रक्त भरें आँशु - 7 Parveen Negi द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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रक्त भरें आँशु - 7

यह कहानी का भाग 7

अगले दिन सुबह ही ,यह खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल चुकी थी, जनता गुस्से में भरी हुई थी, कई और संगठन भी पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने उतर चुके थे, और अर्जुन संस्था को बंद करने के लिए आंदोलन करने लगे थे।

समाज दो भागों में बट गया गया था , एक वह जो अर्जुन के पक्ष में थे, और यह मानने को तैयार नहीं थे कि अर्जुन ऐसा कर सकता है,, दूसरा जो अर्जुन के पिछले जीवन को देखकर फैसला कर रहा था, और उसे गंदे दलदल का कीड़ा मान रहा था"

और अभी,,

इस्पेक्टर अर्जुन को लेकर विकास चौधरी की तलाश में निकलता , उसके पास इंफॉर्मेशन आ जाती है ,यह केस अब स्पेशल टास्क फोर्स के हवाले कर दिया गया हैं।

इस्पेक्टर," अर्जुन अब मैं तुम्हें यहां से बाहर नहीं ले जा सकता, जो काम करेगी स्पेशल फोर्स करेगी , यह केस अब एस. टी फ़ .के हैंडोवर हो चुका है"

अर्जुन जाने कितने गहरे दर्द से घुट रहा है , और लोहे की सलाखों पर अपना सर दे मारता है, सर से खून बहता है और वह जमीन पर आ गिरता है,,

इंस्पेक्टर और पुलिस वाले हड़बड़ा उठते हैं , कहीं लॉकअप में यह मर ना जाए,,,

इस्पेक्टर , " यह क्या किया इसने , इसे कुछ हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे , जल्दी से एंबुलेंस बुलाओ "

और फिर हड़बड़ाहट में, अर्जुन को उठाकर हॉस्पिटल ले जाया जाता है,,

दूसरी तरफ,,,

विकास चौधरी , गला फाड़ कर हंस रहा है , टीवी में आते समाचार को सुनकर,,

समाचार वालों ने अर्जुन को , जाने क्या-क्या बना दिया था, उसे फिर से एक अपराधी की तरह पेश कर दिया था,,

माया,, सीमा,, रेनू ,,और बच्ची भी TV की आती आवाज सुनकर अर्जुन को ही दोषी मानने लग गए थे।

आखिर बच्चे ही तो थे , अच्छे बुरे की पहचान, इतनी जल्दी नहीं कर सकते थे।

विकास चौधरी, " देखा तुमने कितना जबरदस्त प्रतिशोध लिया है मैंने"

बब्बू , " मान गए सरकार आपको, पर पुलिस आपको भी ढूंढ रही है , अब आप कैसे बचोगे"

विकास चौधरी , " पुलिस मुझ तक कभी नहीं पहुंच सकती समझा,, मेरे इस अड्डे के बारे में तो, तेरे सिवा हवा को भी नहीं मालूम"

बब्बू , " सरकार अब लड़कियों का क्या करना है"

विकास चौधरी , " करना क्या है, वही जो हमारा काम है, इन सब लड़कियों के तो मुझे मोटे पैसे मिलने वाले हैं, तू देखता जा"

बब्बू , " पर इन्हें यहां से बाहर कैसे निकालेंगे, बाहर तो जगह-जगह पुलिस का कड़ा पहरा है , और इन्हीं लड़कियों की खोजबीन की जा रही है"

विकास चौधरी कुछ सोचते हुए ," तो फिर अपने स्पेशल ग्राहकों को यहीं बुला लेते हैं , और लड़कियों को बेचकर , सब पैसा लेकर इस राज्य से ही बाहर निकल जाएंगे "

और फिर विकास चौधरी, सेठ को फोन मिला देता है,,,

सेठ , "हां ,बोलो इंतजाम हुआ"

विकास चौधरी , " हो गया सेठ साहब ,आपकी फरमाइश हम पूरी ना करें क्या ऐसा हो सकता है,, और सेठ जी,, एक बात और है"

सेठ, " हां,, बोलो क्या बात है"

विकास चौधरी , " मैं अपने गुप्त अड्डे पर लड़कियों की बोली लगाने वाला हूं, और आपके साथ -साथ और भी कई सेठ आएंगे , इसलिए सूटकेस जरा भरकर लाना"

सेठ , "अच्छा तो यह बात है ,ठीक है फिर"

और फिर विकास चौधरी , कई जगह फोन मिलाता है ,और सब को अपने यहां आने का इनविटेशन दे देता है,,,

बब्बू, " सरकार लगता है आज हमारी तिजोरी फुल हो जाएगी"

