रक्त भरें आँशु - 3 Parveen Negi द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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रक्त भरें आँशु - 3

कहानी का भाग 3

अर्जुन रोज शाम 7:00 बजे तक घर आ जाता है , क्योंकि उसके आने के बाद ही माई ,अपने घर को निकलती है।

अर्जुन , " मैंने घर की सुरक्षा के लिए ,कैमरे वाले को बोल दिया है ,वह कल आकर कैमरे लगा जाएगा ,फिर दुकान पर रहकर भी मैं इस घर पर नजर रख सकता हूं"

उजाला माई, " यह तुमने ठीक किया, अच्छा अब मैं चलती हूं" और वह अपने घर निकल जाती है,

अर्जुन , लड़कियों के लिए ढेर सारी खाने पीने की चीज लाया था , और सब लड़कियां उसे घेरे खड़ी थी,

अर्जुन, उन सबको खाने पीने की चीज अभी बांट ही रहा था, कि उसका फोन बज उठता है,

अर्जुन," हां बोलो राजू"

राजू, " उस्ताद सुनील का एक्सीडेंट हो गया है, वह हॉस्पिटल में है, आप फौरन आ जाओ"

अर्जुन, " हे भगवान, कौन से हॉस्पिटल में हो, मैं अभी आ रहा हूं"

राजू , उसे हॉस्पिटल का पता, बताता चले जाता है।

अर्जुन " तुम फ़िक्र मत करो, मैं अभी 10 मिनट में पहुंच रहा हूं " और फोन रख देता है.

अर्जुन, लड़कियों से, " माया तुम सबसे बड़ी हो , सबका ख्याल रखना , और अंदर से दरवाजा बंद कर लो, मैं बाहर जा रहा हूं"

माया, " ठीक है अर्जुन भाई , आप जाओ" और अर्जुन बाहर निकल जाता है,,

और सड़क पर गाड़ी लिए खड़ा, विकास चौधरी का चमचा बब्बू उसे देखकर खुश होता है , और विकास चौधरी को फोन मिला देता है।

बब्बू , " सरकार छोकरा यहां से निकल चुका है ,अब सीधा हॉस्पिटल ही जाएगा"

विकास चौधरी, " वाह हमारा प्लान सफल रहा, मुझे पता था जैसे ही उसे एक्सीडेंट की खबर लगेगी, वह फौरन हॉस्पिटल जरूर निकलेगा"

बब्बू " सरकार आप प्लान बनाए और एक सफल ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता , अब बोलिए क्या आदेश है, क्या सब लड़कियों को उठा लूं"

विकास , " अभी रुको ,मेरे फोन का इंतजार करना, जब मैं कहूं तब काम पर लग जाना"

बब्बू , " ठीक है सरकार, मैं उसके घर के पास ही खड़ा होता हूं"

विकास चौधरी, " ठीक है " और फोन रख देता है।

विकास चौधरी , के होठों पर कुटिल मुस्कान आ जाती है,। और वह उसी हॉस्पिटल के बाहर खड़ा होकर ,अर्जुन का इंतजार करने लगता है।

विकास चौधरी , " देख अर्जुन ,अब मैं तुझे कैसे अपने चक्रव्यूह मैं उलझाता हूं , और मेरे चक्रव्यूह से निकालने के लिए तू तड़पेगा , पर निकल नहीं पाएगा तू रोएगा ,,गिड़गिड़ा आएगा , पर तुझे समझ नहीं आएगा, अब क्या करूं, बड़ा शरीफ बनकर घूम रहा था ना, अब देख कैसे तुझे फिर से हमारी दुनिया में ले कर आता हूं , " और उसके चेहरे में वही घटिया मुस्कान तैर जाती है।

अर्जुन , लगभग भागते हुए हॉस्पिटल के अंदर दाखिल हुआ था, और रिसेप्शनिस्ट से सुनील के बारे में पता करता है

रिसेप्शनिस्ट , " सुनील तो अभी ऑपरेशन थिएटर में है,"

अर्जुन , तेजी से ऑपरेशन थिएटर की तरफ बढ़ जाता है, जहां उसे सुनील और उसके मां-बाप नजर आ जाते हैं,

सुनील की मां, " अर्जुन मेरे बेटे को बचा लो, डॉक्टर दो लाख जमा करने को बोल रहे हैं"

अर्जुन , माँ जी आप फिक्र ना करें, मैं कुछ ना कुछ करता हूं"

अर्जुन, " सुनील से एक्सीडेंट कैसे हुआ, उसके बारे में पूछता है,

सुनील , " आज हम घर की तरफ आ रहे थे , तभी पीछे से एक वैन ने आकर हमें टक्कर मार दी , मैं तो सड़क से बाहर गिर गया , पर सुनील सड़क पर गिरा, जिसकी वजह से उसके सर पर गहरी चोट आ गई"

अर्जुन , " और डॉक्टर क्या कह रहे हैं"

सुनील , " डॉक्टर कह रहे हैं ,इलाज हो जाएगा ,पर पैसे जमा करवा दो"

