ऐसा क्यों ? - 1 Captain Dharnidhar द्वारा कल्पित-विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • You Are My Choice - 41

    श्रेया अपने दोनो हाथों से आकाश का हाथ कसके पकड़कर सो रही थी।...

  • Podcast mein Comedy

    1.       Carryminati podcastकैरी     तो कैसे है आप लोग चलो श...

  • जिंदगी के रंग हजार - 16

    कोई न कोई ऐसा ही कारनामा करता रहता था।और अटक लड़ाई मोल लेना उ...

  • I Hate Love - 7

     जानवी की भी अब उठ कर वहां से जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी,...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 48

    पिछले भाग में हम ने देखा कि लूना के कातिल पिता का किसी ने बह...

श्रेणी
शेयर करे

ऐसा क्यों ? - 1

आजकल के दौर में तो घरों में संभवतः तीन रोटी एक साथ परोसते देख भी ले तो हमें आश्चर्य नही होगा । किन्तु अधिकतर आपने देखा होगा थाली में तीन रोटी नहीं परोसते दो ही परोसते हैं इसके पीछे कोई तो कारण होगा ।
चलिए आज हम इस पर चर्चा करते हैं फिर अन्य विषय पर चर्चा करेंगे ।

🌹थाली में दो रोटी -
शुरूआत में दो रोटी थाली में परोसते हैं फिर क्रम चाहे बदल जाता हो । अधिकतर लोगों से इस विषय पर हम बात करेंगे तो वे यही कहेंगे इसमें ऐसा कोई लोजिक नहीं है यह सब अपनी मन मर्जी पर निर्भर है कितनी भी परोसी जा सकती है किन्तु यह सही नहीं है हमने बड़े बुढ्ढों के मुँह से सुना है पहले दो ही रोटी परोसनी है ।

🌹तीन रोटी अशुभ क्यों - दरअसल मृतक कर्म में जब त्रयोदशी का कर्म होता है उसमें एक या तीन रोटी परोसी जाती है शुभ-कर्म में व्यक्ति को दो परोसी जाती है । ऐसी मान्यता है कि शुभ कर्म में रोटी दो और अशुभ कर्म में रोटी तीन होनी चाहिए कारण संभवतः यही रहा होगा और मानव ने इसे मृतक कर्म से जोड़कर देख लिया हो । मान्यता यह भी है जिसे भोजन करवा रहे है उसके अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ साथ भोजन करवाने वाले की मंगल कामना भी जुड़ी होती है ।
🌹दो का लोजिक मंगल कार्यों में- हमने देखा है पूजा कर्म में या भगवान को भोग में दो रोटी ही रखी जाती है नवरात्रि में माता रानी के हलवा पुड़ी का भोग लगाया जाता है उसमें पुड़ियों की संख्या दो ही होती है । कन्याओं को भोजन मे दो ही पुड़ी परोसते हैं । अतः इसमें कुछ तो रहस्य है ।
🌹तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा - यह एक कहावत ही बन गयी है किसी विशेष कार्य के लिए जाते समय तीन की संख्या टाली जाती है । कहीं कहीं पर यह भी देखा गया है कि तिलक या रक्षासूत्र बांधते है तो तीन की बजाय चार लोगों को चुनते है इसके लिए किसी अन्य को बांधकर चार की संख्या पूरी कर दी जाती है ।
🌹तीन की संख्या अच्छी भी मानते है - जैसे प्राणायाम तीन किये जाते हैं आचमन तीन किये जाते हैं जब हम कोई जयघोष लगाते है तो उसकी तीन आवर्ती करते हैं शंख बजाते हैं तो उसकी आवर्ती तीन करते हैं चाहे चरणामृत देना हो या पंचामृत देना हो उसको भी हम तीन बार में देते हैं ।
🌹तीन हम क्या क्या मानते हैं -
त्रिदेव - ब्रह्मा, विष्णु, महेश,
त्रिलोक- स्वर्ग लोक, भूलोक, पाताल लोक,
त्रिगुण - सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण
त्रिशूल - दैहिक, दैविक, भौतिक
त्रिनाड़ी- वात, पित्त, कफ ( आयुर्वेद में )
त्रिनाड़ी- इड़ा, पिंगला, सुषुम्णा ( योग में )
त्रिऋतु- सर्दी, गर्मी, वर्षा
त्रिवेणी- गंगा,जमुना,सरस्वती का मिलन ।
त्रिवपु (तीन शरीर) स्थूल, सूक्ष्म, कारण शरीर।
इस तरह से हम तीन के आंकड़े पर विचार करे तो ओर बहुत से नाम मिल जायेंगे । कुछ स्थानों में तीन की संख्या का त्याग हम करते हैं इसमें वैज्ञानिक आधार भी हो सकता है या नही कुछ कहा नही जा सकता । हो सकता है भविष्य में इसका कोई वैज्ञानिक तथ्य सामने आ जाये क्योंकि हिन्दु धर्म को विज्ञान सम्मत धर्म मानते हैं । क्या सही है क्या गलत है यह सब पाठक अपने विवेक से निर्णय करें
✍कैप्टन

क्रमशः -