ब्लाइंड डेट - भाग-2 Jitin Tyagi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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ब्लाइंड डेट - भाग-2

शनिवार की शाम

कनॉट प्लेस मैरियन होटल के सामने

समय; 7:00


विकास, ‘क्या पागलपन हैं। क्यों खड़ा कर रखा हैं। यहाँ पर, तूने मुझे…इससे अच्छा तो मैं घर पर कोई फ़िल्म देख लेता आराम से बैठकर

राजन, ‘ये ही परेशानी हैं। छोटे शहर के बंदों की, सरप्राइज जैसी चीज़ों में यकीन ही नहीं रखते। हर चीज़ आँखों के सामने चाहिए…. हद हैं।….

खैर, अब जब तूने पूछ ही लिया हैं। तो बता देता हूँ। हम यहाँ ब्लाइंड डेट के लिए खड़े हैं

विकास, ‘ मतलब आज रात हम अपना टाइम यहाँ गुजारेंगे। वो भी अंधे लोगों को डेट करते देखते हुए।

राजन,’ अरे नहीं पागल, हम भी जाने वाले हैं।

विकास, ‘ हम भी जाने वाले हैं। इस बात से मतलब क्या हैं। तेरा, कि हम दोनों आँख बंद करकर एक-दूसरे को डेट करेंगें। और तू गे हैं। ये बात तूने मुझे पहले क्यों नहीं बताई

राजन,’ अरे बेवकूफ ऐसा कुछ नहीं हैं। दरअसल ये ब्लाइंड डेट होती हैं। इसमें एक कमरे में अंधेरा होता हैं। वहाँ आपस में अंजान लोग एक दूसरे को डेट करते हैं।

विकास, ‘पर डेट पर तो वो लोग जाते हैं। ना, जिन्हें प्यार होता हैं।

राजन, ‘ कहाँ से आया हैं। तु, क्योंकि मुझे नहीं लगता भारत का कोई भी हिस्सा अब इतना पिछड़ा हैं। जहाँ डेट का मतलब पता ना हो,

विकास, ‘ जिओ क्रांति का मतलब ये नहीं हैं। भाई हर किसी ने टिंडर पर id बना ली

राजन,’ टिंडर पर id ना बनाई ठीक हैं। मान लिया। लेकिन गूगल पर डेट डालकर तो देखा होगा या बस इंटरनेट पर पोर्न फिल्में ही देखना सीखा हैं।

विकास, ‘अगर किसी को कुछ पता नहीं हैं। तो बड़े शहरों वाले बताते नहीं हैं। कहने का मतलब ‘नाम बड़े दर्शन छोटे’ वाला हिसाब हैं। तुम लोगों का’

राजन, विकास की बात पर हँसकर बोला ‘डेट का मतलब होता हैं। दो लोग जो थोड़े से पहचाने से हैं। और नासमझ होना चाहते हैं। वो आपस में मिलते हैं। ताकि आपसी बातचीत से एक-दूसरे को जानने की प्रक्रिया में शामिल हो सकें।

विकास, ‘ जो मैंने कहा डेट के लिए उससे अलग तो कुछ कहा नहीं हैं। तुने

राजन, ‘कहा ना सकारात्मक तौर पर, और तूने कहा था नकारात्मक तौर पर, और ये ही तो बड़े शहर वालों की खास बात हैं। हर चीज़ में कुछ अच्छा ढूंढ़ना। अब तुम छोटे शहर वाले क्या जानोगे इस चीज़ के बारें में

विकास, ‘ना जाने तो ही अच्छा है। क्योंकि अगर जान लिया तो तुम बड़े शहर वाले बेरोजगार हो जाओगे और फिर तुम्हारे पास हम छोटे शहर वालों से अलग दिखने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा। रुककर फिर बोलते हुए, वैसे आपकी ये डेट कब शुरू होगी। क्योंकि घड़ी नौ बजा रही हैं। और हम यहाँ आठ बजे से खड़े हैं।

