पल पल दिल के पास - 28 Neerja Pandey द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पल पल दिल के पास - 28

भाग 28

आपने पिछले भाग में पढ़ा की नियति और प्रणय के पीछे नीना देवी के कहने पर अपना आदमी लगा देता है। को छिप कर प्रणय और नियति को फोटो खींचता है। पर प्रणय ने अपनी होशियारी से उसके कैमरा पर पानी गिरा कर उसका ध्यान भटका देता है और इस बात का फायदा उठा कर सारी फोटो डिलीट कर देता है। अब आगे पढ़े।

मैं अपना सारा दर्द घर पहुंचने के पहले अंदर ही जब्त कर लेना चाहता था। उसका कोई भी असर खुद पे दिखा कर मां को दुखी नहीं करना चाहता था।मैं कुछ देर बाहर समय बिता कर, अपने दिल का गुबार हल्का कर तब घर जाना चाहता था। इसलिए रास्ते में ही रस्तोगी को फोन कर बुलाया और उसके घर के पास जाकर उसे साथ ले लिया। मेरी आवाज सुनकर वो समझ गया कि मैं परेशान हूं। इस कारण सब कुछ छोड़ छाड़ कर दौड़ा चला आया। मैं उसे अपने साथ ले कर एक जगह रोड साइड टी स्टाल देख कर गाड़ी लगा दी और रस्तोगी को लेकर वही बैठ गया। रस्तोगी भी परेशान था की सब कुछ ठीक होने के बाद अब अचानक क्या बात है जो मुझे परेशान कर रही है?

वो पूछा, "क्या बात है प्रणय इस तरह अचानक से बुला लिया। सब ठीक तो है! कोई खास बात हो तो बताओ।"

मैने एक लंबी सांस ली और बोला, "हां कुछ खास बात है तभी तुम्हे अचानक बुलाना पड़ा। मैने कुछ फैसला लिया है। उसको मैं मां के साथ शेयर नही कर सकता कि वो गलत है या सही। मुझे किसी अपने की जरूरत है जो मुझे सही सलाह दे सके। इसी लिए तुम्हे बुलाया है। अब तुम ही बताओ सही है या गलत।" इतना कह कर सुबह से लेकर शाम तक का सारा घटना क्रम मैने रस्तोगी को सुना डाला। फिर भविष्य के लिए लिया गया निर्णय भी रस्तोगी को बता दिया।

सारी बातें सुन कर अब वो भी गंभीर हो गया था। रस्तोगी ने गंभीर स्वर में कहा, "अरे! प्रणय आज तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाती। तुमने बहुत ही अच्छा

किया जो चतुराई से सारी फोटो को डिलीट कर दिया। अगर वो फोटो कहीं खुराना के हाथ लग जाते तो गजब हो जाता। हम जीत के भी हार जाते। खुराना को नीना देवी का उस दिन का आरोप सच साबित करने में जरा भी समय नहीं लगता।"

फिर रस्तोगी मेरे हाथो पर अपना हाथ रखते हुए बोला, "यार मैं तुम्हारी भावना का सम्मान करता हूं। तुमने जो निर्णय लिया है बिलकुल ठीक लिया है। लंबे अरसे बाद तो नियति जी के जीवन में थोड़ी सी खुशियां आई है (उंगलियों से थोड़ा का इशारा करते हुए रस्तोगी बोला) मिनी के उनके पास आने से। अब मिनी का साथ भी अगर उनसे छिन जाए जो उनके जीवन में फिर बचेगा ही क्या? तू तो है ही सबसे अलग तूने बिलकुल सही निर्णय लिया है। प्यार सिर्फ हासिल करना या पाना नही होता है। प्यार त्याग भी होता है। जिसे चाहो उसकी खुशी के लिए उससे दूर होना भी प्यार का ही एक रूप है। मुझे गर्व है तुझ पर मेरे यार। मुझे गर्व है तुझ पर।" कह कर रस्तोगी ने उठ कर मुझे गले लगा लिया।

मेरे पीठ को थपथपाते हुए रस्तोगी बोला, अब इतना बड़ा डिसीजन लिया है तूने तो उसका पालन के लिए भी बहुत हौसले की जरूरत होगी। और मुझे पता है की मेरे दोस्त में हर मुश्किल का सामना करने की हिम्मत है। मैं तो हूं ही हमेशा तेरे साथ।"

रस्तोगी की बातों से मुझे बहुत सहारा मिला। अब मैं खुद को संयत कर चुका था। रस्तोगी से बोला, "चल यार तुझे घर छोड़ दूं।"

इसके बाद मैं रस्तोगी को उसके घर के पास छोड़ कर वापस अपने घर लौट आया। घर में घुसते ही मां ने सवाल करने शुरू कर दिए, "क्या हुआ सब ठीक था? "

मैने भी मुस्कान का आवरण ओढ़ते हुए जवाब दिया, "हां ! मां सब ठीक रहा।" फिर हाथ में लिया साड़ी का पैकेट मां को देते हुए बोला, " मां ये तुम्हारे लिए साड़ी है। देखो कैसी है?"

