सायरी हर पल की बाते Harshad Limbachiya द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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सायरी हर पल की बाते

तुम तो जानते थे फिर क्यों ऐसा किया
मेरी आंखे पठ लेते थे बिना कहे फिर क्यों
नही पढ़े ,,,,,, ,,,
अब क्यों आशु गिर ने लगे सितारों से
आसमान से क्या जुदा कर दिया तुम को भी
आशियाना खो दिए तुम क्या ,,,,,,,
क्यों ऐसा किया
क्यों ऐसा किया ,,,,,,,,,,,,,,??????

(२) रास्ता
तू चले मत रुक
तूझे चलना हे
रूक कर क्या करे गा
रास्ते पे देख खिड़की भी आज सुनी सी हे
देख ये बे जुबान आज गा रही है दिल की जुबान देख
ये रास्ता है मत रुक ।
तूझे चलना हे मत रखना


(३) खिड़की
देख उस खिड़की को मिट्टी के जाले पड़े हुए है
ऐसा लगता है कि आज घर सुना हे
गुलाबी चेहरा आज सुन हो गया हे ये देख कर
घर से सब चले गए हे
वो खिड़की नही है दोस्तो
वो तो मेरा आईना था
आज उसमे हम ना जाने खो गए हे। ,,,,,,,,,,




(४)। टेबल
देख बोला रहा है ऐसा लग रहा ये टेबल
जान नही है फिर मेरे हर लब्ज़ सुन ने लगा हे ये टेबल
कलम कागज और ये टेबल मिल कर ही
तेरी कहानी लिखा। ते ये मुझसे ,,,,,
एक। टेबल ,,,,,
,

.(5)


बिना कहे फिर भी केह रही हे वो
बिना कहे दर्द बाट रही हैं वो आज कल
वे एहसास ही काफी है मेरे लिए आज कल

क्यों हर एक लब्ज़ में अब सामिल हुई है वो।


(६)
तुम तो जानते थे फिर क्यों ऐसा किया
मेरी आंखे पठ लेते थे बिना कहे फिर क्यों
नही पढ़े ,,,,,, ,,,
अब क्यों आशु गिर ने लगे सितारों से
आसमान से क्या जुदा कर दिया तुम को भी
आशियाना खो दिए तुम क्या ,,,,,,,
क्यों ऐसा किया
क्यों ऐसा किया ,,,,,,,,,,,,,,??????

(२) रास्ता
तू चले मत रुक
तूझे चलना हे
रूक कर क्या करे गा
रास्ते पे देख खिड़की भी आज सुनी सी हे
देख ये बे जुबान आज गा रही है दिल की जुबान देख
ये रास्ता है मत रुक ।
तूझे चलना हे मत रखना


(३) खिड़की
देख उस खिड़की को मिट्टी के जाले पड़े हुए है
ऐसा लगता है कि आज घर सुना हे
गुलाबी चेहरा आज सुन हो गया हे ये देख कर
घर से सब चले गए हे
वो खिड़की नही है दोस्तो
वो तो मेरा आईना था
आज उसमे हम ना जाने खो गए हे। ,,,,,,,,,,




(४)। टेबल
देख बोला रहा है ऐसा लग रहा ये टेबल
जान नही है फिर मेरे हर लब्ज़ सुन ने लगा हे ये टेबल
कलम कागज और ये टेबल मिल कर ही
तेरी कहानी लिखा। ते ये मुझसे ,,,,,
एक। टेबल ,,,,,
,

(5)

तेरे आने का आज एहसाश लगा
फिर एक बार सिलसिला शुरू हुआ
तेरा रूठना मेरा मनाना शुरू हुआ
तेरे आने का आज एहसाश लगा


हलकी हलकी सी मुस्कराहट चेहरे पे सज ने लगी
तेरे आने का एहसाश


(६)



एक याद
एक हदसे के बाद याद आवे हो ....
क्या बाक़ी हे जो देने आवे हों ...
एक हदसे के बाद याद आवे हों

बारिश मे भीग रहा हु या आशु ओ से
ये भी कहा खबर हे तुम को
फिकर करने का क्यू बहाना बता रही हो
देखों सुज गई हे दो नो आखे इतर्जार मे तेरे
एक हदसे के बाद याद आवे हो ....
क्या बाक़ी हे जो देने आवे हों ...

चल के आने वाले हो या रुक ने आने वाले हो
कही एसा ना तुमारे पहले हुम कानथे पे चल दे ?????