राजन,’ डेट तो कब की शुरू हो चुकी। मुझे लगा। तू पहली बार क्लब जा रहा हैं। तो बाहर खड़ा होकर थोड़ा चार्ज हो रहा था। लेकिन जब तू तैयार हो ही गया हैं। तो चल भाई, I don’t have any problem

विकास, ‘ये जो अमेरिकन एक्सेंट तरीके से अभी बोला है। उसे ऐसे खर्च मत कर वरना भविष्य में लेने के देने पड़ जाएंगे।


क्लब के मुख्य गेट पर पहुँचने के बाद राजन ने बाहर बैठे सुरक्षा कर्मी को एक 500 का नोट दिया और रजिस्टर में अपने नाम, नम्बर भरे, जिसके बाद वो दोनों अंदर दाख़िल हो गए।

रंग-बिरंगी लाइट, इंग्लिश-पंजाबी मिक्स गाने, उछलते बीयर के गिलास, ऑक्सीजन में मिलकर उड़ता ड्रग्स, पागलों की तरह नाचते लड़के-लड़की, और नशे की अधिकता के कारण उल्टी करने के लिए भागते देश के युवा भविष्य को देखकर विकास बोला, “ये कैसी ब्लाइंड डेट हैं। जिसमें ब्लाइंड के अलावा सबकुछ हैं।…एक काम करते हैं। घर चलते हैं। कहीं फिल्मों की तरह पुलिस ने छापा मार दिया तो, मुँह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।“

राजन ने उसकी बात को अनसुना किया। और वेटर को आवाज़ लगाकर बोला, ‘ब्लाइंड डेट वाला रूम किधर हैं।‘

वेटर ने पहले तो दोनों को नज़र भर कर देखा। उनके बाद बोला, ‘बेसीमेंट में फोर नंबर हॉल में चले जाओ।

बेसीमेंट के बाहर पहुँचने पर राजन ने एक बार फिर रजिस्टर में नाम, पता भरे और विकास को अंदर जाने के लिए अकेला छोड़कर ऊपर वापस आ गया। विकास राजन से इसका कारण पूछता इससे पहले उसकी आँखों पर एक पट्टी बांधकर बाउंसर द्वारा पकड़कर हॉल के अंदर एक टेबल के पास बैठा दिया गया।

जिस टेबल पर विकास को बैठाया गया। उसके बराबर में एक दूसरी टेबल से उसे एक आवाज़ सुनाई दी, जो फ़िलहाल कविता का रूप धारण किए हुई थी।


कितना अजीब था। वो शख्स

उसने मुझ पर बिल्कुल रहम ना किया

अपनी एक ज़रा के लिए

मुझे उम्र भर बेबस कर दिया

अब लाख कोशिश करूँ कुछ बदलता नहीं

अब कितनी भी जद्दोजहद करूँ कुछ हासिल नहीं होता

एक टीस सी घुली रहती हैं। हर वक़्त आसपास की हवा में

मेरी एक मासूम सी ही तो ज़िन्दगी थी। फिर क्यों उसने इसमें ज़हर घोल दिया।


कविता खत्म होते ही, वो सब तालियाँ बजाने लगे। जो अकेले बैठे थे। इन्हीं में विकास भी शामिल था। बाकी सब तो तालियाँ बजाकर ही ख़ुश थे। लेकिन विकास कुर्सियों का सहारा लेते हुए उस आवाज़ के पास जा पहुँचा। और बोला, ‘ लगता हैं। मिस लिटरेचर का दिल किसी ने ज्यादा ही तोड़ दिया हैं।‘

