अनसुलझा प्रश्न (भाग 19) Kishanlal Sharma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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अनसुलझा प्रश्न (भाग 19)

61--कदम से कदम
दूल्हा ज्यो ही घोड़ी से उतरकर जमीन पर खड़ा हुआ।दरवाजे पर वरमाला लिए खड़ी दुल्हन की नज़र उस पर पड़ी।दूल्हे को देखकर उसने एक क्षण के लिए सोचा और फिर वरमाला फ्रंककर भागी।
"क्या हुआ बेटी?"
बेटी का अप्रत्याशित व्यवहार देखकर माँ बाप भी उसके पीछे पीछे भागे थे।
दुल्हन कमरे में आकर पलँग पर पड़ गयी।उसे समझ मे आ गया था लड़का बिना उसे देखे और बिना दहेज लिए क्यो उससे शादी करने के लिए तैयार हो गया था।
"दूल्हा दरवाजे पर खड़ा है और तू यहां चली आयी।लोग क्या सोच रहे होंगे,"माँ बेटी से बोली,"चल।वरमाला की र श्म निभानी है।"
"मैं इस लड़के से शादी नही करूँगी,"।
"बेटी तू जानती है।बिना दहेज के तेरा कही भी रिश्ता नही हो रहा था।यह बिना दहेज के शादी के लिए तैयार हो गया,"माँ बेटी को समझाते हुए बोली,"माना उसके पैर में कमी है।पर वह सरकारी नौकर है।खुद का मकान है।दुनिया मे अकेला है।तुझे रानी बनाकर रखेगा।"
'चाहे मुझे आजीवन कुंवारी रहना पड़े लेकिन मैं ऐसे लड़के से शादी हरगिज नही करूँगी जो मेरे साथ कदम से कदम मिलाकर न चल सके।'
62--एक और निर्भया
दिसम्बर का महीना।शाम के सात बजे थे।वह कोचिंग से घर लौट रही थी।कनाट प्लेस से वह बस में चढ़ी तब बस ठसाठस भरी हुई थी।लेकिन ओखला आते आते बस खाली हो गयीं।उसके अलावा बस में केवल पांच लड़के और रह गए थे।
पांचो लड़के उसे अकेली देख कर फब्तियां कसने लगे।उसको लक्षय करके अश्लील बातें करने लगे।उन लड़कों की हरकतें देखकर उसे निर्भया कांड की याद आ गयी।पिछले साल आज ही के दिन निर्भया के साथ --उस कांड को याद करके वह सिहर गयी।कहीं उसके साथ भी ऐसा हो गया तो?
उन लड़कों से बचने के लिए वह आगे जाने लगी।एक लड़का भी उसके पीछे हो लिया।वह ड्राइवर के पास की सीट पर आकर बैठ गयी।वह लड़का भी उससे सटकर बैठ गया।वह लड़की के साथ छेड़खानी करने लगा।पीछे बैठे उसके चारों दोस्त चीख चीख कर उसका हौसला बढ़ाने लगे।साथ ही लड़की की तरफ इशारा करके द्विअर्थी संवाद भी बोलने लगे।ड्राइवर बस चलाते हुए कनखिओ से देख जरूर रहा था।लेकिन कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नही कर रहा था।ड्राइवर के हाव भाव देखकर वह समझ गयी ड्राइवर भी उनके गिरोह में शामिल हो गया है।
वह जोर से चीख रही थी।लड़को की हरकतों का विरोध कर रही थी।लेकिन बस के शीशे बन्द थे इसलिए चलती बस में से उसकी आवाज बाहर नही जा रही थी।आवाज बाहर जाती तो भी कोई फर्क नही पड़ता।आजकल कोई भी दूसरे के लफड़े में पड़ना नही चाहता।उसके हल्ला मचाने और कहने के बावजूद ड्राइवर बस नही रोक रहा था।वह समझ गयी आज उसकी इज़्ज़त नही बचेगी।जिस तरह पिछली साल चलती बस में निर्भया के साथ हुआ।आज उसके साथ होगा।चलती बस में उसकी इज्जत तार तार हो जाएगी।
ड्राइवर को विरोध करता न देख लड़को का हौसला बढ़ गया।चारो लड़के भी पीछे से आगे आ गए।उन्होंने लड़की को पकड़ लिया।लड़की चीखी," छोड़ो।"
लड़की अकेली और वे पांच।लड़की ने छूटने की कोशिश की पर व्यर्थ।लड़के उसे उठाकर पीछे ले गए।लड़को के हाथ बढ़े।पर वे उसके शरीर से कपड़े अलग कर पाते उससे पहले ही बस रुकी थी।
"बस क्यो रोक दी?"
"तुम लोगो की मंज़िल आ गयी।"
लड़को ने देखा बस पुलिस स्टेशन में खड़ी थी।बस ड्राइवर की समझदारी से एक और लड़की निर्भया बनने से बच गयी थी।