विकास चौधरी , "हां यह तो है " और उसके चेहरे पर घटिया मुस्कान आ जाती हैं।।

विकास चौधरी , " जा लड़कियों को, थोड़ा अच्छी तरह से तैयार कर दे , ताकि देखने में बढ़िया दिखे"

बब्बू, " ठीक है सरकार ,अभी तैयार कर देता हूं"

दूसरी तरफ,,,

अर्जुन को, हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया जाता है,,

अर्जुन, अब धीरे-धीरे होश में आ रहा था, होश में आते ही उसे पिछले रात की सारी घटना एकदम से याद आ जाती है, और उसका पूरा शरीर कांप उठता है , अपनी उन छोटी बच्चियों के लिए , उसका दिल तड़प उठता है , और वह वहां से भागने का फैसला कर लेता है,,,

अर्जुन के हाथ में हथकड़ी थी, जो बेड के पाइप के साथ बांध दी गई थी,,

अर्जुन , अब इसे कैसे निकलू, पर मुझे यहां से निकलना है, कुछ भी करना पड़े तो मैं करूंगा ,

और सी आंखों में क्रोध उतर आता है , वह पूरी ताकत लगाकर उस पाइप को तोड़ने की कोशिश करता है, और उसकी कोशिश सफल होती है , उस पाइप की वेल्डिंग टूट जाती हैं , और वह हथकड़ी बाहर निकाल लेता है,

अभी वह वहां से निकलने की सोच ही रहा था कि ,दरवाजे से अंदर कंपाउंडर आ जाता है,,,

अर्जुन उसे दबोच लेता है , और उसे बेहोश कर बिस्तर पर लेटा देता है , और चादर ओढ़ा देता है , और उसके कपड़े पहन कर , हथकड़ी को ढक कर बाहर निकल जाता हैं।

अर्जुन, " विकास चौधरी तू कहीं भी छुपा हो ,तुझे तेरे हर बिल से बाहर निकाल लूंगा ,और अगर मेरी बच्चियों को तू ने उठाया है तो,,, तो तूने यह जिंदगी की सबसे बड़ी भूल कर दी है"

अर्जुन की आंखें औऱ चेहरा क्रोध के कारण अब लाल हो चुका था।

अर्जुन, वहां से सीधा उजला माई के घर जाता है।

उजाला माई उसे देख कर हैरान रह जाती हैं , " यह सब क्या हो गया अर्जुन, तुम्हारा पूरा घर जला दिया गया है , और उन बच्चों को कौन उठा ले गया, मुझे तो उसी दाढ़ी वाले इंसान पर शक है"

अर्जुन , " मुझे भी उसी का यह काम लगता है ,मैं उसे छोड़ने वाला नहीं"

और फिर अर्जुन , अपने हाथ की हथकड़ी , आरी से काट कर अलग कर देता है।

अर्जुन, वहां से राजू को फोन करके बाइक मंगवा लेता है, और फिर वहां से कपड़े बदल कर अपने चेहरे को छुपाने की व्यवस्था करके ,विकास चौधरी की तलाश में निकल जाता है।

दूसरी तरफ,,,,

विकास चौधरी के उस अड्डे पर , कई सेठ बैठे हुए थे ,और उन छोटी लड़कियों के खरीदार,,,

विकास चौधरी ," बब्बू लड़कियों को ले आओ ,अब ज्यादा देर हमारे मेहमानों को तड़पाना ठीक नहीं"

बब्बू , " अभी लाया सरकार"

विकास चौधरी, " उन छोटी लड़कियों की तारीफ करते हुए, आप सबके लिए, एक से बढ़कर एक , बढ़िया लड़कियां ढूंढ कर लाया हूं , इसलिए पैसे भी बोली से ही तय होंगे, जो ज्यादा बोली बोलेगा माल उसी का हो जाएगा"

बब्बू , " अंदर से सब 8 से 12 साल की लड़कियों को, लाकर लाइन से खड़ा कर देता है"

और उन लड़कियों को देखकर वहां बैठे सब लोगों की आंखों में हवस आ जाती है , वे जिस्म के भूखे भेड़िए उन्हें नोच खाने के लिए मचल उठते हैं,,,

विकास चौधरी ,, उनके चेहरे और आंखों को देखकर खुश होता है, और समझ जाता है , इस बार उसे ढेर पैसा मिलने वाला है..

विकास चौधरी, रेनू को आगे खड़ी कर देता है, " हां ,,तो मेरे मालिक लोगो,, इसकी बोली एक लाख से शुरू होती है,,,

क्रमशः

क्या होगा कहानी का अंजाम जाने के लिए बने रहे