सपनो का शुभ अशुभ फल - भाग 1 Captain Dharnidhar द्वारा ज्योतिष शास्त्र में हिंदी पीडीएफ

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सपनो का शुभ अशुभ फल - भाग 1

आदिकाल से मनुष्य द्वारा स्वप्न देखा जाता रहा है । इस बात का उल्लेख ऋग्वेद व उपनिषदादि धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। स्वप्न सिद्धि के मंत्रों उल्लेख इस बात को पुष्ट करता है किअ कालान्तर से मनुष्य स्वप्न देखता आया है। और स्वप्न के रहस्यों को जाना भी है।
तीन अवस्थायेें होती है। जाग्रत अवस्था,सुसुप्त अवस्था,स्वप्न अवस्था। इसी तरह हमारे मन के दो स्वरूप होते हैं। अन्तर्मन,बाह्य मन (चेतन मन अवचेतन मन ) जब दोनो मन सुुुुसुप्त होते है,तो सुसुप्त अवस्था कहलाती है। इस अवस्था में मनुष्य को कोई ज्ञान का आभास नही होता। मनुष्य निश्चेष्ट रहता है।
जब बाह्य मन व अन्तर्मन दोनो जाग्रत रहते है
तो इस अवस्था को जाग्रत अवस्था कहते है।
इस अवस्था में मनुष्य सचेष्ट रहता है, इसी
अवस्था में मनुष्य सभी दैनिक कार्य करता है।
जब बाह्य मन सुसुप्त रहता है और अन्तर्मन
जाग्रत रहता है इस अवस्था को स्वप्न अवस्था
कहते हैं।
दिन मे देखा हुआ स्वप्न निष्फल होता है। जिस व्यक्ति के शरीर मे कफ की अधिकता होती है उसे बार बार पानी ही पानी दिखाई देगा। जिसके शरीर में पित्त ( गर्मी ) की अधिकता होती है उसे बार बार आग दिखाई देती है। और जिसके शरीर मे वायु की अधिकता होती है उसे बार बार उड़ने के स्वप्न दिखाई देते है। अतः स्वप्न से भी रोग की पहचान हो जाती है। किन्तु प्रत्येक स्वप्न फलदायी हो सकता है ऐसा नही मानना चाहिए।
स्वप्नमिष्टं च दुष्टा यः पुनः स्वपिती मानवः।
तदुत्पन्नं शुभं फलं स नाप्नोति निश्चितम्।।
अर्थात जो मनुष्य शुभ स्वप्न देखकर पुनः सो जाता है, उस स्वप्न से उत्पन्न शुभ फल निश्चित रूप से उसे प्राप्त नही होता।
अनिष्टं स्वप्नं दृष्टवा पश्चात् स स्वपेत्पुमान।
रात्रौ वा कथयेदन्यं तवाप्नोति न तत् फलम्।।
अर्थात अशुभ स्वप्न देखकर मनुष्य पुनः सो जाय या रात्रि मे ही किसी को कह दे तो अशुभ स्वप्न का फल प्राप्त नहीं होता।
जिस प्रकार फलो के आने से पहले फूल आते हैं। तूफान आने से पहले आसमान मे धूल दिखाई देती है। इसी प्रकार शुभ अशुभ की जानकारी स्वप्न से मिल जाती है।
शुभ स्वप्न को किसी से नही कहना चाहिए और जाग जाये तो फिर नही सोना चाहिए।
इसी तरह अशुभ स्वप्न देख लेने पर ब्राह्मण,गुरू या गौमाता या तुलसी के पौधे से कह देना चाहिए। जाग जाये तो पुनः सो जाना चाहिए। शिव पूजन, शिव मंत्र का जाप करना चाहिए।
पूजा अर्चना करने से सभी अरिष्ट दूर हो जाते हैं ।
कुछ संग्रहित सपने --
01 अपना कटा पैर देखना -- विघ्न बाधा आये।
02 अपना सिर काटना -- धन की वृद्धि।
03 अंडे खाना -- झगड़ा हो, स्वास्थ्य लाभ।
04 अंगुठी पहनना -- धन लाभ,सुंदर स्त्री मिले।
05 अनाज भरना -- धन लाभ।
06 अनाज बेचना -- हानि हो।
07 अपने आपको नंगा देखना-- अपमान हो।
08अपने आप को कीचड़ मे फसा देखे -- मृत्यु।
09 अपने आपको गंदगी पर बैठा देखे -- धन हानि हो ।
10 अनार खाना -- धन प्राप्त हो ।
11 अखरोट देखना -- सुख का सूचक ।
12 अचानक मोटा होना - 8 माह मे मृत्यु तुल्य कष्ट,
13 अचानक पतला होना -- 8 माह मे मृत्यु तुल्य कष्ट ।
14 अपने आपको मृत देखना -- आयु वृद्धि ।
15 अपने आपको वृद्ध देखना -- प्रतिष्ठा बढे ।
16 अपने बाल सफेद देखना -- उम्र बढे ।
17 अग्नि देखना -- पित्त संबंधित रोग ।
18 अग्नि मे प्रवेश करना -- रोग भय ।
19 अतिथि देखना -- आकस्मिक विपत्ति
20 अंधेरा देखना -- दुःख कष्ट ।
स्वप्न फल भाग एक समाप्त
✍कैप्टन