दर्द ए इश्क - 32 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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दर्द ए इश्क - 32

विकी जब सुबह उठा तो सूझी बेड पे नहीं थी! वह अपने कमरे में चारों और देखता है! लेकिन सूझी कहीं पर नहीं थी। इसलिए जल्दी से वह अपने कमरे का दरवाजा खोलते हुए जब वह नीचे हॉल में देखता है तो चैन की सांस आती है। सूझी वहां सब के साथ बैठके नाश्ता कर रही थी। कल रात की घटना के बाद तो विकी रात में कई बार उठकर देख रहा था की कही कुछ हुआ तो नहीं!.। विकी चैन की सांस लेते हुए! नीचे! जाता है। वह सीढियां उतरते हुए! डाइनिंग टेबल के नजदीक पहुंचता है तभी सब की नजर विकी की ओर से हट कर विकी की ओर पड़ती है। सूझी मुस्कुराते हुए कहती है।

सुझी: गुडमॉर्निंग! ।
विकी: ( चेयर पर बैठते हुए ) गुडमॉर्निंग! ।
सूझी: वैसे क्या बात है! आज विक्रम ठाकुर और वो भी पूरे कपड़ों में वर्ना तो जब देखो तब शर्ट लेस घूमते रहते हो ( धीरे से विकी को कहते हुए ।) ।
विकी: ( मुस्कुराते हुए! मजाकिया लहजे में ) क्यों! तुम मेरी हॉट बॉडी मिस कर रही हो! कहो तो अभी उतार देता हूं! नेकी के काम में मैं कभी देरी नहीं करता!।
सूझी: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) यूं.... फॉरगेट इट! ।
विकी: ( हंसते हुए! जूस का ग्लास भरने लगता है।) ।
सूझी: वैसे विकी! कल रात को तुम कहीं गए थे क्या!? क्योंकि तुम रात को काफी लेट आए थे तुम और फिर पूरी स्लीव की शर्ट! कौन सा नशा करके आए हो! ? ।
विकी: ( जूस पीते हुए ) मैं तो कमरे में ही था! उल्टा तुम जल्दी सो गई थी! नींद में तुम्हे पता ही नहीं चला की मैं तुम्हारे बगल में ही सोया हुआ था।
सूझी: व्हाटएवर ( कहके नाश्ता करने लगती हैं । ) ।
विकी: ( चैन की सांस लेते हुए वह नाश्ता करने लगता है। ) ।
सूझी: सो! अंकल यूके ट्रिप का क्या प्लान है!? परसो तक तो आप लोग चले भी जाएंगे!? ।
धर्मानंद: ( चाय पीते हुए ) नहीं! बेटा वो कैंसल हो गई! वो कुछ इंपोर्टेंट मेहमान आए है तो शायद कुछ दिन बाद जाना होगा! और फिर एक जरूरी काम भी आ गया है अचानक से तो ( विकी की ओर देखते हुए ) अभी के लिए पोजपोन कर दिया है।
सूझी: ( ब्रेड बटर खाते हुए ) ओह! ।
प्रेमा: वो छोड़ो तुम लॉग शॉपिंग पर कब जा रहे हो! शादी के लिए कोई ड्रेस देखा या नहीं!? ।
सूझी: ( खांसते हुए ) आई डोंट नो! अभी तक कुछ सोचा नहीं हमने! ।
विकी: ( पानी का ग्लास देते हुए ) मॉम सुबह सुबह ये टॉपिक ना छेड़े! प्लीज ।
प्रेमा: अरे! पर..! ।
विकी: मॉम प्लीज...! सुबह सुबह शॉपिंग की बात तो बिलकुल भी नहीं ।
प्रेमा: ( मुस्कुराते हुए वहां से किचेन में प्लेट रखने चली जाती हैं .! ) ।
विकी: डेड! सुलतान आ गया क्या!? ।
धर्मानंद: नहीं! अभी तो नहीं! लेकिन आज सुबह उसके आदमी का कॉल आया था की दोपहर तक सुल्तान आने वाला हैं।
विकी: ( खड़े होते हुए ) सच मे!? ।
धर्मानंद: ( सिर को हां में हिलाते हुए ) ।
विकी: ( खुश होते हुए ) फिर तो मैं उसके लिए कमरा तैयार करवाता हूं! ।
धर्मानंद: मैने अलरेडी नौकरों कह दिया है! तुम्हे करने की कोई जरूरत नहीं!..।
विकी: नहीं आपको नहीं पता! उसे किस चीज से एलर्जी है और कैसा रूम उसे पसंद है उसे! मुझे खुद ही उन लोगों को बताना पड़ेगा ( इतना कहते ही वह गेस्ट रूम की ओर चला जाता है।

