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एक kiss


"" हलो ""..अभय कॉल रिसीव करते हुए बोला ...वह दुकान पर जाने की तैयारी कर ही रहा था की फोन की घंटी बज उठी थी ....

""" आप अभय बोल रहे है न ""
उधर से मर्दानी आवाज गूंजी ...
""हा जी ,कहिए आप कौन ???
""मै अपर्णा का पति विवेक बोल रहा हूं , आप इस समय कहा पर हैं??"" उधर से आवाज आयी ...

""अभी वाराणसी मे ही हूं ,कहिए क्या बात है ??

"" कृपया शिवांस हास्पिटल बाबतपुर चले आइए शीध्रातिशीघ्र...""आवाज मे घबराहट थी .....
"मगर .....बात क्या है ""
"" बस आप जितनी जल्दी हो सके आ जाइए ...""
इतना कहकर उधर से फोन काट दिया गया ...

अभय सोच मे पड गया ...आखिर बात क्या है ..कही अपर्णा ....नही नही ऐसा नही हो सकता ...
उसने तुरन्त बाबत पुर की बस पकड ली करीब एक घंटे का सफर था ....
जैसे जैसे बस गति पकडती जारही थी अभय के मस्तिक मे पुरानी यादे ताजा होती जा रही थी .....अभी तीन महीने पहले ही तो अपर्णा की शादी हुई थी .....कितना रोई थी वो तुलसी घाट पर अंतिम बार मिलते समय.....

वह कालेज के दिनो मे खोता चला गया ...

"" ओय मिस्टर कुछ ज्यादा ही पढ लिए हो क्या "" कालेज के बाहर अभय का रास्ता रोकते हुए अपर्णा बोली थी....

"" क्यूं ज्यादा पढना बुरा तो नही है ....सबको पढना चाहिए....""
अभय ने शालीनता से जवाब दिया था ...

"" उपदेश किसी और को देना ....आज के बाद जबतक मै सर के सवाल का जवाब न दे दू बोलना भी मत """
अपर्णा उसको धमकाते हुए चली गयी थी ...

पर अभय कहा मानने वाला था ...सर के पूछने की देर थी उसका जवाब तैयार रहता था ..पर अपर्णा खुद को मेधावी साबित करना चाहती थी ....
इसी के चलते एक दिन अपर्णा ने उसको कुछ लडको से पिटवा भी दिया .....
उसको ज्यादा चोटे तो नही आयी पर शर्ट फट गयी थी ...उसके पास केवल यही एक शर्ट थी .....
किसी तरह जगह पैबंद लगाकर वह उसी को पहन कर. कालेज आने जाने लगा ...और चारा भी क्या था ...वाराणसी मे पढ रहा था यही बडी बात थी ...

पहले दिन तो अपर्णा उसका हुलिया देखकर खूब हसी थी पर जब रोज ही वह यही कपडे पहन कर आने लगा तो उससे रहा नही गया ....

""तुम यही फटी शर्ट रोज रोज क्यू पहन कर आते हो ...."" अपर्णा ने एक दिन रास्ता रोक कर पूछा ....

वह चुपचाप सर झुकाए खडा रहा ...
"" बोलते क्यू नही ऐसे क्यू खडे हो ....और कपडे नही है क्या ....??

""नही ...इसके पास यही एक शर्ट है ""
अभय का दोस्त बीच मे ही बोल पडा और वो आगे बढ गये .....

अपर्णा को काफी पछतावा हो रहा था ...
उस दिन से अपर्णा का अभय के प्रति व्यवहार बिल्कुल बदल गया ...
उसकी मासूमियत ...शालीन सा व्यवहार..
एक तरह से वह उसको अच्छा लगने लगा था ....
वह एक विचित्र सा आकर्षण महसूस कर रही थी ...
वह अब हरदम उससे बात करने का बहाना ढूंढती पर अभय पहले की ही तरह शांत ..और विनम्र था....

वह अभय से इतनी अधिक प्रभावित हो चुकी थी की अगर किसी दिन वह कालेज न आ पाता तो बेचैन हो जाती थी ...पर अभय जस का तस था उसने तो कभी अपर्णा की तरफ आंख उठाकर देखा तक न था ....

उस दिन अपर्णा बहुत बेचैन थी ...होती भी क्यू न ..आज तीसरा दिन था और अभय का कुछ अता पता न था

जब उससे रहा न गया तो वह पता करती हुइ उसके रूम पर पहुच गयी थी ....
वहा का नजारा देख कर वह स्तब्ध थी
.सारा सामान इधर उधर बिखरा था ,और वह एक तरफ चटाइ पर पडा कराह रहा था ...उसने छूकर देखा काफी तेज बुखार था .....
तुरंत. डाक्टर के पास ले गयी ...
जब तक अभय स्वस्थ न होगया अपर्णा ने पूरी देख भाल की उसकी ...
उसके मन मे भी अपर्णा के प्रति लगाव बढ गया था.....अब दोनो घंटो साथ बिताते ..

