Exploring east india and Bhutan... - Part 9 Arun Singla द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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Exploring east india and Bhutan... - Part 9

Exploring East India and Bhutan Chapter - 9

 

छटा दिन

“उठो और मानसी को भी जल्दी तेयार होने को कहो “ मेने सुबह उठ कर, विनीता को हिलाते हुए कहा.

“सोने दो, रात कितनी देर से सोये थे“ विनीता ने अपने आप को ब्लंकेट में समेट लिया

“उठो या में भी बिस्तर में आता हूँ”

“तुम जरा रुको” विनता ने तकिया गोली की तरह मेरी तरफ फेंका

“चलो, बस 10 मिनट दिए” मेने अपनी जान बचाई

 

फिर विनीता ने उठकर पहले मानसी को कॉल किया

“वह फ़ोन नही उठा रही“

“कोई बात नही, बाथरूम में होगी“ मेने अंदाजा लगाया

 

फिर तेयार हो कर हम उसके रूम में गये तो वह लॉक था, रिसेप्शन से पता चला, मानसी चेक आउट करके जा चुकी है, एक पल को हम हक्के बक्के रह गये. अब रात की सारी कहानी हमारी आँखों के सामने घूम गई, उसने कहा तो था कि सुबह जायगी, पर बिना कुछ कहे, बिना बोले जायेगी, यह बात गले से नीचे नही उतर रही थी. हम दोनों एक दुसरे को देख रहे थे.

 

“परदेशियों से ना दिल को लगाना” मेने माहोल को हल्का करने के लिए कहा, पर विनीता का इस पर कोई असर नही हुआ, वह गंभीर मुद्रा में कुछ सोच रही थी.

“चलो, प्रोग्राम के अनुसार आगे चलते हैं” फिर अचानक विनीता ने फेसला सुनाया.

 

और प्रोग्राम इस तरह था :

 

हमारे पहले से तय प्रोग्राम के अनुसार, आज हमें  LACHEN जाना है, जो की गंगटोक से लगभग 114 km की दूरी पर है, पर सारा रास्ता पहाडी होने के कारण 4.30 घंटे का समय लग जाता है. लाचेन कसबे की समुंदर तट से उंचाई लगभग 9020 ft है, यानी यहाँ मौसम एकदम सर्द रहता है, फिर लाचेन से 66 km की दूरी तय करके Gurudongmar Lake देखने जाना है, जोकि  विश्व की सबसे ऊँची झील है व् इसकी समुंदर तट से उंचाई 17800 ft है. विश्व की सबसे ऊँची झील प्राक्रतिक अजूबा होने के साथ-साथ Buddhists, Sikhs और  Hindus का धार्मिक स्थल भी है.

 

Gurudongmar Lake से लगभग 113 km की दूरी पर तिब्बती सीमा के पास एक पहाड़ी गाँव लाचुंग है, रात को  हमे यहीं रुकना है. लाचुंग अपने झरनों, देवदार के जंगलों और गर्म झरनों के लिए भी जाना जाता है.

यहाँ एक विशेष उल्लेखनीय बात है, कि सिक्किम राज्य के लाचेन और लाचुंग  गांवों में  एक पारंपरिक प्रशासनिक प्रणाली Dzumsa (dzoms-sa) चलती है, इसे यहाँ के स्थानीय लोग ही चलाते हैं.

यहाँ समुदाय की अध्यक्षता करने के लिए एक मुखिया चुना जाता है, जिसे “पिपोन” कहा जाता है. और समुदाय के सभी विवादों का फेसला पिपोन ही कारता है.

 

उससे अगले दिन सुबह हमे लाचुंग से 26 KM की दूरी  पर मशहूर Yumthang Valley  या Sikkim Valley जाना है, जो की लगभग 16000 ft की उचाई पर है. युमथांग घाटी कहो या फूलों की घाटी, इसके गर्म झरने और आस पास घूमते हुए याक, चारों तरफ नजर आने वाले हिमालय के पहाड़, सब दुर्लभ नजारें हैं.

 

रात को लाचुंग में ही रुक कर सुबह गंगटोक आ कर, Nathu La Pass पर जाना था, जो कि इंडिया व चीन का बॉर्डर है, व लगभग 14166 ft की उंचाई पर स्थित है. ये तीनो स्थान, यानी लाचेन, लाचुंग व् नाथुला बहुत ज्यादा उंचाई पर हैं, और सर्दियों में स्नो फल होने की वजह से इनके रास्ते बाद रहते हैं, परन्तु अभी तो मार्च का महिना चल रहा था, और प्रोग्राम  के अनुसार सभी होटल पहले ही बुक कर लिए गए थे, पेमेंट कर दी गई थी, ये Trip 2 रात, 3 दिन की थी.

                                                                                                                                                                                                              परंतु कहानी में टविस्ट आ गया, जो कि लम्बे टूर प्रोग्राम  में आमतौर पर आ जाता है, हुआ ये की जो आकस्मिक स्नो फॉल मिरिक से शुरू हुआ था, वह खत्म होने का नाम ही नही ले रहा रहा था, और इस हैवी स्नो फाल के कारण आगे के रास्ते बंद हो गये थे. मार्च ओर स्नो फाल,कर लो प्लानिंग.

 

ज्ञान सूत्र : यहां तो आकस्मिक स्नो फॉल हो गई, बेहतर है, टूर पर चलने से पहले संबंधित होटल से फ़ोन करके रास्तों के बारे पता कर लें । ट्रेवल्स एजेंसी कई बार गलत सूचना दे देती हैं । वे टूर बुक कर लेते हैं, ये जानते हुए भी कि, रास्ते बंद है, ओर वेन्यू पर जा कर बताते हैं : "मजबूरी है,गाड़ी यहीं तक जाएगी"