आदित्य और अस्मिता दोनो रात के लगभग 9 -10 बजे तक आराम से मौसी के घर पहुंच गये थे।
अस्मिता आदित्य को कुछ दुरी पर ही गाड़ी रोकने को बोलती है क्योकि अगर मौसी उसे किसी भी लड़के के साथ देखती तो यह बात किसी न किसी तरीके से उसके बाबा तक पहुच ही जाती ।
अस्मिता अपने मौसी के घर पर जाकर दरवाजा खटखटाती है लेकिन कोई उत्तर नही आता है। लगभग पाँच मिनट तक दरवाजा खटखटाने के बाद भी कोई दरवाजा नही खोलता । अचानक अस्मिता का ध्यान दरवाजे की कुंडी पर जाता है जो की बाहर से बंद था और उसमे ताला भी लगा था।
अस्मिता को समझ नही आता की क्या करे अब ।वह देखती है की लगभग सारे लोग ही अपने अपने घर के बाहर द्वार पर अपनी अपनी खाट लगाए सोये थे। वो वही से गुजर रहे एक बुढे आदमी से पूछती है - " काका यह मौसी कहाँ गयीं।"
वो बुढा आदमी पहले अस्मिता को रात के अन्धेरे में पहचानने की कोशिश करने लगता है आखिरकार जब वो अच्छी तरह से पहचान जाता है तब बोलता है -" अरे अस्मिता बिटिया तुम !! इतनी रात गये इंहा का कर रही हो और तुमको पता नही का की तुम्हरी मौसी ईश्वर को प्यारी हो गयी।"
इतना बोल वो नकली तरह से अपने आंशु पोछने लगता है।
अस्मिता मन मे -" कितना ड्रामा करता है बुड्ढा ,,,,और ई मासी भगवान को प्यारी हो गयी और एक चिठ्ठी भी लिख कर किसिने नही दिया।"
फिर अस्मिता उस आदमी से बोलती है -" काका यह मासी का देहांत कब हुआ और भैया भाभी किधर है।"
आदमी -" अरे बिटिया का बताये तुम्हरी मौसी तो 6 -7 महीने पहले ही चल बसी और उसकी कलमुही पतोहू ,, गयी अपने अदमी को लेकर शहर ।"
अस्मिता को समझ नही आया की अब क्या करना चाहिये । वो वापस गयी जहाँ आदित्य ने उसे छोड़ा था।
आदित्य बस गाड़ी चालू कर वापस जाने ही वाला था की
अस्मिता मुह गिराए आ जाती है।
आदित्य गाड़ी वापस रोक कर -" क्या हुआ ऐसे क्यू आ रहीं हैं आप।"
अस्मिता आते हुये -" क्या बताये ,,, मासी उपर टपक गयीं और भैया भाभी शहर चले गयें।"
आदित्य -" तो फिर ,,,,, वापस चलना है।"
अस्मिता फटाक से -" अरे नही नही ,,, अगर अभी वापस गये तो सुबह 9 -10 बजे तक घर पहुच जायेंगे । फिर बाबा को भी पता चल जायेगा कि हम आपके साथ आये थे क्योकि बैलगाड़ी से ही 2 -3 दिन लगता है आने मे फिर जाने मे 2 -3 दिन ।"
आदित्य -" तो क्या किया जाये फिर।"
अभी यह दोनो बात कर ही रहे थे की वो बूढा आदमी आ जाता है। वो अस्मिता और आदित्य को सक भारी नजरों से देखकर -" बिटिया ई कौन है तुम्हर अदमी ह का।"
आदित्य और अस्मिता एक दुसरे को देखने लगते है क्योकि वो दोनो भी जानते थे की यहां गाँव में दो लड़का लड़की या तो भाई बहन बन के रह सकते है या पति पत्नी और ये दोनो भाई बहन तो किसी जन्म मे नही बनते ।
आदित्य मुस्कुराते हुये अस्मिता को तिरछी नजरों से देखकर - " बताईये अस्मिता अब हम तो इन्हे नही ना जानते है।"
अस्मिता हकलाते हुये -" ह ,,,हं ,,,,हाँ काका ।"
आदित्य उसके मुह से हाँ सुनते ही हल्का से हँसते हुये उस बुढे आदमी का पैर छू लेता है।
वो आदमी आशीर्वाद देते हुये -" सदा सुखी रहो बेटा ,,,,,, आजकल की लडकियों मे तो संस्कार ही नही है की किसी बुजुर्ग के पैर छुए।"उसका इशारा साफ साफ अस्मिता की ओर था।
अस्मिता मन मे -" यह बूढ़ा खूद को नही देख रहा है निर्मला चाची से रात मे उठ कर बतियाने जाता है जैसे हमको कुछ पता ही ना हो ,,, आ रहा है हमको सिखाने।"
अस्मिता अभी सोच ही रही थी की वो बूढ़ा बोलता है -" तुम दोनो इहाँ अपनी मौसी के घर रुक जाओ उनके घर की एक चाभी हमरे पास है आउर हम कुछ खाने पीने को भी भेजवा देते हैं ।"
इतना बोल वो आदमी वापस अपने घर जाता है और एक चाभी और एक घडे मे दूध भर कर लाता है।
