तुम्हारा नाम (अंतिम भाग) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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तुम्हारा नाम (अंतिम भाग)

और उनकी पढ़ाई पूरी हो गयी।कालेज की पढ़ाई पूरी होते ही मनीषा की शादी की बात होने लगी।तब वह पवन से मिली और बोली,"पवन घर मे मेरे रिश्ते की बात चल रही है।"
"एक ने एक दिन तो यह बात चलनी ही थी।"
"तुम जानते हो मैं तुमसे प्यार करती हूँ।"
"प्यार मैं भी करता हूँ।"
"पवन मैं तुम्हे अपना बनाना चाहती हूँ।तुमसे शादी करके तुम्हारी पत्नी बनना चाहती हूँ।"
"तुम अच्छी तरह जानती हो यह मुमकिन नही है।"
"मुमकिन क्यो नही है?"
"मुझसे पूछ रही हो।तुम जानती हो तुम कहाँ और मैं कहाँ?तुम अमीर मैं गरीब।"
"प्यार अमीर गरीब,ऊंच नीच, छू त अछूत को नही मानता।"
"तुम बिल्कुल सही कह रही हो।प्यार इन सब को नही मानता।लेकिन शादी मैं यह सब देखा जाता है।शादी बराबरी मे ही होती है।"
"मैं इनको नही मानती।और मेरे घर वाले भी ऐसे नही है।वे खुले विचारों के है।अगर वे तैयार नही है तो मैं सब कुछ छोड़ने के लिए तैयार हूँ।'
"लेकिन जब तक मैं अपने पैरों पर खड़ा नही हो जाता।अच्छी सी नौकरी नही लग जाती।मैं तुमसे शादी नही कर सकता।"पवन ने मनीषा को समझाया था।
"मैं तब तक तुम्हारा इन्तजार .करने के लिए तैयार हूँ।"
मनीषा ने कहा तो दिया लेकिन
उसके मां बाप उसकी जल्दी शादी कर देना चाहते थे।जब उसे अपने रिश्ते के बारे में पता चला तो उसने आ अपने माता पिता को पवन के बारे में बताया था।पवन दूसरी जाति का है।गरीब बेरोजगार है।यह जानकर मनीषा के घर वालो ने रिश्ते से साफ इंकार कर दिया।मनीषा ने हर सम्भव प्रयास किया कि उसकी शादी न हो ।पर व्यर्थ।
"लेकिन शादी से पहले मुझे बताती तो मैं शादी से इनकार कर देता।"मनीषा की प्रेम कहानी सुनकर मनीष बोला था।
"जब तुम मुझे देखने आये तब मैं तुम्हे बताने वाली थी।पर अचानक फोन आ जाने पर तुम चले आये थे।'
"लेकिन फिर कोशिश करती।"
"तुम जानते हो औरत कितनी मजबूर होती है।"
"अब मुझ से तुम क्या चाहती हो?"मनीष,मनीषा की बात सुनकर बोला था।
"मैं अपना प्यार पाना चाहती हूँ।"
मनीषा की बात सुनकर मनीष कुछ देर सोचता रहा।फिर बोला"ठीक है।अगर पवन तुमसे शादी करने को तैयार होगा तो मैं तुम्हे तलाक दे दूंगा।"
और मनीष चुपचाप सो गया।जब मनीष पौंआ जाने लगा तो उसकी मां बोली थी,"बहु को साथ ले जा।"मनीष उसे साथ लाना नही चाहता था।पर मां के कहने पर उसे साथ लाना पड़ा।
दुनिया की नज़रो में मनीष और मनीषा पति पत्नी थे।लेकिन एक छत के नीचे रहकर भी वे दोनों अजनबी थे।दोस्त जैसे रह रहे थे।
"पवन तो श्रेया से शादी कर रहा है?"
पवन की मुम्बई में नौकरी लग गयी थी।मनीष उससे बोला,"चलो मेरे साथ।"
वह मनीषा को अपने साथ ले गया।मनीष,पवन से बोली,"तुम श्रेया से शादी कर रहे हो।मैं तुमसे प्यार करती हूँ।और तुम्हे अपना बनाना चाहती हूँ।"
"लेकिन तुम्हारी शादी हो चुकी है।"
"हां इसकी शादी मेरे से हो चुकी है लेकिन इसने सुहागरात को मुझे अपने प्रेम के बारे में बता दिया था।दुनिया की नज़रो में यह विवाहित है लेकिन आज भी कुंवारी है।मैने इसे छुआ नही है।मैं इसे तलाक देने को तैयार हूँ ताकि तुम शादी कर सको।"
"यह तुम्हारी महानता है लेकिन अब सम्भव नही।"
और मनीष उसे लेकर लौट आया था
"क्या तुम अब भी तलाक चाहती हो।"
"सॉरी।मैं बहुत शर्मिंदा हूँ
नोट---मनीषा और श्रेया नाम मे कई जगह गलती हो गयी है