सूझी और धर्मानंद दोनों ही आश्चर्य में विकी की ओर देख रहे थे! की विकी ऐसे व्यवहार करते हुए पहली बार देखा था। वो भी किसी को मिलने के लिए इतना उत्सुक होना!... मानो कोई सबसे अजीज इंसान हो सुल्तान उसके लिए! । धर्मानंद भी आश्चर्य में सिर को ना में हिलाते हुए! घर से निकल जाता है! । सूझी भी अपना नाश्ता खत्म करके अपने घर के लिए निकल जाती है। दूसरी ओर विकी बाकी नोकरो को सारी बाते बता रहा था की कौन सी चीज़ कहां रखनी है और कमरा कैसे तैयार करना है!। वह छोटी से छोटी बात का ध्यान रख रहा था की जिस से सुल्तान को कोई तकलीफ ना हो! । आज पहली बार उसे सुलतान की खातिरदारी करने का मौका मिला है तो वह कोई भी कमी नहीं रखना चाहता था। जब विकी लंदन में था तब सुलतान ने उसे किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी थी! सूजी के बाद एक वहीं है जो उसे इतनी अच्छी तरह से जानता है और अच्छा दोस्त भी है। विकी सारी बाते बता ही रहा था की तभी उसका फोन बजता है! जिस वजह से वह जेब में से निकालते हुए! देखता है तो सुलतान का ही कॉल था ।

विकी: सुलतान! मेरे यार! ।
सुलतान: हॉप मैने तुम्हारी नींद नहीं बिगाड़ी! ।
विकी: नहीं! तुमने बिल्कुल सही समय पर फोन किया हैं! मै तुम्हारा कमरा ही रेडी करवा रहा हूं! ।
सुलतान: उसकी कोई जरूरत नहीं! है रहने लायक हो उतना ही काफी है, स्पेश्यली कुछ करने की जरूरत नहीं!।
विकी: मैं क्या पागल हूं! जो मुझे तुम्हारी मेहमान नवाजी करने का मौका मिला और! ऐसे ही गवा दू!? ।
सुलतान: ( हंसते हुए ) खैर! ये छोड़ो! मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है! ।
विकी: हां बोलो!? ।
सुलतान: वो जो तुम्हारे घर पर हमला किया गया था उन लोगों की डिटेल्स मिल गई है!
विकी: ( बेसब्री से ) कौन है!? वो लोग!? किसने किया था हमला बोलो सुलतान!? ।
सुलतान: शांत मेरे शेर शांत हो जा! इतना क्यों उतावला हो रहा है! मैं वैसे भी वहां आ रहा हूं तो सामने बैठकर ही बात करे तो बेहतर है क्योंकि एक और खास बात है लेकिन मुझे लगता है उस बारे में आमने सामने बात करे तो बेहतर हैं।
विकी: और क्या खास बात हो सकती है इस घटना के अलावा!? ।
सुल्तान: इससे भी इंपोर्टेंट खबर है! ये समझ लो तुम! ।
विकी: तो बता ही दो! इतना सस्पेंस रख कर क्या करना है! तुम्हे!? ।
सुलतान: जब मैं दोपहर तक पहुंच जाऊंगा! यहां कुछ काम है उसे जल्द ही निपटाकर आता हूं! वैसे भी काफी टाइम हो गया है हमने साथ में पी नहीं आज रात को कुछ प्लान करते है और ये सारी बात भी कर लेंगे! ।
विकी: ( गहरी सांस लेते हुए ) ठीक है फिर घर जल्दी आ जाओ! यहीं पर बैठकर बात करते है फिर! । और मैं तुम्हारे लिए एकदम कड़क माल मगवा के रख रहा हूं! आज रात टेरेस पर साथ में पीएंगे!.।
सुलतान: ( हंसते हुए ) ठीक है फिर मिलते है।
विकी: हम्म


विकी बाय कहते हुए कॉल काट देता है। और फिर से तैयारी में लग जाता है। पूरा कमरा बिलकुल साफ सुथरा करवा चुका था क्योंकि सुलतान को गंदगी जरा भी पसंद नहीं थी जितना विकी सुलतान को जानता है वह एक दम क्लीन फ्रिक इंसान है! उसकी उंगली में भी धूल आई तो मानो जैसे उसे दोहरे पड़ने लगे हो वैसे रिएक्शन आने लगते है। यह सोच कर ही विकी हंसने लगता है । साथ ही साथ जो बात सुलतान ने अभी कहीं वह भी उसके मन में खलबली मचा रही थी लेकिन विकी उसको इग्नोर करते हुए! तैयारी में खुद को व्यस्त रखता है।