लबसना वाला प्यार - 3 Manisha Agarwal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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लबसना वाला प्यार - 3

सुबह के 7:00 बज रहे थे कुछ लोग साइकिलिंग कर रहे थे तो कुछ योगा और कुछ अपने पैशन को फोलो कर रहे थे। सुबह सुबह का टाइम था इसलिए अंशिका जानती थी कि ध्रुव उसे वही पहाड़ों के बीच नदी किनारे फोटोग्राफी करते हुए मिलेगा अंशिका धीरे धीरे चल कर ध्रुव के पास गई उसने ध्रुव से कहा हाय गुड मॉर्निंग।

धु्व_ गुड मॉर्निंग, यहां कैसे।

अंशिका-मैंने तुम्हें डिस्टर्ब तो नहीं किया।

ध्रुव- नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है मैं तो बस यूं ही.... एनीवे तुम्हें कुछ काम था।

अंशिका- हां, एक्चुअली मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी थी।

ध्रुव- हां तो कहो क्या बात करनी है। ध्रुव ने अपना कैमरा एक तरफ करते हुए अपना पूरा ध्यान अंशिका की बातों की तरफ लगा लिया और उसे देखने लगा।

अंशिका- धीरे धीरे लड़खड़ाते हुए कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी एक्चुअली मैं मैं मैं वो।

ध्रुव को लगा कि शायद कोई सीरियस बात है इसीलिए उसने अंशिका की ओर विश्वास भरी नजरों से देखा और कहा- क्या हुआ क्या तुम्हें कोई परेशानी है या कोई और बात है जो तुम मुझसे करना चाहती हो जो भी है प्लीज बता दो।

यह सुनने के बाद अंशिका ने हिम्मत करते हुए कहा- की ध्रुव मैं नहीं जानती कि मेरी बात सुनने के बाद तुम किस तरह से रिएक्ट करोगे पर फिर भी मैं अपने दिल की बात तुम्हारे साथ शेयर करना चाहती हूं । ध्रुव मैं हमेशा से लोगों से ज्यादा घुल मिल नहीं पाती हूं मुझे हमेशा से ही कम बोलने की आदत रही है मैं प्यार जैसी चीजों में बिल्कुल विश्वास नहीं करती थी पर पिछले 2 महीनों में इशिका और तुम सब से मिलने के बाद मुझे जिंदगी के कुछ नये अनुभवों से गुजरने का मौका मिला न जाने तुम लोगों की दोस्ती मेरे लिए कब इतनी मायने रखने लगी ।

तुम्हें याद है हमारी वो पहली ग्रुप ट्रिप, जिस पर हम एक साथ वहां रुके थे उस दिन इशिका ने मुझे तुम सब के बारे में बहुत कुछ बताया था और शायद उसी दिन से मैं कहीं ना कहीं तुम्हारे लिए कुछ फील करने लगी थी न जाने कब तुम मेरे लिए इतने जरूरी हो गए थे। मुझे लगता है कि मैं तुमसे प्यार करने लगी हूं, मैं नहीं जानती कि तुम्हारे दिल में क्या है पर सच कहूं तो मैं भी यह बात जानना चाहती हूं।( ध्रुव लगातार अंशिका की बातें सूने जा रहा था उसे नहीं पता था की उनकी इस दोस्ती में अंशिका सफर से आगे निकल चुकी है)

ध्रुव ने अंशिका से कहा- की अंशिका प्यार एक बहुत खूबसूरत सफर है जो इसमें साथ चलने को तैयार हो जाए उससे खूबसूरत हमसफर और कोई हो ही नहीं सकता। पर, मुझे लगता है की तुमने अपने लिए किसी गलत साथी को चुन लिया है क्योंकि मेरी जिंदगी में प्यार- शादी जैसी किसी भी चीज के लिए कोई जगह नहीं है। मैं जिस सफर पर निकला हूं वो सफर शायद मुझे जिंदगी भर अकेले ही तय करना है एम सॉरी प्लीज यह प्यार व्यार की बातें दोबारा मुझसे मत करना और जो भी तुमने यहां कहां उसे भूल जाओ वही तुम्हारे और मेरे लिए अच्छा होगा।

यह कहकर ध्रुव ने अपनी बात पूरी कर दी और अंशिका बस उसे एकटक देखे जा रही थी उसकी आंखों में आंसू नहीं थे पर बहुत से सवाल थे जिन्हें वह पूछना चाहती थी।

अंशिका ने ध्रुव से कहा- की मेरे जो मन में था मैंने तुमसे कह दिया अब तुम जानो और तुम्हारा काम जाने। प्यार किसी से भी जबरदस्ती ना ही तो किया जा सकता है और ना ही करवाया जा सकता है मेरे जो दिल में था मैं पूरी सच्चाई के साथ तुम्हारे सामने वो बातें रख देना चाहती थी इसीलिए मैंने यह सारी बातें तुम्हें कह दी। तुम्हें जो ठीक लगा तुमने कह दिया।

आई होप की हमारी बातों से हमारी दोस्ती पर कोई असर नहीं पड़ेगा इतना कहकर वह मुस्कुरा दी। इतनी ही देर में,

गौतम ने ध्रुव को कॉल कर दिया- और कहां की भाई तू कहां है क्लास का टाइम हो गया जल्दी से आ जाओ।

