धर्म से अंजान प्यार - 4 shama parveen द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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धर्म से अंजान प्यार - 4

उसने मेरे को कई तरह से मना करने की कोशिश की मगर में भी बहुत जिद्दी थी। मेने भी उसकी बात नही मानी। और उसे मनाती रही की अगर तुम मेरा साथ दोगे तो कोई भी हमारा कुछ भी नही बिगाड़ सकता है। मगर वो नही माना और मुझे छोड़ के जाने लगा। तभी कुछ स्कूल के बिगड़े लड़के वही खड़े थे । वो मेरे साथ बदतमीजी करने लगे। वो बोलने लगे की कोई बात नही अगर वो नहीं मान रहा है तो हम तो है ना हमसे सेट हो जाओ।
और फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया। फिर मैं चिल्लाने लगी तभी अचानक से रेहान मेरे पास आ गया और उसने उन्हे मारा और मुझे उनसे बचाया। और रेहान मुझसे बोला की चलो यहां से ये जगह अच्छी नही है। आगे चलो वहा सारे बच्चे है। मगर मैने उसकी बात नही मानी और वही खड़ी रही। और मैन उससे बोला की तुम्हे क्या मतलब मैं कही भी रहु। तुम जाओ।
तब उसने मुझसे कहा की तुम पहले यहां से चलो फिर हम बात करते हैं। मगर में जिद्दी बन के खड़ी रही। फिर उसने बोला की तुम पहले यहां से चलो फिर मैं पक्का तुमसे बात करूंगा। फिर मैं भी त्यार हो गई। और फिर हम दोनो वहा से आ गए। और फिर हम दोनो अपने अपने दोस्तो के साथ बाते करने लगे।फिर हमारे घर के आने का समय हो गया। हम अपनी बस में बैठ गए। फिर मैने रेहान से बोला की तुमने तो बोला था की हम बाद में बात करेंगे मगर अब तो हम घर जा रहे हैं। तो उसने मुझसे कहा की हम कल स्कूल में आराम से बात करेंगे।
फिर रात हो गई और हम सब अपने अपने घर आ गए। और खाना खा के सो गए। क्युकी दिन भर की थकान थी इसलिए नींद भी जल्दी आ गई।
और फिर सुबह हुई। मां ने मुझे उठाया और मै उठ कर जल्दी से त्यार हो गई और स्कूल के लिए निकल पड़ी। मै रास्ते भर यही सोचते हुई जा रही थी की आज रेहान मुझसे बात करेगा । मै ये सोच सोच कर खुश हो रही थी। फिर जैसे ही में गेट में घुसी रेहान सामने ही खड़ा मेरा इंतजार कर रहा था। फिर मै भी भागते हुए रेहान के पास पहुंची । और उसे हेलो कहा फिर उसने भी मुझे हेलो बोला और फिर हम बाते करने लगे।
उसके बाद रेहान ने मुझे समझाया की देखो मै तुमसे प्यार तो नही कर सकता हु बस दोस्ती ही कर सकता हु। मेने बोला कोई बात नही तुम मुझसे दोस्ती ही कर लो। मै उसी में खुश हु।
फिर इसी तरह हम रोज मिलने लगे अब रेहान मेरे लिए अपने घर से खाना लाता था और मै अपने घर से। अब हम घंटो घंटो बाते करने लगे अब रेहान को भी मेरी आदत हो चुकी थीं। उसे भी मेरे बिना अच्छा नही लगता था। जब मै कभी स्कूल नही जाती थीं तो उसे भी अच्छा नही लगता था।
दिन बीतते गए अब हमारी दोस्ती और भी ज्यादा मजबूत हो चुकी थी। तभी एक दिन रेहान ने मुझे शाम को बाज़ार में मिलने बुलाया मै खुशी खुशी उसके पास गई। तब रेहान ने मुझ से कहा की रोशनी में एक बात बोलूं तो मैने कहा बोलो ।तब रेहान ने मुझे बताया की अब मुझे भी तुमसे प्यार हो गया है अब मैं भी तुम्हारे बिना नही रह सकता ये सुन कर मैं बहुत खुश हुई। मगर फिर रेहान ने बोला की हमारे इस रिश्ते को कोई भी नही अपनाएगा। तो मैन कहा की तुम परेशान मत हो मे कल सुबह ही घर में बात करती हु । अच्छा अब घर चलो वरना सब परेशान हों जायेगे।