लबसना वाला प्यार - 2 Manisha Agarwal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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लबसना वाला प्यार - 2

जैसा कि हमने बताया कि अंशिका कहती है कि उसे अपने घर जैसा खाना तो कहीं भी मिल सकता है पर इस गांव के खाने का मजा वह यहीं ले सकती है अगर उसे आज यह मौका मिला है तो वह इस मौके को गवाना नहीं चाहती। उसकी बातें सुनकर सभी लोग सोचने लगे कि बात तो सही है इतने में ही अंशिका का ऑर्डर तैयार होकर आ गया। बाकी लोगों का ऑर्डर तैयार होने में थोड़ा समय लगने वाला था अंशिका ने कहा कि क्यों ना आप लोग मेरे इस ऑर्डर को ट्राई कर लें जब तक आपका ऑर्डर आता है। सबको काफी भूख लग रही थी और उन लोगों के बीच के बॉन्डिंग भी अच्छी हो चुकी थी इसलिए कोई भी फॉर्मेलिटी नहीं कर रहा था अंशिका की बात सुनकर सब लोग तैयार हो गए और उस स्पेशल डिस को खाने लगे जैसे ही उन्होंने उसे टेस्ट किया सभी लोग हैरान रह गए थे कि इतनी टेस्टी डिश उन्होंने पहले कभी नहीं खाई थी। इतने में ही बाकी ऑर्डर भी रेड़ी होकर आ गया था सभी लोग अपना अपना खाना खाने लगे।

ध्रुव ने अंशिका से कहा- आप भी हमारी डिश ट्राई करके देखिए हो सकता है आप को यह भी पसंद आ जाए...

अंशिका-ने( मुस्कुराते हुए कहा) कि बिल्कुल पसंद आएगी आफ्टर आल यह हमारी साउथ इंडिया की डिस् है।

और फिर उसने इशिका से पूछा की यह शाकाहारी तो है ना! मैं शाकाहारी हूं इसलिए पूछ रही हूं। तब

इशिका ने-( हंसते हुए कहा की) मैडम हम सब भी शाकाहारी ही हैं। तब

अंशिका ने कहां आई एम सॉरी मेरा वो मतलब नहीं था। तो

इशिका ने कहा- ओके ओके वी डोंट माइंड नाउ चिल(हंसती हुई)

अंशिका ने कहा- इफ यू डोंट माइंड कैन आई आस्क यू समथिंग? तो

रंजीत ने कहा- गो अहेड वी आर लिसनिंग।

अंशिका- एक्चुली आप सभी तो साउथ इंडिया से है ना तो वहां तो नॉनवेज चलता है फिर आप लोग वेजिटेरियन कैसे हो सकते हैं। तब,

रणबीर ने कहा- की जैसे हम साउथ इंडिया में पंजाब से गए थे वैसे ही यह लोग भी वहां रहने लगे थे । और फिर जरूरी तो नहीं की जो वहां जाते हैं वह सभी नॉनवेज खाते ही हो।

अंशिका ने कहा- यस यू आर राइट।

चलो अब बहुत देर हो गई हैं हमें वापस होटल भी जाना है और फिर कल जल्दी ही हम लोग ट्रेनिंग सेंटर के लिए वापस निकल लेंगे। सभी लोग जल्दी-जल्दी खाना खाकर आपने होटल पहुंचे ।

अंशिका और इशिका रूम पाटनर थे। इसीलिए उन्होंने पूरी रात सोने से ज्यादा बातचीत करने में समय देना ज्यादा सही समझा बातचीत के दौरान इशिका ने बताया कि, रंजीत, रणबीर, अभिषेक, गौतम, इशिका और ध्रुव ये सारे कॉलेज फ्रेंड्स हैं ये सभी कॉलेज के दौरान मिले थे और तभी से इन्होंने अपना लक्ष्य आईपीएस ज्वाइन करना बना लिया था। और इसी दौरान पिछले 3 सालों से वह सारे एक साथ कॉलेज में पढ़ाई के साथ साथ आईपीएस की तैयारी भी कर रहे थे।

