रीत विद्यालय में अध्यापिका थी। वह अपने पति के साथ रहती थी।उसकी नई नई शादी हुई थी । पढ़ाने का बहुत शौक था ।लगन और मेहनत से काम करना उसे पसंद था। ओहदे और उम्र दोनो में बड़े व्यक्तियों का बहुत सम्मान करती थी।
उसकी इसी वर्ष पास ही के विद्यालय में नौकरी लगी थी। रोज सुबह तैयार होकर बड़े मन से काम करने जाती थी। और अपना फोन चार्ज करने के लिए चार्जर भी ले जाती थी।एक दिन उसकी कॉर्डिनेटर चार्जर लाना भूल गई। दानी स्वभाव के कारण रीत ने अपना चार्जर उनको दे दिया ।उनकी मदद करने के लिए।क्योंकि अब लगभग 90% काम तो फोन से ही होता है।पूरा दिन स्कूल मे काम करने बाद थकी हारी रीत छुट्टी होते ही घर के लिए निकल पड़ी। वह चार्जर वापिस ले जाना भूल गई।
रीत के फोन की बैटरी खत्म हो चुकी थी।घर आते आते घर के मुख्य दरवाजे पर पहुंची ही थी की फोन स्विच ऑफ हो गया। दरअसल रीत किराए के फ्लैट में चौथे मंजिल पर रहती थी।बिल्डिंग के बाहर मैन गेट बिना चाबी के नही खोला जा सकता।रीत और उसके पति के पास एक ही चाबी थी मुख्य दरवाजे की।जो भी बाद में आता है कॉल करके चाबी बालकनी से नीचे डलवा लेता था ।और फिर दरवाजा खोल लेता था ।
रीत के फोन की बैटरी खत्म होने की वजह से उसे नीचे एक घंटा इंतजार करना पड़ा।एक घंटे इंतजार करने के बाद बिल्डिंग में से एक व्यक्ति काम से बाहर आया तो गेट खुला और रीत को अंदर जाने का मौका मिला।रीत परेशान हो चुकी थी। काम से थक हार कर घर लौटने के बाद उसे एक घंटा इंतजार करना पड़ा।
अगले दिन वह स्कूल गई।वह पूरे रास्ते चार्जर तुरंत लेने के बारे में सोचती रही।जब स्कूल पहुंची तो कॉर्डिनेटर से अपना चार्जर देने के लिए कहा।पहले चार बार कोर्डिनेटर ने उसे इग्नोर कर दिया ।जब भी रीत चार्जर की बात उससे कहने जाती तो काम का बहाना करके चली जाती । जब कोर्डिनेटर प्रिंसिपल मेम के रूम में किसी काम से गई थी तभी रीत भी वहां पहुंच गई।रीत को मौका मिल गया उसने फिर एक बार चार्जर के लिए पूछा। कोर्डिनेटर के द्वारा चार बार इग्नोर किए जाने के बाद अंततः कोर्डिनेटर से उसे जबाब मिला की उसने कल ही चार्जर भिजवा दिया था। लेकिन वह तलाश करेगी।
कोर्डिनेटर के द्वारा इग्नोर किए जाने की वजह यह थी की चार्जर उनके द्वारा खो दिया गया था।रीत को बहुत दुख हुआ।रीत को चार्जर खोने से ज्यादा अपनी ही चीज मांगने के बाद इग्नोर किए जाने का दुख सताने लगा।उसे बहुत गुस्सा भी आया।पति के द्वारा भी डांट खानी पड़ी।घर आने के बाद वह बहुत रोई।
रोते हुए उसे खयाल आया की कुछ दिनों पहले उससे एक बच्चे की किताब को गई थी।जो की उसके द्वारा अभी तक नही लौटाई गई है।न किताब खरीदने के लिए उसने उस बच्चे को रुपए दिए थे।
उसे अपनी गलती का बहुत पछतावा हुआ ,क्योंकि कर्मा लौट के उसी पर आ गया था। उसने भगवान के आगे खड़े होकर माफी मांगी।और उस बच्चे से भी स्कूल जाकर अगले दिन माफी मांगकर उसे उसकी किताब के रुपए दिए।
चार्जर तो नहीं मिला लेकिन रीत को अपनी गलती का अहसास जरूर हो गया था और गलती सुधार लेने के बाद उसके मन जो खुशी मिली वह उसके चार्जर खो जाने के दुख से कही गुना ज्यादा थी।
तो दोस्तों आप भी ध्यान दो की आपके जीवन में आने वाली समस्याओं के पीछे आपका कर्म ही तो नहीं है।
नमस्कार , जय भारत।