वो अनकही बातें - 34 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो अनकही बातें - 34

शालू दानी को लेकर डाक्टर नीरजा के चेंबर पहुंच गई। वहां पर दानी को टीका लग गया और फिर डाक्टर ने कहा कि हल्का बुखार आ सकता है। नहाना नहीं है, मालिश भी तीन दिन तक नहीं करवाना है। शालू ने कहा और कुछ मैम। डाक्टर नीरजा ने कहा हां ठीक है वज़न थोड़ा बहुत बढ़ गया है।उसका अन्नप्राशन संस्कार करवा दो उसके बाद चावल,दाल खिला सकती हो। शालू एक दम से रोने लगी। डाक्टर नीरजा ने कहा अरे क्या बात है। शालू ने कहा मैम कोई प्रोब्लम तो नहीं है वज़न कम है। डाक्टर नीरजा ने हंसते हुए कहा अरे बाबा नहीं सब कुछ ठीक है। शालू ने थैंक यू कहा और दानी को लेकर घर लौट आई।
घर आकर ही दानी को सुला दिया और सोमू को फोन करके सारी बात बताई। समीर ने कहा अच्छा ठीक है मैं घर आकर बात करता हूं।
फिर शालू भी सो गई और कुछ देर बाद ही दानी जोर जोर से रोने लगी तो शालू जल्दी से उठ कर दानी को गोद में उठा कर हिलाने लगी। देखा तो दानी का शरीर पुरा जल रहा था। शालू ने कहा ओह माई गॉड जल्दी से वो दवा देती हुं। फिर शालू ने दानी को दवा पिलाई और वो सहलाने फिर धीरे धीरे सो गई। शालू की आंखें भर आईं थीं अपनी दानी की तकलीफ देख कर।हे भगवान सारी तकलीफ मुझे दे दो। फिर कुछ देर बाद शालू की आंख लग गई। शाम को समीर ने एक चाय के साथ जगाया। शालू आंख मलते हुए कहा ओह तुम कब आए। समीर ने कहा हां जब मां बेटी सो रही थी ‌। शालू ने चाय का कप रख कर समीर से लिपट कर रोने लगी।सोमू ने कहा ओह ओह क्या हुआ मेरी जान। शालू ने तब सारी बात बताई। समीर ने कहा हां ठीक है बच्चों में कम ज्यादा होता रहता है ज्यादा सोचो मत।हम जल्दी ही अन्नप्राशन संस्कार करवाते हैं।
फिर इसी तरह कुछ दिन बीत गए एक दिन समीर ने पंडित जी को बुलाया और दानी के अन्नप्राशन संस्कार के बारे में बताया तो पंडित जी ने पंजिका देख कर एक शुभ मुहूर्त देखकर कर कहा कि इस महीने के आखिरी में एक अच्छा दिन है। फिर पंडित जी चले गए।
समीर ने कहा चलो काफी समय है सब तैयारी हो जाएगी। शालू ने कहा हां वो सब ठीक है पर दानी को खीर कौन खिलाएगा? समीर ने कहा अरे बाबा वो अपना विकास है ना। शालू ने कहा हां उसको आज ही बता दो। समीर ने कहा हां लो अभी बोलता हूं। फिर समीर ने फोन करके विकास को सारी बात बताई। विकास बहुत खुश हो कर बोला हां ठीक है।

फिर दोनों शापिंग पर जाने लगें। थोड़ा थोड़ा करके सब सामान खरीद लिए। समीर ने शालू के लिए एक बनारसी सिल्क साड़ी खरीद लिया और फिर दानी के लिए तरह-तरह के खिलौने और उसके लिए फ्राॅक और बहुत सारे कपड़े खरीदे। सभी रिश्तेदारों के घर कार्ड भी पहुंच गया।
फिर विनय काका ने सब तैयारी कर लिये थे।
पुरा घर दुल्हन की तरह सजा था। समीर ने कहा एक दिन दानी भी दुल्हन बनेंगी। शालू ने कहा तुम भी ना सोमू।रूलाते बहुत हो।
फिर सब मेहमान आने लगें।सब कुछ ना कुछ तोहफा दे रहे थे। दानी अपने पापा के गोदी में घुम रही थी। फिर विकास भी आ गए। शालू ने कहा आज विकास भाई सही मायने में मेरे भाई बनेंगे। दानी के मामा। विकास ने कहा शालू जी मैंने तो कब से तुम्हें अपनी बहन बना लिया था। फिर पंडित जी पुजा शुरू कर दिए।
विकास की गोद में दानी को बैठा दिया गया। शालू और समीर भी पास बैठ गए। विडियो रेकॉर्डिंग भी हो रही थी। समीर अपनी बेटी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे।
फिर एक पुरी छप्पन भोग से बना हुआ थाली विनय काका लेकर विकास के पास रख दिया। फिर पंडित जी के मंत्र उच्चारण के साथ ही विकास ने दानी के मुंह में चावल की खीर डाल दिया। दानी बहुत ही प्यार से खाने लगी। पंडित जी ने तीन बार खिलाने को कहा। उसके बाद थोड़ा थोड़ा खाना जैसे पुलाव, चटनी, भाजी ये सब खिला दिया गया।
उसके बाद पंडित जी ने एक थाली में एक किताब और एक पांच सौ रुपए का नोट रख दिया और फिर विकास ने वो थाली उसके पास लेकर गया। दानी ने अपनी बड़ी बड़ी आंखों से देखा और पहले किताब को छूने लगी और फिर लपक कर पांच सौ रुपए का नोट हाथ में ले लिया।
ये देख सब मेहमान ताली बजाने लगे ‌। शालू ने कहा देखा कितनी चालाक है सोमू। समीर ने कहा हां मां पर गई है। शालू इस नोट को सम्हाल कर रख देना हां। शालू ने कहा हां ठीक है। फिर सभी मेहमानों को खाना खाने के लिए कहा गया।बाहर ॅलान में सब व्यवस्था किया गया था। सभी लोग बहुत ही अच्छे से खाना खाने लगे। पुरा छप्पन भोग बना था। शालू ने कहा अरे नायरा अभी तक नहीं आई कब से फोन कर रही हुं। कुछ देर बाद ही नायरा आ गई।साॅरी लेट हो गई। दानी को गोद ले लिया और फिर प्यार करने लगी। शालू ने कहा हां और लेट से आती।चल खाना खा लो।नायरा ने कहा रूक जा अपने बैग में से एक सोने की चेन निकाल कर दानी के गले में पहना दिया। शालू ने कहा वाह वाह बहुत सुंदर।।
चल अब चलते हैं। फिर दानी को लेकर सब खाना खाने बैठ गई। समीर ने ही शालू का प्लेट लगा कर लेकर आ गए।नायरा ने देखते ही कहा वाह क्या बात है तुम दोनों एक-दूसरे के लिए बने हो। समीर ने कहा हां ठीक कहा। फिर सभी बातें करने लगा और खाना खाने लगे।
करीब चार बजे तक सभी मेहमान जाने लगें। स दानी को आशीर्वाद देते हुए सब जाने लगें।