अंशिका सारी बातें बहुत ध्यान से सुन रही थी पर जब भी बात धु्व के बारे में होती वह ज्यादा ध्यान से सुनने लगती। बातों ही बातों में अंशिका को पता चला कि ध्रुव एक अनाथ है वह बचपन से अकेले ही पला बड़ा है। यह बात सुनकर जैसे अंशिका गहरे अवसाद में चली गई उसे यह सुनकर धक्का सा लगा पर उसने तुरंत अपने आप को संभाला और इशिका की बात सुनने लगी। बातें सुनते- सुनते और बातें बताते -बताते कब दोनों की आंख लग गई उन्हें पता भी नहीं चला। सुबह रूम में बैल बजीं अंशिका ने दरवाजा खोला और खोलते ही वह शॉक्ड रह गई उसने देखा कि ध्रुव और बाकी सब दरवाजे पर खड़े हैं उसने उनकी ओर सवालों की बेड़ियां सी बांधने की नजरों से देखा वो कुछ पूछती उससे पहले ही......

ध्रुव ने कहा- की तुम लोग अभी तक सो रहे हो मैंने कहा था ना कि हमें जल्दी चलना है तुम्हें पता भी है टाइम कितना हुआ है 8:00 बज चुके हैं। इशिका वो कहां है, क्या हुआ, अभी तक सो रही है रंजीत ने सवालों के घेरे मैं लाकर जैसे अंशिका को चारों ओर से घेर लिया था। और उसके पास निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा।

इतने में इशिका- जग गई उसने बहुत प्यार से सबको गुड मॉर्निंग कहां, कहा सुबह-सुबह इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो। और उस बेचारी पर तो बिल्कुल मत करो मैंने उसे पूरी रात सोने नहीं दिया अगर मैंने उसे अपनी बातों में नहीं लगाया होता तो वह टाइम पर जग जाती। तभी,

ध्रुव ने-( रंजीत के कुछ बोलने से पहले ही) अंशिका को सॉरी कहा और कहा कि अगर हमारी इस पागल दोस्त के साथ रहोगी तो तुम्हें रोज रात को इसके भाषण सुनने पड़ेंगे और रोज सुबह हमारी डांट और यह कह कर सब लोग हंसने लगे हा हा हा हा हा।

इशिका ने-( मूंह बनाते हुए कहा) बस- बस मेरा ब्रेकफास्ट तुम्हारी बकवास से ही करवा दोगे क्या मैं फ्रेश होकर आती हूं तुम जल्दी से ब्रेकफास्ट आर्डर कर दो हम नाश्ता करते हैं और फिर तुरंत चल लेंगे।

यह सुनने के बाद गौतम ने- अंशिका को दरवाजे से एक तरफ होने का इशारा किया अंशिका एक तरफ हो गई और गौतम ने पास में पड़े पिलो को उठाकर इशिका के मुंह की तरफ मारा यह देखकर अंशिका ने अपना हाथ मुंह पर रख लिया और शॉकिंग रिएक्शन देने लगी तब अभिषेक ने कहा कि तुम टेंशन मत लो यह इन दोनों का रोज का नाटक है इनका ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर सब इसी तरीके से होता है और फिर अंशिका ने उन सब की तरफ स्माइल कर दिया।

अंसिका-यह देखने के बाद उसने कहा कि हम बस 10 मिनट में रेडी होकर आते हैं आप लोग ब्रेकफास्ट कर लीजिए और हम गाड़ी में कर लेंगे यह सुनकर सभी लोग अंशिका की सादगी और सरलता को देखकर मंत्र मुक्त से रह गये ।

