संयोग-- अनोखी प्रेम कथा - (भाग 3) Kishanlal Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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संयोग-- अनोखी प्रेम कथा - (भाग 3)

"मालती"
"आपने बुलाया?"शंकर की आवाज सुनकर मालती चली आयी।
"मालती यह संगीता है।इसे नहलाकर नए कपड़े मंगाकर पहनाओ।"
"यस सर्"।मालती, संगीता को अपने साथ ले जाती है।वह उसे बाथरूम में ले जाकर सब समझा देती है।मालती अपने एक जोड़ी नए कपड़ दे देती है।संगीता शॉवर के नीचे खड़ी होकर काफी देर तक नहाती रही।फिर तौलिये से बदन पोंछकर कपड़े पहन कर बाहर निकली थी।फिर मालती उसे शंकर के पास ले गयी।
"सुंदर।अति सुंदर,"सरला,संगीता को बदले रूप में देखकर बोली,"तू कमल के फूल के समान है।कमल का फूल गन्दगी में खिलकर भी कितना सुंदर होता है।कितना लुभावना होता है।लक्ष्मी का प्रिय।"
"माँ यह फूल नही हीरा है।अनमोल हीरा।जिस तरह हीरे को तराशने की जरूरत होती है।वैसे ही इसे।इस कि आवाज में माधुर्य है,कोयल सी मिठास है,जादू है जादू। मै इसे हिंदुस्तान की मशहूर गायिका बनाऊंगा।"शंकर बोला था।
और शंकर ने उसे संगीत की शिक्षा देना शुरू कर दिया था।उसके लिए शंकर ने टीचर रख दिया जो उसे हिंदी और अंग्रेजी पढ़ाने लगी।एक टीचर उसे रहन सहन और शहर के तौर तरीके सिखाने लगी।धीरे धीरे संगीता रहन सहन,खान पान और तोर तरीक़े के साथ संगीत में भी परवीन होने लगी।
मुम्बई की मशहूर संस्था ने म्यूजिकल नाईट के प्रोग्राम का आयोजन किया था।यह आयोजन संगीतकार शंकर के निर्देशन में था।पुराने कलाकारों के बाद अचानक शंकर स्टेज पर आकर घोषणा करता है,"अब आपके सामने एक नई गायिका गाना गायेगी"।
नई गायिका श्रोता उत्सुकता से देखने लगे।कौन है?और तभी स्टेज पर संगीता का पदार्पण हुआ।
और सबसे पहले उसने शंकर का संगीतबद्ध
दौलत वालो
गाना गाया।श्रोता उसके गाने पर झूम उठे।पहले संगीता ट्रेन में गाती थी।ऑर्केस्ट्रा की धुन पर समा बांध दिया।गाना खत्म होने पर लोगो की तालियों के साथ
वन मोर का शोर होने लगा।और श्रोताओं की मांग पर संगीता को एक के बाद एक कई गाने गाने पड़े।उसकी आवाज में जादू था।लोग उसकी आवाज के दीवाने हो गए।पहली बार मे ही वह छा गयी।दूसरे दिन अखबारों में उसके फोटो छपे थे।
और फिर शंकर ने संगीता से अपनी फिल्म के कुछ गाने रिकॉर्ड कराये थे।फ़िल्म रिलीज़ होने से पहले ही उसके गाये गाने काफी लोकप्रिय हुए थे।उसकी आवाज को सुनकर दूसरे संगीतकार भी उससे गाने गवाने लगे थे।जो संगीता ट्रेन में गाना गाकर लोगों के सामने हाथ पसारती थी।उसी संगीता पर पेसो की बारिश होने लगी।वह फ़िल्मी दुनिया मे छाने लगी।पैसा आने पर शंकर ने उसे बंगला दिला दिया।जिस संगीता के पास गांव में झोपड़ी थी।उस संगीता के पास महानगर में आलीशान बंगला था।कार थी। नौकर थे।उसका सेक्रेटरी था।संगीतकार उसके पास आने लगे थे।
संगीतकार शंकर जवान था।अभी तक कुंवारा था।संगीता के सम्पर्क में आने पर उसे चाहने लगा।प्यार करने लगा था।लेकिन अपने प्यार का इजहार उसने संगीता से नही किया
था।वह उचित समय के इन्तजार मे था।
फ़िल्म इडस्ट्री में राजन नवोदित हीरो था।उसकी पहली फ़िल्म का प्रीमियर था।इस फ़िल्म के गाने संगीता ने भी गाये थे।संगीता भी प्रीमियर शो में गयी थी।फ़िल्म की सारी टीम और अन्य लोग भी आये थे।राजन और संगीता का आमना सामना हुआ तो संगीता बोली,"मै संगीता।"
"आप बहुत अच्छा गाती है।मै तो फिल्मी दुनिया मे आने से पहले ही आपका दीवाना हूँ।आप की आवाज में जादू है।जो दीवाना बना देता है।"