अर्जुन, " ठीक है मैं बंदोबस्त करता हूं "

अर्जुन, तेज कदमों के साथ चल कर बाहर की तरफ आता है, कि तभी उसे एक जानी पहचानी आवाज सुनाई देती है, जो उसे ही पुकार रही थी।

अर्जुन ,,ओ अर्जुन ,,,

अर्जुन उस तरफ देखता है तो उसका चेहरा गुस्से से भर उठता है।

अर्जुन, विकास चौधरी की तरफ बढ़ते हुए , मैंने तुमसे पहले भी कहा है ना ,मुझसे दूर रहो ,और फिर तुम मेरा नाम लेकर बोल रहे हो"

विकास , " अरे,, अरे,, माफ करना, नहीं पुकारूंगा,, वैसे तुम यहां क्या करने आए हो "

अर्जुन , " तुम्हें इस से कोई मतलब नहीं " और आगे बढ़ जाता है.

विकास चौधरी , " मतलब कैसे नहीं,,,, दो लाख का कैसे बंदोबस्त करोगे " और उसकी आवाज में व्यंग आ गया था,,

अर्जुन, उसकी बात सुनकर चौक जाता है ,और मुड़कर उसकी तरफ देखता है।

अर्जुन , " तुम्हें कैसे पता मुझे दो लाख की जरूरत है"

विकास, हंसते हुए , अभी तुम जिनसे मिलकर आ रहे हो, थोड़ी देर पहले कैसियर उन्हें दो लाख जमा करने के लिए बोल रहा था , और फिर तुम्हारी यह घबराई हालत साफ बता रही है कि, तुम्हें पैसों की सख्त जरूरत है"

अर्जुन , उसकी आंखों में गहराई से देखते हुए , " इस एक्सीडेंट के पीछे तेरा तो कोई हाथ नहीं"

विकास चौधरी , " कैसी बात कर रहे हो, मेरा जो काम है मैं वही करता हूं , " और मुस्कुराता है , " और हां,, तुम्हें पैसे चाहिए तो मैं तुम्हें दे सकता हूं"

अर्जुन , "तुम मुझे पैसे दोगे ,पर मैं तुमसे कोई पैसा नहीं लेना चाहता " और जाने के लिए मुड़ता है

विकास चौधरी , " सोच लो ,,कहीं ऐसा ना हो ,जब तक तुम पैसों का बंदोबस्त करके आओ ,,तब तक बहुत देर हो जाए, मैं अभी इसी वक्त पैसे जमा कर सकता हूं " और अर्थ पूर्ण दृष्टि से अर्जुन को देखता है।

अर्जुन, एक पल ठहर जाता है ,और मुड़कर फिर उसके पास आ जाता है,,

अर्जुन ,उसकी आंखों में देखते हुए , " और इस मेहरबानी का कारण"

विकास चौधरी, " बस ज्यादा कुछ नहीं ,जैसे आज मैं तुम्हारे काम आ रहा हूं ,वैसे ही कल को तुम भी मेरे काम आ जाना" और अपने चेहरे पर, अर्जुन को कुछ समझाने वाले भाव लाता है,,

अर्जुन , "और मैं तुम्हारे क्या काम आ सकता हूं" ,,, और उसे गौर से देखता है,,,

विकास , " यह भी तुम्हें समझाना पड़ेगा, जो धंधा तुम पहले करते थे , फिर से उसी धंधे पर आ जाओ, बस और कुछ नहीं"

अर्जुन , बड़ी मुश्किल से तो उस घटिया जिंदगी से बाहर निकला हूं , अब तो मैं किसी भी सूरत में फिर से उस दलदल में नहीं जाना चाहूंगा"

विकास , " चलो ठीक है तुम उस दलदल में नहीं आना चाहते,,, मत आओ, पर सिर्फ एक बार मेरा, एक काम कर दो , तुम्हें पूरे दो लाख मिल जाएंगे"

अर्जुन , उसे गौर से देखते हुए , " बोलो क्या काम है"

विकास, " अपने यहां से एक लड़की, मुझे एक रात के लिए दे दे"

अर्जुन , चिल्लाते हुए उसका गिरेबान पकड़कर ,उसे दीवार पर चिपका देता है।

अर्जुन, " कुत्ते ,,,,,तूने अपनी गंदी जुबान से ,,इतनी बड़ी बात मुझे कैसे बोल दी" और तीन चार मुक्के रसीद कर देता हूं,,,

और वहां उन दोनों का झगड़ा शुरू हो जाता है।

वहां होते हल्ले को देखकर , सिक्योरिटी गार्ड उन दोनों को अलग करते हैं।

विकास , गुस्से में , " मैं तुझे देख लूंगा " और वहां से निकल जाता है,,,

क्रमशः

विकास चौधरी अब क्या करेगा ,और क्या अर्जुन अपने आप को बचा पाएगा ,जानने के लिए बने रहे कहानी के साथ,,,,