पल पल दिल के पास - 24 Neerja Pandey द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पल पल दिल के पास - 24

भाग 24

आपने पिछले भाग में पढ़ा की नीता मासी के बयान देने से केस का रुख पलट जाता है। फिर मिनी की कस्टडी नियति को मिल जाती है। इस खुशी में रस्तोगी पार्टी की मांग करता है। जिसके लिए सब खुशी खुशी तैयार हो जाते है । जिसे प्रणय की मां अपने घर पे करने का प्रस्ताव रखती है। जिसे सब मान लेते है। पार्टी के बाद प्रणय नियति की फैमिली को उसके घर छोड़ता है और मिनी और नियति नीता मौसी के घर चली जाती है।

इधर नीना देवी का अंग प्रत्यंग क्रोध से जल रहा था। वो मिनी से विछोह बर्दाश्त नहीं कर पा रही थीं। वो यही सोच कर परेशान थी की अब मिनी भी चली गई। कैसे वो इस खाली घर में रहेगी..? यही सोच सोच कर उनका दिल बैठा जा रहा था।

घर आते ही पहला काम किया कि नीना देवी ने खुराना को फोन किया और कहा, "खुराना मैने जो ऑफिस तुम्हे दिया है उसे कल ही खाली कर दो। तुम इस काबिल नही हो की तुम्हारे लिए कुछ किया जाए। एक जरा सा काम तुमसे कहा था। पहली बार पर कुछ करना था तुम्हे मेरे लिए। पर तुम कुछ नही कर सके।"

अपने मन की भड़ास निकाल कर नीना देवी ने फोन काट दिया।

नीना देवी का ऑफिस खाली करने का अल्टीमेटम मिलते ही खुराना का दिमाग घूम गया। इतना सुनते ही खुराना जो अपने घर जा रहा था वापस नीना देवी से मिलने लौट पड़ा। वो ऑफिस नीना देवी के लिए मात्र एक प्रॉपर्टी था। पर खुराना की रोजी रोटी था। उसी ऑफिस से शुरुआत कर वो आज एक जाना माना वकील बन पाया था। वो ऑफिस ही उसका सिंबल बन गया था। जिसे वो गवाना नही चाहता था।

नीना देवी के घर पहुंचते ही वो गार्ड से कहा की "जाओ नीना मैडम से कह दो की खुराना सर आए हैं।" गार्ड खुराना को भली भांति पहचानता था। वो खुराना को इंतजार करने को बोल कर गार्ड नीना देवी को खुराना का संदेश देने गया । पर नीना देवी ने भी गार्ड से बड़ी ही रुखाई से बोलीं और कहलवा दिया की "जाओ बोल दो आज मैडम किसी से नहीं मिलेंगी।"

पर नीना देवी के मिलने से मना करने के बाद भी खुराना वहां से गया नही। वह बाहर अपनी गाड़ी में ही बैठा रहा। चले जाने का मतलब वो भाई भांति समझता था।

जब खुराना काफी देर तक नही गया तो गार्ड ने हिम्मत की और फिर से डरते डरते नीना देवी के पास गया। वो बोला बड़े ही नर्म अंदाज में विनती की, "मैडम खुराना सर तो अभी तक नही गए। वो अपनी गाड़ी में ही बैठे हुए है। कह रहे बिना मिले नहीं जाऊंगा। क्या करूं मैडम?"

अब तक नीना देवी का गुस्सा थोड़ा सा कम हो गया था। खुराना के साथ संतोष साल्वे भी तो थे। अगर खुराना कुछ नही कर पाया तो उन्होंने भी तो इतनी मोटी रकम फीस में लेकर कुछ नही किया। हार तो उन्होंने मानी नही थी जो अब फिर से किसी लॉयर की जरूरत नहीं पड़ेगी। किसी लॉयर को ढूढना और उस पर भरोसा करना भी मुश्किल था। खुराना ने तो जब से अपने करियर की शुरुआत की थी तब से उनसे जुड़ा हुआ था। अपने वश भर वो उनका नुकसान नहीं होने देगा। इतना उन्हे यकीन था। सारी गलती नीना देवी को मेरी प्रतीत हो रही थी। उनका खेल बिगाड़ने वाला मैं ही था।

कुछ देर सोच कर नीना देवी ने गार्ड से बोला, "ठीक है जाओ बोल दो आने को।"

गार्ड "जी मैडम" बोल कर सर हिला कर चला गया।

बाहर जाकर गार्ड ने खुराना को नीना देवी का मैसेज दिया की "अब वो मिलने को तैयार हो गई है। आप अंदर चले जाइए।"

