रक्त भरें आँशु - 5 Parveen Negi द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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रक्त भरें आँशु - 5

यह कहानी का भाग 5

इस्पेक्टर , यह खबर शहर में आग की तरह फैले, उससे पहले ही अर्जुन को यहां बुला लो , और पूछताछ करो आखिर इन आरोपों में सच्चाई कितनी है"


हवलदार, " ठीक है सर मैं उसे फोन करता हूं" और हवलदार रजिस्टर से अर्जुन संस्था का नंबर निकाल कर अर्जुन को फोन कर देता है।

हवलदार,, " अर्जुन बोल रहे हो"

अर्जुन , "जी,, हां""

हवलदार , "शहर के थाने में चले आओ, तुम्हारे खिलाफ कंप्लेंट लिखवाई गई हैं"

अर्जुन , " शिकायत ,,,,कैसी शिकायत,,, मैंने क्या किया है" और उसे अपना सर घूमता सा लगता है, यह बात सुनकर,,,,

हवलदार , " पहले तुम यहां आओ यही बात होगी"

अर्जुन,, " पर अभी मैं सिटी हॉस्पिटल में जा रहा हूं, मेरे साथ काम करने वाले लड़के का एक्सीडेंट हो गया है, इसी सिलसिले में"

हवलदार , " देखो तुम सीधा यही चले आओ , तुम्हारे लिए यही अच्छा रहेगा" और उसे थोड़ा गुस्से से बोलता है।

अर्जुन ,, " ठीक है मैं आ रहा हूं , " और फोन रख देता है..

बब्बू ,," हवलदार साहब , आपने फोन तो कर दिया है , कहीं वो भाग ना जाए , फिर आप हाथ मलते रह जाएंगे, जहां भी है वही गिरफ्तार कीजिए"

इस्पेक्टर ,, " अगर वह भागा तो उसका आरोप साबित हो जाएगा , इसलिए तुम शांति से वही खड़े रहो और जिस तरह से उसने फोन उठाया है , और आने के लिए कहा है , मुझे तो तुम्हारी बात पर भी शक हो रहा है , इसलिए चुप चाप उसके आने का इंतजार करो"

दूसरी तरफ,,,,

अर्जुन ,,, गहरी सोच में पड़ जाता है कि आखिर यह चक्कर क्या है , क्योंकि उसे नहीं मालूम की , उसकी लड़कियों को विकास चौधरी उठा ले गया है,, और अब उसी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा रही है,,

अर्जुन, " पहले मैं यह पैसे हॉस्पिटल जमा कर आता हूं,
उसके बाद थाने में जाता हूं"

अर्जुन ,, हॉस्पिटल जाकर पैसे जमा करा देता है , और फिर राजू को कुछ हिदायत देकर , थाने की तरफ निकल जाता है।।

और 10 मिनट बाद ,वह थाने में था।

इंस्पेक्टर, " उसे देखते ही, आइए,, आइए ,,अर्जुन जी,, आप ही का इंतजार था"

बब्बू , उसे देखकर भड़क उठता है, और लोगों को भी भड़काता है,,,

इंस्पेक्टर और हवलदार सब को शांत करते हैं,

इंस्पेक्टर , " अच्छा अर्जुन,, तुम्हारी संस्था में इस वक्त कितनी लड़कियां हैं"

अर्जुन , " जी सर ,,,6 लड़कियां हैं""

इंस्पेक्टर ," और अभी वह लड़कियां कहां है"

अर्जुन , " जी मेरे घर पर",,,

बब्बू और लोग चिल्ला पड़ते हैं ,,, " नहीं यह झूठ बोल रहा है, इसने लड़कियों को बेच दिया है , वहां कोई नहीं हैं"

अर्जुन , को उनकी बात सुनकर एक तेज झटका लगता है, " क्या बकते हो यह,,,, , सब बच्चे मेरे घर पर हैं,, मैं उन्हें घर छोड़कर हॉस्पिटल गया था"",,,

और कुछ ख्याल आते ही, तेजी से वहां से निकल कर,, बाइक स्टार्ट करके अपने घर की तरफ भाग पड़ता है,,,

इस्पेक्टर, " हवलदार रोको उसे " और अपना भी उठ कर बाहर की तरफ भागता है, पर अर्जुन अपने घर की तरफ निकल चुका था,,

बब्बू और लोग , " देखा ,,,,,हमने कहा था वह भाग जाएगा अब पकड़ो उसे"

और बब्बू अपनी योजना को, सफल होता देख कर खुशी से झूम उठता है।

इस्पेक्टर पुलिस वालों को लेकर ,, गाड़ी से अर्जुन के पीछे लग जाता है,,,

आगे आगे अर्जुन और पीछे पीछे पुलिस,,,

पर अर्जुन को तो घर पहुंचने का जुनून सवार था,, उसे तो किसी हादसे की बू आ रही थी , उसके दिल और दिमाग से अपनी उन छोटी बच्चियों के लिए भगवान से प्रार्थना निकल रही थी कि सब कुछ ठीक हो"

और वह लगभग चलती बाइक से ही , उतर कर दरवाजे की तरफ भागता है , दरवाजा खुला था ,,,वह हैरान रह जाता है,,,

अर्जुन लगभग चिल्लाते हुए,,, "" माया,,,, सीमा ,,,,रेनू ,,,,पर अंदर तो जैसे सन्नाटा पसरा हुआ था,,,,

पलक झपकते ही , उसने सब कमरे चेक कर डाले थे,, और अब हॉल में वह निढाल होकर घुटनों के बल बैठा था,, वह समझ चुका था कि उसकी छोटी बच्चियों के साथ ,बहुत बड़ी दुर्घटना हो चुकी है,,,,

उसे समझ नहीं आ रहा था , वह रोये ,,,या क्या करें, कहां ढूंढे , कौन ले लिया उसके बच्चों को" वह तो बेसुध सा हो गया था,,,

और तभी दरवाजे से , इंस्पेक्टर और पुलिस पार्टी अंदर आ जाती है।

पुलिस वाले अर्जुन को दबोच लेते हैं , अर्जुन तो वैसे ही ढीला पड़ चुका था , उसका शरीर जैसे बेजान सा हो गया था,

इंस्पेक्टर ,, पूरे घर को देखता है, " कहां है लड़कियां""

अर्जुन , कुछ बोल ही नहीं पाता,,

पब्लिक, बाहर हल्ला मचाने लग जाती है, " मारो,,, मारो,,, की आवाज गूंज उठती है,,

बब्बू ने पब्लिक को , बहुत बुरी तरह से भड़का दिया था।

इंस्पेक्टर अंदर से दरवाजा बंद कर लेता है,, और कंट्रोल रूम से पुलिस बल भेजने के लिए कहता है।

इस्पेक्टर, " देखो अर्जुन, लड़कियां कहां है हमें बता दो, वरना यह पब्लिक तुम्हें छोड़ने वाली नहीं , और ऊपर से कानून भी तुम्हें कड़ी से कड़ी सजा देगा , सच सच बता दो तुम ने लड़कियों को कहां बेचा है"

इस्पेक्टर द्वारा अपने ऊपर लगाए जा रहे ऐसे इल्जाम से वह टूट सा गया

अर्जुन , " का गला भर आया था, वह कुछ बोल ही नहीं पा रहा था , बस अपने हाथ पैर हिला रहा था , उसे गहरा सदमा लग गया था,,,

हवलदार ,, " सर,, लगता इसे गहरा सदमा लगा है लड़कियों के गुम होने का"

इस्पेक्टर, " बकवास बंद करो हवलदार, ऐसे गुंडे अपने आप को निर्दोष साबित करने के लिए अच्छी एक्टिंग करते हैं"

कुछ ही समय में वहां , पुलिस बल आ जाता है , और अर्जुन को वहां से निकाल कर ले जाया जाता है।

पीछे से पब्लिक बब्बू के कहने पर ,आक्रामक हो उठती है और अर्जुन के घर को आग लगा देती है ,, पूरा घर धूंधू होकर जल उठता है,,,

थाने में ,,

इस्पेक्टर, " बताओ हमें,, बच्चियां कहां है ,,कहां बेचा है तुमने"

अर्जुन ,, पहली बार गला फाड़कर चिल्ला उठता है, " मैं नहीं जानता , मुझे मेरी बच्चियों को ढूंढने जाना है , "

और फिर कुछ ख्याल आते ही मैं जानता हूं यह काम किसने किया है , विकास चौधरी आज उसी के साथ मेरा झगड़ा हुआ था ,, हॉस्पिटल में ,,,उसी ने मेरे बच्चों को उठाया है, मुझे जाने दो, इससे पहले कि वह उन्हें कोई नुकसान पहुंचाए, मैं उसे छोड़ने वाला नहीं"

इस्पेक्टर, हवलदार से," यह विकास चौधरी वही है ना जो औरतों की दलाली करता है"

हवलदार , " जी हां सर ,,,बहुत ही घटिया इंसान हैं ,, कई बार महीने महीने भर के लिए जेल जा चुका है , पर फिर भी मानता ही नहीं"

अर्जुन ,, " आप मेरा विश्वास कीजिए सर , मैं निर्दोष हूं , मुझे मेरी बच्चों की फिक्र है, वह बहुत ही छोटी बच्चियां है , वह कमीना उन्हें जिस्म के सौदागरों को बेच देगा, आप जल्दी से कुछ कीजिए ,वरना अनर्थ हो जाएगा" अर्जुन बदहवासी में बोलता ही जा रहा था,,,

इस्पेक्टर, " अच्छा ,,,अच्छा,,, ठीक है,,, उसे भी मैं थाने बुलाता हूं ,,, हवलदार 4 पुलिस टीम भेजो,, और उसे पकड़ कर थाने लाओ ,, और हां शहर में जितने भी ऐसे दलाल हैं, सब को उठा लो , मुझे सबसे इंक्वायरी करनी हैं, क्योंकि यह खबर बहुत बड़ी होने वाली है, अगर समय पर केस नहीं सुलझाया तो , शहर में बड़ा हंगामा हो सकता है"

हवलदार , जी सर,,,"

क्रमशः

अब कौन सा चाल चलेगा विकास चौधरी जानने के लिए बने रहें