विकास भी अपने परिवार के साथ जाने लगें। तभी शालू ने कहा भाई ये लिजिए आपके लिए। विकास ने कहा अरे ये क्या।। शालू ने कहा आप मामा हो तो रिवाज है। विकास ने कहा अच्छा ठीक है। शालू ने एक पैकेट सपना के तरफ बढ़ाते हुए कहा ये आपके लिए। सपना ने कहा थैंक यू। शालू ने एक और पैकेट विकास की बेटी को देते हुए कहा ये तुम्हारे लिए। फिर विकास लोग जाने लगें। उसके बाद नायरा भी जाने लगीं। शालू ने एक पैकेट देते हुए कहा ये लो।नायरा ने कहा ओह मेरे लिए भी। शालू ने कहा हां मासी को तो मिलेगा ही।नायरा ने पैकेट लेते हुए कहा ओके चल अब चलती हूं।

फिर सभी लोग चले गए। शालू दानी को लेकर ऊपर बेडरूम में आकर देखा तो दानी सो गई थी। फिर उसके ड्रेस उतार कर बेबी सूट पहना दिया। फिर खुद फेश् होने चली गई। कुछ देर बाद समीर और विनय काका सारे गिफ्ट्स लेकर रख दिया। शालू ने अपने सोमू को गले लगाया और कहा थैंक्स बहुत छोटा शब्द होगा। आज तुमने मुझे जो कुछ भी दिया शायद मैं उसके काविल नहीं थी। कुछ शायद अच्छा तो किया होगा तभी तुम आए हो मेरी जिंदगी में।लव यू। समीर ने कहा हां ठीक है यार मैंने कुछ अच्छा किया होगा तभी तुम मिली मुझे। चलो सो जाते हैं। समीर ने कहा हां आज थोड़ा सा रोमांस हो जाएं।

शालू ने कहा ना जी ना। चलो सो जाओ भी। समीर ने कहा ओह मेरी जान ये कैसी है दूरियां। क्यों है मजबूरियां। शालू हंसने लगी। समीर ने कहा हंसी तो फंसी। फिर दोनों एक-दूसरे को तकिए से मारने लगे। फिर समीर ने अपनी तरफ खींच लिया। शालू ने कहा ओह सोमू छोड़ो भी। दानी जाग जाएगी ना।सोमू ने कहा हुं स । क्या यार बच्चों जैसी ज़िद कर रही हो हां। शालू ने कहा हां मैं कर रही हुं या फिर तुम। समीर अपनी बाहों में भर कर किस की बौछार करने लगे। शालू खुद को सम्हालने की कोशिश करते हुए दोनों एक-दूसरे में समा गए।
एक दूसरे को इतना चाहते हैं पर कहीं ना कहीं अनकही बातें रह जाती है।
दूसरे दिन सुबह शालू जल्दी से उठ कर फेश् होने चली गई। वापस आई तो देखा सोमू एक गुलाब का फूल लें कर खड़ा था। शालू ने कहा ओह सोमू अब फिर शरारत । समीर ने कहा अरे ये लो गुलाब का फूल दे रहा हूं।।
शालू ने कहा ओके सर थैंक यू। चलो तैयार हो जाओ। फिर शालू जल्दी से दानी को गोद ले लिया और फिर नीचे पहुंच गई। विनय काका बोले बिटिया गुड मॉर्निंग। शालू ने कहा हां काका गुड मॉर्निंग। क्या नाश्ता बना है। विनय काका बोले आलू का पराठा और रायता। शालू ने कहा हां काका जल्दी से दिजिए भुख लगी है।। विनय काका ने कहा हां, हां ज़रूर। फिर समीर भी आ गए। चलो अब खाना खा लेते हैं। फिर समीर ने एक निवाला शालू को खिलाया और दूसरा खुद खाने लगा। शालू ने कहा काका दानी के लिए। विनय काका ने कहा हां बेटा दानी बाबा के लिए ये उबले हुए आलू। शालू ने कहा हां ये खिलाती हुं। फिर शालू दानी को भी खिलाने लगी। फिर समीर ने कहा अब मेरा हो गया।मैं अब चलता हूं।

कमश: