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झूठे ने झूठ की खुलेआम हत्या कर दी

एक गांव में सच बोलने वाले तीन दोस्त थे एक का नाम जुमलेश्वर नाथ सिंह था, दूसरे का नाम धर्मदेव कटियार था और तीसरे का नाम विकाश नाथ तेंदुलकर था, ये तीनो गांव में ही पढ़ाई कर के अलग अलग सहरो में कमाने चले गए, कुछ सालों बाद वे तीनों अपने गांव लौटे तो तीनों का एक गाँव के चौराहे पर जुटान हुवा और आपस मे तीनो बाते करने लगें और लंबी लम्बी कहानियां और अपनी दिनचर्या की बाते कर रहे थे,


तभी जुमलेश्वर नाथ सिंह ने कहां की यार मैं अपनी बात क्या कहूं मैं तो जिस कम्पनी में काम करता हूं वो 500 करोड़ से भी ज्यादा की लागत की कम्पनी है लेकिन उस कम्पनी का मालिक इतना बुरबक और डरपोक है कि जब मैं उस कम्पनी में काम करने गया था तो उस कम्पनी के मालिक ने मुझे देखा तो देखते ही मुझे बुलाया और कहने लगा कि आपका मै रिज्यूम देखा आप गांव से हो और मैं गांव के लोगो को बहुत पसंद करता हूं और गांव के लोग ईमानदार और बलवान भी होते है ऐसा करो आज से तुम इस कम्पनी का बागडोर संभालो क्योंकि मैं कुछ महीनों के लिए विदेश जा रहा हूं कुछ जरूरी काम के लिए,,तब मैंने सोचा की साला ये कंपनि का मालिक मेरे शरीर को देख कर डर रहा है क्योंकि मैं बहुत बलवान हु ही मैंने बचपन मे बहुत कुस्तीया लड़ी है तो मेरा आत्म विश्वास बढा और मालिक ज्यो ही विदेश जाने के लिए निकलने हीवाला था कि मैंने मालिक से बोला कि देखिये आप विदेश जा रहे है तो जाइये लेकिन यहाँ कभी आइयेगा मत नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा ये कम्पनी अब मेरी है,


जब मैंने ये बात बोला तो मालिक डर के मारे गाड़ी में बैठकर सीधे विदेश भाग गया,आज तीन चार महीने हो गए उसके गए मेरे डर मारे आजतक नही लौटा,, देखातुम लोग ये होती है मर्दानगी,,
तब दूसरा व्यक्ति धर्मदेव कटियार ने कहा बस इतना ही में तुम उड़ रहे हो सुनो पहले मेरी बात,


एक दिन मैं आफिस से आ रहा था, रात हो चुकी थी ,कहि कहि रोड पर लाइट नही जल रही थी तो अंधेरा लग रहा था तो मै अपना मोबाइल का लाइट आन कर के रूम के तरफ जा रहा था तो कृष्ण भगवान मथुरा से आ रहे थे तो वे रथ पर थे तो तुम लोग जनबे करते हो कि रथ में लाइट तो होता नही है तो वो मुझसे बोले कि ओ धर्मदेव थोड़ा हमको अंधेरा वाला रस्तवा पर करवा दो ना दिखाई नही दे रहा है तो मैंने पूछा कि कहा जाना है आपको तो "वो बोले" कि देखो ना धर्मदेव बचपन मे जब मैं माखन चुराकर खाया करता था तो यसोदा मैया ऊंची दीवार पर माखन की हान्डी बांधकर रखती थी तो एक दिन मैं उतारने की कोशिश कर रहा था तो पैर फिसल गया था तो मैं गिर गया था उसी समय से चोट लगी जो अब बुढ़ापे में दर्द कर रही है तो मुझे दिल्ली AIMS में जाना है इलाज करवाने के लिए,,तब मैंने मोबाइल का टोर्च जलाकर उनको हाइवे तक पहुंचाया था और पहुंचाने के बाद उन्होंने मुझे अपना मोबाइल नंबर दिया और कहा कि जब कभी भी तुमको कोई दिक्कत या परेशानी हो तो मुझसे कहना मैं तुम्हारा काम कर दूंगा चिंता मत करना,,,


धर्मदेव की बात सुनने के बाद सभी लोग अवाक रह गए एक दूसरे का मुह देखने लगें,


तभी तीसरे ब्यक्ति विकाश तेंदुलकर ने कहा कि बस इतनी सी बात मेरिबात सुनोगे तो तुम लोग पागल हो जाओगे,तो सभी ने कहा बताओ भाई जरा हमलोग भी सुने ऐसी क्या बात हैं जो सुनकर हमलोग पागल हो जाएंगे,,


एक दिन क्या हुआ कि मैं जिस कम्पनी में काम करता था उस कम्पनी का मैनेजर और मालिक से मेरी बनती नही थी बात बात पे वे लोग हमेशा डाँटते रहते थे,मैं ऐसे ही बर्दास्त कर के काम करता रहता था लेकिन एक दिन उनलोगों ने सारी हद पार करके बिना मतलब के डांट कर कहा कि कल तुम्हे इस कम्पनी में काम करने की जरूरत नही है तो मैंने सोचा कि ये लोग ऐसे नही मानेंगे,
तो मैंने कम्पनी के बिल्डिंग से कूदकर जान दे दिया और सुसाइड नोट में लिख दिया कि मेरी सुसाइड का जिम्मेदार यहाँ के मालिक और मैनेजर है,,तब पुलिस वाले आये और दोनों को गिरफ्तार कर लिए और जेल भेज दिए जिसके चलते करोड़ो की कम्पनी बन्द हो गई तब मैं सोच की अब वो लोग तो जेल चल ही गए है क्यों न अब मैं जिंदा हो कर उनलोगों ब्लैकमेल करू तो "मैं जिंदा हो गया" और चोरी छुपे जेल पहुंच कर उनलोगों के पास गया तो वे लोग मुझे देखकर भूत भूत चिल्लाने लगे और भागने लगे तो मैंने उनको किसी तरह समझाया कि मैं भूत नही हु विकाश ही हूँ मैं तुमलोगो को फंसाने के लिए मर गया था लेकिन अब मै जिंदा हो गया हूँ अब तुम लोग जेल से निकलना चाहते हो तो----- 

 आगे की कहानी किताब में जारी रखने के लिए, बने रहें

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