मां ने पैकेट खोल कर साड़ी देखी। उनके चेहरे से ही मैं समझ गया की उन्हे पसंद आई है।

वो बोली, "बेटा बहुत अच्छी है।"

"ठीक है मां मैं आज बहुत थक गया हूं सुबह ऑफिस भी जाना है। आप खाना खा लेना मैं बाहर से खा कर आया हूं।" कह कर अपने कमरे में सोने चला गया।

मैं बिस्तर में सोने लेटा। आंख बंद करते ही मिनी का मासूम खिलखिलाता हंसी पूर्ण चेहरा आंखो के सामने आ जाता। बार बार उसे भूलने की कोशिश में जब मैं कामयाब नही हुआ तो उठ कर अपनी ऑफिस की फाइल उठा कर काम करने लगा। काम करते करते कब वहीं सो गया पता ही नहीं चला।

इधर वो व्यक्ति ये समझता है की मुझसे पानी गलती से गिर गया था। उस वक्त तो नही देखता पर मेरे चले जाने के बाद जब वो अपना कैमरा चेक करता है तो ये देख कर हैरान परेशान हो जाता है की उसके कैमरे में एक भी फोटो नही है। ना ही मेरी ओर नियति की एक भी फोटो थी, ना ही कोई और। वो हैरान सा सोचता रहा की आखिर सारी फोटो गई तोi गई कहां..? कुछ देर सोचने के बाद उसकी समझ में आया की पानी का उसके कैमरे पर हिलाना कोई इत्तफाक नहीं था। वो मेरी प्लानिंग थी। अब उसे यकीन हो गया की उसे पीछा करते हुए मैने देख लिया था। साथ ही फोटो खींचते हुए भी। और उसको मिटाने के लिए ही मैंने पानी उसके टेबल पर गिराया था।

 

परेशान हालत वो व्यक्ति सोचता रहा और उसने ने खुराना को कुछ नही बताया कि फोटो तो उसने खींची थी पर वो डिलीट हो गई है इत्तिफाकन। पर खुराना का तो पूरा ध्यान उसी पर था। जब उसे अनुमान हो गया की अब काम हो गया होगा तो देर शाम को उसने उस व्यक्ति को फोन किया। वो बिचारा खुराना के डर से दो बार तो रिंग बजती रही फोन रिसीव नही किया। पर आखिर कब तक ना उठाता फोन वो। आखिर उसने फोन उठाया और उसके "हेलो" कहते ही खुराना उससे पूछने लगा, "क्या हुआ खींची फोटो उनकी..?"

बिना उस व्यक्ति की बात सुने ही खुराना फिर बोलने लगा, "ऐसा करो जल्दी से तुम मेरे घर आ जाओ। वही फोटो देखूंगा मैं।

उस व्यक्ति की हिम्मत नही हुई की वो फोन पर खुराना सर को अपनी नाकामयाबी की खबर देता। उसने सोचा की जब सर बुला रहे है तो उनके घर ही चला चलता हूं। सामने बैठ कर अपनी सारी बात मैं समझा दूंगा। इस लिए वो खुराना से बोला, "हां खुराना सर मैं अभी आपके घर आ रहा हूं।" इतना कह कर वो व्यक्ति खुराना के घर के लिए निकल पड़ा।

खुराना अपने घर के ड्राइंग रूम में उस व्यक्ति की बेचैनी से प्रतीक्षा कर रहे थे। जब सब्र नही हुआ तो वो उठ कर पूरे कमरे में चहल कदमी करने लगे। खुराना को ये देखने की बेचैनी थी की उस व्यक्ति ने को भी फोटोज खींची है नियति और मेरी, वो उनके कितने काम की है..? क्या उन फोटोज की मदद से जो खुराना साबित करना चाहता है, उसे कर पाएगा? खुराना के बेचैनी के पल ज्यादा लंबे नही थे। थोड़ी देर में वो व्यक्ति खुराना के घर पहुंच गया।

खुराना के घर पहुंच कर वो व्यक्ति खुराना का अभिवादन करता है। खुराना उसे बैठने को कहता है।

जैसे ही वो व्यक्ति बैठता है। खुराना अपने हाथ बढ़ा कर उससे वो कैमरा मांगता है फोटो देखने के लिए। खुराना ने कहा, "लाओ .. लाओ.. जल्दी दिखाओ मुझे। कौन कौन सी फोटो खींची है सारे दिन मेहनत करके.?

