The New Moon - 1 karan kumar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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The New Moon - 1




साहिल शहर में रहने 10साल का लड़का था।
जो अपने घर के पास के ही एक स्कूल में 6th कक्षा में पढ़ता था। उसका घर स्कूल से 10 मिनट की दुरी पर ही था। जिसकी वजह से वो अक्सर स्कूल पैदल अपनी ही मस्ती में चल कर ही जाया करता था।

आज स्कूल से छुट्टी होने पर वो अपनी ही मस्ती में
हर बार की तरह घर आ रहा था।

साहिल जैसे ही घर पहुंचता है तो अपनी मम्मी (निशा रानी)को सामान बॉक्स में पैक करते हुए देख उसने वजह पूछी तो उसे पता चलता है की उसके पापा नरेश कुमार जो शहर के एक सरकारी बैंक में मैनेजर है।
जिनका ट्रान्सफर यहां से कहीं दूर एक छोटे से क़स्बे में हो गया है।
और कल ही उन सब यहां से जाना होगा।

साहिल अपनी मम्मी से "वैसे पापा का ट्रान्सफर कौन से कस्बें में हुआ है। क्या वो इस शहर की तरह खुबसूरत है क्या "

मम्मी "ये तो पता नही पर सुना है वो पहाड़ों के बीच में है "

साहिल अचम्भे से "क्या सच में मम्मी पापा को कहना की हम भी पहाड़ के ऊपर वाला घर लेंगे। जहां से पूरा क़स्बा दिखे"

मम्मी हँसते हुए " अरे हाँ बाबा हाँ वही घर लेंगे । चलो पहले मेरी थोड़ी सहायता करवाओ पैकिंग में , बहुत सारा काम बाकि रहता है।"

साहिल भी अपनी मम्मी की साथ सहायता करने लगता है। सामान की पैकिंग करते करते के 8 कब बज जाते है उन्हें पता भी नही चलता और थोड़ी देर बाद साहिल के पापा भी आ जाते है।

और फिर अब तक जितने भी सवाल साहिल के मन में थे सब एक साथ पूछ डालता है अपने पापा से
साहिल "पापा मैंने सुना है जिस कस्बे में हम जा रहे है वो पहाड़ों के बीच में है क्या सच है ये।

पापा " हाँ बेटा सच है ये "
चलो अब काम पर लग जाओ हमे सुबह जाना भी है।

सारा दिन और पूरी रात इसी तरह से समान को इकट्ठा करने और पैकिंग करने में गुजर जाती है।
रात के 2 कब बज जाते है पता भी नहीं चलता
तैयारी कर सभी सोने चले जाते है।

अगली सुबह उठते ही सब दोबारा काम पर लग जाते है।
पापा साहिल की मम्मी से " सुनो अभी गाड़ी आने वाली है उसमे सारा समान रखवा कर हम बाद में अपनी गाड़ी में चले जाएगे। 3 घंटे का सफर है तो थोडा खाने का सामान साथ में रख लेना वरना साहिल को जानती ही हो"

इतने में गाडी आ जाती है पूरा सामान उसमे रखवाकर
वो सभी अपनी गाड़ी से चले जाते है

3 घंटे का सफर था पर रास्ता खराब होने के चलते
उनको 5 घंटे लग जाते है।

वहां पहुंचकर साहिल देखता है की पहाड़ के सबसे वाले ऊपर उन्ही का मकान था जो दिखने में थोडा पुराना भले ही था।पर आज भी बहुत सुन्दर दिख रहा था।
जिसके आस पास का नजारा देखने लायक था। घर की बालकनी से पूरा कस्बा दिखाई देता था। दूर होने के बावजूद पहाड़ पहुंच खूबसूरत दिख रहे थे।

साहिल जल्दी से गाडी से उतरता है और घर के अंदर भाग जाता है।
पापा उसकी मम्मी से " लगता है साहिल को ये घर सच में
बहुत पसन्द आएगा तभी तो देखो कितना खुश लग रहा है"

उसके पापा आने से पहले घर की साफ सफाई करवा दी थी। उनको बस सामान ही सजाने था।
शाम तक सब सामान सेट हो जाता है।
साहिल पापा चलो ना हम बाजार घूमकर आते है ।
साथ में ice crem भी ले आएगे।
और वो दोनों बाज़ार चले जाते है ।

उसकी मम्मी किचन में खाना पका रही थी
की उसकी मम्मी को घर में एक अजीब सी महक आने लगती है। और तभी कुछ टूटने की आवाज आती है।
जैसे ही उसकी मम्मी बाहर आती है देखती है की दिवार पर लगी उनकी फ़ोटो निचे गिर टूट गयी थी।

मम्मी खुद से ही बड़बड़ाने लगी है" इनको किले भी ढंग से लगानी नही आती देखो ये फ़ोटो भी गिर कर टूट गयी।

तभी रसोई से कुछ गिरने की आवाज आई अंदर जाकर देखती है तो दूध का पतीला निचे गिरा हुआ था।

निशा जी " अब इसको क्या हुआ है ये कैसे निचे गिर गया।
तभी सामने खिड़की पर निशा जी काली बिल्ली को बैठी देख थोडा डर जाती है। और उनको कुछ अच्छा नही लगता ।

इतने में साहिल और उसके पापा भी आ जाते है ।
निशा सब कुछ भूल जाती है और सब एक साथ डिनर करते है थोड़ी देर बाद बाते करते हुए ice cream खा सो जाते है।

घर में आने के 2 3 दिन बाद निशा जी को अजीब सी घटनाए महसूस होने लगती है।
पर पहले तो वह इन सब को नजर अंदाज़ कर देती है।
पर कभी कभी उसे घर में उनके अलावा किसी और के होने का भी एहसास होता है।

उसको लगता है की कोई उसे देख रहा है। जैसे उसके पास ही खड़ा है।

एक दिन साहिल अपनी मम्मी को कहता है
"मम्मी आप मेरे रूम के बाथरूम में नहाने आई थी
और वो भी लाल रंग की साडी में ।
पर आप इतनी जल्दी नीचे कैसे आई।"

निशा "पर में तो ऊपर तुम्हारे रूम में गयी ही नही
कब से यही काम कर रही हूँ। और में तो साडी कभी लभी पहनती हूँ। जब कही जाना हो जरूर तुमको कोई वहम हुआ है। पर इतना कहने के बाद उसकी मम्मी भी थोडा डर जाती है जो चेहरे पर नजर आता है।

तभी साहिल हँसने लग जाता है। और
" मम्मी सॉरी में मजाक कर रहा था।"
निशा जी " भाग यहाँ से नालायक डरा दिया तूने"

साहिल हँसकर वापस जाने लगता है
तभी उसको दिवार के ऊपर लगे में शीशे में सच में औरत दिखती है जो उसकी मम्मी के पास में खड़ी होती है।
और वो डर के मारे जोर से चिल्लाता है।

पर उसकी मम्मी को नाटक समझ उस भगा देती है ।
और उसकी बात पर विश्वास नही करती।
पर साहिल सच में डर जाता है।

पर वो भी सिर्फ वहम मान नजर अंदाज़ कर देता है
पर उसको मम्मी को कहीं ना कहीं।
उसमे सच नजर आता है। क्योंकि उसकी मम्मी को अक्सर पास में किसी के होने का अहसास होता रहता है

इसी तरह कुछ दिन गुजर जाते है।
और साहिल को वही औरत दिखाई देती है कभी वह चीखता है और कभी शांत हो एक कोने में बैठ बड़बड़ाने लगता है उसके व्यव्हार में परिवर्तन आ जाता है।
उसको ऐसा देखएक दिन फिर उसके पापा उसको बाज़ार में ले और एक रिमोट वाली कार दिलाते है ताकि
वह भ्रम से बाहर आए।

कुछ दिन ऐसे ही गुजर जाते है।
साहिल के पापा तो काम में व्यस्त रहते है पर निशा को
साहिल व्यवहार और ख़ामोशी अजीब लगती है

एक शाम बारिश का मौसम था और आसमान में बिजली कड़कने की आवाज आ रही थी। साथ में तेज हवा भी चल रही थी। ऊपर से ये आती जाती लाइट डरावना
माहौल बना रही थी।
साहिल बालकनी में खड़ा और क़स्बे को देख रहा था।
इतने में साहिल जोर से चिल्लाता है " मम्मी ई ई ई ई ई ई"

निशा जी भाग कर ऊपर अाती है और देखती है
साहिल एक कोने में डरा सहमा सा बैठा था।
और थोड़ी दूर ही उसकी वो रिमोट वाली कार भी टूटी हुई पड़ी थी।

अपनी मम्मी को देख साहिल उनके गले लग जाता है
और कहता है " माँ वो अभी यही थी उसके हाथ में एक चाकू भी था जिस पर खून लगा हुआ था ।
उसने मेरी गाड़ी भी तोड़े दी। मुझे अपने साथ लेकर जाए गई ऐसा बोला भी।"

निशा जी " ऐसा कुछ नही है बेटा में हूँ ना तेरे पास वो ऐसा कुछ नहीं कर सकती ।
और वो अपने बेटे को लेकर नीचे आ जाती है।
साहिल डर के मारे अपनी मम्मी से ही लिपटा रहता है। वो
दोनों ऐसे ही बैठे रहते है।

इतने में उसके पापा आ जाते है और और दिन में जो भी हुआ वो उसकी मम्मी उसके पापा को बता देती है।


तो दोस्तों कैसी लग रही है आपको साहिल और उस आत्मा की ये कहानी जरूर बताए।
""ये कहानी पूर्णतय काल्पनिक है""
धन्यवाद।



From :- Karan Mahich