अनसुलझा प्रश्न (भाग 20) Kishanlal Sharma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

अनसुलझा प्रश्न (भाग 20)

62--त्रिया चरित्र
श्वसुर दिन भर बड़बड़ाता रहता और खांस खांस कर कमरे को गंदा करता रहता।जिसे राधा को साफ करना पड़ता।
पति दूसरे शहर मे नौकरी करता था।वह शनिवार को रात को आता और सोमवार की सुबह चला जाता।पति के बाहर रहने पर राधा घूमना फिरना और मस्ती करना चाहती थी।लेकिन श्वसुर से पूछे बिना न वह कहीं जा सकती थी।न ही किसी को अपने घर बुला सकती थी।
खूसट श्वसुर के घर मे रहने पर बन्धन था।उसकी आजादी में खलल पड़ता था।वह श्वसुर के बंधन से मुक्त होना चाहती थी।लेकिन वह यह भी जानती थी कि पति पिता से अलग होने के लिए कभी तैयार नही होगा।फिर क्या करे?वह सोचती रही और
एक दिन पति घर आया तो वह रोने लगी।
"क्या हुआ?"पत्नी को रोता देखकर उमेश बोला,"रो क्यो रही हो?"
"दुनिया की नज़रो में तुम्हारा बाप बीमार है। लेकिन,बात पूरी किये बिना वह फिर रोने लगी।
"रोती ही रहोगी या कुछ बताओगी भी?"उमेश ने पूछा था।
",मैं नहाती हूं या कमरे में लेटी होती हूँ,तो तुम्हारे पिताजी ताक झांक करते है,"राधा रोते हुए बोली,"बूढ़े की किसी दिन नियत बिगड़ गयी तो मैं कहीं मुँह दिखाने के काबिल नही रहूंगी।"
पत्नी के झूठ को सच मानकर उमेश पिता को वरधाश्रम मे छोड़ आया।बाप बेटे का रिश्ता त्रिया चरित्र की भेंट चढ़ गया।
63--हत्यारा
अपने घर के हॉल में आने पर मेरी नज़र कबूतर पर पड़ी।हाल का दरवाजा खुला देखकर न जाने कब कबूतर हाल में घुस आया था।मैं हाल मे बैठकर लिखता पढ़ता हूँ।गर्मी का मौसम इसलिए पंखा चलाना पड़ता था।कही उड़ने पर पंखे से कट गया तो--
इस आशंका से उसे बाहर निकालने के लिए मैं उसके पीछे भागा लेकिन वह उड़ा नही।मेरे भगाने पर वह हाल में ही इधर उधर होने लगा।अंत मे हॉल में रखी खाट के पीछे जा छिपा।
मैने कबूतर को हाल से बाहर निकालने के लिए खाट का सहारा लिया।खाट को सरका सरका कर मैने कबूतर को हाल से बाहर कर दिया।कबूतर बालकोनी में रखे गमले के पीछे जा छिपा।मैं हॉल का दरवाजा बंद करके पढ़ने लगा।
कुछ देर के बाद मुझे कुछ आवाज सी सुनाई पड़ी।मैने हाल का दरवाजा खोल कर देखा।कोई नही था।शायद मेरा भरम था।दरवाजा बंद करते समय मुझे कबूतर का ख्याल आया।मैने गमले के पीछे जाकर देखा।कबूतर नही,उसके पंख दिखाई पड़े।
कबूतर को बिल्ली खा गई थी।कबूतर की हत्या बिल्ली ने की थी।लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था मानो हत्यारा मैं हूँ।मेरे कारण ही उस निरपराध प्राणी की जान चली गयी थी।
64--रंग
"मुझे धीरज के लिए गोरी बहु चाहिए।'
दिन दयाल और रेखा के एक बेटा धीरज और बेटी रेणु थी।धीरज की नौकरी लगते ही उसके लिए रिश्ते आने लगे।रेखा सांवली थी और बच्चे भी।लेकिन रेखा चाहती थी उसके पोता पोती गोरे हो।इसलिए वह गोरी लड़की को ही पुत्रवधु बनाना चाहती थी।
दिन दयाल का एक साथी अपनी बेटी के रिश्ते के लिए आया था।उसकी बेटी निकिता एम ए थी।उसके नेंन नक्श अच्छे थे।सब तरह से गुणी थी लेकिन उसका रंग सांवला था।
"केवल रंग ही नही लड़की के गुण भी देखने चाहिए,"पत्नी की बात सुनकर दीन दयाल बोले,"यह मत भूलो तुम्हे बेटी की शादी भी करनी है और उसका रंग भी सांवला है।'
पति की बात सुनकर रेखा सोचने लगी।अगर दूसरी औरते भी उसकी तरह सोच रही होगी तो?