सूझी पार्टी में जाने के लिए तैयार हो ही रही थी। हद से ज्यादा छोटी ड्रेस! मेक अप से थोपा हुआ पूरा चेहरा! रेड कलर की लिपस्टिक! । हिल्स वाली सेंडल मानो यह वह सूझी है ही नहीं जो थोड़ी देर पहले विक्रम के साथ थी। विकी सोफे पर बैठे बैठे उसका ये बदलता रूप देख रहा था । उसे समझ में नहीं आ रहा था की यह इंसान उस घटिया आदमी के लिए क्यों खुद को इतना टॉर्चर कर रही है। पहले स्तुति अब सूझी! वह हर इंसान को चौंट पहुंचा रहा है जो मेरे दिल के करीब है। एक दिन मैं हर बात का हिसाब लूंगा रेहान! याद रखना यह विक्रम ठाकुर का वादा है तुमसे। वह सूझी से कहता है।
विक्रम: सूझी! यार और कब तक खुद को ऐसे परेशान करती रहोगी!। तुम्हे सच में लगता है कि तुम ऐसे सारी जिंदगी निकाल पाओगी! । यार दुनिया में बाकी लड़के भी तो है जो सच्ची मोहब्बत करते हैं। एक बार मौका तो देकर देखो!। सब एक जैसे नहीं होते यार! ।
सूझी: ( मजाक के लहजे में ) सब एक जैसे नहीं होते लेकिन सबको आखिर में मतलब जिस्म से ही है । तो फिर क्यों ये प्यार व्यार के जूठे भ्रम पालना। यार सीधा जो मतलब है वही बेहतर है।
विक्रम: सूझी! यार तुम गलत सोच रही हो, माना कि जिस्मानी ताल्लुकात की अहमियत होती है। पर जिस नजरिए से तुम देख रही हो वह बिलकुल गलत है। यार फीलिंग नाम की भी कोई चीज होती है।
सूझी: फीलिंग! काफी अजीब लफ्ज़ है। अच्छा चलो! तुम बताओ क्या है फीलिंग के मायने! जरा मैं भी तो सुनूं!। ( मजाक में )
विक्रम: सूझी मैं सच में सीरियस हूं! ।
सूझी: ( बाल संवारते हुए ) हां तो बोलो शायद मेरी आंखे खुल जाए! ।
विक्रम: एक अहसास है जो आपको उस इंसान से जुड़े रखता है। ( स्तुति को याद करते हुए ) उस इंसान के अच्छी हरकते, बुरी आदतें, उनकी हंसी, उनका गुस्सा, उनका रोना, उसकी हर अदा मानो आप खुद को भूल कर उस इंसान में ही खो जाते है। आपका दिल एक अलग ही खुशी महसूस करता है। जब वह इंसान आपके साथ आपके पास होता है। और जब वह पास ना हो तो... ( यह सोचकर मानो उसे एक अजीब सा दर्द हो रहा था । ) ।
सूझी: किसी और को पटाओ! और फिर से यह ढोंगी बाते उसे भी बताओ ताकि वह भी समझे की यह प्यार है।
विक्रम: ( सूझी की ओर देखते हुए ) तुम ना बिलकुल पागल हो गई हो।
सूझी: हाहाहाहाहा! मुझे तो तुम अभी पागल लग रहे हो!। और कौन सी दुनिया से यह बातें सिख कर आए हो!?। जमीन पर आ जाओ मिस्टर विक्रम ठाकुर और दुनिया की असलियत देखो! वर्ना ऐसा टूटोगे की फिर कभी उठ नहीं पाओगे।
विक्रम: ( चिढ़ते हुए ) ठीक है! चलो मान लिया मैं गलत हूं। फिर तुम बताओ!? ।
सूझी: ( बेड पर बैठते हुए ) कैसे सुनना चाहेंगे! कड़वी सच्चाई या लफ्जों में लपेटकर, मीठी बातों में!?।
विक्रम: जैसे तुम सोचती हो! कम से कम पता तो चले की क्या कचरा भरके रखा है जो इस तरह बन गई हो।
सूझी: ( मुस्कुराते हुए ) अगर सच्चाई को कचरा कहते है तो कचरा ही सही! मैं इस ढोंग को आंखे बंद करके सच नहीं मान सकती जो तुम सभी लोग करते हो ।
विक्रम: अच्छा! तो बताओ सच शायद में भी बाहर निकल पाऊं इस ढोंग से । ( ताना मारते हुए ) ।
सूझी: हाहाहाहाहा.... अगर ऐसा हुआ तो तुम फिर कभी इस दुनिया को नॉर्मल इंसान की तरह देख नहीं पाओगे। खैर! अच्छा ये बताओ! प्यार का सबसे पवित्र रीश्ता कौन सा है!?।
विक्रम: पति - पत्नी का!?।
सूझी: सबसे पवित्र रुप...!? ।
विक्रम: एक दूसरे पर भरोसा करना।
