दर्द ए इश्क - 30 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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दर्द ए इश्क - 30

बंटी इधर गोली चलाता है उधर दूसरी और से भी गोली चलने की आवाज आती है । जिस वजह से गोली विकी के सीने के बजाय दांए हाथ में लगती है। विकी और बाकी सब दूसरी और देखते है तो विकी का दोस्त सुलतान खड़ा था । और बंटी जमीन पर पड़ा हुआ था। पांव में गोली लगने की वजह से वह जब गोली वाली दिशा में देखता है! तो सुलतान को देखकर उसके पसीने छूट जाते है।

सुलतान: ( विकी की ओर देखते हुए ) तुम ठीक हो! ? ।
विकी: ( सिर को हां में हिलाते हुए ) बिल्कुल और क्या हुआ है बस हाथ में से खून बह रहा है! ।
सुलतान: ( मुस्कुराते हुए ) तुम्हारा कुछ नही हो सकता! ।
विकी: वैसे शुक्रिया! इतनी जल्दी आने के लिए! ।
सुलतान: आता कैसे नहीं! आखिर तुमने जो बुलाया था!। सुलतान अपने दोस्त और दुश्मन को कभी नहीं भूलता! ( बंटी के मुंह पर पैर रखते हुए ) ।
विकी: ( सिर हिलाते हुए हामी भरते हुए ) ।
सुलतान: ( अपने आदमी को इशारे से बंटी के आदमी को ले जाने के इशारा करता है। बंटी को कोलार से घसीटते हुए सोफे के नजदीक ले जाकर जमीन पर पटकते हुए! सोफे पर बैठते हुए ) तो! ( शयतानी मुस्कुराहट के साथ )।
बंटी: भाई! मुझे.... स... च... में नहीं... प... ता... था की यह.. लोग आपके खास है... वरना... मैं कभी...ये गलती नहीं करता ।
सुलतान: ( हंसते हुए ) बंटी... बंटी... कितने मा***द हो तुम! तुम्हे क्या लगता है! तुम मेरे पीछे बगावत करोगे! कर सुलतान को पता भी नहीं चलेगा!? ।
बंटी: ( गिड़गिड़ाते हुए ) भाई सच में कह रहा हूं! मुझे कुछ नहीं पता था! मुझे बस सुपारी मिली थी! बस अच्छी रकम थी इसीलिए! ।
सुलतान: ( बंटी के बाएं हाथ में गोली मारते हुए ) ये ड्रामा बंद करो! मुझे नफरत है जब ये झूठ मूठ का नाटक करते हो! और पीठ पीछे मुझे ही हटाने का प्लान कर रहे हो! हां! तुम्हे क्या लगता है! मैं खाली खोपड़ी लेकर ये धंधे को चला रहा हूं! और फिर इसे ( विकी की ओर बंदूक से इशारा करते हुए ) हाथ लगाने की गलती की!? ।
बंटी: ( सिर से पांव तक पूरा पसीने से भीग रहा था! मानो जैसे सुलतान ना होके सामने यमराज बैठा हो! उसके मुंह से लफ्ज़ भी नहीं निकल रहा था! जैसे लकवा लग गया हो! ) ।
विकी: सुलतान! अगर तुम्हे एतराज ना हो तो एक बात पूछूं इससे!? ।
सुलतान: ( हाथो से इशारा करते हुए ) बिल्कुल जब तक मैं सोचूं की किस तरह से इसे मौत दू! तुम्हे जो भी सवाल पूछने है पूछ सकते हो! ।
विकी: तुम्हे किसने सुपारी दी हमें मारने की!? ।
बंटी: वो... वो... मैं नहीं बता सकता! यह हम सभी का ऊसूल है! ।
सुलतान: सोच लो अगर! तुम मर गए तो फिर ऐसे राज रखकर भी क्या फायदा! ।
बंटी: भाई आप जानते है! हम ये नहीं बता सकते! ।
सुलतान: ( जोर जोर से हंसते हुए मानो जैसे बंटी ने कोई मजाक की बात की हो! । ) वाह रे! चु*ये सारे रूल्स याद है! लेकिन जिसने तुझे ये सब सिखाया उसने एक और बात कही थी! की गद्दारी यानी मौत वह बात भी याद होगी! ।
विकी: बंटी! अगर तुम सच बताते हो! तो मैं तुमसे वादा करता हूं की सुलतान तुम्हे यहां नही मारेगा! ।
सुलतान: विकी.... !? ।
विकी: ( आंखों के इशारे से सुलतान को समझाते हुए ) बोलो! मैं वादा करता हूं! की तुम्हे इस घर से सही सलामत बहार ले जाया जाएगा! ।
बंटी: ठीक हैं! मुझे मंजूर है! । ( तभी सुलतान बंटी के दूसरे हाथ में भी गोली मारता है! । ) ।
सुलतान: ओह! मेरा ध्यान ही नहीं गया कब गोली चल गई! अब क्या है ना मुझे और मेरी बंदूक को ऐसे लोग बिलकुल पसंद नहीं जिसका कोई ईमान नहीं हो! ।
विकी: बोलो बंटी! ।
