरे भाई हाँ , तुम सवाल बहुत करते हो . जब तक मैं हूँ तुम्हें डरने की कोई बात नहीं है . आखिर स्कूल को हमसे भी बहुत कुछ सुविधाएं लेनी होती है , जैसे - बिजली पानी आदि . “
अगले ही दिन हीरा स्कूल गया और वहाँ उसने अपनी जोइनिंग दी . उसके भाई डॉ सोनी का फोन आया “ सुरेश बाबू ने बताया है कि तुमने ज्वाइन कर लिया है . बधाई हो पर जैसा कि मैंने पहले कहा है जल्द से जल्द तुम अपने लिए कोई अलग घर देख लो . “
“ ठीक है भैया , मैं कल से ही मकान खोजना शुरू कर देता हूँ . “
करीब दो सप्ताह के बाद उसने अपने लिए एक मकान देखा और वहीँ शिफ्ट कर गया . यह मकान उसे मधु की मदद से मिला था . स्कूल थोड़ी दूर था , उसे बस से जाना पड़ता था .लगभग प्रतिदिन बस में उसकी मुलाक़ात मधु से होती . दोनों का आना जाना एक ही बस से होता था . मधु एक सरकारी स्कूल में टीचर थी . हीरा का स्टॉप ही पहले आता था . मधु को दो स्टॉप आगे जाना होता था .
बस में बातचीत के दौरान हीरा ने मधु से अपने लिए एक मकान की जरूरत का जिक्र किया था . हालांकि वह दो चार दिनों के अंदर ही मकान चाहता था पर उसे दो सप्ताह बाद ही मकान मिला . यह मकान मधु की माँ का था . उसने अपने रहने के लिए अलग दो कमरे रख कर बीच में पार्टीशन कर बाकी चार कमरों में बॉयज हॉस्टल चला रखा था . उसमें एक कमरा अभी खाली था बाकी के कमरों में कॉलेज के छात्र रहते थे . हीरा को जो कमरा मिला था वह मेन रोड के ठीक सामने था और बाकी कमरों से अलग था .
हीरा को हज़ारीबाग बहुत अच्छी जगह लगी और क्यों न हो . शहर होते हुए भी शहर जैसी भीड़भाड़ , शोरगुल नहीं , शांत वातावरण . हज़ारीबाग प्रकृति की गोद में बसा एक शहर है , यहाँ पहाड़ियाँ , जंगल , झील , झरने सभी देखने को मिलेंगे .
रोजाना एक ही बस से आने जाने के कारण हीरा और मधु में अच्छी दोस्ती हो चली थी . कभी किसी का क्लास पहले खत्म हो भी जाता तो वह दूसरे के लिए इन्तजार कर एक ही बस से लौटता था . धीरे धीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदलने लगी . मधु अब स्वयं हीरा का खाना ले कर उसके रूम में जाती और दोनों देर तक आपस में बातें करते . मधु हीरा के साथ अपने भविष्य के सपने देखने लगी थी .
हीरा और मधु के प्यार की भनक जब मधु की माँ रमा को लगी तब उसने बेटी से पूछा “ क्या तुम हीरा को चाहने लगी हो ? “
मधु ने शरम से आँखें नीचे कर ली पर बोली कुछ नहीं . रमा ने कहा “ तुमने उसके परिवार के बारे में जानने की कोशिश की है ? हमलोग ब्राह्मण हैं , उसकी जाति क्या है ? उसका वेतन कितना है ? “
“ इतना सब अभी मैं नहीं जानती हूँ पर इतना कह सकती हूँ कि वह एक नेकदिल इंसान है और एक अच्छे परिवार से है . “
“ और कहाँ का रहने वाला है ? “
“ वह आरा जिला का रहने वाला है . “
“ जहाँ तक मैंने सुना है वहां के लोग बड़े रफ एंड टफ होते हैं . “
यह सुन कर मधु हँस पड़ी , उसे हँसते देख माँ ने फिर कहा “ सिर्फ हँसने से काम नहीं चलेगा . अभी तक तुमने उसके बारे में जितना बताया है उस से मैं संतुष्ट नहीं हूँ . इसलिए मेरी तरफ से अभी हाँ नहीं है . उसके बारे में और पता करो तब मैं इस विषय पर सोच सकती हूँ .बेहतर होगा फिलहाल उससे बहुत ज्यादा नजदीकी नहीं बना . “
मधु सरकारी स्कूल में टीचर थी . उसने लोन ले कर एक स्कूटी ले लिया . अब अक्सर हीरा भी उसी के साथ स्कूल जाया करता .मधु एक रात हीरा का डिनर पहुंचाने उसके रूम में गयी थी तभी बिजली चली गयी . रमा ने उठ कर मोमबत्ती जलायी . मोमबत्ती बस इतनी ही बची थी कि हीरा के डिनर तक किसी तरह जल कर बुझ गयी . दोनों कुछ देर बातें करते रहे इस बीच मधु ने हीरा के परिवार के बारे में कुछ जानकारी ली .