सूझी: इस रीश्ते में सबसे घटिया काम!? ।
विक्रम: उस इंसान का भरोसा तोड़ना! ।
सूझी: कभी तुमने किसी लड़की को रिलेशन में होते हुए भी एक बार तो बुरा ख्याल आया ही होगा! ।
विक्रम: यस! ( हिचकिचाते हुए ) लेकिन!।
सूझी: रुको सफाई की जरूरत नहीं!। तुमने ऐसे किसी ना किसी मर्द या औरत को तो देखा ही होगा जो शादी के बावजूद भी कोठे पर जाते हैं!? ना जायज रीश्ते रखते है।
विक्रम: कई! लेकिन यह उनका पर्सनल मामला है तुम कब से लोगों को जज करने लगी!? ।
सूझी: ( मुस्कुराते हुए ) मेरी ऐसी औकात कहां जो इस दुनिया को जज करूं!? ।
विक्रम: तो!? ।
सूझी: तो मतलब यहीं की जो तुम प्यार व्यार की डेफिनेशन अभी थोड़ी देर पहले दे रहे थे! अब उस बात से तो सच्चाई की दुनिया बिलकुल विपरीत है। अगर चलो! बेचलर को छोड़कर जो शादीशुदा है! वह कोठे पे क्या भजन भक्ति करने जाते है!? क्या इतने साल में उन्हें एक बार भी प्यार नहीं हुआ होगा!? या फिर जो लव मैरिज है वह लोग कुछ साल बाद! कहीं और प्यार ढूंढने लगते हैं! क्यों!? । क्योंकि यह सारी बातें छलावा है! इन द एंड जब इंसान का मन भर जाता है। तो वह इंसान फिर बाहर प्यार के नाम पे ना जाने क्या क्या करता है। और एक बात बताओ! जब वह इंसान तुमसे दूर होता है तब भी तुम्हे क्यों उनकी इतनी याद आती है की मानो तुम उसके बिना जी नहीं सकते और जब वहीं इंसान तुम्हारे साथ होता है तो मानो! कुछ साल बाद जहर लगने लगता है। अब तुम ही बताओ!? कैसा प्यार है, तुम लोगों का जहां पर तुम लोगो को ही समझ नहीं आ रहा की प्यार चीज क्या है!?। अरे! इससे अच्छा तो हमारी लाइफ है कम से कम हम लोग प्यार का जूठा मुखोटा नहीं पहनते! जो भी है मुंह पर ही कहते है! और फनी बात तो यह है कि जो तुम प्यार के रिश्ते की बात करते हो! सबसे ज्यादा जूठ तुम एक दूसरे से ही बोलते हो! क्यों!?। कभी जाओ! उस एरिया में! जिससे यहां का समाज नाम लेने से भी दुत्कारता है! देख के आओ आधी पट्टी तो ऐसे ही उतर जाएगी! आंखों से। बाकी की जब धोखा मिलेगा तब उतर जाएगी! ।
विक्रम: ( सूझी की कहीं हुई बातों पर गौर कर रहा था। )।
सूझी: अगर तुम प्यार नाम की चीज को मानते हो तो उसी प्यार के नाम पे यह जिस्मफरोशी का काम ना जाने कितने लोग करते है। अरे! गिनने बैठोगे तो आसमान के तारे कम पढ़ जाए। सभी अपने रिलेशन को मोहब्बत का नाम दे देते है। लेकिन जब उस मोहब्बत को साबित करने की बात आए! तो बड़े बड़े रोमियों... नाकाम हो जाते है। गिने चुने लोग है जो मोहब्बत का सही मायने जानते है। बाकी तो सिर्फ .... ।
विक्रम सूझी की बाते सोचने और समझने की कोशिश कर रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या कहे!? । माना की उसने स्तुति के बाद विक्रम ने किसी के साथ भी संबध नहीं थे । लेकिन सूजी की बताई हुई काफी बातो में वह भी शामिल था। उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या वह भी स्तुति से सच में प्यार कर रहा था अभी तक या फिर सिर्फ.....!? । विकी सिर को ना में हिलाते हुए.. नहीं मैने सिर्फ उसके जिस्म के लिए उसे पसंद नहीं किया! तो फिर, मानो सूझी के सवाल उसके दिमाग में उथल पुथल कर रहे थे। क्योंकि उसके डेड भी उसकी मॉम से प्यार करते है लेकिन फिर भी... । विकी सोच में डूब जाता है की क्या वह भी कुछ साल बाद वैसा बन जाता... जैसे बाकी सब है। वह कब गहरी सोच में डूब गया उसे पता ही नहीं चला ।