वो व्यक्ति खुराना की इस उत्सुकता पर पानी फेरना नही चाहता था। पर वो मजबूर था। उसके हाथ से सफलता मिल कर भी रेत की तरह खिसक गई थी। फोटोज डिलीट होना, ये एक संयोग था या प्लानिंग उसके कुछ समझ में नही आ रहा था। जिस शख्स की फोटो खींची थी उसी ने डिलीट कर दी।उसे पता था की खुराना सर ये जान कर की फोटो उसके पास नही है। बहुत नाराज होंगे। पर सच तो आखिर उसे बताना ही था।

हिम्मत कर के उस व्यक्ति ने सारी बात खुराना सर को सारी बात बता दी। खुराना बहुत नाराज होता है इस व्यक्ति पर । उसे खूब खरी खोटी सुनाता रहा। वो व्यक्ति चुप चाप सुनता रहा। उससे गलती तो हुई थी।

अब खुराना उसे फिर से हिदायत देता है की जैसे ही नियति घर से बाहर निकलती है उसका पीछा करे। वो किससे मिलती है..? अगर कोई खास बात दिखे तो उसे जरूर बताएं।

उस व्यक्ति के वापस चले जाने पर खुराना ने पूरी बात नीना देवी से बताई।

नीना देवी जो इसी उम्मीद पर जी रही थी कि नियति को गलत साबित कर वो मिनी को अपने पास रख लेंगीं। एक एक मिनट वो यही प्रतीक्षा करते हुए गुजार रही थी कि जैसे ही नियति और मेरी फोटो उनके हाथ आती है वो तुरंत ही केस फाइल कर दे।

खुराना का फोन आते ही नीना देवी की आस एक बार पुनः टूट गई। उनका सपना चूर हो चुका था। वो एक बार फिर खुराना पर आग बबूला होती हैं।

नीना देवी खुराना से इतनी ज्यादा नाराज होती हैं की उसके साथ तू तड़ाक कर के जलील करने लगती है। नीना देवी क्रोध से उबलते हुए कहती है, "खुराना तू बड़ा वकील बना फिरता है। एक जरा सी बच्ची का केस तो जीत नही पाया..? और तू बाते बड़ी बड़ी करता है। जैसे किसी काम का तू नही है। वैसे ही तेरा आदमी भी किसी काम का नही है। तेरे जैसा कम दिमाग आदमी वकील कैसे बन गया मुझे यही आश्चर्य लग रहा है।"

खुराना भी एक जाना माना वकील था इस शहर का। उसकी भी एक प्रतिष्ठा थी। नीना देवी के मुंह से इतनी जली कटी बातें वो नही बर्दाश्त कर पता। खुराना से इतनी बेइज्जती सहन नही होती है। आखिर कोई कितना अपमान सह सकता है। हर चीज की एक सीमा होती है। आज बोलते बोलते नीना देवी ने इतने अपमान जनक शब्दों का इस्तेमाल किया की खुराना की सहनशक्ति जवाब दे गई। तो खुराना भी खुद पर काबू नही रख पता और उसके भी मुंह से निकल जाता है, 

"मैडम अगर आप मिनी बेबी को इतना प्यार करती है तो उनकी खातिर आप नियति मैडम को भी अपने साथ रख सकती थी। नियति मैडम इतनी बुरी नही थीं की आप उन्हें अपने घर में नही रख सकती थी। सभी उंगलियां मेरी और आपकी भी बराबर नही है। कोई छोटी है, कोई बड़ी है। पर सब साथ है ना। ऐसे ही आप बहुत अच्छी है, नियति मैडम बहुत बुरी है आपकी नज़र में। पर छोटी उंगली को कोई काट थोड़े ही देता है उसकी भी उपयोगिता होती है। आप नियति मैडम को उनकी खामियों के साथ भी अपना सकती थी। क्या ये घर सिर्फ आपका था...? क्या नियति मैडम छोटे साहब की पत्नी नहीं थी? क्या जितना हक आपका इस घर पर है उतना ही नियति मैडम का भी नही है? आप चाहती तो आज मिनी बेबी आपके साथ होती। इसमें सबसे बड़ा कुसूर आपका ही है। अपने अकेले पन की जिम्मेदार आप खुद है। और हां …! नही चाहिए आपका ऑफिस! मैं जल्दी ही खाली कर दूंगा।"

इतना कह कर खुराना ने नीना देवी का फोन काट दिया।

नीना देवी से भी कोई इस तरह बात कर सकता है ये वो सोच भी नही सकती थीं। गुस्से से पूरा बदन कांपने लगा। पहली बार किसी ने आईना दिखाने की हिम्मत की थी उन्हें। उनका सर घूमने लगा वो गिर कर बेहोश हो गई।