वो दो महीनें से यहाँ लगातार आ रही थी। पर ये पहली बार था। उसकी सुनाई हुई कविता पर तालियों के अलावा जैविक रूप से कोई प्रतिक्रिया आयी थी। वो भी व्यंग के रूप में, जो उसे थोड़ी अजीब लगी। इसलिए उसने बात ना करने के लहज़े में विकास से पूछा, “पहली मुलाकात की पहली बात में व्यंग अजीब हैं।….और लगता हैं। इस संसार के संस्कारों में से तुमने बदतमीजी वाले के साथ ज्यादा वक्त बिताया हैं।“

विकास अपने ऊपर हुए उसके इस कटाक्ष से विचलित तो हुआ। पर ज्यादा कुछ कर नहीं सकता था। इसलिए ऐसे मौकों पर जब सामने से गाली पड़ने की उम्मीद हो, तो आदर्शवादी बनना उपयुक्त होता हैं। उसने इस ज्ञान का अनुसरण करते हुए उससे कहा, ‘बदतमीजी ही तो ज़िन्दगी का वो पहलू हैं। जो हमें जीने के नए ढंग सिखलाती हैं।‘

उसके इस जवाब से उसकी चिड़ थोड़ी कम हो गयी। और वो उससे बोली, ‘तुमने मुझे मिस लिटरेचर क्यों कहा?’

विकास, ‘तुम्हारी कविता अच्छी लगी इसलिए,’

उसने कहा, “तो, तुम्हें जिसमें जो, पसंद आता हैं। तुम उसका वो ही नाम रख देते हो”

विकास, “नहीं…ऐसा कुछ नहीं हैं। ये मैंने पहली बार किया हैं।“

उसने कहा, “इतने आत्मविश्वास से”

विकास, “तुम मुझे देख सकती हैं।“

नहीं, लेकिन जो मैंने अभी महसूस किया। बस वो कहा

तो, तुम तारीफ करना भी जानती हो

अच्छी चीज़ों की मैं हमेशा तारीफ करती हूँ।

फिर तो मुझे ये सुनने की आदत डालनी होगी।

विकास के इतना कहते ही एक बज़र बजना शुरू हो गया।

विकास ने पूछा ये क्या हैं।

आज की ब्लाइंड डेट ख़त्म हो गई इसका पैगाम

ओ, मतलब बात बीच में छोड़नी पड़ेंगी।

अफ़सोस

अगली बार कब मिलोगी

अगले शनिवार यही पर

ठीक हैं।


अंदर तो विकास ‘ठीक हैं।‘ कहकर चला आया। पर मन वहीं पर अटका पड़ा था। वो कहना तो 'Good to see you फिर मिलेंगे bye' जैसा कुछ चाहता था। लेकिन कह नहीं पाया। इसलिए क्लब से बाहर आकर, उसका इंतज़ार करने लगा। जिसको अभी बड़े प्यार से miss poem का नाम देकर आया था। पर दुर्भाग्यवश miss poem बाहर नहीं आई। और जो बाहर आया वो राजन था। जिसका गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ा हुआ था। और उसने आते ही विकास को गालियाँ देनी शुरू कर दी

अबे, समझता क्या है? तू अपने आप को, मैं अंदर शराब में डूबा जा रहा हूँ। तेरे चक्कर में, और तू हैं। यहाँ खड़ा हैं।

विकास का ध्यान राजन की बातों पर कम और क्लब के गेट से निकलने वाली लड़कियों पर ज्यादा हैं। फिर भी उसने अनमने ढंग से राजन से कहा, “जिस, काम के लिए यहाँ आया। जब वो खत्म हो गया। तो अंदर क्या ऐसी तैसी मराऊं”

अबे अपनी ना मरानी ऐसी तैसी तो किसी और की तो मरने से बचा सकता हैं।

देख, तुझे हैं। ऐसी तैसी मराने की आदत, मेरा दिमाग खराब….तो कर मत

ओ दिमाग खराब…अगर ऐसा हैं। तो एक काम कर अब अकेले आ जाना, मैं बाइक लेकर जा रहा हूँ।

फिर किसका इंतज़ार कर रहा हैं। दफा हो ना यहाँ से