हीरा ने पूछा “ क्या बात है , शादी जल्दी ही करनी है क्या ? “
“ धत , वो तो मम्मी ने मुझसे कुछ पूछा तुम्हारे बारे में और मैं उसे बता न सकी थी इसलिए पूछ बैठी . “
“ बात तो वही हुई न , माँ बेटी दोनों को शादी की जल्दीबाजी है . हैं न ? सच बोलो . “
फिर अचानक हीरा ने मधु को अपनी बाहों में ले लिया . कुछ देर बाद दोनों को कुछ होश न रहा , दोनों अद्वैत हो चुके थे . होश में आने बाद मधु ने कहा “ ये क्या किया तुमने ? “
हीरा ने कहा “ घबराने की बात नहीं है , मैं जल्द ही तुमसे शादी करने जा रहा हूँ . “
“ फिर भी जो हुआ वह सर्वदा अनुचित था , ऐसा नहीं होना चाहिए था . “ मधु ने सहमते हुए अपने को सहज करते हुए कहा
दो दिन बाद रमा की माँ ने फिर पूछा “ तुमने हीरा के परिवार के बारे में कुछ पता किया या नहीं ? “
“ मैंने उस से बात की है . उसने कसम ले कर सब कुछ बता दिया है माँ . एक बड़ा भाई डॉक्टर है , दूसरा दिल्ली में सीनियर सरकारी अफसर है . उस से छोटा अभी बी ए में पढ़ रहा है . “
“ और उसकी अपनी पगार कितनी है ? “
“ उसकी पगार कहने को तो 12000 रूपये हैं पर प्राइवेट स्कूल वाले अक्सर वेतन कम देते हैं पर सिग्नेचर ज्यादा पर करवाते हैं . “
“ मतलब साफ़ साफ बताओ . उसके हाथ में कितना मिलता है ? “
“ मम्मी वह बोलता है कि कभी आठ तो कभी नौ हजार पर साइन करवाते हैं वो लोग . “
“ तब इतने वेतन में वह अपनी गृहस्थी का बोझ उठा सकता है क्या ? तेरा पे तो उस से दोगुना ज्यादा है . तुम्हीं पर ज्यादा बोझ पड़ेगा . “
“ माँ शादी के बाद हम दो नहीं एक हो जायेंगे . जिंदगी के सभी दायित्त्व दोनों मिल कर निभाएंगे . “
“ कहीं हीरा तुम्हें बेवकूफ तो नहीं बना रहा है ? मुझे लगता है वह जानबूझ कर तुम्हें फंसा रहा है ताकि तुम्हारी कमाई पर मौज कर सके . “
“ नहीं मम्मी ऐसा कुछ नहीं है , वह दिल से हमें चाहता है और मैं भी उसे उतना ही चाहती हूँ . “
“ सोच ले फिर से , अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है . तुम्हें तो रिटायरमेंट के बाद जिंदगी भर पेंशन भी मिलेगा और उसका क्या . प्राइवेट नौकरी है , न जाने कब नौकरी से हाथ धोना पड़े . “
“ तुम बेकार का ऐसा सोच रही हो . मेरी नौकरी तो पक्की है न . हम दोनों मिल कर गृहस्थी अच्छी तरह चला सकते हैं . “
“ ठीक है , उस से कहो अपने घर वालों से बात कर शादी के बारे में जल्दी कोई फैसला ले . “
क्रमशः