आत्म विवाह - 2 - (हनीमून) r k lal द्वारा क्लासिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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आत्म विवाह - 2 - (हनीमून)

भाग-2 (हनीमून)

आर.के. लाल

दूसरे दिन अवकाश था पर वेंकट कल हो रही सोलोगैमी पर चर्चा पूरा करने के लिए परेशान था। वह जल्दी ही नाश्ता करके पान की दुकान पर पहुंच गया। उसके मन में अंतर्द्वंद चल रहा था कि सोलोगैमी अपनाने वाली लड़कियों का दांपत्य जीवन कैसा होता होगा? लड़की ससुराल जाती होगी या अपने घर में ही मूंग दलती रहती होगी। फिर उसने अपने आप से कहा, "अब वह मूंग दले या भात बनाए, वह ही जाने"।

वेंकट सोचता रहा कि हो सकता है उनकी कोई मजबूरी रही हो या वे अपनी बिटिया के इस तर्क का जवाब न दे पाए हों कि जब किसी को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने की कानूनन आजादी होती है तो वह खुद से अपने को अपना जीवन साथी क्यों नहीं बना सकती?

इसका उत्तर पाने के लिए वेंकट ने प्रश्न सबके सम्मुख रखा । सब एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। वह पान वाला उसी की बात उठता है जो पचास रुपए का पान खरीदे इसलिए वेंकट ने वहा खड़े सभी व्यक्तियों के लिए पान का आर्डर दे दिया और चर्चा शुरू हो गई।

एक ने कहा कि कितना बदलाव आ गया है अब शादी ब्याह में। सब कुछ दिखावा बन गया है । परंपराओं की सारी बातें अब केवल शादी करने वाला पंडित ही जानता है और उसकी बात समझने की किसी को फुर्सत ही नहीं होती। हमारे समय में तो शादी के वचन रटा दिए जाते थे और हम उसे जीवन भर निभाने को कटिबद्ध हो जाते थे। आज सभी परंपराये औपचारिकता मात्र बनकर रह गई हैं, नतीजन शादियां जल्दी टूट जाती हैं। 

इस पर एक सज्जन ने कहा कि किसी की शादी टूटे या कोई भाड़ में जाए मुझे इससे क्या लेना देना। यह बताओ कि सोलोगैमी विधि में लोग कैसे शादी करते हैं? वे हनीमून मनाने जाते हैं कि नहीं और यदि जाते हैं तो हनीमून कैसा होता है?

वहां मौजूद एक पंडित जी ने अपनी धाक जमाने के लिहाज से बता डाला कि शादी के फेरे लेते समय पहले वचन में कन्या वर से कहती है कि तीर्थयात्रा, धार्मिक कार्य में मुझे साथ रखने का वादा करेंगे तो मैं आपके बामांग में आऊंगी, दूसरे वचन में एक दूसरे के माता-पिता के सम्मान का वादा कराया जाता है। तीसरे वचन में कन्या जीवन भर पालन करते रहने को तैयार रहने का वादा करवाती है। चौथा वचन परिवार की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति के दा‍यित्व हेतु होता है। पांचवे मे हर कार्य में पत्नी की मंत्रणा लेने की बात होती है तो वहीं छठे वचन में पत्नी के अधिकारों का जिक्र और सातवें वचन में पति-पत्नी के आपसी प्रेम के मध्य अन्य किसी को भागीदार न बनाने का वादा होता है। इस सप्तपदी के दौरान कन्या भी पति को साथ साथ जीने मरने का वचन देती है ।मगर आत्म विवाह करने वाली कन्या अपने आप को क्या वचन देती होगी मुझे पता नहीं।

वेंकट ने कटाक्ष किया कि जब कोई दूसरा है ही नहीं तो कैसा वचन देना। लड़की ने सोचा होगा कि उसके माता-पिता खुले विचारों वाले हैं और उन्होंने उनकी शादी को अपना आशीर्वाद दे दिया है। वही उसके लिए पर्याप्त है ।