खुराना अंदर आया और नीना देवी की ओर देख कर अभिवादन किया।

नीता देवी ने हाथों से बैठने का इशारा किया।

खुराना बैठ गया।

हिम्मत कर खुराना ने अपनी बात कहनी शुरू की।

खुराना माफी ही मांगता रहा पर नीना देवी उसे माफ करने के मूड में बिलकुल भी नहीं थीं। खुराना अपनी सफाई देता रहा। पर उसकी बातों को नीना देवी बिल्कुल भी तवज्जो नहीं दे रही थी।

खुराना भी बेहद शातिर लॉयर था। उसने कोर्ट से ही अपना एक आदमी नियति और हमारे गाड़ी के साथ लगा दिया था। मैं कौन हूं ? कहां से आया हूं? नियति और मेरा कैसा रिश्ता है? ये सब कुछ पता करने के लिए। अभी वो नीता देवी से अपनी सफाई दे ही रहा था की उसके मोबाइल की घंटी बजी। नीता देवी से इजाजत ले वो फोन पर बात करने लगा। बात करते करते जैसे जैसे बात आगे बढ़ रही थी खुराना के आवाज की खनक और मुरझाए चेहरे पर चमक बढ़ती जा रही थी। अपने जिस आदमी को उसने मेरे पीछे भेजा था। उसी का फोन था। जैसे ही बात खत्म हुई वो उत्साह से नीना देवी की ओर पास आकर बैठ गया।

नीना देवी से बताने लगा "मैडम अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। आपने जो कुछ कोर्ट में नियति मैडम के बारे में जज साहब से कहा था। उसी बात को ध्यान में रख कर मैने अपने एक आदमी को उनके पीछे लगा दिया था। उसने पूरा समय उनका पीछा किया। उसी ने अभी फोन किया था।"

खुराना ने मेरा नाम बताया की "प्रणय नाम है उस आदमी का जो नियति मैडम की मदद कर रहा है। वो नियति मैडम के लॉयर रस्तोगी का अभिन्न मित्र है। उसी प्रणय के कारण रस्तोगी ने पलटी मार दी थी। और ये प्रणय बड़े कार्पोरेट हाउस का मेन लॉयर है। उसकी बड़ी ऊंची पहुंच है।" फिर धीरे से फुसफुसाते हुए बोला, "मैने पता किया की वो प्रणय नियति मैडम का खास दोस्त है। वही मदद कर रहा है। मिनी बेबी की कस्टडी मिलने की खुशी में उसी के घर पर पार्टी हो रही थी। अभी उसी प्रणय के घर से पार्टी कर सब निकले है। तभी मेरे आदमी ने मुझे कॉल बताया। मैडम मुझे पूरा यकीन है, ये लोग गलती जरूर करेंगे। मेरा मतलब आप समझ रहीं हैं ना।"

नीना देवी के टूटे मन को खुराना की बातों से सहारा मिला। अंधेरे में जैसे उम्मीद की किरण दिख गई। नीना देवी खुराना की इस बुद्धिमानी पे खुश हुई। वो खुराना से बोली, "खुराना चाहे कुछ भी करो पर मेरी मिनी मुझे वापस दिला दो। मैं उसके बिना जी नहीं पाऊंगी। मेरा मयंक तो मुझे छोड़ कर चला गया। उसका गम मैने मिनी के सहारे खेल लिया। पर अब मिनी की कमी कौन पूरी करेगा..? अब मयंक की निशानी के बिना मैं कैसे जिऊं...? ये घर मुझे काटने को दौड़ रहा है जब से लौटी हूं कोर्ट से एक पल के लिए भी मिनी की सूरत मेरे आंखो से हट नही रही है। हर पल ऐसा लग रहा है की अभी मिनी कही से भागती हुई आयेगी और मेरी गोद में चढ़ कर बैठ जायेगी" बोलते बोलते नीना की आवाज भर्रा गई। वो रोने लगी।

खुराना ने तसल्ली दी। "मैडम आप दुखी मत होइए। मैं इतनी आसानी से हार नहीं मानूंगा। नियति मैडम को मिनी को आपको सौपना ही होगा।"

क्या प्रणय खुराना की तिकड़मों को समझ पाएगा? क्या वो नियति से मिलेगा? या खुराना की चाल को समझ कर वो नियति से दूरी बना लेगा। पढ़े अगले भाग में।