Rakt bhare aanshu - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

रक्त भरें आँशु - 8 - अंतिम भाग

यह कहानी का भाग 8,

हॉस्पिटल के अर्जुन के भाग जाने से ,अफरा तफरी का माहौल बन चुका था,,

हर तरफ उसकी खोज ,जोर-शोर से शुरू कर दी गई थी।

पर ना तो पुलिसवाले अर्जुन को ढूंढ पा रहे थे ,और ना ही उन लड़कियों को"

दूसरी तरफ,,,,

6 की 6 लड़कियां बिक चुकी थी, और उन हवस से भरे इंसानों के द्वारा बिस्तर पर रौंदी जा रही थी, और यह सिलसिला कितने घंटे तक चला ,,,,कोई पता नहीं,,, बस हवस और जिस्म के हैवान अंधे हुए पड़े थे,,,

और अगली सुबह पूरा शहर, क्या पूरा राज्य हिल चुका था,,,,

शहर के बाहर नाले में 6 मासूम बच्चियों की लाशें पड़ी थी,,,,

शहर की आधी पुलिस फोर्स वहां जमा थी , भीड़ को कंट्रोल करने के लिए , केंद्रीय पुलिस बल को भी बुला लिया गया था,,।

पर भीड़ आउट ऑफ कंट्रोल होती जा रही थी , उस नरसंहार को देख कर,,

नाले से निकाल कर , उन बच्चियों की लाशों को ले जाया जाता है,,,

और कुछ ही समय बाद , हर तरफ अर्जुन को पकड़ने की मांग तेज हो चुकी थी।


इस्पेक्टर, "मुझे नहीं लगता यह काम अर्जुन ने किया है"

एसपी ,, " तुम ऐसा कैसे कह सकते हो , अगर उसने ऐसा नहीं किया है तो भागा ही क्यों, शायद उसने ही लड़कियों को बेचा होगा"

इस्पेक्टर ,, " सर वह इन लड़कियों को ढूंढने के लिए ही भागा था, और अगर बेचा होता तो वह , मेरे बुलाने पर नहीं आता तभी भाग जाता"

एसपी , " जो भी हो ,,लड़कियों की मेडिकल रिपोर्ट आ गई है, जानते हो कितनी बेरहमी से इनके साथ बलात्कार हुआ है, डॉक्टर और कहना है , कम से कम 20 लोगों ने इनके साथ हैवानियत की है, पूरा शरीर नोच दिया गया है"

इस्पेक्टर , अपनी आवाज में दर्द भर के ,, " अगर अर्जुन बेगुनाह है ना सर तो , बहुत जल्दी यह शहर लाशों से पटने वाला है"

एसपी , "क्या कहना चाहते हो तुम"

इंस्पेक्टर, " वही जो कोई देख नहीं पा रहा है, इन 6 बच्चियों की मौत का हिसाब अर्जुन जरूर करेगा , मैंने उसकी आंखों में इन बच्चियों के प्रति प्रेम देखा है , आप देखते जाइए सर शहर में कैसे मौत का तांडव होता है" और उठ कर बाहर निकल जाता है,,,,

और यह खबर अर्जुन तक पहुंच चुकी थी, और उसकी आंखें दिल के सारे गुबार को आंखों के रास्ते बहा रही थी, आंखें बिल्कुल रक्त के सामान, लाल हो कर धधक रही थी,,

अर्जुन ,, " कहां छुपा बैठा है विकास चौधरी, बस एक बार तू मिल जाए "

और फिर उसे किसी बात का ध्यान आता है, और वह फौरन राजू को फोन मिला देता है,,,

राजू , "उस्ताद,, कैसे हो आप ,कहां हो ,ठीक तो हो ना"

अर्जुन ,, "एक बात बता , उस रात में टक्कर मारने वाली गाड़ी का रंग कैसा था"

राजू ,, " उस्ताद ,,,,काले रंग की वैन थी,"

अर्जुन,, " तो मेरा एक काम कर,," और उसे कुछ बताता चला जाता है,,,

दूसरी तरफ,,

बब्बू, " सरकार,,,, शहर में तो पूरी आग लगी हुई है , ऐसे मैं राज्य से बाहर निकलना नामुमकिन है ,और वैसे पुलिस आप की तलाश भी बहुत जोर शोर से कर रही है"

विकास चौधरी ,, " कोई बात नहीं, अगर पुलिस मुझे पकड़ भी लेती है तो छूट जाऊंगा , उनके पास मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं होगा, और जेल तो आना जाना मेरा रोज का ही काम है, जेल जाने से डरना कैसा"" और जोर से हंस पड़ता है।

बब्बू , " सरकार ,,टोटल माल कितना जमा हुआ"

विकास चौधरी ,, " एक करोड रुपए जमा हो गया है" और अपने दाढ़ी पर हाथ फेरता है।

बब्बू , " वाह सरकार ,इस अर्जुन ने तो हमारी किस्मत बना दी"

दूसरी तरफ,,,

राजू, काली वैन के बारे में पता करता है , अर्जुन ने उसे थोड़ा बहुत बता दिया था की, विकास चौधरी के आदमियों के पास ऐसी गाड़ी हो सकती है...