बंटी: ( हाथ को पकड़कर खून रोकते हुए ) वो... मुझे एक कॉल आया था! प्राइवेट नंबर से! और पहले मुझे यकीन नहीं हुआ की उन लोगो को ऐसी क्या दुश्मनी की एक इंसान की बजाए पूरे परिवार को मारने को कह रहे थे! लेकिन जब उन्होंने १०० खोखे की बात की तो मैं! मैंने कुछ ज्यादा नहीं पूछा! और हां कर दी! वैसे भी भाई को मुझ पर शक था! तो मैं अपना अलग गैंग बनाने की सोच ही रहा था! मैंने सोचा तुम्हारे परिवार को मार कर मेरा अपना नाम भी ही जाएगा! ।
सुलतान: ( हंसते हुए ) हहाहाहाहा.... अबे! ब***** तुझसे बड़ा ** आज तक नही देखा! तुझे क्या लगा एक बड़ा मर्डर करके तू मुझे टक्कर दे पाता! कितना भोला है रे! तु! ।
विकी: नाम .. नाम... पता है....!? ।
बंटी: एक लड़का और लड़की थे जिनसे मेरी बात हुई थी! दो तीन बार! लड़के ने अपना नाम आर बताया और लड़की ने एस बस उसके अलावा कुछ नहीं बोला! और वैसे भी हमारा काम सिर्फ पेसो से है! चाहे फिर कोई भी हो क्या फर्क पड़ता है! ।
सुलतान: रग्गा!! ( चिल्लाते हुए! तभी एक आदमी आता है। ) ले जाओ इसे हमे सही सलामत पहुंचाना है! तो इसे एक खरोच भी आई तो! तुम्हारी आखिरी सांस होगी! । रग्गा सिर को हिलाते हुए बंटी को ले जाता है ।) ।
विकी: ( सोचते हुए ) शुक्रिया यार! ।
सुलतान: ( बंदूक को कमर के साइड में रखते हुए ) अबे! चल तु जानता है! सुलतान जब दिल में जगह देता है तो फिर चाहे जो भी वो साथ खड़ा रहता है! तुम बुरा करो या अच्छा! ।
विकी: ( मुस्कुराते हुए ) अब! मुझे क्या पता था कि! किसी को एक बार बचाने से कोई इतना ज्यादा खास बन जाता है।
सुलतान: मेरा तो ऐसा ही है! और वैसे भी मेरे काम में बहुत कम ही लोग है जो मुझे मारने का प्लान नही कर रहे! तो अच्छा ही की तुम मेरे खास इंसान में से हो! कम से कम मुझे ये तो डर नहीं रहेगा! की तुम भी मुझे मारने की साजिशे करोगे! ।
विकी: ( गहरी सांस लेते हुए ) मैने तो पहले ही कहां था! अभी भी कह रहा हूं! कभी भी तुम बाहर आना चाहो! में तुम्हे सपोर्ट करते हुए मिलुंगा! ।
सुलतान: ( फीकी मुस्कुराहट के साथ ) हमारी दुनिया में जब तुम एक बार आ जाते हो! तो वापस लौटने का रास्ता नहीं है! । या तो ऐसे जिओ या फिर गीदड़ की मौत मरो!। आज ही देख लो!? क्या होता अगर मैं एक शरीफ इंसान होता तो!? मैं कुछ उखाड़ नहीं पाता! ना ही लोगो को बचा पाता जो मेरे खास है ।
विकी: खैर! ये छोड़ो! कितने दिनों तक रुके हो इंडिया में!? ।
सुलतान: बस एक हफ्ते तक! ।
विकी: तो फिर तुम यहीं पर रह रहे हो! ।
सुलतान: ( मुस्कुराते हुए ) मैं आम इंसान नहीं हूं विक्रम ठाकुर तुम क्या अपनी मुसीबत बढ़ाना चाहते हो!? ।
विकी: वो सब देखा जाएगा! में तुम्हारे लिए कमरा साफ़ करवाता हूं! ( अपने हाथ को पकड़ते हुए ) ।
सुलतान: पहले तुम अपना इंतजाम करो! वर्ना जहर पूरे बॉडी में चढ़ जाएगा! मेरी खातिरदारी बाद में करना! ।
विकी: ( सिर को हां में हिलाता है! तभी धर्मानंद आता है! उसके आस पास डॉक्टर खड़े थे! । विकी सोफे पर बैठता है की तभी डॉक्टर उसके इलाज शुरू करते है। )।
सुलतान: चलो! अब मैं चलता हूं! बंटी को भी ठिकाने लगाना है! ।
विकी: सुलतान वापस आने वाले हो!? ।
सुल्तान: ( मुस्कुराते हुए ) देखता हूं अगर खेल में मजा नहीं आया तो! शायद आऊंगा! और हां! ( डॉक्टर की ओर देखते हुए ) ये आज की बात अगर किसी को भी पता चला तो किसी के भी बीवी बच्चे जिंदा नहीं मिलेंगे! तो यह बात यहीं दफन रहे हो तो बेहतर है ।


डॉक्टर कांपते हुए हाथो! से... सिर को हां में हिलाते है! । सुलतान मुस्कुराते हुए! विकी को जाते हुए हाथ से बाय कहते हुए चला जाता है। धर्मानंद विकी की ओर देखे जा रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था की कैसे पूछे की वह सुलतान को कैसे जानता है। और तो और सुल्तान का इतना करीबी कब बन गया ।