अस्मिता और आदित्य दोनो ही चाभी खोल घर मे घुस जाते हैं फिर अस्मिता उस बुढे आदमी को शुभ रात्रि बोल दरवाजा अंदर से बंद कर लेती है।
घर मे बस दो ही कमरा था जिसमें एक मे रसोईं थी और दूसरा सोने के लिये और एकदम बाहर था बरान्दा जो की खुला था। अक्सर गाँव मे सबके ऐसे ही घर होते थे पहले। अंदर कमरे मे बहुये और छोटे बच्चे रहतें थें और घर के बड़े बुजुर्ग और बड़े बच्चे या तो बाहर सोते या बरान्दे में।
आदित्य को बाहर सोने की आदत ही नही थी इसलिये वो भी अंदर आ गया।
अंदर अस्मिता अपना सामान एक चौकी ( एक तरह का बैड ही समझिये ) पर रख सबसे पहले खिडकी खोलती है। फिर साफ सफाई करने लगती है । थोडा झाडू लगाने के बाद अस्मिता वही चौकी पर बैठ जाती है और आदित्य आकर उसके बगल मे।
आदित्य अस्मिता से -" वैसे इस गाँव के लोग कितने अच्छे हैं हमारी कितनी मदद कर रहे थे।"
अस्मिता मुँह बना -" कौन वो बूढ़ा ,,, आपको अच्छा लगा।"
आदित्य हँसते हुये -" उनके सामने तो आप काका काका बोल रही थी लेकिन अब उन्होने क्या बुरा कर दिया जो आप उनपर गुस्सा निकाल रही हैं।"
अस्मिता -" वो कोई अच्छा वच्छा नही है ,,, वो हम लोगो को किसी तरह वहाँ से भगाना चाहता था इसलिये मदद किया।"
आदित्य -" और यह आपको कैसे पता।"
अस्मिता - " चलिये आपको दिखाती हू किस लिये वो हमे भगाना चाहता था।"
आदित्य को अस्मिता किसी जासूस की तरह हाथ पकड दरवाजा धीरे से खोलते हुये बाहर आती है। आदित्य बस उसकी नादानी देख मुस्कुरा रहा था। आदित्य मन मे -" किसने बोला था इस बच्ची से तुझे प्यार करने को आदित्य।"
इधर अस्मिता एकदम धीरे धीरे पैर दबा कर चलते हुये धीरे से एक पुआल के ढेर के पास आती है फिर आदित्य से एकदम धीरे से बोलती है -" अब आप अपनी आँखो से देखो यह बूढ़ा हमे क्यू भागा रहा था।"
आदित्य देखता है तो वो बूढ़ा आदमी एक औरत के कंधे पर सर रखे उसके जुल्फो से खेल रहा था।
आदित्य मुह खोले कभी उस अद्भुत दृश्य को देख रहा था तो कभी अस्मिता को।
आदित्य -" ये,,,,।"
अस्मिता धीरे से -" यह है निर्मला चाची ,,,, इन दोनो का 10 साल से लव अफेयर चल रहा है ,,, और यह बूढ़ा सठियाने के उम्र मे इश्क़ लडा रहा है।"
आदित्य को हसी आ जाती है लेकिन अस्मिता जल्दी से उसके मुह पर हाथ रखते हुये -" यहां ना हसिए नही तो उन लोगो के प्रेम रात्रि मे विघ्न पड़ जायेगा ,,,, फिर वो बूढ़ा भर भर कर गाली देगा हमें।"
अस्मिता आदित्य अभी उन दोनो को देख रहे थे की वो बूढ़ा निर्मला चाची के गालों की तरफ बढ़ने लगा और हमारी चाची जी सरमाने लगी।
आदित्य एक बार फिर यह अद्भुत दृश्य देखकर आखे बड़ी कर लेता है लेकिन तभी अस्मिता अपने हाथों से उसकी आँखे बंद करते हुये -" बच्चो को ऐसी चीजे नही देखनी चाहिये।"
इतना बोल वो उसकी आँखे बंद किये ही वापस घर मे आ जाती है।
घर के अंदर आते ही आदित्य -" अरे अब तो आँखे खोल दो ।"
अस्मिता उसके आंख से हाथ हटाते हुये -" देख लिया ना उस बुढे की अच्छाई ,,,, रंगीला बूढ़ा कहीं का।"
आदित्य बस जब से आया था अपना पेट पकड़े हस रहा था ।
आदित्य कुछ देर बाद -" वैसे आपने बोला था बच्चो को यह सब नही देखना चाहिये तो हम आपको किधर से बच्चे दिखते हैं उर आप हमशे बड़ी।"
अस्मिता थोड़ा अकड कर -" पूरे 21 साल के हैं हम।"
आदित्य -" तो हम तो 5 साल के छोटे से नन्हे से मुन्ने से बच्चे हैं ना हम भी 25 साल के है आपसे भी बड़े ।"
अस्मिता उसकी बात पर दांत दिखाने लगती है ।
क्रमश:
अरे रुको रुको भईया लोग समिक्षा रेटिंगस कौन देगा ,, सब पढ कर पतली गली से निकल जाते हो थोडा प्रोत्साहन हमको भी दो बबुआ ,,, नही तो अस्मिता को पीछे छोड देंगे फिर तुम्हरी भी जासूसी करेगी बिल्कुल ,,,, रंगीला बुड्ढा की तरह ,,,, और सारंगी भी पटक कर मारेगी,,,,🙏🙏🙏