अपने मोहल्ले की सुषमा बिना शादी किए अकेला जीवन बिताना चाहती है। वह बहुत सुंदर है इसीलिए कई रिश्ते उसके लिए आए। न जाने मेरे जैसे कितने लड़के उससे शादी की आश लगाए कहीं और शादी नहीं कर रहें हैं । उसके रिश्तेदार, दोस्त, ऑफिस के सहयोगी लोग पूछ पूछ कर उसे परेशान कर रहे थे कि कब शादी करोगी। मैंने कल रात सपने में देखा कि इन बातों से परेशान होकर उसने सोलोगैमी अपना लिया और अपनी मांग में अपने आप सिंदूर डाल लिया। सपने में मैं भी शामिल हुआ था। सारी घटनाएं एक-एक करके मेरे सामने ही घटित हो रही थी कि किस प्रकार उसकी कुछ सहेलियों ने उसे तैयार किया और दुल्हन के रूप में एकदम परी जैसा मेकअप किया था और फिर कैसे उसने अपनी मांग में सिंदूर भरा था। वह सबसे कह रही थी कि ताउम्र मैं इस विवाह को निभाऊंगी।

एक अन्य ने कहा, " अरे सब ढकोसला है, इस तरह की शादी क्या चलेगी । विदेशों की तो पंजीकृत शादियां भी नहीं चल पाती। शायद आप सबको पता नहीं होगा कि ब्राजील की मॉडल क्रिस गलेरा ने भी खुद से शादी की थी और मात्र तीन महीने के बाद खुद से डिवोर्स ले लिया था। अमेरिका की फैंटासिया बर्रीनो भी सोलोगैमी अपनाने के बाद शादी करते हुए कहा था कि किसी दूसरे इंसान में प्यार ढूंढने से पहले खुद से प्यार करना जरूरी होता है और ये बस वही था। इटली की लौरा मैसी को जब चालीस की उम्र तक कोई जीवन साथी नहीं मिला तो वे सोलोगैमी हुईं परंतु परफेक्ट पार्टनर तलाशती रहीं"।

पान वाला कभी कुछ नहीं बोलता वह केवल सुनता है लेकिन उससे हनीमून की बात कहे बिना रहा नही गया। वह बोला, "बचपन से ही लोगों के मन में एक यादगार हनीमून मनाने की लालसा रहती है। अपने जीवन साथी से सर्व प्रथम प्यार का आदान-प्रदान करने के लिए ही तो हनीमून होता है। गुजरात वाली लड़की के भी गोवा में सुहाग रात मनाने का जिक्र मिला है। जैसा आप सभी जानते हैं कि हनीमून में शादी के बाद नवदंपत्ति एक दूसरे के साथ किसी स्थान पर घूमने जाते हैं। इसमें एक दूसरे को समझना, आपस में प्यार, रोमांस और शारीरिक आनंद आदि होता है। आप चाहो तो कल्पना करके मजा ले लो। कोई वहां था नहीं जो आंखों देखा हाल बताए। हां इतना जरूर है कि सभी सोलोगामियो ने अपनी हनीमून की ऊंची उड़ान भरी होगी। रोमांटिक जगह तक हवाई यात्रा की होगी। लक्जरी होटल के सजे कमरे में ठहरी होंगी, ड्रिंक किया होगा, गाना, म्युजिक का आनंद लिया होगा,। कैंडल लाइट डिनर में स्वादिष्ट भोजन किया होगा। अंत में आहें भरी होंगी कि काश साथ में कोई तो होता जो घूंघट उठाता, आलिंगन करता, गले लगाता और……। वेटर ने तो गुलदस्ता दे दिया होगा पर 'आईलवयू' किसी ने नहीं कहा होगा। स्वयं को तोहफे और सरप्राइज भी तो नही दिया जा सकता। 

वेंकट ने कहा, "स्वत: विवाह करने वाले दलील देते हैं कि वे अपने आप से प्यार करते हैं। लेकिन कौन करता है अपने आप से नफरत? 

एक बुजुर्ग ने अपनी सोच बताई कि बच्चों को अपने मन की करने की इजाजत देनी पड़ती है लेकिन उन्हें चाहिए कि सोच समझकर कोई कदम उठाएं। मिट्टी का घड़ा खरीदते वक्त भी उसे बजाकर उसमें दरार या फूट का पता लगा लिया जाता है फिर सोलोगैमी का निर्णय तो बहुत बड़ा है। इस प्रकार के विवाह का भी लोगों ने विरोध किया था। विनोद जी को इसके बारे में ज्ञान है, कल वे ही आप सबको बताएंगे।

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