सभी लोग कार में बैठ गए थे ध्रुव और अंशिका आगे की तरफ बैठे थे और बाकी सब दूसरी तरफ। अंशिका और ध्रुव बस यूं ही बीच-बीच में एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते थे पर खुद से कोई भी बात नहीं कर रहे थे। पीछे बैठे सभी लोग काफी किस्से कहानिया एक दूसरे के अंशिका को सुना रहे थे। और अंशिका बस हर बात पर मुस्कुरा रही थी अंशिका को बस ध्रुव से कुछ सुनने की उम्मीद थी पर काफी देर तक जब दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर रहे थे तब इशिका ने कहा कि क्या फायदा दोनों का आगे बैठने का ना कोई बात कर रहे हो और ना ही कुछ और इससे तो अच्छा कोई गाना चला लो कम से कम 4 घंटे निकालने में आसानी तो होगी यह सुनने के बाद अंशिका ने गाने बजा दिया उस में चलने वाला हर गाना एक प्यार एक एहसास सा दोनों के बीच जगा रहा था जैसे ही अंशिका अंशिका और ध्रुव एक दूसरे की ओर देखते तो बस मुस्कुरा देते हैं और फिर अंशिका अपना फोन यूज करने लगती या फिर बाहर की ओर देखने लगती। इन्हीं एहसासों के साथ कब 4 घंटे निकल गए अंशिका को पता भी नहीं चला यह बात इसीलिए कही जा रही है क्योंकि अंशिका को सफर करना बिल्कुल पसंद नहीं था प्रोफेशन की वजह से उसे सफर करना पड़ता था।

सभी लोग अपने ऑफिस में गए और वहां जाकर अपने काम की रिपोर्ट अपने सीनियर को दी और उनके एक्सपीरियंस को बताने की बारी आई तब सभी ने बारी बारी से अपना एक्सपीरियंस बताया पर जिस बात पर अंशिका ने गौर किया था वह कोई और नहीं बता पाया।

उसके शब्दों में मैं कहूं तो उसने जैसे पूरे गांव को अपने शब्दों में वहां सब के सामने पेश कर कर रख दिया था इसकी मिट्टी की खुशबू जैसे वो अपने साथ ले आई थी उसकी हर बात उसका कहा हर शब्द मानो जैसे चंद घंटों में ही उसने अपने दिल की गहराई से पिरोकर सबके सामने बयां कर दिया था अंशिका खुद एक गांव की थी इसलिए गांव की खूबसूरती को बयान करना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी अंशिका इतना ज्यादा गांव में रहना पसंद करती थी इतना लगाव उसे शहरों से नहीं था। अंशिका बस बोले ही जा रही थी जैसे वह गांव की खूबसूरती का बयान करने का मौका खोना नहीं चाहती हो। हर कोई उसे बहुत ध्यान से देख और सुन रहा था खास करके इशिका और उसके दोस्त क्योंकि पूरा एक दिन वो लोग उसके साथ गुजार कर आए थे पर ना ही तो इशिका और ना ही बाकी दोस्तों ने उसे इतना बोलते हुए पहले कभी देखा था।

बाकी के 2 महीने भी कल्चरल प्रोग्राम और दिवाली की तैयारीयों में और दिवाली का त्यौहार मनाने में बीत गए जैसा कि मैंने बताया कि तीन महीने बाद सेकंड फेज की तैयारी के लिए बाकी ऑफिसर्स को डिवाइड कर दिया जाता है और जो लोग आईपीएस से होते हैं उन्हें हैदराबाद की स्वपना सेंटर में ट्रेनिंग के लिए भेज दिया जाता है। एक हफ्ता ही बचा था न जाने कब अंशिका, ध्रुव के लिए प्यार महसूस करने लगी थी वह चाहती थी कि उनके वहां से जाने से पहले अंशिका अपने दिल की बात ध्रुव से कह दे।

क्या अंशिका अपने दिल की बात ध्रुव से कह पाएगी?

चलिए जानते हैं हमारे अगले भाग में......