"अच्छा।
माया बोली तो चाय तो बनाकर लाती हूँ।ठंड काफी है।"म
माया चाय बनाने के लिए किचन में चली गयी।देवेन ने कपड़े चेंज किये और पलँग पर आ बैठा।कुछ देर बाद माया चाय लेकर आयी।
"लो चाय पीओ"
"आप नहीं लेंगी/"एक ही कप देखकर देवेन बोला था।
देवेन चाय पी रहा था।तब वह वहां बैठकर निशा और राहुल के समाचार पूछती रही।देवेन ने चाय पी ली तब वह उठते हुए बोली,"तुम सो जाओ"।
और वह दूसरे कमरे में चली गयी ।देवेन बिस्तर में लेट गया।वह सोचने लगा।माया के बारे में।
उस रात भी आज जैसी ही ठंड थी।वह शादी में से लौट कर लिहाफ में घुस गया था।और उसे लेटते ही नींद आ गयीं थी।गहरी नींद।लेकिन आज।उसकी आँखों मे नींद नहीं थी।उस रात को देवेन याद करने लगा।
उस रात जब देवेन गहरी नींद में सो रहा था।तब न जाने कब माया उसके बिस्तर में आ गयी थी।आज भी उसका ख्याल था।माया उसके बिस्तर में आ जायेगी।और वह इन्तज़ार करता रहा।लेकिन काफी समय गुज़र जाने पर भी माया उसके पास नहीं आयी तो वह बेचैन हो उठा।
देवेन, माया के शरीर का एक बार फिर से उपभोग करने के लिए ही यहां आया था।लेकिन माया उससे दूर दूसरे कमरे में थीं।देवेन काफी देर तक करवटे बदलता रहा और अपने पर काबू रखने का प्रयास करता रहा।लेकिन ज्यादा देर तक सफल नही हुआ।वह अपने बिस्तर से उठा और दूसरे कमरे में जा पहुंचा।
माया गहरी नींद में सो रही थी।कमरे में नाईट लैंप का प्रकाश फैला था।पलँग पर सो रही माया को देवेन खड़ा होकर निहारने लगा।काफी देर तक निहारने के बाद देवेन, माया के लिहाफ में घुस गया।
",कौन?"माया बोली थी।और आंखे खोलकर देखा था।
"तुम?'माया,देवेन को अपने बिस्तर पर देख कर चोंककर बोली,"यहां मेरे बिस्तर में मेरे पास क्या करने आये हो?"
"उस रात आप मेरे पास मेरे बिस्तर में क्या करने के लिए गयी थी?"देवेन ने माया के प्रश्न का उत्तर प्रश्न पूछकर दिया था।
"देवेन उस रात को जो हुआ वो मेरी भूल थी।उस पर मैं बहुत शर्मिंदा हूं।मैने उस रात जो किया वो नही करना चाहिए था।तुमने तो मुझे बहुत समझाया था लेकिन मुझ पर वासना का भूत सवार था।न जाने मुझे क्या हो गया था कि मेरी समझ मे तुम्हारी बात नही आयी।और वो हुआ जो नहीं होना चाहिए था।"
माया को उस रात की घटना चलचित्र की तरह याद आने लगी।उस रात की घटना के साथ उसका अतीत भी जुड़ा हुआ था।
राम प्रशाद सरकारी नौकर थे।सरला के साथ उनकी शादी हुई थी।शादी के बाद हर दमपति संतान की चाह रखने लगता है।लेकिन सरला शादी के दो साल बाद भी मां नहीं बनी तो डॉक्टर को दिखाया,।डॉक्टर ने बताया,"पचास प्रतिशत चांस है"।
और फिर गण्डा,ताबीज,मन्नतों का दौर चला और शादी के दस साल बाद सरला के पैर भारी हुए तो राम प्रशाद की खुशी का ठिकाना नही रहा।सरला ने नौ महीने बाद बेटी को जन्म दिया।
राम प्रशाद अपनी बेटी को बहुत प्यार करते थे।जब निशा दो साल की थी तब सरला का हार्ट अटैक पड़ने से देहांत हो गया।राम प्रशाद पत्नी से बहुत प्यार करते थे।वह रिश्तेदारों के कहने पर भी शादी नही करना चाहते थे।लेकिन बेटी को किसके भरोसे छोड़े?