"""चलो पिज्जा खाते है आज""" अपर्णा ने कहा...

""ये पिज्जा क्या होता है ???"".... अभय ने अनजान बनते हुए पूछा ...
"""अरे उल्लू के पट्ठे , पिज्जा नही खाया क्या कभी ...ये मेरा फेवरेट है ....."""

""नही खाया , कितने का मिलता है ??""
"" डेढ सौ ....दो सौ ...जैसा लो पचास का भी मिलता है ...."". अपर्णा ने हसते हुए कहा ...

""" बाप रे बाप रहने भी दो ,डेढ सौ मे तो मै पॉच किलो चावल खरीद लेता हूं ,जो एक महीना चलता है ...."". अभय ने सोचते हुए कहा ...

""हे भगवान ....चलो तुम मत देना पैसे मै दूंगी ...."" अपर्णा खीझते हुए बोली थी ....

ऐसे ही दिन बीत रहे थे ...वह दिन भीआया जब इनकी भी पढाई पूरी हो गयी ....

आज कालेज का अन्तिम दिन था ....कालेज से निकल कर दोनो गंगा क् किनारे किनारे घूमन् निकल पडे ... रात होने लगी थी पर दोनो को कोई जल्दी न थी ....

चांद पूरे शबाब पर था ...चारो तरफ चांदनी
फैली हुई थी ...गंगा की धार कल कल करती बह रही थी ...वातावरण एकदम शांत था ...दूर नदी मे कोइ नाविक नाव खेता चला जारहा था ...बडा ही सुहावना दृश्य था ...

अपर्णा की गोद मे सिर रखे अभय एकटक उसी को देखे जा रहा था ....
और वह उसके बालो से खेल रही थी ...

"" अपर्णा""".....अभय ने हौले से पुकारा ...
"" बोलो ....''भर्राई सी आवाज मे बोली थी अपर्णा ....

"" मम्मी से बात की ""
"" ऩही,घर जाकर करूंगी ""
""एक बात कहू ,बुरा तो न मानोगी ....""
""कभी बुरा माना है क्या ,जो आज मानूंगी """
"" एक किस कर लूं""
"" नही,शादी के पहले नही""
और वह उठ कर चल पडी थी ....

एक महीने बाद ही अचानक एक इन्वाइटेशन कार्ड मिला अभय को ...
उसे खोलते ही उसका दिल धक सा रह गया ...
यह अपर्णा की शादी का कार्ड था ...

उसका दिल खून के आंसू रो रहा था ...

""बाबत पुर ...बाबत पुर ...""
अचानक आवाज सुनकर उसकी तन्द्रा भंग हुई .....
वह बस से उतर कर हास्पिटल पहुचा
मेन गेट पर ही विवेक मिल गया
वार्ड पहुचते ही उसका गला रूध गया आखो से झर झर आसू गिरने लगे थे ....बेड पर. अपर्णा कृश काय पडी थी ....
अभय को देखते ही उसके कान्तिहीन चेहरे पर चमक उभर आई ...वह मुसकुरा रही थी ....आंखो से झर झर आसू बह रहे थे ...अभय लपक कर उसके पास पहुचा ...उसका हाथ अपने हाथो मे ले लिया .....और फफक पडा ...
"" अभय ""... अपर्णा की बहुत ही धीमी आवाज आयी ....
अभय ने आसुओ को पोछते हुए उसकी तरफ देखा ....
""" अब मै जा रही हूं ,"""
""नही तुम्हे कुछ नही होगा मै हू न ""
"" नही अभय. बहुत देर हो गयी ....अब जा रही हूं . ..कहा था न तुम्हारे सिवा कोई टच भी न कर पायेगा ,,,
अभय बच्चो की तरह बिलख बिलख कर रो पडा
"" अभय""
अभय ने उसकी तरफ देखा .....
एक किस करदो अभय ,यही अंतिम इच्छा है""""
सभी की आंखे नम हो उठी थी ..

अभय ने अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिया ........
अपर्णा के हाथ ढीले पड गये ....चेहरा एक तरफ लुढक गया .......

कही दूर से संगीत की आवाज आरही थी ...

मीत न मिला रे ....मन का ...

सूरज शुक्ला ...मौलिक
२४/११/२०१८


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