तारीख 24 और जनवरी का महीना था पूरी कड़ाके की ठण्ड पड़ रही थी।
एक 60 62 साल का व्यक्ति पिछले 2 घंटे से बार बार घडी को देख रहा था। पर इस बार घडी को देख उसकी आँखों में चमक सी आ गयी।और वो जल्दी से उठ तैयार होने लगता है ।
क्योंकि आज पुरे एक साल बाद उनका बेटा राजेश घर आ रहा था । वो इंडियन आर्मी में था।और छुटियों में घर आने वाला था।
तभी उसकी पत्नी " लगता है सुबह के 7 बजने वाले है "
आदमी " हाँ बजने वाले है और तुम जल्दी से उठ कर मेरे लिए एक कप चाय बना दो। ट्रैन आने वाली है कहीं में लेट न हो जाऊं "
"अरे तो ट्रैन कोनसी आपके बेटे को ले जाएगी । और
वो ट्रेन से उतर कर आपका इंतजार करेगा उसको पता है
आपको उसको लेने जरूर आओगे।" उसकी पति लगता बोल रही थी।
आदमी " धीरे भाग्यवन अगर गौरव उठ गया न तो ये भी साथ जाने की जिद करेगा"
तभी उनके कान में आवाज पड़ती है "वो तो में करूँगा ही और आपके साथ भी जाऊंगा"
ये गौरव था जिसकी उम्र 6 साल थी । यह उस आदमी का पोता। जिसके पापा आर्मी में है जो आज काफी समय बाद घर आने वाले थे । एक साल पहले इसकी माँ की मृत्यु हो गयी थी। उसके बाद दादा दादी ही इसे पाल रहे थे।
" नही बेटा बाहर बहुत ठण्ड है। तुमको ठण्ड लग जाएगी"
वह आदमी अपने पोते को समझ रहा था
पर वह साथ जाने पर अड़ा था।
आखिर में आदमी हर मान लेता है और अपने पोते को आगे बैठा कर मोटरसाइकिल ले स्टेशन की तरफ चल पड़ता है।
अभी ट्रैन आई नही थी।
दोनों पास में लगी एक बैंच पर बैठ ट्रैन का इंतजार करने लगते है।
तभी गौरव की नजर एक लड़के पर पड़ती है जो हाथ में बहुत से छोटे तिरंगे लिए हुए थे और सबके पास जा कर उन्हें बेच रहा था। थोड़ी देर बाद वो उनके पास भी आता है और उनको लेने की लिए पूछता है।
गौरव अपने दादु से " दादु मुझे भी दिलवा दो न एक तिरंगा हम अपनी मोटरसाइकिल पर लगाएंगे"
ददूसकी तरफ प्यार से देखते है और कहते है
" बेटा ये तिरंगा हमारे देश की शान है इसकी रक्षा के लिए ना जाने कितने फौजी शहीद होते है और इसको कभी झुकने नही देते। आज में तुमको ये तिरंगा दिलवा दूँगा।
पर कल जब तुम इसको इधर उधर गिरा दोगे जिससे इसका अपमान होगा जो मुझे बिलकुल भी अच्छा नही लगेगा। जब तुमको इसकी अहमियत पता चले गई तब ले लेना। "
तभी ट्रैन आ जाती है और गौरव डिब्बे से अपने पापा को
उतरते हुए देख
"दादु वो रहे पापा " कहते हुए दौड़ कर उनके पास चला जाता है और उनकी गोदी में चढ़ जाता है।
राजेश आपने पापा को नमस्ते करता है और अपने घर की तरफ चल पड़ते है।
घर पहुंचकर राजेश अपनी माँ को नमस्ते करता है और फ्रेश होने चला जाता है आने के बाद सब चाय पिने लगते है।
दो दिन 26 जनवरी के दिन गौरव अपने पापा से शहर के स्टेडियम में होने वाले 26 जनवरी के कार्यक्रम को देखने की जिद करता है ।
उसके पापा दादा और दादी सभी कार्यक्रम देखने चले जाते है।
वहां होने वाले स्कूल के बच्चों के कार्यक्रम वहां के परेड देख गौरव खुश जाता है और उसे ये सब बहुत अच्छा लगता है।
कार्यक्रम ख़त्म होने के बाद जब सब अपने घर जाने लगते है ।
गौरव के आइस क्रीम खाने की कहने पर उसके पापा उन सभी को आइसक्रीम खिलाने ले जाते है।
तभी गौरव की नजर सामने सड़क भी बिखरे हुए तिरंगों झंडो पर पड़ती है। उन्हें देख उसको अपने दादु की बात याद आ जाती है। लोग उनपर पैर रख जा रहे थे उनका अपमान कर रहे थे।
ये देख गौरव को बहुत बुरा लगता है।
और वो सड़क पर बिखरे हुए तिरंगों झंडो को एक एक कर उठाने लगता है।
वहां गौरव के पापा आइसक्रीम लेकर सबको देते है
और गौरव का पूछते है।
गौरव को पास ना पाकर सब उसे इधर उधर ढूंढने लगे।
तभी दादु को गौरव सामने सड़क पर तिरंगे इकठे करते हुए नजर आता है।
दादु को वह बात याद आ जाती है और उनको अपने पोते पर गर्व होता है। इतना छोटा होने के बाद भी देश के प्रति उसके मन में सम्मान को देखकर।
वहां उसके पापा को भी अपने बेटे पर आज गर्व होता है।
उसके पापा और दादु भी उसके साथ तिरंगे झंडे उठाने लगते है।
देखते ही देखते बहुत से लोग उन्हें देख इस काम में लग जाते है। और थोड़ी देर में ही सड़क पर एक भी तिरंगा झंडा गिरा हुआ नजर नही आता ।
और सब लोग उस 6 साल के बच्चे की तारीफ करते है।
उसके मन में जो देश प्रेम की भावना है उसको सलाम करते है।
तभी दादु कहीं जाते है और हाथ में एक वैसा ही छोटा तिरंगा लेकर आते है ।और उसको दे देते है
" बेटा आज तुम इसके असली हकदार हो ।
वहां सब देख रहे थे किसी ने भी उन झंडो को नही उठाया लेकिन तुमने ऐसा काम कर साबित कर दिया की कुछ करने के लिए उम्र की जरूरत नही होती "
कहते कहते उनकी आँखे नम हो जाती है।
अलमारी में उस तिरंगे को देख फिर से उसकी यादें ताजा हो गयी थी।
जब भी इस तिरंगे को देखता हूँ यादे ताजा हो जाती है इस बात को 22 साल हो गए थे आज भी इस झंडे को उसने अपनी जान से ज्यादा सम्भाल कर रखा
है
15 aug हो या 26 जनवरी से पहले आपको सड़को पर बहुत से ऐसे तिरंगे झंडे बेचने वाले मिल जाएंगे।
अपने देश प्रेम को दिखने के लिए कुछ दूसरों को देख कर
झंडा ले लेते है। फिर बाद में वही झंडे सड़क पर गिरे हुए मिलते है। ये देख बहुत बुरा लगता है ।
अगर आप उस झंडे को सम्भाल नही सकते आप उसका सम्मान नही लर सकते तो किसी को दिखने के लिए झंडे मत खरीदिये।
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From :- karan mahich