और फिर राजू को यह खबर मिल जाती है कि,, विकास चौधरी के आदमी बब्बू के पास भी काली वैन हैं।

राजू ,, यह बात अर्जुन को भी बता देता है,

अर्जुन , "राजू तुम शहर के घरों में और लोगों से पता करो, किसी ने काली वैन को देखा है.

राजू , " ठीक है उस्ताद,, मैं अपने और दोस्तों को भी इस काम पर लगा देता हूं ,,, हम पूरा शहर छान मारेंगे,,,, हर गली नुक्कड़,,,, आप फ़िक्र मत कीजिए ,,,आपको बहुत जल्दी इस गाड़ी का पता चल जाएगा....

रात 12:00 बजे,,,

विकास चौधरी और बब्बू शराब के नशे में डूबे हैं,,, और तभी जबरदस्त तरीके से दरवाजा टूट जाता है,,, और अर्जुन अंदर आ जाता हैं,,,,

विकास चौधरी ,शराब के नशे में , "कौन है साला, जो ऐसे दरवाजा भड़का रहा है"

बब्बू , " मुझे तो लगता है, दरवाजा टूट गया है सरकार"

और दोनों मुड़कर दरवाजे की तरफ देखते हैं।

और अपने सामने जलती आंखों को लिए खड़े अर्जुन को देखकर ,, उन दोनों के तो होश उड़ जाते हैं, और सारा नशा सेकेंडो में उतर जाता है,,,

और फिर, अगले 3 दिन तक शहर में बड़े बड़े सेठों की हत्याएं होती हैं , सारे राज्य की कानून व्यवस्था चौपट हो जाती है , पुलिस महकमे को समझ नहीं आता, यह हो क्या रहा है।

पहले ही उन 6 मासूम लड़कियों की हत्या का केस नहीं सुलझा पाए थे ,, और अब यह हत्याएं ,शहर भर को झुलसा गई थी,,,

और फिर चौथे दिन ,, शहर के चौराहे पर ,, विकास चौधरी और बब्बू की लाशें टंगी थी,,,

और उनकी छाती पर , एक बड़ा सा पोस्टर चिपका था,,,

मेरी 6 मासूम बच्चियों के कातिल ये बाईस लोग थे,, और मैंने इन्हें मार कर, अपनी मासूम बच्चियों के जिस्म पर पड़े, हर हैवानियत भरे निशान का बदला लिया है,,,

और फिर देखते ही देखते , यह खबर पूरे राज्य भर में फैल चुकी थी , लोगों की जुबान पर बस इन्हीं कत्लों की चर्चा थी ,,,

हर कोई अर्जुन द्वारा किए गए अपने इस न्याय भरे, फैसले से खुश था,,

इंस्पेक्टर , " सर मैंने कहा था ना,,, अर्जुन अपनी बच्चियों को जान से भी ज्यादा प्यार करता था,,,

एसपी ,, "चलो जो हुआ अच्छा ही हुआ , अपराधियों को उसने अपने तरीके से निपटा दिया"

,,,,,,,,

अकाश से बादल छठ चुके थे , समंदर से उठती तेज लहरें भी अब शांत हो चुकी थी ,, पर अर्जुन अभी-भी घुटनों के बल उसी चट्टान पर बैठा था,,,

अर्जुन ,,, " मैं तुम सबको नहीं बचा सका ,, भाई बोलती थी ना तुम सब मुझको ,,, मैं अपना फर्ज नहीं निभा सकता"

उसका मन और हृदय फिर से भावुक हो उठता है, और उसकी लाल और सूजी हुई आंखों से ,,,बहते आंसू,,, रक्त के समान दिखाई दे रहे हैं,,,

और फिर , उसके जबड़े और इरादे सख्त होते चले जाते हैं, और वह एक झटके से ,,,अपने घुटनों से अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है ,,,उसकी छाती तन जाती है, सर ऊंचा उठ जाता है,, जैसे विशाल समुंदर को भी ललकार रहा को,,,

" तुम्हें ना बचा सकने का मैं,,,, प्रायश्चित करूंगा ,,,,, मैं मौत को गले नहीं लगाऊंगा,,,, बल्कि ऐसे जिस्म के दरिंदों का,, हैवानो का, काल बनकर, समाज के बीच में रहेगा,,,,,

,,,,, अब ये ,,अर्जुन

समाप्त समाप्त


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