ध्रुव- हां मैं बस अभी आता हूं।

गौतम का फोन था क्लास का टाइम हो गया है मुझे लगता है कि हमें चलना चाहिए ।

अंशिका ने कहा- तुम चलो, मैं थोड़ी देर में आती हूं ।

ध्रुव महाशय ओके कह कर और एक फीकी सी स्माइल देकर वहां से चले गए। मौसम काफी सुहावना था तो थोड़ी देर में बारिश शुरू हो गई और उस बारिश में कब अंशिका के आशु बह कर बारिश के पानी के साथ धूल गए पता भी नहीं चला। अंशिका वहीं खड़े होकर न जाने किस सोच में डूब गई थी और कब एक घंटा निकल गया पता भी नहीं चला । तभी अचानक वह संभली और फिर क्लास के लिए निकल गई। लेट होने की वजह से सीनियर ने उसे क्लास के बाहर ही खड़ा कर दिया अंशिका कुछ नहीं कह पाई ।और फिर क्लास के बाहर आकर कुछ कुछ देर तो वह वहां खड़ी रही और फिर बाद में कैफे में जाकर बैठ गई। उसके सारे दोस्त यही सोच रहे थे कि अंशिका जैसी डिसिप्लिन लड़की आज क्लास में लेट कैसे हो सकती है और अगर लेट हो भी गई तो उसने कोई कारण क्यों नहीं बताया सब लोग अनजान थे पर ध्रुव जानता था कि अंशिका ऐसा व्यवहार क्यों कर रही है।

शाम के 5:00 बज रहे थे यह वक्त सभी दोस्तों का एक साथ गुजारने का होता था। आज अंशिका इस ग्रुप का हिस्सा नहीं बन पाई थी लगभग 10 मिनट इंतजार करने के बाद

इशिका ने- अंशिका को कॉल लगाया और कहा कि तुम कहां हो? हम कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं। तब

अंशिका ने कहा- की वह मेरे पापा का कॉल आ गया था इसीलिए मैं टाइम पर नहीं आ पाई मैं बस अभी वहां आ रही हूं। और यह कह कर उसने कॉल कट कर दिया।

इशिका को यह बात थोड़ी अजीब लगी पर उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया कुछ देर बाद अंशिका भी वहां आ गई। उसके चेहरे पर एक फिकी सी मुस्कान थी जाने वो किसे दिखाने के लिए मुस्कुरा रही थी उसने आते ही बहुत कैजुअली सब से कहा की सॉरी गाइज मैं आज लेट हो गई एक्चुअली पापा का कॉल आ गया था इसीलिए बस थोड़ा सा लेट हो गया। एनीवे, अभी तक तुम लोग ने कुछ आर्डर नहीं किया मुझे बहुत भूख लगी है प्लीज कुछ ऑर्डर कर ले? तब

इशिका ने- हां में सर हिला दिया।

अंशिका और ध्रुव एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे जैसे मानो कुछ हुआ ही ना हो और सब कुछ ठीक हो पर उन्हें नहीं पता था की ये मुस्कुराहट दोनों के लिए ही आसान नहीं है। अंशिका अपना दर्द तो समझ सकती थी पर ध्रुव के मना करने का कारण या इसके पीछे की वजह उसे नहीं पता थी। उसी वक़्त,

इशिका ने- अंशिका से पूछा कि तुम आज सुबह लेट कैसे हो गई थी और सुबह से तुम थी कहां? क्लास में भी तुम लेट आई थी कुछ हुआ है क्या। यह सुनकर ध्रुव और अंशिका ने एक दूसरे की ओर देखा और फिर,

अंशिका ने कहा- कि ऐसा कुछ नहीं है और फिर हंसते हुए कहने लगी की यही तो टाइम है जब हम थोड़ी बहुत मस्ती कर सकते हैं बस यूं ही मन हो गया क्यों ना आज मैं क्लास बंक करके मजे करू इसीलिए बस मैं थोड़ी सी लेट हो गई। और हमारे सीनियर सर को गुस्सा आ गया उन्होंने मुझे क्लास से बाहर निकाल दिया थोड़ी देर तो बाहर खड़ी रही फिर मैंने सोचा यहां टाइम वेस्ट करने से अच्छा है कि मैं थोड़ी देर कुछ समय अपने और अपनों के साथ बिताऊं इसीलिए बस मैं घर पर बात करने लग गई थी काफी दिन हो गए थे इसीलिए, कब बात करते करते 2 घंटे निकल गए पता भी नहीं चला।

अब अगर आपकी इन्वेस्टिगेशन खत्म हो गई हो तो आईपीएस साहिबा मैं कुछ खा लु क्योंकि मुझे बहुत भूख लगी है।

अंशिका- पता है तुम्हें आज मैंने लंच भी नहीं किया। इशिका- सच में ! तो

अंशिका ने भी हां मैं सर हिला दिया।

तब इशिका ने कहा- की ध्रुव ने भी आज खाना नहीं खाया पता नहीं आज सबको खाने से क्या दुश्मनी है क्योंकि मैंने तो आज औरों से ज्यादा ही खाया है।

तब अंशिका ने और गौतम ने उसकी टांग खींचते हुए कहा इसीलिए बाकियों के लिए खाना नहीं बचा और इन दोनों को आज उपवास करना पड़ा तभी कहता हूं थोड़ा कम खाया कर वरना अभी इन दोनों ने किया है कल को हम सब को करना पड़ेगा और यह कह कर सब लोग जोर जोर से हंसने लगे हा हा हा हा हां

अब श्याम हो चली थी और सभी कैंडिडेट अपने अपने कमरे में चले गए कुछ देर बाद इशिका और अंशिका दोनों के रूम में बाकी लोग भी आ गए । इशिका ने शॉक्ड होकर पूछा की तुम लोग हमारे कमरे में क्या कर रहे हो तब रणवीर ने बोला किं किचन में थोड़ा खाना बच गया था सोचा तुम्हारे लिए ले आए।

क्या इशिका और उसके दोस्तों को कभी पता चल पाएगा इस गुमसुम प्यार की कहानी......

चलिए जानते हैं हमारे अगले भाग में....